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नवाज़ से मिले ज़रदारी, लोकतंत्र को बचाने का संकल्प
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी के सहप्रमुख आसिफ़ अली ज़रदारी और प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के मध्य शनिवार को होने वाली भेंटवार्ता में संविधान, लोकतंत्र और संसद के प्रभुत्व को स्थापित रखने के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से त्यागपत्र की मांग को रद्द कर दिया गया है।
शनिवार को रायविंड में होने वाली इस भेंटवार्ता में दोनों नेताओं ने देश की वर्तमान स्थिति पर विचार विमर्श किया। पूर्व राष्ट्रपति ने लोकतंत्र को बचाने के लिए भरपूर भूमिका अदा करने का संकल्प दोहराया।
भेंटवार्ता में किसी भी प्रकार के असंवैधानिक क़दम का समर्थन न करने का फ़ैसला करते हुए लोकतंत्र के लिए हर प्रकार का बलिदान देने पर भी सहमति हुई है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को यह सलाह दी कि वह अपने मंत्रियों को सख़्त बयान देने से रोकें।
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी शनिवार की दोपहर हेलीकाप्टर द्वारा लाहौर में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के आवास पर पहुंचे जहां प्रधानमंत्री ने उनका स्वागत किया।
दूसरी ओर पाकिस्तान तहरीके इन्साफ़ पीटीआई और सरकार के मध्य वार्ता आरंभ हो गयी है। यह वार्ता ऐसी स्थिति में हुई है कि पीटीआई के सांसदों की ओर से नेश्नल एसेंबली से त्यागपत्र दिए जा चुके हैं।
मिस्र ने खोला रास्ता, ग़ज़्ज़ा जाएगी ईरान की सहायता
मिस्र ने ईरान से भेजी जाने वाली सहायता ग़ज़्ज़ा पहुंचाने की स्वीकृति दे दी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के सूत्रों से मिलने वाली जानकारी के अनुसार मिस्र की सरकार ने इस बात की अनुमति दे दी है कि ईरान दवाएं और खाने पीने की चीज़ें क़ाहेरा भेज सकता है जहां से यह सहायता सामग्री गज़्ज़ा स्थानान्तरित की जाएगी।
मिस्र की अनुमति मिल जाने के बाद ईरान से सहायता सामग्री की खेप विमान द्वारा क़ाहेरा पहुंचाई जाएगी।
ईरान ने पहले से ही घोषणा कर दी है कि वह गज़्ज़ा की जनता के लिए सहायता भेजना चाहता है किंतु मिस्री प्रशासन इसकी अनुमति नहीं द रहा था।
ईरान ने अमरीका के साथ सहकारिता को नकारा।
अबनाः ईरान के विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें यह कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के समाप्त किये जाने के बदले में ईरान इराक में अमेरिका के साथ सहकारिता कर रहा है।
मरज़िया अफखम ने गुरूवार को कुछ संचार माध्यमों में इस प्रकार की प्रकाशित खबरों का खंडन किया। मरज़िया अफखम ने कहा कि ईरान और अमेरिका के मध्य सहकारिता पर आधारित खबर सही नहीं है और इस प्रकार का समाचार आधारहीन है।
इससे पहले कुछ संचार माध्यमों में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी कि ईरान के विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ ने एक टीवी वार्ता में कहा था कि सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को समाप्त करने के बदले में ईरान अमेरिका के साथ सहकारिता के लिए तैयार है।
