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ग़ज़्ज़ा संकट, इस्लामी दुनिया बल्कि इंसानियत का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा।

इस्लामी रिपब्लिक ईरान में ईदे फ़ित्र पूरे हर्ष व उल्लास के साथ मनाई गई और तेहरान में ईद फ़ित्र की नमाज़ हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई की इमामत में अदा की गई।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ईद की नमाज के अपने पहले ख़ुत्बे में मुसलमानों को इस मुबारक दिन की बधाई दी और रमज़ान के महीने में पूरे ईरान में बड़े पैमाने पर क़ुरआनी सभाओं, इफ़्तार पार्टियों, शबे क़द्र में दुआ व मुनाजात और क़ुद्स दिवस के अवसर पर रोज़े की हालत में ईरानी क़ौम के उत्साह को अल्लाह की रहमत व बरकतों को हासिल करने की भूमिका बताया। हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि इन्हीं इबादतों के माध्यम से ईरान की मोमिन जनता ने रमज़ान के महीने को ईदे फ़ित्र की दहलीज़ तक पहुंचाया है।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने जनता को रमज़ान के महीने में मिलने वाली बरकतों व रहमतों को बचा के रखने की दावत दी और पिछले साल समाज में सादगी के साथ इफ़्तार पार्टियों के अपने अनुरोध का हवाला देते हुए कहा कि खुशी की बात है कि इस साल सड़कों, सार्वजनिक व धार्मिक स्थलों पर सादगी के साथ बड़े पैमाने पर इफ़्तारी देने की प्रक्रिया देखने में आई।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि इस तरह की चीज़ें इस्लामी जीवन शैली के प्रचार में बहुत प्रभावी हैं इसलिए उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ावा देने की जरूरत है।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने इस साल क़ुद्स दिवस की रैलियों को ईरानी क़ौम की हिम्मत व बहादुरी का आईना बताया और जुलूसों में सभी वर्गों के लोगों ख़ास कर बच्चों को गोद में उठाए मांओं की भागीदारी का हवाला देते हुए कहा कि इस साल का क़ुद्स दिवस वास्तव में बहुत महान दिन था और ईरानी क़ौम ने अपनी जागरूकता और इच्छाशक्ति के प्रति सारी दुनिया को अवगत करा दिया है।

उन्होंने दूसरे ख़ुत्बे में ग़ज़्ज़ा की ताज़ा घटनाओं पर बोलते हुए ग़ज़्ज़ा संकट को इस्लामी दुनिया बल्कि इंसानियत की सबसे महत्वपूर्ण समस्या बताया और ग़ज़्ज़ा के मासूम बच्चों के नरसंहार और इस मुल्क की मांओं की मज़लूमियत को बयान करते हुए कहा कि इस्राईल नाम का खूंखार भेड़िया ग़ज़्ज़ा में ख़ून की नदियां बहा रहा है इसलिए दुनिया को चाहिए कि इस खूंखार और काफ़िर हुकूमत के अपराधों पर अपनी प्रतिक्रिया दे।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ग़ज़्ज़ा संकट के सिलसिले में तीन बातों पर ख़ास तौर से ताकीद की।

1. ज़ायोनियों और उनके समर्थकों के अपराधों की निंदा और उनके खिलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई की ज़रूरत।

2. ग़ज़्ज़ा के लोगों के अभूतपूर्व प्रतिरोध की सराहना।

3. फ़िलिस्तीनी क़ौम को मजबूत करना और उनको हर तरह का ज़रूरी सामान पहुंचाना।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी हुकूमत के प्रमुखों के खुल्लम खुल्ला अपराधों को जातिसंहार और महान ऐतिहासिक त्रासदी बताते हुए कहा कि अपराध करने वालों और उनके साम्राज्यवादी समर्थकों की विश्व स्तर पर निंदा और उनके खिलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे अपराधी सत्ता में हों या सत्ता से हट चुके हों।

