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आइए फ़ारसी सीखें ४
जैसा कि आप जानते हैं कि मुहम्मद और रामीन हमारे कार्यक्रम के दो मित्र हैं। आज वे एक साथ बस में विश्व विद्यालय के छात्रावास जा रहे हैं। दोनों छात्रावास में रहते हैं। वे दोनों अपने कमरे के बारे में बातें करते हैं और इस प्रकार एक दूसरे से अधिक परिचित होते हैं। इसी कारण वह छात्रावास में एक दूसरा कमरा खोज रहा है, वह अपना कमरा बदलना चाहता है। आइये देखते हैं कि उनके साथ क्या- क्या घटनाएं होती हैं। सबसे पहले उनकी बातचीत में प्रयोग होने वाले कुछ शब्दों पर ध्यान दीजिए जिन्हें आप इस पाठ में सीखेंगे।
ठीक हो ?
خوبي ؟
धन्यवाद
ممنون
क्या ?
آيا ؟
इमारत
ساختمان
एक
يک
दो
دو
पहली इमारत
ساختمان يک
नहीं
نه
दूसरी इमारत
ساختمان دو
तो
پس
मैं... हूं
من ... هستم
मैं नहीं हूं
من نيستم
आप... हैं ?
شما ... هستيد
कमरा
اتاق
नया
جديد
नया कमरा
اتاق جديد
मैं चाहता हूं
مي خواهم
क्यों
چرا
मेरा कमरा
اتاق من
छोटा
کوچک
भरा हुआ, भीड़-भाड़, शोर –शराबा
شلوغ
कमरा छोटा और भरा हुआ है।
اتاق کوچک و شلوغ است
पलंग
تخت
ख़ाली
خالي
ख़ाली पलंग
تخت خالي
हमारे पास है।
ما ... داريم
आपके पास है।
شما ... داريد
में
در
कमरे में
در اتاق
हम
ما
हमारा कमरा
اتاق ما
आओ
بيا
बहुत अच्छा है।
خيلي عالي است
कमरे में
به اتاق
अब जबकि आपने इन शब्दों को सीख लिया तो आइये मुहम्मद और रामीन की वार्ता सुनते हैं।
मुहम्मदः सलाम रामीन, ठीक हो ?
محمد: سلام رامين ، خوبي ؟
रामीनः सलाम धन्यवाद
سلام ممنون :رامين
मुहम्मदः क्या तुम पहली इमारत में रहते हो?
محمد : آيا شما در ساختمان يک هستيد ؟
रामीनः नहीं मैं पहली इमारत में नहीं हूं
رامين : نه . من در ساختمان يک نيستم
मुहम्मदः तो तुम दूसरी इमारत में हो
محمد: پس شما در ساختمان دو هستيد
रामीनः हां, मेरा कमरा दूसरी इमारत में है।
رامين : بله . اتاق من در ساختمان دو است
मुहम्मदः मुझे एक नया कमरा चाहिए
محمد: من يک اتاق جديد مي خواهم
रामीनः नया कमरा ? क्यों ?
رامين : اتاق جديد ؟ چرا ؟
मुहम्मदः मैं एक नया कमरा चाहता हूं, क्योंकि मेरा कमरा छोटा और भीड़-भाड़ वाला है।
محمد: من يک اتاق جديد مي خواهم ، چون اتاق من کوچک و شلوغ است
रामीनः हमारे कमरे में एक पलंग ख़ाली है
رامين: ما در اتاق يک تخت خالي داريم
मुहम्मदः तुम्हारे कमरे में एक पलंग ख़ाली है ?
محمد: شما در اتاق يک تخت خالي داريد ؟
रामीनः हां, हमारे कमरे में आ जाओ
رامين : بله . به اتاق ما بيا
मुहम्मदः बहुत अच्छा है।
محمد : خيلي عالي است
आप तो समझ ही गये होंगे कि रामीन के कमरे में एक पलंग ख़ाली है और इस प्रकार मुहम्मद, रामीन के कमरे में जाकर उसके साथ रह सकता है। आइये एक बार पुनः रामीन और मुहम्मद की बातचीत सुनते हैं।
محمد - سلام رامين ، خوبي ؟ رامين: سلام . ممنون . محمد - آيا شما در ساختمان يک هستيد ؟ رامين : نه من در ساختمان يک نيستم . محمد - پس شما در ساختمان دو هستيد . رامين : بله . اتاق من در ساختمان دو است . محمد - من يک اتاق جديد مي خواهم . رامين : اتاق جديد ؟ چرا ؟ محمد - من يک اتاق جديد مي خواهم . چون اتاق من کوچک و شلوغ است . رامين : ما در اتاق يک تخت خالي داريم . محمد - شما در اتاق يک تخت خالي داريد ؟ رامين : بله - به اتاق ما بيا . محمد - خيلي عالي است .