अमरीका को हार का मुंह देखना पड़ेगा।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने कहा कि परमाणु वार्ता में इस्लामी गतणंत्र ईरान की ओर से पश्चिम को जो प्रस्ताव दिया गया है वह दोनों पक्षों के हित में है।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि यदि दोनों पक्षों को जीत तक पहुंचाने वाले इस प्रस्ताव को पश्चिम और अमरीका ने स्वीकार न किया तो उन्हें नुक़सान उठाना पड़ेगा क्योंकि अनुभव से सिद्ध हो गया है कि जब भी अमरीका ईरान की जनता और इस्लामी क्रान्ति के विरोध में खड़ा हुआ है उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा है।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने कहा कि अमरीका ने इराक़ द्वारा ईरान पर थोपे गए युद्ध के दौरान सद्दाम शासन का समर्थन किया किंतु अंजाम यह हुआ है कि ईरान ने अपनी एक इंच ज़मीन पर भी जाने नहीं दी और संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन महासचिव ने सद्दाम को दोषी माना जो अमरीका की बहुत बड़ी पराजय थी।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने इराक़ में अमरीकी योजनाओं के विफल हो जाने का हवाला देते हुए कहा कि अमरीका ने इराक़ में अपनी पसंद की सरकार गठित करने के लिए इस देश पर हमला किया था किंतु अपनी इच्छ के विपतरी उसे इस देश में एक इस्लामवादी सरकार का सामना है।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने अमरीका, इस्राईल तथा उनके समर्थकों से विश्व भर में फैलती नफ़रत को उनकी सबसे बड़ी हार ठहराया और कहा कि पश्चिमी देशों और इस्राईल की नीतियों से इस नफ़रत में और भी वृद्धि हो रही है तथा अमरीका मुर्दाबाद का नारा तो अब पश्चिमी देशों में भी गूंजने लगा है।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में स्थित मस्जिदु अक़सा को ज़ायोनी शासन के हाथों आग लगाए जाने की घटना की बर्सी का हवाला देते हुए कहा कि पिछले एक साल के दौरान ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी शासन ने दर्जनों मस्जिदों को ध्वस्त किया जो इस अतिग्रहणकारी शासन के अपराधों का एक छोटा से उदाहरण है।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में पैग़म्बरे इस्लाम के नाती और छठें इमाम हज़रत जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस का हवाला देते हुए कहा कि इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के जीवन में मार्गदर्शन के अनगिनत बिंदु हैं और एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि समय और अवसर का सदपुयोग किया जाना चाहिए।
अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका का ख़ौफ़नाक ड्रोन हमला, 3 हताहत
अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका के ख़ौफ़नाक ड्रोन हमले में कम से कम 3 आम नागरिक हताहत हुए। इस हमले में दो अफ़ग़ान नागरिक घायल भी हुए। शुक्रवार को यह हमला युद्ध ग्रस्त अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी प्रांत लोगर में हुआ। रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ान अधिकारियों ने इस घटना की जांच शुरु कर दी है।
अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका की अगुवाई में विदेशी सैनिको के हमले में आम नागरिकों की हत्या काबुल वाशिंग्टन के बीच विवाद का मुख्य विषय है।
अमरीका यमन, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और सोमालिया सहित अनेक मुसलमान देशों में ड्रोन हमलों से टार्गेटेड हत्या करता है। वाशिंग्टन का दावा है कि ड्रोन हमलों में आतंकवादियों को निशाना बनाया जाता है जबकि स्थानीय अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पिछले कुछ साल में इन हमलों में मुख्य रूप से आम नागरिक निशाना बन रहे हैं।
अफ़ग़ान जनता व सरकार अनेक अवसर पर आम नागरिकों की हत्या पर आक्रोश जता चुके हैं किन्तु इसके बावजूद अमरीका अपने ड्रोन हमले जारी रखे है।