उन्होंने ग़ज़्ज़ा के लोगों की अद्भुत सहनशीलता और प्रशंसनीय प्रतिरोध को ग़ज़्ज़ा संकट का दूसरा महत्वपूर्ण प्वाइंट बताते हुए कहा कि ग़ज़्ज़ा की जनता एक इलाक़े में पूरी तरह सीमित है, इसके बावजूद उनके सीमित संसाधनों पर दिन रात ज़ालिम, नापाक और क्रूर ज़ायोनी दुश्मन के ज़ालिमाना हमले जारी हैं, लेकिन इसके बावजूद वह बहादुरी की साथ डटे हुए हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने ग़ज़्ज़ा की मज़लूम जनता के प्रतिरोध की ताक़त को सभी के लिए महत्वपूर्ण पाठ बताया और कहा कि अल्लाह की मदद से अनंततः फ़िलिस्तीनी जनता ही को अपने दुश्मन पर जीत हासिल होगी।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ग़ज़्ज़ा की जनता पर जंगबंदी थोपने की इस्राईल और उसके अपराधी अमरीकी व यूरोपीय समर्थकों की कोशिशों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय ज़ालिम दुश्मन अपने किये पर शर्मिंदा है और युद्ध विराम की कोशिश में लगा हुआ है और यह प्रतिरोध की सफलता का प्रतीक है। उन्होंने कहाः “इसी लिए ज़ायोनियों के अपराधी समर्थक भी ग़ज़्ज़ा की जनता पर युद्ध विराम थोप कर, ज़ायोनी सरकार को नेजात दिलाने की कोशिश कर रहे हैं”।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने साम्राज्यवादी मोर्चे के नेताओं ख़ास कर अमरीकी राष्ट्रपति के हमास और जिहादे इस्लामी जैसे फ़िलिस्तीनी संगठनों को निरस्त्र करने पर आधारित बयानों का हवाला देते हुए कहा कि प्रतिरोध संगठनों को निरस्त्र व निहत्था करने का लक्ष्य यह है कि फ़िलिस्तीनी जनता की रक्षा की लिए प्रतिरोध संगठनों की पास जो सीमित संसाधन हैं वह भी उनसे छीन लिये जाएं ताकि ज़ायोनी हुकूमत जब चाहे फ़िलिस्तीनी जनता को कुचल कर रख दे और फ़िलिस्तीनियों के पास आपे बचाव का कोई साधन न रहे।

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ख़ुत्बे की अंत में कहा कि बच्चों के हत्यारे इस्राईली समर्थकों के स्टैंड और कोशिशों के विपरीत हमारा दृष्टिकोण यह है कि पूरी इस्लामी दुनिया का कर्तव्य है कि जहां तक संभव हो फिलिस्तीनी जनता को हर तरह से लैस करें।

इस्लामी दुनिया को खूंखार इस्राईल और उसके समर्थकों से दूर रहना चाहिए।

ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने दुनिया के सभी मुसलमानों से मज़लूम फ़िलिस्तीनी जनता का साथ देने की अपील की है।

मंगलवार को तेहरान में ईदुल फ़ित्र के अवसर पर देश के उच्च अधिकारियों, इस्लामी देशों के राजदूतों और विभिन्न वर्गों से सम्बंध रखने वाले लोगों ने इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई से मुलाकात की।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि इस्लामी दुनिया अपने सभी मतभेदों को भुलाते हुए, पूरी ताक़त से ग़ज़्ज़ा के मज़लूम लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये क़दम उठाये।

आपने दुनिया भर के मुसलमानों से ग़ज़्ज़ा के लोगों का साथ देने की अपील करते हुए कहा कि दुनिया के सभी मुसलमानों को चाहिए कि ग़ज़्ज़ा के लोगों का भरपूर साथ दें, इस्राईल के घिनौने अपराधों की निंदा करें व ज़ालिम हुकूमत और उसके समर्थकों ख़ास कर अमेरिका और ब्रिटेन से अपनी नफ़रत और दूरी का ऐलान करें।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि अफ़सोस कि आज इस्लामी शिक्षाओं के विपरीत राजनीतिक और सत्ता लोभी कारकों ने इस्लामी समुदाय को आपसी मतभेद और लड़ाई झगड़े में ग्रस्त कर दिया है।

