
رضوی
हज़रत मासूमए क़ुम (स) के जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न का माहौल
हज़रत फ़ातिमा मासूमए क़ुम (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न समारोहों का आयोजन किया जा रहा है।
पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर ईरान के पवित्र नगर क़ुम सहित पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है और मस्जिदों, इमामबाड़ों में जश्न के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस्लामी केलंडर के 11वें महीने ज़ीक़ादा की पहली तारीख़ सन् 173 हिजरी क़मरी को हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की सुपत्री और हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातेमा का जन्म हुआ था। हज़रत मासूमा क़ुम वह महान महिला हैं जो अपनी निष्ठा, उपासना, पवित्रता और ईशावरीय भय के माध्यम से परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचीं। मुसलमान महिलाओं के मध्य वे एक आदर्श महिला बन गईं। ज्ञान और ईमान के क्षेत्र में हज़रत फ़ातेमा मासूमा की सक्रिय उपस्थिति, इस्लामी संस्कृति व इतिहास में महिला के मूल्यवान स्थान की सूचक है।
उल्लेखनीय है कि हज़रत मासूमा क़ुम, अपने भाई इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात के लिए पवित्र नगर मदीना से मर्वा जा रही थीं। 23 रबीउल अव्वल 201 हिजरी क़मरी को वे पवित्र नगर क़ुम पहुंची। जब हज़रत फ़ातेमा मासूमा क़ुम पहुंचीं तो इस नगर के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। पैग़म्बरे इस्लाम (स) तथा उनके परिजनों से श्रृद्धा रखने वाले लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। मासूमा क़ुम, 17 दिनों तक क़ुम में बीमारी की स्थिति में रहीं। बाद में 27 साल की उम्र में पवित्र नगर क़ुम में उनका स्वर्गवास हो गया। क़ुम नगर में ही उनका मज़ार है।
ईरान के पवित्र नगर क़ुम में हज़रत फ़ातेमा मासूमा का रौज़ा, आज भी लाखों श्रृद्धाओं की आध्यात्मिक शांति का केन्द्र बना हुआ है। हर वर्ष हज़रत मासूमा के जन्मदिवस के अवसर पर पवित्र नगर क़ुम में लाखों की संख्या में एकत्रित होकर जश्न मनाते हैं।
हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) की हदीसे
हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स) की बेटीयो (फातेमा, ज़ैनब और उम्मेकुलसूम) से नकल करती है और इस हदीस की सनद का सिलसिला हज़रत ज़हरा (स.अ) पर खत्म होता हैः
حدثتنی فاطمة و زینب و ام کلثوم بنات موسی بن جعفر قلن : ۔۔۔ عن فاطمة بنت رسول الله صلی الله علیه و آله وسلم و رضی عنها : قالت : ”انسیتم قول رسول الله صلی الله علیه و آله و سلم یوم غدیر خم ، من کنت مولاه
فعلی مولاه و قوله صلی الله علیه و آله وسلم ، انت منی بمنزلة هارون من موسی“
हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ) ने फरमायाः क्या तुमने फरामोश कर दिया रसूले खुदा (स.अ.व.व) के इस क़ौल को जिसे आप ने गदीर के दिन इरशाद फरमाया था के जिस का मै मौला हूँ उसका ये अली मौला हैं।
और क्या तुम रसूले खुदा (स.अ.व.व) की इस हदीस को भूल गऐ कि आपने इमाम अली (अ.स) से फरमाया था कि ऐ अली तुम मेरे लिए ऐसे हो जैसे मूसा के लिऐ हारून थे।
हज़रत फातेमा मासूमा इसी तरह एक और हदीस इमाम सादिक की बेटी से नकल करती है और इस हदीस का सिलसिला-ए सनद भी हज़रते ज़हरा (स.अ) पर तमाम होता है हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ) ने फरमाया
عن فاطمة بنت موسی بن جعفر علیه السلام :