संयुक्त राष्ट्र संघ और अनेक मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में ख़ास तौर पर ड्रोन हमलों के कारण अमरीका को दुनिया में सबसे ज़्यादा टार्गेटेड किलिंग करने वाले देश बताया है। अमरीका और उसके घटकों ने 2001 में आतंकवाद के ख़िलाफ़ अमरीका के कथित युद्ध के तहत अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया। इस हमले में तालेबान तो सत्ता से हटा दिए गए मगर पूरे अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारों की संख्या में विदेशी सेना की उपस्थिति के बावजूद इस देश में असुरक्षा फैली हुयी है।
पाकिस्तान, रेड ज़ोन की ओर बढ़े प्रदर्शनकारी, सेना तैनात, शरीफ़ का त्यागपत्र से इन्कार
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में जारी आज़ादी और इन्क़ेलाब मार्च में भाग लेने वाले रेड ज़ोन की ओर रवाना हो गए हैं।
इस्लामाबाद से हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार आज़ादी मार्च में शामिल लोग आब पारह में इन्क़ेलाब मार्च में शामिल लोगों के साथ मिल गये। रिपोर्ट से पता चला है कि धरने में शामिल लोगों ने ने कंटेनर भी हटाने शुरू कर दिए हैं।
उधर रेड ज़ोन क्षेत्र के संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा 111 वन ब्रिगेड के हवाले कर दी गयी है। सूत्रों के अनुसार सेना ने रेड ज़ोन क्षेत्र की संवेदनशील इमारतों के आंतरिक भाग की सुरक्षा संभाल ली है और हर संवेदनशील इमारत में तैनात सैन्य बलों के प्रमुख के रूप में एक कर्नल को नियुक्त किया गया है। सूत्रों के अनुसार क़ैदियों के लिए विशेष पुलिस के कई वाहनों को रेड ज़ोन रवाना कर दिया गया है।
दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आवास पर मंगलवार की रात एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने की। सूत्रों के अनुसार इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने फ़ैसला किया है कि त्यागपत्र देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि वह किसी भी क़ीमत पर त्यागपत्र नहीं देंगे। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं।
ग़ज़्ज़ा, संघर्ष विराम का उल्लंघन, फिर से हमले शुरू
ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम के बारे में मिस्र की राजधानी क़ाहेरा में हुई वार्ता के समाप्त होते ही इस्राईली युद्धक लड़ाकू विमानों ने एक बार फिर ग़ज़्ज़ा पर हमले शुरू कर दिए हैं।
अलआलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के युद्ध विमानों ने आज शाम दोपहर चौबीस घंटे के युद्ध विराम का उल्लंघन करते हुए अज़्ज़ैतून और बैते लाहिया के क्षेत्रों पर बमबारी की है। अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नितिन याहू के आदेश पर हमले शुरू किए गए हैं। सूचना के अनुसार ज़ायोनी प्रधानमंत्री ने दावा किया कि ग़ज़्ज़ा से मिज़ाइल हमलों के जवाब में फिर हमले शुरू किए गए हैं। ज़ायोनी शासन ने दावा किया है कि ग़ज़्ज़ा से अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के बेईस अस्सबअ क्षेत्र में तीन मिज़ाइल फ़ायर किए गए। इसी हमले के जवाब में इस्राइली सेना के लड़ाकू विमानों ने ग़ज़्ज़ा के पूर्वी खान यूनुस, पूर्वोत्तरी रफह और दक्षिण ग़ज़्ज़ा पर हमले किए जिसमें पांच लोग घायल हो गए। घायलों में तीन बच्चे भी शामिल हैं।
फ़्रांस प्रेस ने रिपोर्ट दी है कि ज़ायोनी प्रधानमंत्री ने वार्ताकार प्रतिनिधिमंडल को क़ाहिरा में फ़िलिस्तीनी गुटों के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता समाप्त करके इस्राइल वापस आने का आदेश दिया है। फ़िलिस्तीनी वार्ताकार टीम के प्रमुख एज़ाम अल अहमद ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि यदि वार्ता विफल हुई तो झड़पें शुरू हो सकती हैं।