आपने इस्लामी देशों के नेताओं, लीडरों और अधिकारियों को लड़ाई झगड़े और आपसी मतभेद के कारकों से बचने और एक शक्तिशाली और ताक़तवर राष्ट्र के गठन के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि अगर हुकूमत की लालच, निर्भरता और भ्रष्टाचार के नतीजे में इस्लामी दुनिया विवाद व लड़ाई झगड़े में न पड़े तो दुनिया की कोई भी साम्राज्यवादी ताक़त, इस्लामी देशों के खिलाफ़ आक्रामकता और इस्लामी हुकूमतों को ब्लैकमेल करते हुये उनसे अवैध रिश्वत की मांग की हिम्मत नहीं कर सकती है।

सुप्रीम लीडर ने ग़ज़्ज़ा की मज़लूम जनता का नरसंहार करने की इस्राईल की हिम्मत को इस्लामी दुनिया के आपसी मतभेद व विवाद का परिणाम बताया और कहा कि पश्चिमी दुनिया के सेंसर की वजह से पश्चिमी देशों के लोग ग़ज़्ज़ा में हो रहे अत्याचारों की गहराई से परिचित नहीं हो सके हैं लेकिन यह अपराध इतने भयानक व दुखद हैं कि पश्चिमी मीडिया के माध्यम से थोड़ी बहुत ख़बरें प्रसारित होने से गैर मुस्लिम क़ौमे भी हिल गईं और प्रदर्शन करती हुई सड़कों पर उतर आई हैं।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई ने ग़ज़्ज़ा की मज़लूम जनता की तंहाई और बेबसी का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लामी हुकूमतों के लिए हमारा स्पष्ट संदेश यह है कि आइये मज़लूम की मदद के लिए उठ खड़े हों और साबित कर दें कि इस्लामी दुनिया ज़ुल्म, अत्याचार व उत्पीड़न पर चुप नहीं रह सकती।

सुप्रीम लीडर ने कहा कि इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए सभी मुस्लिम हुकूमतों को चाहिए कि राजनीतिक और ग़ैर राजनीतिक मतभेदों को भुला कर एक साथ मज़लूमों के समर्थन के लिए आगे बढ़ें जो खूंखार इस्राईली भेड़ियों के चंगुल में फंसे हाथ पैर मार रहे हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने ग़ज़्ज़ा के मज़लूम लोगों के लिए खाने पीने की चीज़ों, दवाओं, चिकित्सा संसाधनों और उनके घरों की मरम्मत के लिये तत्काल सहायता की ओर इशारा किया और कहा कि फ़िलिस्तीनी जनता को इसी के साथ आत्मरक्षा के लिए हथियार की भी ज़रूरत है।

आपने इस्लामी हुकूमतों को सम्बोधित करके कहाः आइये मिल के और एकजुट होके अपनी दीनी और इंसानी ज़िम्मेदारी पर अमल करें, ग़ज़्ज़ा तक सहायता सेवा में बाधाओं को दूर करें और ग़ज़्ज़ा के लोगों की मदद करें।

सुप्रीम लीडर ने ग़ज़्ज़ा में ऐतिहासिक अत्याचारों को अंजाम देने वाले अपराधियों से मुक़ाबले को इस्लामी दुनिया की दूसरी बड़ी ज़िम्मेदारी बताते हुए कहा कि अपराधी यहूदी और उनके समर्थक ग़ज़्ज़ा में नरसंहार और बच्चों के घृणित जातिसंहार के बहाने तराश रहे हैं जो उनकी क्रूरता व अभद्रता की हद है।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने अंत में कहा कि इस्लामी हुकूमतों और राष्ट्रों की ज़िम्मेदारी है कि तेला अवीव के जल्लाद अधिकारियों के समर्थकों और सहयोगियों से भी नफ़रत और दूरी की घोषणा करें और यहां तक कि जहां तक संभव हो उनका आर्थिक और राजनीतिक बाईकॉट करें।