۔۔۔ عن فاطمة بنت رسول الله صلی الله علیه و آله و سلم : قالت :
قال رسول الله صلی اللہ علیه و آله وسلم :
«اٴلا من مات علی حب آل محمد مات شهیداً »
रसूले खुदा (स.अ.व.व) इरशाद फरमाया थाः आगाह हो जाओ कि जो अहलैबैत (अ.स) की मुहब्बत पर इस दुनिया से उठता है वो शहीद है।
अल्लामा मजलीसी शैख सुदूक़ से हज़रत फातेमा मासूमा की ज़ियारत की फज़ीलत के बारे मे रिवायत नक़ल करते है
قال ساٴلت ابا الحسن الرضا علیه السلام عن فاطمة بنت موسی ابن جعفر علیه السلام قال : ” من زارها فلة الجنة
रावी कहता है कि मैने हज़रत फातेमा मासूमा के बारे मे इमाम रज़ा (अ.स) से पूछा तो आपने फरमाया कि जो कोई भी हज़रत फातेमा मासूमा की क़ब्र की ज़ियारत करेगा उसपर जन्नत वाजिब हो जाऐगी।
हज़रत फ़ातिमा मासूमा अ.स. के जन्मदिन के मौके पर संक्षिप्त परिचय
आप की विलादत 1 ज़ीक़ादा सन् 173 हिजरी में मदीना शहर में हुई, आपकी परवरिश ऐसे घराने में हुई जिसका हर शख़्स अख़लाक़ और किरदार के एतबार से बेमिसाल था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई की महान बुलंदी पर था
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप की विलादत पहली ज़ीक़ादा सन 173 हिजरी में मदीना शहर में हुई, आपकी परवरिश ऐसे घराने में हुई जिसका हर शख़्स अख़लाक़ और किरदार के एतबार से बेमिसाल था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई और विनम्रता, लोगों की मदद करने और सख़्त हालात में अपने को मज़बूत बनाए रखने और भी बहुत सारी नैतिक अच्छाइयों में मशहूर था, सभी अल्लाह के चुने हुए ख़ास बंदे थे जिनका काम लोगों की हिदायत था, इमामत के नायाब मोती और इंसानियत के क़ाफ़िले को निजात दिलाने वाले आप ही के घराने से थे।
इल्मी माहौल
हज़रत मासूमा (स.अ) ने ऐसे परिवार में परवरिश पाई जो इल्म, तक़वा और नैतिक अच्छाइयों में अपनी मिसाल ख़ुद थे, आप के वालिद हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद आप के भाई इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने सभी भाइयों और बहनों की परवरिश की ज़िम्मेदारी संभाली, आप ने तरबियत में अपने वालिद की बिल्कुल भी कमी महसूस नहीं होने दी, यही वजह है कि बहुत कम समय में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के बच्चों के किरदार के चर्चे हर जगह होने लगे।
इब्ने सब्बाग़ मलिकी का कहना है कि इमाम मूसा काज़िम (अ) की औलाद अपनी एक ख़ास फ़ज़ीलत के लिए मशहूर थी, इमाम मूसा काज़िम (अ) की औलाद में इमाम अली रज़ा (अ) के बाद सबसे ज़ियादा इल्म और अख़लाक़ में हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) ही का नाम आता है और यह हक़ीक़त को आप के नाम, अलक़ाब और इमामों द्वारा बताए गए सिफ़ात से ज़ाहिर है।
फ़ज़ाएल का नमूना
हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) सभी अख़लाक़ी फ़ज़ाएल का नसूना हैं, हदीसों में आपकी महानता और अज़मत को इमामों ने बयान फ़रमाया है, इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इस बारे में फ़रमाते हैं कि जान लो कि अल्लाह का एक हरम है जो मक्का में है, पैग़म्बर (स) का भी एक हरम है जो मदीना में है, इमाम अली (अ) का भी एक हरम है जो कूफ़ा में है, जान लो इसी तरह मेरा और मेरे बाद आने वाले मेरी औलाद का हरम क़ुम है। ध्यान रहे कि जन्नत के 8 दरवाज़े हैं जिनमें से 3 क़ुम की ओर खुलते हैं, हमारी औलाद में से (इमाम मूसा काज़िम अ.स. की बेटी) फ़ातिमा नाम की एक ख़ातून वहां दफ़्न होगी जिसकी शफ़ाअत से सभी जन्नत में दाख़िल हो सकेंगे।
आपका इल्मी मर्तबा
हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) इस्लामी दुनिया की बहुत अज़ीम और महान हस्ती हैं और आप का इल्मी मर्तबा भी बहुत बुलंद है। रिवायत में है कि एक दिन कुछ शिया इमाम मूसा काज़िम (अ) से मुलाक़ात और कुछ सवालों के जवाब के लिए मदीना आए, इमाम काज़िम (अ) किसी सफ़र पर गए थे, उन लोगों ने अपने सवालों को हज़रत मासूमा (स.अ) के हवाले कर दिया उस समय आप बहुत कमसिन थीं (तकरीबन सात साल) अगले दिन वह लोग फिर इमाम के घर हाज़िर हुए लेकिन इमाम अभी तक सफ़र से वापस नहीं आए थे, उन्होंने आप से अपने सवालों को यह कहते हुए वापस मांगा कि अगली बार जब हम लोग आएंगे तब इमाम से पूछ लेंगे, लेकिन जब उन्होंने अपने सवालों की ओर देखा तो सभी सवालों के जवाब लिखे हुए पाए, वह सभी ख़ुशी ख़ुशी मदीने से वापस निकल ही रहे थे कि अचानक रास्ते में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हो गई, उन्होंने इमाम से पूरा माजरा बताया और सवालों के जवाब दिखाए, इमाम ने 3 बार फ़रमाया: उस पर उसके बाप क़ुर्बान जाएं।
शहर ए क़ुम में दाख़िल होना
क़ुम शहर को चुनने की वजह हज़रत मासूमा (स.अ) अपने भाई इमाम अली रज़ा (अ) से ख़ुरासान (उस दौर के हाकिम मामून रशीद ने इमाम को ज़बरदस्ती मदीना से बुलाकर ख़ुरासान में रखा था) में मुलाक़ात के लिए जा रहीं थीं और अपने भाई की विलायत के हक़ से लोगों को आशना करा रही थी। रास्ते में सावाह शहर पहुंची, आप पर मामून के जासूसों ने डाकुओं के भेस में हमला किया और ज़हर आलूदा तीर से आप ज़ख़्मी होकर बीमार हों गईं, आप ने देखा आपकी सेहत ख़ुरासान नहीं पहुंचने देगी, इसलिए आप क़ुम आ गईं, एक मशहूर विद्वान ने आप के क़ुम आने की वजह लिखते हुए कहा कि, बेशक आप वह अज़ीम ख़ातून थीं जिनकी आने वाले समय पर निगाह थी, वह समझ रहीं थीं कि आने वाले समय पर क़ुम को एक विशेष जगह हासिल होगी, लोगों के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करेगी यही कुछ चीज़ें वजह बनीं कि आप क़ुम आईं।
आपकी ज़ियारत का सवाब:
आपकी ज़ियारत के सवाब के बारे में बहुत सारी हदीसें मौजूद हैं, जिस समय क़ुम के बहुत बड़े मोहद्दिस साद इब्ने साद इमाम अली रज़ा (अ) से मुलाक़ात के लिए गए, इमाम ने उनसे फ़रमाया: ऐ साद! हमारे घराने में से एक हस्ती की क़ब्र तुम्हारे यहां है, साद ने कहा, आप पर क़ुर्बान जाऊं! क्या आपकी मुराद इमाम मूसा काज़िम (अ) की बेटी हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) हैं? इमाम ने फ़रमाया: हां! और जो भी उनकी मारेफ़त रखते हुए उनकी ज़ियारत के लिए जाएगा जन्नत उसकी हो जाएगी।
शियों के छठे इमाम हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: जो भी उनकी ज़ियारत करेगा उस पर जन्नत वाजिब होगी।
ध्यान रहे यहां जन्नत के वाजिब होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इंसान इस दुनिया में कुछ भी करता रहे केवल ज़ियारत कर ले जन्नत मिल जाएगी, इसीलिए एक हदीस में शर्त पाई जाती है कि उनकी मारेफ़त रखते हुए ज़ियारत करे और याद रहे गुनाहगार इंसान को कभी अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम की हक़ीक़ी मारेफ़त हासिल नहीं हो सकती। जन्नत के वाजिब होने का मतलब यह है कि हज़रत मासूमा (स.अ) के पास भी शफ़ाअत का हक़ है।
हज कमैटी ऑफ इंडिया की हज यात्रियों से "हज सुविधा ऐप" के इस्तेमाल की अपील