उधर इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने ग़ज़्ज़ा पर फिर से हवाई हमले शुरू होने की निंदा करते हुए कहा कि ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के हवाई हमलों का लक्ष्य, वार्ता को विफल करना है। हमास से प्रवक्ता सामी अबू ज़ोहरी ने कहा कि संघर्ष विराम का उल्लंघन करने के लिए इस्राईल पूरी तरह से ज़िम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हमास के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ग़ज़्ज़ा से अवैध अधिकृत क्षेत्रों पर मिज़ाइल फ़ायर किए गए। उन्होंने ज़ायोनी शासन पर टालमटोल की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि फ़िलिस्तीनी गुटों समूह ने क़ाहेरा के अनुरोध पर 24 घंटे के युद्ध विराम पर सहमति जताई थी जबकि प्रतिरोध हर प्रकार की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।
आनरवा के स्कूल में शरण लेने वाले फिलिस्तीनी ने किया विवाह
बेघर हो जाने वाले फिलिस्तीनियों की सहायता करने वाली एजेन्सी आनरवा के एक स्कूल में शरण लेने वाले एक फिलिस्तीनी जवान ने विवाह कर लिया। आनरवा के स्कूल में शरण लेने वाले फिलिस्तीनियों ने बल देकर कहा है कि गज्जा में हर परिस्थिति में जीवन जारी है और अतिग्रहणकारी शत्रु जीवन यापन का अधिकार उनसे नहीं छीन सकते।
अलयौमुस्साबेअ साइट ने इस विवाह की तस्वीरें प्रकाशित की हैं।
इससे पहले अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में एक यहूदी लड़की ने एक फिलिस्तीनी मुसलमान से विवाह किया था जिसका जहां समर्थन हुआ था वहीं कुछ यहूदियों ने इसका विरोध भी किया था।
यहूदी लड़की ने अपने मुसलमान होने की घोषणा कर दी है।
अलआलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार आनवरवा के स्कूल भी इस्राईल के आक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं और आनवरा के कम से कम २ स्कूलों पर जायोनी शासन के आक्रमण में दसियों फिलीस्तीनी घायल व शहीद हो चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव बान की मून ने आनवरा के स्कूल पर इस्राईल के हमले की भर्त्सना की थी। बान की मून ने एक विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि आनरवा के स्कूल पर आक्रमण युद्ध अपराध है और इस आक्रमण के जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिये।
आइए फ़ारसी सीखें १२
प्रिय पाठको! अगली कुछ कड़ियों में हम फ़ज्र फ़िल्म मेले के बारे में बात करेंगे। ईरान में हर साल अंतर्राष्ट्रीय फ़ज्र फ़िल्म मेला आयोजित होता है। यह फ़ेस्टिवल ईरानी वर्ष के ग्यारहवें महीने बहमन में जो जनवरी-फ़रवरी में आता है, इस्लामी क्रान्ति की सफलता की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित होता है। इस फ़िल्म मेले में ईरानी एवं विदेशी फ़िल्म निर्माताओं और निर्देशकों की फ़िल्मों के बीच ज़ोरदार प्रतिस्पर्धा होती है तथा विजेता फ़िल्मों, निर्माताओं तथा निर्देशकों को विशेष पुरस्कार दिए जाते हैं। फ़िल्म से रूचि रखने वाले लोग बड़ी संख्या में इस फ़ेस्टिवल में भाग लेते हैं और विविधतापूर्ण फ़िल्मों का आनंद लेते हैं। मोहम्मद को कुछ दिनों से फ़िल्म जगत में बड़ी गहमा-गहमी देखने में आ रही है अतः वो अपने मित्र रामीन से इस बारे में बात करता है। इस वार्तालाप से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द ।
इन दिनों این روزها
मैदान, स्क्वायर میدان
बहुत अधिक خیلی
भीड़ شلوغ
फ़ुटपाथ پیاده رو
तुम देख रहे हो। تو می بینی
कितनी भीड़?! !چقدر شلوغ
विशेष रुप से "مخصوصا
निकट लगभग نزدیک
क़ुद्स सिनेमाघर سینما قدس
ठीक है। درست است