क़द्स दिवसः नाईजीरिया में 75 प्रदर्शनकारी शहीद व घायल।

नाईजीरिया के ज़ारिया शहर में अन्तर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस के अवसर पर निकाले गए जुलूस में प्रदर्शन कारियों और पुलिस के बीच झड़पों के दौरान 25 प्रदर्शनकारी शहीद व 50 के लगभग घायल हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार ज़ारिया शहर के हज़ारों शिया प्रदर्शनकारियों नें रमज़ान के महीने के आख़िरी जुमे को नमाज़े जुमा के बाद फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता के समर्थन में दुनिया के अन्य शांतिप्रेमियों औऱ मुसलमानों की तरह प्रदर्शन किया जबकि पुलिस नें इन प्रदर्शनकारियों पर फ़ायरिंग कर दी जिसके परिणाम स्वरूप 25 शिया शहीद और 50 के लगभग घायल हो गए। शहीद होने वालों में नाईजीरिया के एक शिया लीडर शेख़ इब्राहीम ज़कज़ाकी के तीन बेटे मोहम्मद, अहमद और हमीद ज़कज़ाकी भी शामिल हैं। अन्तर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस के जुलूस को नाईजीरिया के दस से ज़्यादा शहरों में निकाला गया लेकिन ज़ारिया में पुलिस नें प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया।

ऑस्ट्रेलिया में क़ुद्स दिवस पर लहराये फ़िलिस्तीन और हिज़्बुल्ला के झंडे।

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी अबनाः क़ुद्स दिवस के अवसर पर रैलियां ऐसे हालात में दुनिया भर में आयोजित हुई हैं कि ज़ायोनी सरकार तीन सप्ताह से लगातार ग़ज़्ज़ा के मज़लूम लोगों का नरसंहार कर रही है। ताज़ा सूचनाओं के अनुसार अब तक ग़ज़्ज़ा में 1050 लोग शहीद और छः हज़ार घायल हो चुके हैं।

ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने भी इमाम खुमैनी (रह) की आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए रमज़ान के मुबारक महीने के आख़री जुमे को फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता के समर्थन में विशाल रैलियां निकालीं जिसमें लोगों ने फ़िलिस्तीन और हिज़्बुल्ला के झंडे तथा इमाम ख़ुमैनी व आयतुल्लाह ख़ामेनई की तस्वीरें उठा रखी थी।

ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने इस्राईल मुर्दाबाद के नारे लगाए और इस्राईली हुकूमत की नाबूदी की मांग की।

फ़िलिस्तीनियों का समर्थन जारी रहेगालेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को प्रतिरोधकर्ताओं की सराहना करते हुए बल दिया कि विश्व क़ुद्स दिवस का महत्त्व हर दिन हमारे लिए पहले से अधिक स्पष्ट होता जा रहा है और आज ग़ज़्ज़ा में प्रतिरोध सफल हो गया।

उन्होंने विश्व क़ुद्स दिवस की केन्द्रीय रैली को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व क़ुदस दिवस के अवसर पर ग़ज़्ज़ा के हालिया परिवर्तनों से यह आवश्यक हो गया कि सुरक्षा कारणों के बावजूद हम आप लोगों से यहां भेंट करूं।

विश्व क़ुद्स दिवस का प्रतिदिन बढ़ता महत्त्व

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस का निर्धारण स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने किया ताकि फ़िलिस्तीन का मुद्दा लोगों के मन में जीवित रहे। उन्होंने विश्व क़ुद्स दिवस को फ़िलिस्तीन के मुद्दे को जीवित रखना बताया।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि जितने दिन गुज़र रहे हैं इस विषय का महत्त्व उतना ही बढ़ता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमरीका और पश्चिमी देशों देशों का कामना है कि वे ज़ायोनी शासन के हित में फ़िलिस्तीन के मुद्दे को भुला बिसरा कर दें। हिज़बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि शत्रु, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को इस्लामी और अरबी वातावरण से अगल करने की चेष्टा में हैं, कहा कि यदि हमने ज़ायोनी शत्रु से संघर्ष में तनिक भी लापरवाही की तो वे अपने लक्ष्यों को व्यवहारिक बना लेंगे। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शत्रुओं ने अरब देशों के लिए समस्याएं खड़ी कर दीं ताकि यह देश अपने मुद्दों में उलझ कर फ़िलिस्तीन के मुद्दे को भूल जाएं।

इस्लामी क्रांति ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे को जीवित रखा

सैयद हसन नसरुल्लाह ने षड्यंत्रकारी योजनाओं का विरोध करने और प्रतिरोध के विकल्प को चुनने के बारे में कुछ अरब देशों विशेषकर सीरिया की प्रशंसा की और कहा कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हुई और उसने बैतुल मुक़द्दस और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन को अपनी कार्य सूचि में शामिल कर लिया।