हज कमिटी ऑफ इंडिया ने हज 2025 के सभी यात्रियों से कहा है कि वे सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत बनाए गए नए "हज सुविधा ऐप 2.0" को तुरंत डाउनलोड करें और इसे अच्छे से इस्तेमाल करना सीखें। इस ऐप में हज यात्रा के दौरान कई जरूरी सुविधाएँ दी गई हैं, जिनका फायदा उठाया जा सकता है।
नई दिल्ली, हज कमिटी ऑफ इंडिया ने हज 2025 के सभी यात्रियों से कहा है कि वे सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत बनाए गए नए "हज सुविधा ऐप 2.0" को तुरंत डाउनलोड करें और इसे अच्छे से इस्तेमाल करना सीखें। इस ऐप में हज यात्रा के दौरान कई जरूरी सुविधाएँ दी गई हैं, जिनका फायदा उठाया जा सकता है।
कमेटी के अनुसार, "हज सुविधा ऐप" यात्रियों को सफर के दौरान और हज के कामों में मदद करेगा। इसके जरिए यात्रियों को फ्लाइट की जानकारी, वीजा स्टेटस, शिकायत करने की सुविधा, जरूरी सूचना, अस्पताल और दवाइयों तक पहुँच, जीपीएस के जरिए रास्ता ढूँढने, नमाज़ के टाइम और किबला दिशा जानने, हज-उमरा के तरीकों की जानकारी और सामान का पता लगाने जैसी सहूलियतें मिलेंगी।साथ ही, इसमें एक चैटबॉट भी है जो सवालों के तुरंत जवाब देगा।
नए वर्जन की खासियत यह है कि इसमें "पैडोमीटर" (कदम गिनने वाला फीचर) भी जोड़ा गया है, जिससे यात्रियों को अपनी सेहत का ध्यान रखने में मदद मिलेगी। हज के दौरान काफी पैदल चलना होता है, इसलिए यह सुविधा बहुत फायदेमंद रहेगी।
हज कमिटी ने यह भी कहा है कि हर राज्य से उन 10 यात्रियों को इनाम दिया जाएगा जो "हज सुविधा ऐप" का सबसे अच्छा इस्तेमाल करेंगे।
कमिटी ने सभी हज यात्रियों से अपील की है कि वे "हज सुविधा ऐप 2.0" को गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर से डाउनलोड करें, अपने HAF ID और मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन करें और सारी सुविधाओं का पूरा फायदा उठाएँ।
शहीद रेजाई पोर्ट पर हुए विस्फोट के बाद ईरानी जनता के लिए विभिन्न देशों की ओर से संदेश
दक्षिणी ईरान के हुर्मुज़्गान प्रांत के बंदर अब्बास स्थित शहीद रेजाई पोर्ट पर हुए विस्फोट के बाद दुनिया भर के विभिन्न देशों ने ईरान की जनता और सरकार को शोक संदेश जारी कर अपनी संवेदना व्यक्त की है।
दक्षिणी ईरान के हुर्मुज़्गान प्रांत के शहीद रेजाई बंदरगाह पर शनिवार को विस्फोट हुआ जिसमें 1200 लोग घायल और 40 की मौत हो गई। घायलों में से 729 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। दुर्घटना का कारण अभी भी अज्ञात है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रवक्ता और जापान, सऊदी अरब, रूस, पाकिस्तान, इराक़, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्कमनिस्तान, कजाकिस्तान, जॉर्डन, तुर्की, वेनेजुएला और क्यूबा सहित दुनिया भर के कई अन्य देशों ने भी शहीद रेजाई पोर्ट पर हुए विस्फोट पर ईरान की सरकार और लोगों को अलग-अलग संवेदना संदेश भेजे।
इराकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बंदर अब्बास के शहीद रेजाई बंदरगाह पर हुए विस्फोट में कई ईरानी नागरिकों की मौत पर संवेदना व्यक्त की तथा इस्लामी गणतंत्र ईरान की जनता और सरकार तथा घटना में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की।
इराक़ी विदेश मंत्रालय ने इस घटना के परिणामों से निपटने में ईरान को सहयोग और सहायता देने के लिए अपनी तत्परता का एलान किया।
सऊदी विदेश मंत्रालय ने भी ईरानी सरकार और लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की तथा कहा कि अगर ईरान अनुरोध करता है तो वह कोई भी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। संयुक्त अरब इमारात के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान में ईरानी सरकार और लोगों के साथ अपनी एकजुटता पर जोर दिया।
तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री ने भी ईरानी विदेशमंत्री से टेलीफ़ोन पर बातचीत में ईरान की सरकार और जनता के प्रति अपने देश की संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की।
शहीद रजाई बंदरगाह की दुखद घटना पर इस्लामी क्रान्ति के नेता का संदेश
बंदर अब्बास में शहीद रजाई बंदरगाह पर हुई दुखद आग की घटना के बाद, अयातुल्ला खामेनेई ने एक संदेश में प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सुरक्षा और न्यायिक अधिकारियों को घटना में किसी भी तरह की मिलीभगत या जानबूझकर की गई कार्रवाई का पता लगाने और कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
बंदर अब्बास में शहीद रजाई बंदरगाह पर हुई दुखद आग की घटना के बाद, अयातुल्ला खामेनेई ने एक संदेश में प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सुरक्षा और न्यायिक अधिकारियों को घटना में किसी भी तरह की मिलीभगत या जानबूझकर की गई कार्रवाई का पता लगाने और कानूनों के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
इस्लामी क्रान्ति के नेता का संदेश इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन
शहीद रजाई बंदरगाह पर हुई दुखद आग त्रासदी अत्यंत दुःखद एवं चिंताजनक है।
सुरक्षा और न्यायिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे किसी भी लापरवाही या जानबूझकर की गई कार्रवाई की पहचान करने के लिए गहन जांच करें और कानून के अनुसार कार्रवाई करें।
सभी अधिकारियों को ऐसी दुखद और हानिकारक घटनाओं को रोकना अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
मैं इस दुखद घटना में अपनी जान गंवाने वालों के लिए अल्लाह की दया और क्षमा, उनके शोकग्रस्त परिवारों के लिए धैर्य और शांति तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ करता हूं। मैं उन महानुभावों के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने जरूरत के समय पीड़ितों के लिए रक्तदान करने के लिए आगे कदम बढ़ाया।
वस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह व बराकातो
सय्यद अली ख़ामेनेई
27 अप्रैल, 2025
बडगाम में दो दिवसीय हज प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
अंजुमने शरई शियाने जम्मू-कश्मीर के तत्वावधान में मदरसा जामिया बाबुल इल्म मीरगाम और बडगाम में हमेशा की तरह दो दिवसीय हज प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में हज यात्रियों ने भाग लिया।
अंजुमने शरई शियाने जम्मू-कश्मीर के तत्वावधान में मदरसा जामिया बाबुल इल्म मीरगाम और बडगाम में हमेशा की तरह दो दिवसीय हज प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में हज यात्रियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर हज यात्रियों को हज यात्रा के कार्यों और अरकान के साथ-साथ इस्लाम में हज यात्रा के महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई।
इस अवसर पर अंजुमने शरई शियाने जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन आगा सय्यद हसन अल-मूसवी अल-सफवी ने अपने उद्घाटन भाषण में हज के दर्शन के विभिन्न पहलुओं को समझाया और कहा कि हज का जमावड़ा एक राष्ट्र की कुरानिक अवधारणा का एक अद्वितीय प्रदर्शन है और काफिरों, बहुदेववादियों और हर अत्याचारी व्यवस्था से इनकार करने की एक नई प्रतिज्ञा भी है।