यदि आप यह जानने में रुचि रखते हैं कि मुहम्मद, रामीन के कमरे में जा सकता है या नहीं तो आप हमारी इस श्रंखला में हमारे साथ रहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सोमालिया में सूखा पड़ने की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र संघ ने सोमवार को सचेत किया कि सोमालिया भीषण भुखमरी के संकट की ओर बढ़ रहा है। इस देश की राजधानी के कुछ भाग भुखमरी की कगार पर पहुंचने वाले हैं।
मोगादेशू फ़्रांस प्रेस के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन की इकाई एफ़ एस एन ए यू ने कहा है कि सोमालिया का खाद्य सुरक्षा संकट, वर्षा की बुरी स्थिति और अगले कुछ महीने में मानवीय सहायता और उस तक पहुंच में कमी, बढ़ते कुपोषण, झड़प और खाद्य पदार्थ की बढ़ती क़ीमत के कारण और ख़तरनाक रूप ले लेगा।
ज्ञात रहे यह चेतावनी ऐसी स्थिति में जारी हुयी है जब तीन साल पहले सोमालिया में विनाशकारी सूखे के कारण ढाई लाख लोग मौत के मुंह में चले गए थे जिनमें आधी से ज़्यादा संख्या बच्चों की थी।
मोगादेशू में संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय ने बताया कि इस समस्या के आपात स्थिति में पहुंचने की आशंका है और भूखमरी के चरणों के मद्देनज़र, सूखा केवल एक क़दम दूर है।
ज्ञात रहे सोमालिया में हज़ारों व्यक्ति जंग के कारण बेघर हो चुके हैं और मोगादेशू में शरणार्थी कैंपों में रहते हैं। अश्शबाब गुट जिसे अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल है, आए दिन हमले करता रहता है।
भारत और बांग्लादेश में जलसीमा विवाद समाप्त
भारत और बांग्लादेश के बीच तीन दशकों से जारी समुद्री सीमा के विवाद समाप्त हो गया है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, हेग में संयुक्त राष्ट्र के एक न्यायाधिकरण ने विवादित क्षेत्र का लगभग 80 प्रतिशत भाग बांग्लादेश को देने का फ़ैसला किया है।
इस फ़ैसले के अनुसार, दोनों देशों के बीच विवाद में फंसे बंगाल की खाड़ी के 25000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र का 19500 किलोमीटर का क्षेत्र बांग्लादेश को दिया गया है और लगभग छह हज़ार किलोमीटर का क्षेत्र भारत के पक्ष में आया है।
भारत और बांग्लादेश दोनों ने ही इस फ़ैसले का स्वागत किया है। बांग्लादेश के विदेशमंत्री महमूद अली ने मंगलवार को कहा कि हेग में एक न्यायाधिकरण ने भारत और बांग्लादेश के मध्य नई जलसीमा का निर्धारण कर दिया और इस फ़ैसले का दोनों देशों ने स्वागत किया है।
उनका कहना था कि इस फ़ैसले के आधार पर बांग्लादेश को बंगाल की खाड़ी में गैस के भंडारों और अन्य भंडारों का पता लगाने और मत्स्य उद्योग को विस्तृत करने का अवसर मिला है। उधर भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह नई दिल्ली और ढाका के मध्य आर्थिक संबंधों के विस्तार की भूमिका है।
ज्ञात रहे कि भारत के साथ चल रहे समुद्री सीमा के विवाद को बांग्लादेश ने वर्ष 2009 में संयुक्त राष्ट्र के सामुद्रिक क़ानून पर बने अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण में उठाया था।
दुश्मन, ईरान का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बल देकर कहा है कि दुश्मन, ईरान का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।
अल आलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार की रात ईरान के अधिकारियों ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से भेंट की।
इस अवसर पर वरिष्ठ नेता ने कहा कि शत्रु, ईरान से वास्तविक मुक़ाबले में ईरान का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। उनका कहना था कि साम्राज्यवादी मोर्चे के पास सैन्य धमकी और आर्थिक प्रतिबंधों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि शत्रु हमारे समीकरण में विघ्न उत्पन्न करना चाहते हैं और यही वह नर्म युद्ध है जिसके बारे में वर्षों से हम कर रहे हैं।
स्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि अमरीका ने इस्राईल को ईरान के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही को व्यवहारिक बनाने से रोक रखा है जबकि वास्तविकता यह है कि ईरान पर सैन्य कार्यवाही उनके हित में नहीं है।
उनका कहना था कि मैं पूरी दृढ़ता के साथ यह कहना चाहता हूं कि ईरान पर सैन्य हमला किसी भी देश के हित में नहीं होगा।
ग़ज़्ज़ा पर पाश्विक हमले जारी, 28 शहीद, विश्व समुदाय चुप
ग़ज़्ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी सेना के युद्धक विमानों के हमले में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या बढ़कर 28 हो गयी है।
अल आलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार दोपहर के बाद ज़ायोनी युद्धक विमानों ने ख़ान यूनुस क्षेत्र के एक घर पर बमबारी की जिसमें एक ही परिवार के सात लोग शहीद हो गये। रिपोर्ट में बताया गया कि शहीद होने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इससे पूर्व इस्राईल के युद्धक विमानों के हवाई हमले में शहीद होने वालों की संख्या सात और कुछ देर के बाद बारह बताई गयी थी। इस हमले में इसी प्रकार तीस से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल भी हुए हैं।