सैयद हसन नसरुल्लाह के अनुसार सीरिया की दृढ़ता और इस्लामी क्रांति की सफलता और इनके द्वारा प्रतिरोध की नीति अपनाए जाने के कारण फ़िलिस्तीन के मुद्दे को जीवित रखने में सहायता मिली।

उन्होंने बल दिया कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र अपने दुखों और कष्टों के बावजूद, अपनी धरती तथा अपने पवित्र स्थलों की स्वतंत्रता और अपने सिद्धांतों पर डटी रही और उसने खुलकर कहा दिया है कि वह अपना प्रतिरोध जारी रखेगा और ज़ायोनी शासन के सामने घुटने नहीं टेकेगा। हिज़बुल्लाह के महासचिव ने स्पष्ट किया कि विश्व जनमत से फ़िलिस्तीन के मुद्दे को मिटाने के लिए समस्त प्रयासों के बावजूद, यह मुद्दा यथावत वैश्विक तथा क्षेत्रीय जनमत में जीवित है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीन के बाहर रहने वाले फ़िलिस्तीनी यथावत अपनी धरती और अपने पवित्र स्थलों के बारे में सोचते रहते हैं और वे ज़ायोनी शासन के साथ हर प्रकार के षड्यंत्र के विरोधी हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ज़ायोनी शासन के समस्त अपराधों के बावजूद फ़िलिस्तीनी राष्ट्र, यथावत ज़ायोनी शासन के समक्ष डटा हुआ है।

जो कुछ हम क्षेत्र में देख रहे हैं वह एक लक्ष्यपूर्ण विध्वंस और शत्रुता पैदा करने केलिए है। सीरिया यथावत ज़ायोनी शासन के षड्यंत्रों के समक्ष एक मज़बूत दीवार है और वह सदैव फ़िलिस्तीनी मुद्दे और प्रतिरोध का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन राष्ट्र और प्रतिरोध ने दृष्टिकोणों में मतभेद के पाये जाने के बावजूद अतिग्रहण के समय से आज तक फ़िलिस्तीन के मुद्दे को अपनी प्राथमिकता में रखा है।

हम बहुत ही संवेदनशील चरण में हैं

हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि हम, फ़िलिस्तीन के अतिग्रहण के काल से अब तक सबसे संवेदनशील चरण में हैं। उन्होंने कहा कि आज हम राष्ट्रों के मध्य मतभेद और शत्रुता तथा विवाद के साक्षी हैं।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने यह बयान करते हुए कि इराक़ में एक गुट ने इस्लाम के नाम पर इस देश को समस्या में ग्रस्त कर दिया है, कहा कि हम इराक़ में धार्मिक स्थलों और चर्चों के ध्वस्त होने विशेषकर मस्जिदुल की तबाही के प्रति चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी समाज को आज बहुत ही विषम परिस्थिति का सामना है और इसकी सबसे अधिक बलि फ़िलिस्तीनी चढ़ रहे हैं।

ग़ज़्ज़ा पर हमले का लक्ष्य, फ़िलिस्तीनियों के इरादों को कमज़ोर करना है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ग़ज़्ज़ा पट्टी पर इस्राईल का अतिक्रमण, फ़िलिस्तीनियों के इरादों को कमज़ोर करने और उनके हौसलों को पस्त करने के उद्देश्य से आरंभ हुआ है। उन्होंने ग़ज़्ज़ा की निर्दोष जनता पर इस्राईल के पाश्विक ज़मीनी और हवाई हमलों और इन हमलों में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों के मारे जाने तथा इस हृदय विदारक घटना पर विश्व समुदाय विशेषकर कुछ अरब देशों के मौन की ओर संकेत करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीनी जियालों ने प्रतिरोध में इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि रणक्षेत्र में फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं का डटे रहना और उनका राजनैतिक संघर्ष बहुत ही निर्णायक होगा। उन्होंने कहा कि हमने जुलाई वर्ष 2006 में जो कुछ लेबनान में देखा था आज वही निराधार बहानों के साथ ग़ज़्ज़ा पट्टी में देख रहे हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ज़ायोनी शासन ने तीन ज़ायोनियों के अपहरण के बाहने ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमण किया।