आगा साहब ने हज यात्रियों से कहा कि हज यात्रा करना हर मुसलमान की दिली ख्वाहिश है और जीवन भर की इबादतों का फल है। इसलिए, प्रत्येक तीर्थयात्री के लिए हज यात्रा के स्तंभों, कार्यों और शिष्टाचार के साथ-साथ हज से संबंधित अन्य मुद्दों का भी गहन ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है।
आगा सय्यद हसन ने तीर्थयात्रियों से मुस्लिम उम्माह की समृद्धि के लिए दुआ करने का आग्रह किया और कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तीर्थयात्रियों को ईमानदारी से धन्यवाद दिया।
आगा साहब ने हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मुहम्मद हुसैन, हुज्जतुल इस्लाम आगा सय्यद यूसुफ अल-मूसवी और हुज्जतुल इस्लाम आगा सय्यद मुहम्मद हुसैन सफवी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया, जिन्हें हज यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को प्रशिक्षण देने का सौभाग्य मिला।
पहलगाम कांड की घटना निंदाय है
तारागढ़ अजमेर में जुमआ के खुत्बे में मौलाना नकी मेंहदी ज़ैदी ने औलाद के हुक़ूक़ और इंसाफ़ की अहमियत पर ज़ोर दिया और पहलगाम कांड की कड़ी निंदा की, आतंकवाद को इस्लाम से जोड़े जाने पर जताई गहरी चिंता
तारागढ़/अजमेर हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद नकी मेहदी जै़दी ने जामा मस्जिद में नमाज़-ए-जुमा के खुत्बे के दौरान नमाज़ियों को अल्लाह का तक़वा अपनाने की नसीहत की उन्होंने इमाम हसन अस्करी (अ.स.) के वसीयतनामे की तफ़सीर पेश करते हुए औलाद के अधिकारों पर रौशनी डाली और कहा कि माता-पिता का फर्ज़ है कि वे अपनी संतानों के बीच अदल व इंसाफ़ न्याय से व्यवहार करें।
उन्होंने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी संतानों के बीच इंसाफ और बराबरी से पेश आएं रसूल-ए-ख़ुदा स.ल.व. ने फ़रमाया,अपनी औलाद के बीच तोहफों और उपहारों में इंसाफ करो, जैसे तुम चाहते हो कि वे नेकियों और मेहरबानियों में तुम्हारे साथ इंसाफ करें।
हज़रत अली (अ.स.) ने फ़रमाया:रसूल अल्लाह (स.) ने एक आदमी को देखा कि उसके दो बेटे थे, उसने एक को चूमा और दूसरे को नहीं चूमा। तो आप स.ल.व. ने फ़रमाया,'क्या तुमने दोनों के साथ समान व्यवहार नहीं किया?
इमाम जुमआ तारागढ़ ने आगे कहा कि औलाद के अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार उनकी शिक्षा और तरबियत है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी संतान को हर संभव तरीके से दीन के उसूल व फरूउ से परिचित कराएं, खासकर कुरआन मजीद की तिलावत और हिफ़्ज़ के लिए प्रेरित करें।
शरीयत के आदाब और अख़लाक़ सिखाने में कोताही न करें, भले ही इसके लिए कभी-कभी सख्ती भी करनी पड़े। लेकिन इस सख्ती में 'अम्र बिल मअरूफ' और 'नही अनिल मुनकर' के मरातिब का ध्यान रखना ज़रूरी है।
हज़रत अली (अ.स.) ने फ़रमाया,सबसे बेहतरीन चीज़ जो माता-पिता अपनी औलाद को विरासत में दे सकते हैं, वह है अच्छा अदब।हज़रत रसूल-ए-ख़ुदा (स.) ने फ़रमाया,अपनी औलाद की इज़्ज़त करो और उनके आदाब को बेहतर बनाओ ताकि तुम्हारे गुनाह माफ किए जाएं।
हज़रत अली (अ.स.) ने अपने बेटे इमाम हसन (अ.स.) से कहा,नवयुवक का दिल खाली ज़मीन की तरह होता है, उसमें जो कुछ बोया जाए वह उसे कबूल कर लेता है। इसलिए मैंने तुम्हारे दिल के कठोर होने और अक़्ल के परिपक्व होने से पहले ही तुम्हें अदब सिखाने में जल्दी की।
इमाम जाफर सादिक (अ.स.) ने फ़रमाया,जब आयत 'ऐ ईमान वालों! खुद को और अपने घर वालों को आग से बचाओ' नाज़िल हुई, तो लोगों ने पूछा 'ऐ रसूल अल्लाह! हम खुद को और अपने घर वालों को कैसे बचाएं?' आप (स.) ने फरमाया: 'खुद नेक अमल करो और अपने घरवालों को उसकी याद दिलाते रहो और अल्लाह की इताअत पर आधारित अदब सिखाओ।