फ़ेस्टिवल, मेला جشنواره
अंतर्राष्ट्रीय بین المللی
फ़िल्म فیلم
फ़िल्म फ़ेस्टिवल جشنواره فیلم
उसका आयोजन होता है। آن برگزار می شود
हर वर्ष هر سال
बहमन بهمن
बहमन महीना بهمن ماه
वे देखते हैं। آنها می بینند
वे देखना चाहते हैं। آنها می خواهند ببینند
वे भाग लेते हैं। آنها شرکت می کنند
ईरानी ایرانی
विदेशी خارجی
बहुत अधिक بسیاری
हम जाएंगे या जाते हैं। ما می رویم
हम जा सकते हैं। ما می توانیم برویم
हम देख सकते हैं। ما می توانیم ببینیم
मैं नहीं जानता। نمی دانم من
हम ख़रीदते हैं या ख़रीदेंगे। ما می خریم
भोर فجر
हम ख़रीद सकते हैं। ما می توانیم بخریم
मैं देखता हूं। می می بینم
मैं देखना पसंद करता हूं। من دوست دارم ببینم
पारिवारिक फ़िल्म فیلم خانوادگی
इतिहासिक تاریخی
मेरा मित्र دوستم
छात्र دانشجو
ड्रामा تئاتر
मैं फ़ोन करुंगा من تلفن می کنم
वो लेता है या ले लेगा। او می گیرد
मैं चाहता हूं वो ले ले من می خواهم آنرا بگیرم
टिकट بلیط
मोहम्मद और रामीन के बीच वार्तालाप
मोहम्मद: इन दिनों वली स्क्वायर पर बड़ी भीड़ है।
محمد: این روزها میدان ولی عصر خیلی شلوغ است
रामीन: हां, फ़ुटपाथ को देखो कितनी भीड़ है?! विशेषकर सिनेमाघर के निकट।
رامین: آره . پیاده رو را می بینی چه قدر شلوغ است! مخصوصا" نزدیک سینما
मोहम्मद: सही बात है। क़ुद्स सिनेमाघर के निकट बहुत अधिक भीड़ है।
محمد: درست است. نزدیک سینما قدس خیلی شلوغ است
रामीन: इन दिनों ईरान में फ़ज्र फ़िल्म फ़ेस्टिवल का आयोजन हो रहा है।
رامین : این روزها در ایران جشنواره فیلم فجر برگزار می شود
मोहम्मद : फ़ज्र फ़िल्म फ़ेस्टिवल? محمد: جشنواره فیلم فجر؟
रामीन : हां, यह अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म मेला है जो हर वर्ष बहमन महीने में आयोजित होता है।
رامین : بله. این جشنواره بین المللی است و هر سال در بهمن ماه برگزار می شود
मोहम्मद: तो यह लोग फ़ेस्टिवल की फ़िल्म देखना चाहते हैं?
محمد: پس آنها می خواهند فیلمهای جشنواره را ببینند؟
रामीन: हां, इस फ़ेस्टिवल में बहुत सी ईरानी विदेशी फ़िल्में भाग लेती हैं।
رامین : بله. فیلمهای ایرانی و خارجی بسیاری در این جشنواره شرکت می کنند
मोहम्मद: क्या हम भी सिनेमाघर जाकर फ़ेस्टिवल की एक फ़िल्म देख सकते हैं?
محمد: ما هم می توانیم به سینما برویم و یک فیلم جشنواره را ببینیم؟
रामीन: नहीं मालूम कि फ़िल्म का टिकट ख़रीद पाएंगे या नहीं क्योंकि इन दिनों सिनेमाघरों में बड़ी भीड़ है।
رامین: نمی دانم می توانیم بلیط بخریم یا نه. چون این روزها سینماها خیلی شلوغ است
मोहम्मद: मैं कोई पारिवारिक या इतिहासिक फ़िल्म देखना पसंद करता हूं।
محمد: من دوست دارم یک فیلم خانوادگی و یا تاریخی ببینم
रामीन: मेरा मित्र मजीद ड्रामे का छात्र है। मैं उसे फ़ोन करके कहूंगा कि हमारे लिए दो टिकट ख़रीद ले।
رامین : دوستم مجید دانشجوی تئاتر است. به او تلفن می کنم و از او می خواهم دو عدد بلیط برای ما بگیرد.
محمد: این روزها میدان ولیعصر خیلی شلوغ است رامین : آره . پیاده رو را می بینی چه قدر شلوغ است! مخصوصا" نزدیک سینما محمد: درست است. نزدیک سینما قدس خیلی شلوغ است رامین: این روزها در ایران جشنواره فیلم فجر برگزار می شود محمد: جشنواره فیلم فجر؟ رامین : بله. این جشنواره بین المللی است و هر سال در بهمن ماه برگزار می شود محمد: پس آنها می خواهند فیلمهای جشنواره را ببینند؟ رامین : بله. فیلمهای ایرانی و خارجی بسیاری در این جشنواره شرکت می کنند محمد: ما هم می توانیم به سینما برویم و یک فیلم جشنواره را ببینیم؟ رامین : نمی دانم می توانیم بلیط بخریم یا نه. چون این روزها سینماها خیلی شلوغ است محمد: من دوست دارم یک فیلم خانوادگی و یا تاریخی ببینم رامین: دوستم مجید دانشجوی تئاتر است. به او تلفن می کنم و از او می خواهم دو عدد بلیط برای ما بگیرد