उन्होंने बल दिया कि रणक्षेत्र के परिवर्तन और राजनैतिक दृढ़ता, ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमण में निर्णायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस्राईल का लक्ष्य प्रतिरोध और प्रतिरोध के हथियारों को नष्ट करना है और ग़ज़्ज़ा पट्टी में इस्राईल तथा उसके घटकों के लक्ष्य प्राप्त होने का यह अर्थ है कि प्रतिरोध विजयी हो गया।

इस्राईल सैन्य और गुप्तचर मैदान में मार खा गया

सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में प्रतिरोध द्वारा खोदी गयी सुरंगों और मीज़ाइलों सहित प्रतिरोध के आधारभूत ढंचे की पहचान में इस्राईल की सैन्य गुप्तचर संस्था मुंह की खा गयी, कहा कि इस्राईल की वायु सेना भी रणक्षेत्र में मुंह की खाई क्योंकि मीज़ाइलों को फ़ायर करने का क्रम यथावत जारी है और ज़मीनी अभियान में भी टीकाकारों के अनुसार इस्राईल हार गया। इन टीकाकारों का कहना है कि हमारी सबसे मज़बूत टुकड़ी गोलानी गुट भी मात खा गया। उनका कहना था कि इस्राईल ग़ज़्जा में अभी तक अपने लक्ष्य नहीं पूरे कर सका और यह इस्राईल की पराजय का मुंह बोलता प्रमाण है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस्राईल, फ़िलिस्तीनी गुटों के नेताओं की हत्याएं करवाने और प्रतिरोध की मीज़ाइलों को रोकने में बुरी तरह विफल रहा है।

ईरान, सीरिया और हिज़्बुल्लाह सदैव फ़िलिस्तीन राष्ट्र के साथ रहे हैं

हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने बल दिया कि ईरान, सीरिया और लेबनान का इस्लामी प्रतिरोध विशेषकर हिज़्बुल्लाह ने समस्त राजनैतिक व सामरिक स्तर पर प्रतिरोधकर्ताओं का सदैव से भरपूर समर्थन किया है और इसमें तनिक भी लापरवाही नहीं की है। उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह सदैव से फ़िलिस्तीनियों के साथ था और रहेगा और हम फ़िलिस्तीनियों के हर गुट की सहायता करते रहेंगे और फ़िलिस्तीन राष्ट्र के समर्थन में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे।

फ़िलिस्तीन के बहुआयामी समर्थन पर ईरान को गर्व हैः ख़ातेमीतेहरान की जुमे की नमाज़ के इमाम ने ज़ायोनी शासन के विरोध को ईरानी राष्ट्र की एकता का आधार बताया।

तेहरान की जुमे की नमाज़ के ख़ुतबे में आयतुल्लाह सय्यद अहमद ख़ातेमी ने विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियों में ईरानी जनता की व्यापक उपस्थिति के लिए तीनों पालिकाओं, धर्मगुरुओं, राजनैतिक दलों, और हस्तियों की ओर से की गयी अपील की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह एकता ही ईरानी राष्ट्र का मार्ग है।

उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह को ज़ायोनी शासन से संघर्ष में अग्रणी रहने वालों में बताया और कहा कि इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक ने विश्व क़ुद्स दिवस की घोषणा कर फ़िलिस्तीन के विषय को भुलाए जाने से बचा लिया।

आयतुल्लाह सय्यद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि ईरान फ़िलिस्तीन की पीड़ित जनता के प्रति समर्थन का केन्द्र था और है और फ़िलिस्तीन के बहुआयामी समर्थन पर उसे गर्व है।

उन्होंने 66 साल पहले से लेकर अब तक दैर यासीन, कफ़्र क़ासिम और सब्रा व शतीला के जनसंहार को इस्राईल की पाश्विकता व नृशंस्ता का उदाहरण बताया।