ग़ज़्ज़ा पट्टी के विभिन्न क्षेत्रों पर इस्राईल के पाश्विक आक्रमण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हमास के प्रवक्ता सामी अबू ज़ोहरी ने कहा कि ख़ान यूनुस क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों का जनसंहार, घिनौना युद्ध अपराध है और इस अपराध के बाद सारे इस्राईली प्रतिरोध के निशाने पर हैं। उनका कहना था कि इस हमले ने सिद्ध कर दिया कि सारे इस्राईलियों को निशाना बनाना, प्रतिरोध का क़ानूनी अधिकार है।
उधर इस्राईली सैनिक ग़ज़्ज़ा पर ज़मीनी हमले की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस्राईल ने बड़ी संख्या में बक्तरबंद गाड़ियां और सैनिक ग़ज़्ज़ा की सीमा पर तैनात कर रखे हैं।
दूसरी ओर ईरान ने ग़ज़्ज़ा पट्टी पर इस्राईल के पाश्विक हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता मरज़िया अफ़ख़म ने अपने एक बयान मंं कहा कि पिछले दो सप्ताह से तीन इस्राईली नागरिकों के अपहरण के बहाने निर्दोष फ़िलिस्तीनियों पर पाश्विक हमले हो रहे हैं और उनका जनसंहार किया जा रहा।
बयान में कहा गया है कि फ़िलिस्तीनी किशोर की निर्मम हत्या इस बात की निशानी है कि ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनी युवाओं के प्रतिरोध के समक्ष बुरी तरह असहाय हो चुका है और इस अपराध ने इराक़ और सीरिया में आतंकवादियों के अपराध को लोगों के मन में दोहरा दिया है। बयान में कहा गया है कि इस्राईल के इन अपराधों से फ़िलिस्तीनियों की प्रतिरोध की भावना को कमज़ोर नहीं किया जा सकता।
उन्होंने इस्लामी देशों और मानवाधिकार संस्थाओं से मांग की है कि वे ज़ायोनी शासन के अपराधों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करें और ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल को हमले रुकवाने का प्रयास करवाएं।
अफ़ग़ानिस्तान, अशरफ़ ग़नी की चुनाव में ज़बरदस्त जीत
अफ़ग़ानिस्तान में दूसरे चरण के राष्ट्रपति चुनाव में अशरफ़ ग़नी ने अपने प्रत्याशी अब्दुल्लाह अब्दुल्ला हो हरा दिया है।
अल आलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार दूसरे चरण के चुनाव में अशरफ़ ग़नी को 56 प्रतिशत वोट मिले जिसके बाद वे अफ़ग़ानिस्तान के नये राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त हो गये।
रिपोर्ट के अनुसार दूसरे चरण के चुनाव में अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह को 43.5 प्रतिशत मत मिले जबकि वह पहले चरण के चुनाव में अपने समस्त प्रतिस्पर्धियों से आगे थे।
लोगर प्रांत में जन्में 68 वर्षीय मुहम्मद अशरफ़ ग़नी अहमद ज़ई दो बार राष्ट्रपति चुनाव में अपनी क़िस्मत आज़मा चुके हैं। इस प्रकार वे वर्ष 2002 से 2004 तक हामिद करज़ई की सरकार में वित्तमंत्री भी रह चुके हैं।
अशरफ़ ग़नी की विजय की घोषणा ऐसी स्थिति में हुई है कि जब अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने दूसरे चरण के चुनाव में भारी धांधली का आरोप लगाया था और उनके आरोप के बाद मुख्य चुनाव आयोग को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह के समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन के सामने चुनाव में धांधली को लेकर प्रदर्शन भी किए थे।
आइए फ़ारसी सीखें३
आपको अवश्य याद होगा कि मुहम्मद और रामीन का विश्व विद्यालय की की कैंटीन में परिचय हुआ। रामीन एक ईरानी छात्र है और इतिहास के विषय में पढ़ाई कर रहा है जबकि मुहम्मद एक विदेशी छात्र है जो ईरानी साहित्य की शिक्षा प्राप्त कर रहा है। वे संयोग से एक दूसरे से पुस्ताकालय में मिलते हैं और फिर एक दूसरे की कुशलता पूछने के बाद अपनी शिक्षा के बारे में बात करते हैं। आईये देखते हैं वे क्या बात करते हैं। सबसे पहले उनकी बातचीत में प्रयोग होने वाले कुछ शब्दों को ध्यान से पढ़ें।
سلام - सलाम
محمد – मुहम्मद
آقاي رامين صمدي - श्री रामीन समदी
اسم من - मेरा नाम
حال شما چطور است ؟ - आपका क्या हाल है ?
متشکرم - धन्यवाद
حال شما خوب است ؟ - आप अच्छे है?
خيلي ممنون - बहुत धन्यवाद
دانشجو - छात्र
تاريخ - इतिहास
دانشجوي تاريخ - इतिहास का छात्र
شما - आप
هستيد - हैं
نه – नहीं
من - मैं
هستم - हूं
من نيستم - नहीं हूं
ادبیات - साहित्य
دانشجوي ادبيات فارسي - फ़ारसी साहित्य का छात्र
ادبيات فارسي- फ़ारसी साहित्य
अब जबकि आपने इन शब्दों को पढ़ लिया तो आईये रामीन और मुहम्मद की वार्ता पढ़ते हैं
...رامين : سلام محمد
रामीन :सलाम मुहम्मद
...محمد: سلام آقاي
मुहम्मद : सलाम श्री ...
رامين : اسم من رامين است ، رامين صمدي
रामीन : मेरा नाम रामीन है। रामीन समदी
محمد : بله ، سلام آقاي رامين صمدي ، حال شما چطور است ؟
मुहम्मद : जी हां, सलाम श्री रामीन समदी, आपका क्या हाल है ?
رامين : متشکرم . حال شما خوب است ؟
रामीन : धन्यवाद । आप अच्छे हैं?