रामीन और मोहम्मद ईरानी सिनेमा और ईरानी फ़िल्मों के बारे में बात करते हैं। मोहम्मद रामीन से कहता है कि उसे पारिवारिक विषयों की ईरानी फ़िल्में बहुत पसंद हैं। क्योंकि यह फ़िल्में लोगों के वास्तविक जीवन का दर्पण होती हैं। इतिहासिक विषयों पर बनी ईरानी फ़िल्में भी बहुत अच्छी होती हैं। इस प्रकार की फ़िल्में बनाने में ईरानियों के पास विशेष दक्षता है। ईरान का समृद्ध इतिहास ईरानी फ़िल्म निर्माताओं की सहायता करता है कि वो अपनी रूचि के विषय पर इतिहासिक फ़िल्में बनाएं। फ़ज्र फ़िल्म फ़ेस्टिवल ईरानी और विदेशी फ़िल्मों के प्रदर्शन को बहुत अच्छा मंच है जहां फ़िल्मों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। ईरानी फ़िल्म निर्माता फ़ज्र फ़िल्म फ़ेस्टिवल के अतिरिक्त दूसरे भी अनेक फ़िल्मी मेलों में भाग लेते हैं। फ़ेस्टिवल का उदघाटन तथा समापन समारोह भी बहुत आकर्षक होता है जबकि पुरस्कारों का वितरण भी बड़े रोचक ढंग से होता है।
बौखलाया इस्राईल, क्षेत्र में नये षड्यंत्र रच रहा है
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध संगठन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने ईरान, सीरिया और उन लोगों की जिन्होंने वर्ष 2006 की सफलता में भागीदारी निभाई, सराहना की है।
वह शुक्रवार की शाम जुलाई वर्ष 2006 के युद्ध में सफलता की वर्षगांठ पर लोगों को संबोधित कर रहे थे।
ईरान और सीरिया की सराहना
सैयद हसन नसरुल्लाह ने ईरान और सीरिया सहित इस सफ़लता में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने वालों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस युद्ध की समाप्ति के बाद जितनी भी चीज़ें प्रकाशित हुईं, जितने भी साक्षात्कार सामने आये और जितनी भी यात्राएं हुईं उनसे यह सिद्ध हो गया कि यह अतिक्रमण, एक कार्यक्रम का छोटा सा भाग है जिसके बहुत बड़े लक्ष्य हैं। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में अपेक्षा की जा रही थी कि लेबनान का प्रतिरोध तबाह हो जाएगा, इसका लक्ष्य केवल प्रतिरोध को निरस्त्रीकरण करना नहीं था, इसमें अपेक्षा की गयी थी कि प्रतिरोध के सारे सैनिक और कमान्डर मार दिए जाएंगे। उस समय यह बात बहुत ज़ोरो शोर से फैलाई जा रही थी कि उत्तरी और केन्द्रीय फ़िलिस्तीन में गिरफ़्तार किए जाने वाले दस हज़ार लोगों को रखने की योजना बन गयी है।
सैयद हसन नसरुल्लाह कहते हैं कि इस युद्ध के दौरान यह अपेक्षा की गयी कि सीरिया को लक्ष्य बनाया जाए ताकि प्रतिरोध का समर्थन करने के कारण इस देश की व्यवस्था को उलट दिया जाए, दूसरा लक्ष्य ग़ज़्ज़ा में प्रतिरोध को निशाना बनाया था, इन समस्त योजनाओं पर वर्ष 2006 में काम किया गया।
वर्ष 2006 के युद्ध के लक्ष्य
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अमरीकी अधिकारी लेबनान और फ़िलिस्तीन में प्रतिरोध को समाप्त करना चाहते थे और जिन्होंने इस विषय को आगे बढ़ाया, उन्हें यह पता चला कि अमरीकी संचार माध्यमों ने वर्ष 2006 के युद्ध से पहले जिन घटनाओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया वह हमास, हिज़्बुल्लाह और सीरिया के बारे में सामने आई। जार्ज बुश ने अमरीकी जनता से कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के तीन स्रोतों की गर्दन काट दी है और चुनाव के बाद ईरान के विरुद्ध युद्ध आरंभ होगा।