उन्होंने ग़ज़्ज़ा पर आठ जुलाई से अब तक इस्राइली सेना के जारी हमलों को इस्राईल की निर्दयी नीति का उदाहरण बतया कि इन हमलों में आठ सौ से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद और पांच हज़ार से ज़्यादा घायल हो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को प्रतिरोध से सम्मान मिलेगा। आयतुल्लाह ख़ातेमी ने कहा कि अमरीका,ब्रिटेन और जर्मनी जान लें कि बच्चों के जनसंहार का समर्थन अपने राष्ट्रों के साथ ग़द्दारी है। उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि ग़ज़्ज़ा के संबंध में कुछ इस्लामी देशों, अरब संघ और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की पोल खुल गयी कहा कि आपकी अरबी व इस्लामी ग़ैरत कहा चला गयी कि पूरी तरह नाकाबंदी में घिरे एक राष्ट्र को मरते हुए देख रहे हैं जबकि अमरीका का न तो मानवाधिकार और न ही आतंकवाद से संघर्ष में विश्वास है।

तेहरान की जुमे की नमाज़ के इमाम ने आतंकवादी गुट आईएसआईएल या दाइश को विश्व साम्राज्य का पिट्ठु बताया जिसे इस्राईल की ओर से समर्थन मिल रहा है वरना वह फ़िलिस्तीन की पीड़ित जनता का साथ देता।

ज़ायोनी धर्मगुरु का फ़त्वा, सभी फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार होअतिग्रहित फ़िलिस्तीन के अलख़लील शहर में ज़ायोनी कालोनी में ज़ायोनी धर्मगुरु दोफ़ लिओर ने एक फ़त्वा जारी किया है जिसके अनुसार ग़ज़्ज़ा के सभी फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार होना चाहिए और ग़ज़्ज़ा को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया जाए।

फ़िलिस्तीन इन्फ़ार्मेशन सेंटर के हवाले से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दोफ़ लिओर ने एक फ़तवे में जो ज़ायोनी वेबसाइटों पर व्यापक स्तर पर प्रसारित हुआ है, कहा है, इस्राईल की तौरैत जीवन के सभी विशेष व आम चरणों और इसी प्रकार जंगों में व्यवहवार की शैली के बारे में हमारा मार्गदर्शन करती है। उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ावासी हमारे दुश्मन हैं और जंग के निशाने पर हैं।

ज़ायोनी धर्मगुरु ने कहा, “ सभी जंगों में आक्रमण का निशाना बनने वाले राष्ट्र को यह अधिकार है कि वह आक्रमणकारी के ख़िलाफ़ कार्यवाही करे और उसके लिए यह जानना ज़रूरी नहीं है कि सामने वाला व्यक्ति लड़ने वालों में शामिल है या नहीं।”

लिओर ने कहा कि यही कारण है कि युद्ध के मौक़ों पर जो लोग हमले का निशाना बनते हैं उन्हें इस बात की अनुमति है कि दुश्मन के ख़िलाफ़ कार्यवाही करें और हर उचित क़दम उठाएं, जैसे बिजली की कटौती, या पूरे क्षेत्र को बमबारी से ध्वस्त करना। यह फ़तवा ईलान विश्वविद्यालय में एक यहूदी शिक्षक के भाषण के एक हफ़्ते बाद जारी हुआ है। यहूदी प्रोफ़ेसर ने कहा था कि प्रतिरोधकर्ताओं की बहनों और महिलाओं के साथ पूर्व रोकथाम के साधन के रूप में दुराचार करें।

अमरीका मुर्दाबाद, इस्राईल मुर्दाबाद के गगन भेदी नारों से गूंज उठा ईरानईरान के विभिन्न नगरों और क़स्बों में विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर भव्य रैलियां और जुलूस निकाले जा रहे हैं।

तेहरान का केन्द्रीय जूलूस आज़ादी स्क्वायर से निकाला जा रहा है जिसमें दसियों लाख लोग मौजूद हैं।

रैलियों में भाग लेने वाले इस्राईल और अमरीका के विरुद्ध नारे लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के हाथों में ऐसे बैनर और प्लेकार्ड हैं जिन पर लिखा है कि क़ुद्स हमारा है, मस्जिदे अक़सा हम आ रहे हैं। भीषण गर्मी और धूप के बावजूद बच्चे, बूढ़े और जवान सभी वर्ग के लोग फ़िलिस्तीनियों से सहृदयता व्यक्त करने के लिए विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियों में उपस्थिति हैं।

राजधानी तेहरान सहित ईरान के समस्त नगरों में स्थानीय समय के अनुसार दस बजे जूलूसों और रैलियों का क्रम आरंभ हुआ जिनमें लाखों की संख्या में लोग मौजूद हैं।