इमाम अली रज़ा (अ.स.) ने फ़रमाया,अपने बच्चे को आदेश दो कि वह अपने हाथ से चाहे एक टुकड़ा रोटी हो या एक मुट्ठी अनाज या कुछ भी थोड़ा बहुत ही सही, खुद अपने हाथ से सदक़ा दे। क्योंकि अल्लाह के लिए दी गई हर चीज़, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, अगर नीयत सच्ची हो तो वह बहुत महान मानी जाती है।
मौलाना नकी मेहदी जैदी ने कश्मीर के पहलगाम की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इस्लाम अमन, सुलह और भाईचारे का धर्म है। इसमें कत्ल, बर्बरता और आतंकवाद की कोई जगह नहीं है।
कुरआन मजीद में इस्लाम का साफ ऐलान है कि जिसने एक बेगुनाह इंसान की हत्या की, ऐसा है जैसे उसने पूरी इंसानियत की हत्या कर दी।इस्लामी लिबास पहनकर कश्मीर घाटी में मासूम सैलानियों की हत्या कर इस्लाम की छवि को धूमिल करने की जो कोशिश दुश्मनों ने की है, वह हर लिहाज़ से निंदनीय और अक्षम्य अपराध है।
हम इस जघन्य अपराध और निर्दोष सैलानियों की हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और भारत सरकार से मांग करते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द उनके अपराधों की सज़ा दी जाए।इस दर्दनाक हादसे में मारे गए और घायल लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ करते हैं और आतंकवादियों की कड़ी भर्त्सना करते हैं।
हमें उम्मीद है कि देश की सुरक्षा और प्रशासनिक एजेंसियां इस हमले के कारणों और आतंकवादियों के संबंध में पूरी जानकारी सामने लाकर देश को सही स्थिति से अवगत कराएंगी।
ग़ज़ा, क़स्साम ने युद्ध कला के माध्यम से इज़राइल को कैसे घुटनों पर ला दिया है?
एक सैन्य विशेषज्ञ और जॉर्डन के सशस्त्र बल के पूर्व डिप्टी चीफ ऑफ़ स्टाफ़ ने ग़ज़ा में प्रतिरोध के दृष्टिकोण की प्रशंसा की और कहा: फिलिस्तीनी प्रतिरोध के वीरतापूर्ण अभियानों ने विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों को चकित कर दिया है।
सैन्य मामलों के विशेषज्ञ और जॉर्डन सशस्त्र बलों के पूर्व डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ क़ासिद महमूद ने शनिवार को कहा: ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध द्वारा क़ब्ज़ाधारियों के खिलाफ चलाए जा रहे सैन्य अभियान, सैन्य संदर्भ में विशेष और अद्वितीय हैं और जमीन पर जो कुछ हो रहा है, वह सभी थिंक टैंकों और युद्ध की सामान्य रणनीतियों से परे है।
जॉर्डन के जनरल ने इस बात पर जोर दिया: ग़ज़ा में हम जो अनोखा ऑप्रेशन देख रहे हैं, वह अद्विपतीय दृढ़ता और मज़बूती को दर्शाता है जो दुश्मन को आश्चर्यचकित करता है और उसे डायरेक्ट मारता है और नुक़सान पहुंचाता है।
उन्होंने आगे कहा: इस ऑप्रेशन की प्रकृति और इसकी विभिन्न रणनीतियां, घेराबंदी और दुश्मन के हमलों की स्थितियों के बावजूद प्रतिरोध के दृष्टिकोण में एक उल्लेखनीय परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करती हैं, हम एक वास्तविक और अनोखा हाल देख रहे हैं, यह ऑपरेशन कई चरणों में किया जाता है।
क़ासिद महमूद ने कहा, इज़राइली सेना के टैंकों, हथियारों और सैनिकों के खिलाफ आक्रमण सुरंगों, उत्कृष्ट रणनीति और विभिन्न हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि युद्ध शक्ति के चरम और प्रतिरोध की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