तेल के स्रोतों पर क़ब्ज़ा करने का लक्ष्यः हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अमरीका का उद्देश्य क्षेत्र के समस्त तेल के स्रोतों और गैस पर क़ब्ज़ा जमाना था और फिर फ़िलिस्तीनी मुद्दे को समाप्त करके अरबों और फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईल की मनमानी थोपना था और इस युद्ध का एक अन्य लक्ष्य अमरीका और इस्राईल के माध्यम से इराक़ का अतिग्रहण था। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि लेबनान के प्रतिरोध ने अपनी सुदृढ़ता यह युद्ध जीत लिया और इन षड्यंत्रों पर पानी फेर दिया। ज़ायोनी सैनिकों के लिए रणक्षेत्र एक दुस्वपन बन गया और यह शासन युद्ध में जगह पहुंच गया तब उसे पता चला कि वह सैन्य त्रासदी के निकट है तभी उसने अमरीका से युद्ध रुकवाने की मांग की।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने बल दिया कि रणक्षेत्र में प्रतिरोध की दृढ़ता और समस्त समस्याओं के बावजूद जनता और अधिकारियों के डटे रहने के कारण, अमरीकी, इस्राईली, यूरोपीय, सुरक्षा परिषद उन शर्तों में से बहुत को छोड़ने पर तैयार हो गये जो उन्होंने अतिक्रमण के आरंभिक दिन लगाई थी। सैयद हसन नसरुल्लाह ने वर्ष 2006 के युद्ध में इस्राईल की पराजय के बाद क्षेत्र में अमरीकी षड्यंत्रों की विफलता की ओर संके करते हुए कहा कि यह सब इस अर्थ में है कि अमरीका क्षेत्र में मुंह की खा गया। अलबत्ता अमरीकियों के पास क्षेत्र में अपने लक्ष्य प्राप्त करने के अन्य मार्ग हैं और जब तक अमरीकी और ज़ायोनियों के षड्यंत्रकारी कार्यक्रम हैं वे संभावनाओं और परिवर्तनों के दृष्टिगत अन्य शैली अपनाएंगे। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस युद्ध में तो वह पराजित हुए किन्तु मैं एक बार फिर बल देकर कह रहा हूं कि हम समस्त ख़तरों का मुक़ाबला करने में सक्षम हैं।
अमरीका क्षेत्र में अपने षड्यंत्रों में लगा हुआ है
सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना था कि यह इस अर्थ में नहीं है कि अमरीका ने क्षेत्र में अपने लक्ष्यों से हाथ खींच लिया है क्योंकि अमरीका अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अन्य मार्गों से कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा के विरुद्ध इस्राईल का हालिया अतिक्रमण, इन्हीं षड्यंत्रों का भाग है और इस हमले में भी इस्राईल को पराजय हाथ लगी। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस्राईल से मुक़ाबले के लिए केवल सशस्त्र संघर्ष की आवश्यक है।
हमारे सामने भीषण ख़तरा है
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि हमारे सामने बहुत भीषण ख़तरा है। उनका कहना था कि नये षड्यंत्र पुराने षड्यंत्रों की तुलना में अधिक ख़तरनाक और जटिल हैं क्योंकि इनका लक्ष्य नये या पुराने शासकों का तख़्ता उलटना नहीं है बल्कि इनका लक्ष्य देशों, सेनाओं और राष्ट्रों को तबाह करना है और इसका चिन्ह आज हम साफ़ देख रहे हैं। उनका कहना था कि इनका लक्ष्य टुकड़े टुकड़े हुए राष्ट्रों और देशों के शरीर पर नया मानचित्र तैयार करना है। उनका कहना था कि यह दृश्य आज हम देख रहे हैं जब एक अमरीकी हेलीकाप्टर सेन्जार के पर्वतों से महिलाओं और बच्चों को स्थानांतरित करता है, इस दृश्य को याद रखिए और अपनी महिलाओं और बच्चों को याद रखिए।
उनका कहना था कि हम यह समझें कि हमें वास्तविक ख़तरों का सामना है और जो भी यह कहता है कि उसे किसी भी प्रकार के ख़तरे का सामना नहीं है, वह वास्तविकता से दूर है, अलबत्ता समस्या को बढ़ा कर दिखाने और लोगों के मनोबल को गिराने की आवश्यकता नहीं है। उनका कहना था कि हमें वास्तविकता को समझना चाहिए और इस खत़रे से मुक़ाबले के लिए संसाधनों और उपायों के बारे में सोचना चाहिए।