محمد : خيلي ممنون
मुहम्मद :बहुत बहुत धन्यवाद ।
رامين : شما دانشجوي تاريخ هستيد ؟
रामीन : आप इतिहास के छात्र हैं ?
محمد : نه . من دانشجوي تاريخ نيستم
मुहम्मद : नहीं मैं इतिहास का छात्र नहीं हूं।
رامين : شما دانشجوي ادبيات فارسي هستيد ؟
रामीन : आप फ़ारसी साहित्य के छात्र हैं?
محمد : بله . من دانشجوي ادبيات فارسي هستم . شما دانشجوي تاريخ هستيد ؟
मुहम्मद : जी हां, मैं फ़ारसी साहित्य का छात्र हूं। आप इतिहास के छात्र हैं।
رامين : بله . من دانشجوي تاريخ هستم
रामीन : जी हां, मैं इतिहास का छात्र हूं ।
आशा है कि मुहम्मद और रामीन की बातचीत को आपने ध्यानपूर्वक पढ़ा होगा।आइये एक बार पुनः यह बातचीत पढ़ते हैं।
रामीन : सलाम मुहम्मद رامین : سلام محمد
मुहम्मद: सलाम श्री ... محمد: سلام آقای
رامين : اسم من رامين است ، رامين صمدي
रामीन : मेरा नाम रामीन है। रामीन समदी
محمد : بله ، سلام آقاي رامين صمدي ، حال شما چطور است ؟
मुहम्मद : जी हां, सलाम श्री रामीन समदी, आपका क्या हाल है ?
رامين : متشکرم . حال شما خوب است ؟
रामीन : धन्यवाद । आप अच्छे हैं?
محمد : خيلي ممنون
मुहम्मद : बहुत बहुत धन्यवाद ।
رامين : شما دانشجوي تاريخ هستيد ؟
रामीन : आप इतिहास के छात्र हैं ?
محمد : نه ، من دانشجوي تاريخ نيستم
मुहम्मद : नहीं मैं इतिहास का छात्र नहीं हूं।
رامين : شما دانشجوي ادبيات فارسي هستيد ؟
रामीन : आप फ़ारसी साहित्य के छात्र हैं?
محمد : بله . من دانشجوي ادبيات فارسي هستم . شما دانشجوي تاريخ هستيد ؟
मुहम्मद : जी हां, मैं फ़ारसी साहित्य का छात्र हूं। आप इतिहास के छात्र हैं।
رامين : بله . من دانشجوي تاريخ هستم
रामीन : जी हां, मैं इतिहास का छात्र हूं ।
ध्यान दिया आपने? अब मुहम्मद और रामीन एक दूसरे को पहचानते हैं। आप भी धीरे-2 उनसे अधिक अवगत होंगे और उनकी बातों को सुनते हुए फ़ारसी भी सीखते जाएंगे। अब तक आपने जो सबसे महत्त्वपूर्ण वाक्य सीखे वे इस प्रकार हैं। कृपया इन वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िये।
سلام _ सलाम
حال شما چطور است ؟ _आपका क्या हाल है ?
متشکرم . خيلي ممنون _आप का आभारी हूं बहुत बहुत धन्यवाद
شما ايراني هستيد ؟ _ आप ईरानी हैं ?
بله . من ايراني هستم _ जी मैं ईरानी हूं ?
اسم شما چيست ؟ _ आपका नाम क्या है ?
اسم من محمد است _ मेरा नाम मुहम्मद है
شما دانشجوي ادبيات فارسي هستيد ؟ _ आप फ़ारसी साहित्य के छात्र है़
نه من دانشجوي ادبيات فارسي نيستم . من دانشجوي تاريخ هستم _ जी नहीं मैं फ़ारसी साहित्य का छात्र नहीं हूं। मैं इतिहास का छात्र हूं
आयतुल्लाह ख़ामेनई के बयान की रौशनी में
मोमिन की मेराज
सबसे अच्छा अवसर
रमज़ानुल मुबारक एक अवसर है अल्लाह की तरफ़ ध्यान देने के लिये, साल के अकसर दिनों में दुनिया की चीज़ें और हमारे अन्दर की इच्छाएं हमें पनी तरफ़ खींचती रहती हैं और हम ख़ुदा को भूल जाते हैं, इसी लिये अल्लाह तआला ने रमज़ान को स्पेशल इस लिये रखा है कि इस महीने में इन्सान ख़ुदा को याद करे और अपनी आत्मा को ऊपर की तरफ़ ले जाए, ख़ुदा से क़रीब हो, अल्लाह वाला बने, उसका रास्ता अपनाए और अपने अन्दर ख़ुदाई रंग ढ़ंग लाने की कोशिश करे, इससे अच्छा अवसर नहीं मिल सकता।
हालांकि रमज़ानुल मुबारक के अलावा और भी मौक़े हैं जैसे यही पाँच टाइम की नमाज़ें भी एक अवसर है जिसमें इन्सान ख़ुदा के साथ अपनी आत्मा के तार जोड़ सकता है, रूह पर लगे धब्बों को धो सकता है, अपने अन्दर की बीमारियों का इलाज कर सकता है, अगर नमाज़ में हमारा ध्यान अल्लाह की तरफ़ हो तो यह काम आसानी के साथ हो सकता है, इस ध्यान का एक तरीक़ा यह है कि जो कुछ हम नमाज़ में पढ़ते हैं उसकी तरफ़ ध्यान दें और सोचें कि हम क्या कह रहे हैं, अब कोई यह न कहे कि मुझे तो अरबी नहीं आती, मैं तो उर्दू, हिन्दी