तेहरान का केन्द्रीय जूलूस तेहरान विश्वविद्यालय में संपन्न होगा जहां राष्ट्रपति लोगों को संबोधित करेंगे।

विश्व कुद्स दिवस के जूलूस में इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने भी भाग लिया।

पूरे ईरान में विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियों को कवरेज देने क लिए 3000 स्थानीय और विदेशी पत्रकार और कैमरामैन मौजूद हैं। विश्व क़ुद्स दिवस के जूलूसों में भाग लेकर जनता, फ़िलिस्तीनियों के प्रति अपने समर्थन की घोषणा और अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन कीनिंदा करती है।

ज्ञात रहे कि इस्लामी क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने वर्ष 1979 अगस्त के आरंभ में पवित्र रमज़ान की तेरह तारीख़ को ज़ायोनियों के चंगुल से मुसलमानों के पहले क़िब्ले बैतुल मुक़द्दस को स्वतंत्र कराने के लिए पवित्र रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को विश्व क़ुद्स दिवस मनाने की घोषणा की थी।

बुधवार, 23 जुलाई 2014 05:37

ग़ज़्ज़ा में 121 बच्चे हताहत

ग़ज़्ज़ा में 121 बच्चे हताहतयूनीसेफ ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा में मरने वालों में बच्चों की संख्या एक तिहाई है।

यूनीसेफ के प्रवक्ता क्रिस्टोफर टेडी ने मंगलवार को बताया है कि इस्राईल द्वारा ग़ज़्ज़ा पर किये जा रहे आक्रमणों में मरने वालों में 33 प्रतिशत बच्चे सम्मिलित हैं। प्रवक्ता क्रिस्टोफर के अनुसार 8 जूलाई से 21 जूलाई के बीच ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के आक्रमण में कम से कम 121 फ़िलिस्तीनी बच्चे मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि मरने वालों में 5 वर्ष का बालक भी है।

यूनीसेफ़ के अनुसार मरने वाले 121 फ़िलिस्तीनी बच्चों में 84 लड़के और 37 लड़कियां हैं। यूनीसेफ के प्रवक्ता ने बताया है कि इस्राईल के आक्रमणों में अबतक कम से कम 904 बच्चे घायल हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनियों के आक्रमण में अबतक कम से कम 600 फ़िलिस्तीनी शहीद और 3600 घायल हुए हैं।

ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी फ़ौज के वहशियाना हमले, शहीद होने वालों की संख्या 510 पहुंची।

ग़ज़्ज़ा के विभिन्न क्षेत्रों पर ज़ायोनी फ़ौज के ताज़ा वहशियाना हमलों में दसियों फ़िलिस्तीनयों की शहादत के साथ पिछले 14 दिनों से शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनयों की संख्या 510 हो गई है।

अल-अक़सा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार ग़ज़्ज़ा और रफ़ह के विभिन्न क्षेत्रों में अत्याचारी ज़ायोनी सरकार के हवाई तोपों से किये गए हमलों में अब तक 40 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद और दसियों लोग घायल हो चुके हैं। दूसरी तरफ़ कल ग़ज़्ज़ा के शुजाईया इलाक़े में अत्याचारी ज़ायोनी सरकार के वहशियाना हमले में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 120 से ज़्यादा हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी सरकार की वहशियाना बमबारी के नतीजे में सैंकड़ों फ़िलिस्तीनी परिवार बेघर हो चुके हैं। लगातार 14वें दिन अत्याचारी ग़ज़्ज़ा पर बमबारी का सिलसिला जारी रखे हुए हैं, ताज़ा बमबारी के नतीजे में 7 बच्चों समेत 9 लोगों की मौत हो गई है जबकि एक और कार्यवाही में ज़ायोनी फ़ौज नें सरहद पार करने के आरोप में फ़ायरिंग की जिसमें 10 अन्य फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं।

दूसरी तरफ़ फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस्राईली फ़ौज की बमबारी से तबाह होने वाली इमारत के मलबे से 16 लोगों की लाशें निकाल ली गई हैं और मरने वाले सभी लोगों का सम्बंध एक ही परिवार से बताया जाता है।