जॉर्डन के जनरल ने कहा: खान यूनिस के दक्षिणी इलाक़े क़ैज़ान अल-नज्जार, बैते हानून और अल-तुफ़ाह मोहल्ले जैसे क्षेत्रों में इज़्ज़ुद्दीन अल-क़स्साम ब्रिगेड के हालिया अभियानों ने क्षेत्र में उपलब्धियों के सभी इज़रायली दावों को नष्ट कर दिया है। इस ऑप्रेशन से पता चला कि प्रतिरोध घटनास्थल पर पूरी तरह से क़ाबिज़ था और उसका पूरा नियंत्रण था।
क़ासिद महमूद ने कहा: प्रतिरोध का मूल लक्ष्य कभी भी इज़राइली सेना पर सीधे सैन्य जीत नहीं रहा है, जो कि टेक्नालाजी से पूरी तरह लैस है और जिसे वैश्विक समर्थन प्राप्त है, बल्कि इसका लक्ष्य दुश्मन को उसके लक्ष्य प्राप्त करने से रोकना और उसे क्षति पहुंचाना तथा युद्ध की लागत बढ़ाना रहा है।
उन्होंने कहा: आज, फिलिस्तीनी प्रतिरोध इजराइली सेना को बाधित करने और एक राजनीतिक वास्तविकता को लागू करने में सफल रहा है जिसका फ़ायदा उठाया जाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्यवश, अब तक इस क्षेत्र के लाभ का उपयोग फिलिस्तीनी या अरब राजनीतिक स्तर पर फिलिस्तीनी हितों के लिए नहीं किया गया है।
मेजर जनरल महमूद ने आगे कहा: प्रतिरोध का इस पैमाने और भौगोलिक दायरे के अनूठे अभियानों की ओर लौटना एक बड़ी घटना है जिसकी दुश्मन सेना को भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
सेना, जो स्वयं को बहुत अधिक लैस और आधुनिक सेनाओं में से एक कहती है, वर्तमान समय में मनोबल और सैन्य संकट का सामना कर रही है। यह हक़ीक़त है कि दुश्मन ने विस्फोटक ड्रोन जैसे उपकरणों का सहारा लिया है, योजना और रणनीति की कमी का संकेत है।
जॉर्डन के जनरल के अनुसार, इन उपकरणों का इस्तेमाल आमतौर पर प्रतिरोध ग्रुप्स द्वारा किया जाता है, न कि नियमित सेना द्वारा, और यह उसकी शक्ति और योजनाओं के नुकसान का संकेत है।
सामरिक सैन्य मामलों के विशेषज्ञ ने यह कहते हुए नतीजा निकाला: ग़ज़ा के लोगों द्वारा झेली जा रही पीड़ा और हत्या, भूख और बीमारी से संघर्ष के बावजूद, प्रतिरोध ने साबित कर दिया है कि इसमें टिकने की शक्ति है, प्रतिरोध का विकल्प विजय या शहादत है।
ईरान का संकल्प किसी भी त्रासदी से अधिक मजबूत है: हिज़्बुल्लाह
शहीद राजाई बंदरगाह पर हुई दुखद दुर्घटना के बाद, हिज़्बुल्लाह लेबनान ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता और ईरानी राष्ट्र के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना और सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र इस संकट से सफलतापूर्वक उबर जाएगा।
हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी कर क्रांति के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनेई, ईरान गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेशकेशियन, सरकार, ईरानी राष्ट्र और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की।
लेबनानी इस्लामिक प्रतिरोध ने अपने बयान में कहा:
"हम इस्लामी गणतंत्र ईरान और उसके गौरवशाली और गौरवशाली राष्ट्र के प्रति अपनी गहरी एकजुटता और पूर्ण समर्थन की घोषणा करते हैं। हम अल्लाह सर्वशक्तिमान से प्रार्थना करते हैं कि वह शहीदों को अपनी असीम दया में स्थान प्रदान करें, घायलों को पूर्ण स्वस्थ करें और इस्लामी गणतंत्र ईरान को सभी आपदाओं और विपत्तियों से सुरक्षित रखें।"
हिज़्बुल्लाह ने अपने बयान में कहा:
"हमें पूरा विश्वास है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अपने विश्वास, दृढ़ता और दृढ़ निश्चय के साथ इस दर्दनाक त्रासदी पर विजय प्राप्त करेगा और इस्लामी उम्माह के लक्ष्यों के लिए विकास, स्थिरता और समर्थन के मार्ग पर अपनी धन्य यात्रा जारी रखेगा।"