या दूसरी भाषा समझता हूँ, अगर नहीं आती तो सीखना चाहिये, यह बड़ी बात नहीं है अगर इन्सान कोशिश करे तो कुछ घण्टों का काम है। हम नमाज़ में जो कुछ पढ़ते हैं उसका सीधा सा अनुवाद हम बड़ी आसानी से सीख सकते हैं। अगर हम इतना भी न कर सकें तो कम से कम इतना ध्यान में रखना चाहिये कि अब हम ख़ुदा के सामने खड़े हो गए हैं, सूरा पढ़ते हुए हम ख़ुदा के साथ बात कर रहे हैं, रुकू में हम ख़ुदा के साथ बात कर रहे हैं, सजदे में हम ख़ुदा के साथ बात कर रहे हैं, इतना ध्यान भी काफ़ी महत्व रखता है। इन नमाज़ों में (रमज़ान के महीने में) ख़ास तौर पर इस चीज़ का ध्यान रखें। अगर इस तरह की नमाज़ पढ़ी जाए तो यह मोमिन की मेराज बन जाएगी। मेराज का क्या मतलब है? मेराज का मतलब यही है कि नमाज़ पढ़ने के बाद इन्सान के अन्दर बदलाव आए, उसका दिल पहले से साफ़ हो जाए और उसके अन्दर एक रौशनी पैदा हो।
एक अनोखा टाईम
यह इबादतें और यह दिन हमारे लिये बहुत अच्छा अवसर हैं लेकिन रमज़ान का मुबारक महीना सबसे अच्छा अवसर है, यह पूरे साल में एक अनोखा टाईम है, इन दिनों पाँच वक़्त की नमाज़ों, नाफ़ेला नमाज़ों के अलावा कुछ ऐसी दुआएं पढ़ना भी मुस्तहेब हैं जो दुआएं इन्सान का ध्यान ख़ुदा की तरफ़ मोड़ती हैं, उसका ज्ञान और ध्यान ज़्यादा हो जाता है और उसकी आत्मा ख़ुदा से ज़्यादा क़रीब हो जाती है। इन दुआओं के द्वारा हमें ख़ुदा के साथ बात करने, उसके साथ प्रार्थना करने और दुआ करने का ढ़ंग सिखाया गया है। हमें सिखाया गया है कि ख़ुदा से कैसे क्या मांगना चाहिये। यह दुआएं जो मासूम इमामों की ज़बान से निकली हैं, अगर यह न होतीं तो इन्सान नहीं समझ सकता था कि ख़ुदा से कैसे दुआ करे, कैसे मांगे और क्या मांगे।
इनके अलावा ख़ुद यही रोज़ा जो इस महीने में हर मुसलमान पर वाजिब है, रोज़ा रखने वाले की सहायता है। इस महीने की बरकतों से फ़ायदा उठाने में और इन्सान को उन चीज़ों को हासिल करने के लिये तैयार करता है जिनके ज़रिये उसकी आत्मा को आरोहन मिलता है। क़ुरआने करीम जो इस मुबारक महीने में नाज़िल हुआ है और इसे क़ुरआन की बहार का महीना कहा जाता है, इसे पढ़ना और इसे समझना भी इस महीने की एक बरकत है। समेट कर कहा जाए तो इस तरह कहा जा सकता है कि इस महीने में इन्सान को नमाज़ों, रोज़ों, दुआओं, मुनाजात, क़ुरआन की तिलावत, अल्लाह के लिये दूसरों की मदद करने और इस तरह के दूसरे काम करने का सबसे अच्छा अवसर मिलता है इसलिये इन्सान उससे फ़ायदा उठाकर, दिल पर लगे गुनाहों के धब्बे धो सकता है, उसके और ख़ुदा के बीच रुकावट बनने वाली चीज़ों को हटा सकता है। अगर एक जुमले में कहा जाए तो इस तरह कह सकते हैं कि इस महीने में इन्सान ख़ुदा की तरफ़ अपना सफ़र शुरू कर सकता है।
कुछ बदलाव होना चाहिये
मैं रमज़ानुल मुबारक ख़त्म होने के बाद कभी कभी इमाम ख़ुमैनी के पास जाया करता था, उन्हें देखकर मुझे लगता था कि वह पहले से ज़्यादा नूरानी हो गए हैं, मुझे अच्छी तरह समझ में आता था कि रमज़ान से पहले और रमज़ान के बाद उनकी बातों, उनके फ़ैसलों और उनके उपदेशों में काफ़ी अन्तर आ गया है। एक मोमिन के लिये रमज़ान ऐसा ही होता है और होना चाहिये। यानी रमज़ान के बाद उसकी ज़िन्दगी में इतना बदलाव आना चाहिये कि उसकी सोच, उसकी बातें और उसके काम पहले से अच्छे हो। इस मौक़े को हमें यूँ ही नहीं गंवाना चाहिये।
गुनाहों से दूरी
ख़ुदा से क़रीब होने में सबसे बड़ी रुकावट गुनाह है, उस तक पहुँचने के लिये गुनाहों को छोड़ना ज़रूरी है। दुआएं, मुस्तहेब नमाज़ें और इस तरह दूसरी चीज़ों का फ़ायदा उसी वक़्त है जब इन्सान गुनाह न करे, उसके लिये तक़वे व सदाचार की ज़रूरत है। अगर तक़वा नहीं होगा, अगर दिल में ख़ुदा का डर नहीं होगा तो इन्सान गुनाह से दूर नहीं हो सकता। गुनाह इन्सान को कुछ नहीं करने देता, इन्सान से सब कुछ छीन लेता है, तौबा की तौफ़ीक़, अल्लाह की रहमत के समन्दर तक पहुँचने की तौफ़ीक़, साफ़ दिल से दुआ और नमाज़ की तौप़ीक़। गुनाह हमें यह सोचने का अवसर भी नहीं देता है कि हमें ख़ुद को बदलना है, हमें दिल को साफ़ करना है, हमें अपनी आत्मा को पाक करना है। इसलिये सबसे पहले गुनाहों से दूर होना ज़रूरी है।
गुनाह भी कई प्रकार के हैं। कुछ गुनाहों का सम्बंध इन्सान के निजी जीवन से है और कुछ का सम्बंध समाज से है। कुछ गुनाह ज़बान के, कुछ हाथ के, कुछ आँखों के, कुछ दिल के और इसी तरह दूसरी चीज़ों के गुनाह होते हैं। एक मुसलमान को मालूम होना चाहिये कि कौन सी चीज़ें गुनाह हैं और फिर उनसे दूर होना चाहिये। अगर कोई मुसलमान दुआएं पढ़ता रहे, मुस्तहेब काम करता रहे, अपनी दीनी ज़िम्मेदारियां अन्जाम देता रहे लेकिन गुनाहों से दूर न हो, वह उस इन्सान जैसा है जिसे सख़्त बुख़ार या नज़ला हो और वह उसके लिये बहुत अच्छी दवाइयां भी ले रहा हो लेकिन साथ ही वह चीज़ें भी खा रहा हो जिनसे नज़ला बढ़ता है, ऐसे इन्सान को दवाइयों का कोई फ़ायदा नहीं होगा। एक बीमार उसी वक़्त ठीक हो सकता है वह सही दवाइयां लेने के साथ उन चीज़ों से भी परहेज़ करे जो उसकी बीमारी के लिये ख़तरनाक हैं।
अल्लाह की रहमत, उसकी मग़फ़ेरत (गुनाहों को माफ़ करना) और नेमतों का सही फ़ायदा उसी वक़्त उठाया जा सकता है जब इन्सान ख़ुद को इसके लिये तैयार करे और यह तैयारी इस तरह होगी कि इन्सान गुनाहों से दूर हो। हम दुआए कुमैल में पढ़ते हैं-
’’اَللّهُمَّ اغفِر لِىَ الذُّنُوبَ الَّتِى تَحبِسُ الدُّعَاءَ‘‘
ख़ुदाया उन गुनाहों को माफ़ कर दे जिनकी वजह से दुआएं क़ुबूल नहीं होतीं। इसका मतलब है कि गुनाह एक रुकावट है। इस महीने की सहरी में पढ़ी जाने वाली दुआए अबू हमज़ा सुमाली में इमामे ज़ैनुल आबेदीन अ. फ़रमाते हैं-
’’فَرِّق بَینى وَ بَینَ ذَنبِى المَانِعِ لِى مِن لُزُومِ طَاعَتِكَ‘‘
ख़ुदाया मेरे और गुनाहों के बीच फ़ासला डाल दे, क्योंकि यह गुनाह इस बात का कारण बनते हैं कि मैं अपनी ज़िम्मेदारी न निभाऊँ और तुझ तक न पहुँच सकूँ। इस लिये सबसे पहले गुनाहों से दूरी ज़रूरी है।
आइए फ़ारसी सीखें २
जैसा कि हमने बताया था कि फ़ारसी भाषा, ईरान और संसार की एक प्राचीनतम तथा समृद्ध भाषा है जिसकी कई हज़ार वर्ष पुरानी रचनाएं मौजूद हैं। अपनी प्राचीनता के कारण इस भाषा के दो विभिन्न स्वरूप हैं। पहला फ़ारसी भाषा का बोलने का स्वरूप है जो बात चीत में प्रयोग होता है जबकि दूसरा स्वरूप फ़ारसी भाषा का लिखने का स्वरूप है जिसे पढ़ने और लिखने में प्रयोग किया जाता है। फ़ारसी भाषा सिखाने की इस श्रंखला में पहले आप बोलने का स्वरूप सीखेंगे जिसके माध्यम से आप फ़ारसी बोल सकेंगे जिसके पश्चात हम आपको फ़ारसी लिखना व पढ़ना सिखाएंगे। आज के पाठ में आप फ़ारसी भाषा में सलाम करना और संबोधित व्यक्ति का नाम, काम तथा रहने का स्थान पूछना सीखेंगे। सबसे पहले हम एक व्यक्ति से परिचित होते हैं। उसका नाम मोहम्मद है और वह मिस्र का रहने वाला है। धीरे धीरे आप उससे और उसके मित्रों से अधिक परिचित होंगे। वह हवाई जहाज़ में है और ईरान की यात्रा कर रहा है। उसके साथ वाली सीट पर एक ईरानी बैठा हुआ है जिसका नाम रामीन है। मोहम्मद, रामीन के साथ बात करना आरंभ करता है। आने वाले शब्दों को पढ़ें।
सलाम - سلام
श्रीमान - آقا
नाम - اسم
मैं- من
मेरा नाम - اسم من
आप - شما
आप का नाम - اسم شما
मैं....हूं। - من ...هستم
आप ......हैं। - شما .... هستيد
क्या है? - چيه؟
मुझे प्रसन्नता हुई - خوشوقتم
आप का नाम क्या है? - اسم شما چيه ؟
आप कहां के हैं? - شما كجايي هستيد؟
मिस्र - مصر
मिस्री - مصري
ईरान - ايران
ईरानी - ايراني
अब आप मोहम्मद और रामीन के बीच होने वाली बात चीत पर ध्यान दें श्रीमान,
सलाम محمد: سلام
सलाम رامين : سلام
मेरा नाम मोहम्मद है।
محمد : اسم من محمده
प्रसन्नता हुई। आप कहां के रहने वाले हैं? رامين : خوشوقتم . شما کجايي هستيد ؟
मैं मिस्री हूं। आप का नाम क्या है? محمد: من مصري هستم . اسم شما چيه ؟
मेरा नाम रामीन है। رامين : اسم من رامينه
आप कहां के रहने वाले हैं ? محمد : شما كجايي هستيد ؟
मैं ईरानी हूं رامين : من ايراني هستم
अब एक बार फिर मोहम्मद और रामीन की वार्ता पर ध्यान दें। इस बार आपकी सेवा में यह वार्ता बिना अनुवाद के प्रस्तुत की जा रही है।
محمد: اسم من محمده رامين : خوشوقتم. شما کجايي هستيد ؟ محمد: من مصري هستم.
اسم شما چيه ؟ رامين: اسم من رامينه . محمد: شما كجايي هستيد ؟ رامين: من ايراني هستم.
मोहम्मद और रामीन अपनी वार्ता जारी रखते हैं। यद्यपि आप उनकी वार्ता देखना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि पहले इस वार्ता में आने वाले कुछ शब्दों को दोहराएं
आप..... हैं شما ... هستيد
मैं........ हूं من ... هستم
हां بله नहीं نه विश्व विद्यालय का छात्र دانشجو तेहरान تهران तेहरानी تهرانيशीराज़ شيراز
शीराज़ी شيرازي
तेहरान में در تهران
अब मोहम्मद और रामीन की बात चीत देखते हैं।
आप तेहरानी हैं محمد: شما تهراني هستيد ؟
नहीं मैं शीराज़ी हूं, आप छात्र हैं? رامين : نه من شيرازي هستم ، شما دانشجو هستيد ؟
जी हां, मैं तेहरान में छात्र हूं।محمد: بله من در تهران دانشجو هستم
एक बार फिर मोहम्मद और रामीन की वार्ता पर ध्यान दें।
محمد: شما تهراني هستيد ؟ رامين: نه ، من شيرازي هستم ، شما دانشجو هستيد ؟ محمد: بله من در تهران دانشجو هستم.
मित्रो अब आने वाले शब्दों को ध्यान से पढ़ें और उन्हें दोहराएं। इन शब्दों के अर्थ नहीं बताए जाएंगे क्योंकि इनका पढ़ना और दोहराना महत्त्वपूर्ण है। इन शब्दों को पढ़ने और दोहराने से आप फ़ारसी भाषा के आ स्वर का सही ढंग से उच्चारण कर सकेंगे।
آب - آز - آن - باج - باد - او - پاس - پاک - تاب - تاج - ظلم - جام - جان - چاپ - چاي - خواب - خوار - داد - داغ - رام - راه - زاغ - زار - ساک - سار - شاخ - شاد - غار - غاز - فال - فام - کاج - کار - گام - گاه - لاف - لال - مار - مات - ناب - نار - وال - وام - هار - هاگ - ياد - ياس -
आइए फ़ारसी सीखें १
फ़ारसी वस्तुतः ईरान की भाषा है और अतीत में ईरान वर्तमान समय से कहीं बड़ा था और बहुत से क्षेत्र जो अब स्वतंत्र देश बन चुके हैं, ईरान का भाग थे। इस समय भी फ़ारसी, ईरान के अतिरिक्त अफ़ग़ानिस्तान और ताजेकिस्तान में बोली जाती है। इसी प्रकार भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ क्षेत्रों में बसे हुए लोग फ़ारसी बोलते हैं और बहरैन जैसे फ़ार्स की खाड़ी के कुछ तटवर्ती क्षेत्रों में भी यह भाषा बोली जाती है। पूरे संसार में लगभग बीस करोड़ लोग फ़ारसी भाषा में बात करते हैं।
निश्चित रूप से आप यह तो जानते ही होंगे कि फ़ारसी भाषा संसार की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है किन्तु आप यह भी जानते हैं कि इस भाषा के उपलब्ध प्राचीन लिखित अवशेष किस काल से संबंधित हैं? क्या आप इस भाषा के साहित्यिक अतीत से अवगत हैं। यदि आपने हमारी आगे की चर्चाएं पढ़ीं तो आपको इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे। फ़ारसी भाषा की प्राचीनता के कारण उसके इतिहास को तीन कालखंडों में विभाजित किया गया है। पहले कालखंड को जो पांचवी से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व पर आधारित है, फ़ारसी बास्तान या प्राचीन फ़ारसी कहा जाता है। इस कालखंड अर्थात लगभग ढाई हज़ार वर्ष पूर्व से संबंधित अनेक शिलालेख और मिट्टी तथा चमड़े पर लिखी हुई सामग्रियां मौजूद हैं।
फ़ारसी बास्तान के पश्चात दूसरा कालखंड जिसे फ़ारसी मियाने या माध्यमिक फ़ारसी कहा जाता है, तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सातवीं शताब्दी ईसवी अर्थात इस्लाम धर्म के उदय से कुछ समय बाद तक ईरान में जारी रहा। इस कालखंड की भाषा में अनेक ऐतिहासिक और साहित्यिक अवशेष अब भी बाक़ी हैं। फ़ारसी मियाने वस्तुतः भाषा के परिवर्तन का वह चरण है जो फ़ारसी बास्तान को फ़ारसी दरी या फ़ारसी-ए-नव अर्थात नवीन फ़ारसी से जोड़ता है। तीसरा कालखंड अर्थात फ़ारसी-ए-नव, सातवीं शताब्दी ईसवी से लेकर अब तक ईरान में प्रचलित है। मानव इतिहास में ऐसे राष्ट्र कम ही हैं जिनके वैचारिक व साहित्यिक अवशेष अत्यधिक प्राचीन व दो हज़ार से अधिक वर्षों पर आधारित हैं। साहित्य जगत में इस प्रकार की प्राचीनता के साथ ईरान का विशेष स्थान है और अनेक महान विद्वानों ने इस संबंध में अध्ययन व शोध में अपना जीवन बिता दिया है। निश्चित रूप से पूरे संसार में फ़ारसी भाषा के प्रेमियों ने ईरानी साहित्य की ख्याति सुनी है और यह भाषा सीखने और ईरानी साहित्यकारों और विद्वानों की किताबें पढ़ने में रूचि रखते हैं। फ़िरदौसी, ख़ैयाम, सादी और हाफ़िज़ जैसे कवियों तथा इब्ने सीना, बैरूनी, राज़ी और फ़ाराबी जैसे विद्वानों ने फ़ारसी भाषा में अत्यंत मूल्यवान एवं अमर रचनाएं प्रस्तुत कीं जिनसे उन्हें विश्व स्तर पर ख्याति तो मिली ही, साथ ही साहित्य प्रेमियों में फ़ारसी सीखने का भी रुजहान बढ़ा।
दूसरी ओर फ़ारसी भाषा ने इस्लामी जगत और इस्लामी-ईरानी सभ्यता व संस्कृति के क्षेत्र की दूसरी भाषा के रूप में धर्म, दर्शन-शास्त्र और इतिहास जैसे विभिन्न विषयों की रचनाओं को अपने आंचल में स्थान दिया और सदैव ही इस्लामी ज्ञानों के विद्यार्थियों के प्रेम का पात्र रही और संसार के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने फ़ारसी भाषा के माध्यम से ही इस्लाम और इस्लामी ज्ञान प्राप्त किया है। इस समय भी संसार के अनेक देशों के विश्व विद्यालयों तथा ज्ञान, संस्कृति और साहित्य के केन्द्रों में फ़ारसी भाषा, साहित्य, संस्कृति और विचारों की भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। इसी प्रकार संसार के अनेक देशों के विश्व विद्यालयों में फ़ारसी भाषा की अनेक सीटें इस भाषा के प्रति साहित्य प्रेमियों के लगाव को दर्शाती हैं।
इस के साथ ही ईरान का इस्लामी संस्कृति व मार्गदर्शन मंत्रालय और इस्लामी संस्कृति व संपर्क संगठन अन्य देशों में फ़ारसी भाषा सिखाने के विभिन्न कोर्स आयोजित करके इस भाषा के प्रचार व प्रसार का प्रयास करते हैं और फ़ारसी भाषा व साहित्य के विषय में विदेशियों की शिक्षा प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। चूंकि फ़ारसी भाषा अत्यंत प्राचीन है अतः इसमें काफ़ी परिवर्तन आया है और चूंकि भाषा के परिवर्तन आरंभ में बोली में आते हैं अतः इस समय फ़ारसी भाषा के बोलने लिखने के दो अलग- अलग स्वरूप हैं। वस्तुतः फ़ारसी भाषा में बात करना, इस भाषा में पढ़ने व लिखने से भिन्न है और इस भाषा के लिखने और बोलने में स्वर, शब्द और व्याकरण की दृष्टि से अंतर पाया जाता है। इस बात के दृष्टिगत कि फ़ारसी के लिखने और बोलने के स्वरूप में अंतर है और चूंकि भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका उसकी संपर्क और बोली की भूमिका है अतः फ़ारसी सिखाने की इस श्रंखला में हम आपको पहले फ़ारसी में बात करना सिखाएंगे, इस प्रकार आप बोलने की भाषा सीखकर फ़ारसी भाषियों से बात चीत कर सकेंगे। बोलने की भाषा की शिक्षा के पश्चात लिखने की भाषा भी सिखाई जाएगी और फिर आप भलि भांति फ़ारसी भाषा सीख जाएंगे।
मित्रो अंत में यह भी बताते चलें कि इस में हमारी पद्धति संपर्क की होगी कि जो भाषा सिखाने की विश्वस्नीय शैली है। इस शैली में आप भाषा सीखने वाले व्यक्ति के रूप में स्थायी व निर्धारित लोगों से परिचित होंगे।