
رضوی
अमेरिका ने ईरान के बारे मे गलत अनुमान लगाया
ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने "19 देय" के अवसर पर क़ुम प्रांत के लोगों से मुलाक़ात करते ईरान के बारे मे अमेरिका की नीतियों पर बात की। सभा मे उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पहलवी शासन काल मे ईरान संयुक्त राज्य अमेरिका के हितों के लिए एक मजबूत किला था, लेकिन इस्लामी क्रांति इसी किले से उभरी, अमेरिकियों ने इसे गलत समझा और यह अमेरिका की सबसे बड़ी गलती थी।
उन्होंने कहा कि इस्लामिक क्रांति के बाद भी पिछले कुछ दशकों में अमेरिकियों ने ईरान को लेकर बार-बार गलत अनुमान लगाए हैं। इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि यह संदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अमेरिकी नीतियों से भयभीत हैं।
सुप्रीम लीडर ने कहा कि कुछ लोग सवाल करते हैं कि ईरान और यूरोपीय देशों के बीच बातचीत और संबंध हैं, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं।
इसका जवाब यह है कि अमेरिका ईरान को अपनी संपत्ति मानता था, ईरान को उसके कब्जे से मुक्त कराया गया
इसीलिए अमेरिका के मन में ईरान और इस्लामी क्रांति के प्रति गहरी नफरत और दुश्मनी है, जो आसानी से खत्म नहीं होगी। ईरान में अमेरिका विफल हो गया है और इस विफलता का बदला लेने की कोशिश कर रहा है।
हमास से वार्ता की खबरों के बीच ग़ज़्ज़ा पर बर्बर हमले, 30 से अधिक की मौत
ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल ने एक बार फिर वहशियाना बमबारी करते हुए कम से कम 30 लोगों को मौत के घात उतार दिया है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इस्राईल ने कतर में हमास के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की पुष्टि की है, जबकि दूसरी ओर उसने ग़ज़्ज़ा पर भीषण बमबारी करते हुए कई बेगुनाह लोगों की जान ले ली स्थानीय सूत्रों के अनुसार ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी सेना एक ताज़ा हमलों में कम से कम 30 लोग मारे गए हैं।
सिविल डिफेंस एजेंसी के हवाले से एएफपी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग़ज़्ज़ा में एक ही परिवार के घर पर हवाई हमले में सात बच्चों सहित 11 लोग मारे गए।
एएफपी ने शुजाईया इलाके में हुए ताजा हमले के बाद की तस्वीरें जारी की हैं, जिसमें लोग सुलगते मलबे से शव निकाल रहे हैं, जबकि कुछ शव सफेद कपड़े से ढके हुए एक तरफ पड़े हैं, जबकि बच्चों के शव अलग लाइन में रखे हुए हैं।
स्पेन ने ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी जनसंहार के खिलाफ पक्ष बनने का किया ऐलान
स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बरेज़ ने कहा है कि स्पेन अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना द्वारा चलाये जा रहे नरसंहार मामले में इस्राईल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के साथ शामिल होगा।
स्पेन इस मामले में शामिल होने वाला पहला यूरोपीय देश है, चिली और मैक्सिको भी इस मामले में शामिल हो गए हैं।
गौरतलब है कि 28 मई को स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने आधिकारिक तौर पर फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी, जिसकी राजधानी यरुशलम होगी।
एएफपी के मुताबिक, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने की घोषणा करते हुए कहा था कि हमारा फैसला किसी भी देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि फिलिस्तीन की मान्यता संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप है।
स्पेन के प्रधानमंत्री ने कहा कि फ़िलिस्तीन को मान्यता देना एक ऐतिहासिक क्षण है, शांति फ़िलिस्तीनियों का मौलिक अधिकार है और शांति की स्थापना हम सभी की ज़िम्मेदारी है। बता दें कि स्पेन की इस घोषणा के बाद फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या 146 हो गई है।
सीरिया में अमेरिका और तुर्की समर्थित आतंकियों के बीच झड़पें तेज़
सीरिया में अमेरिका और तुर्की समर्थित गुटों के बीच संघर्ष तेज़ हो गया है इन सबके बीच इस्राईल के हमले पर खामोश दर्शक बनी तकफ़ीरी समूहों की जौलानी नीत सरकार तमाशा देख रही है।
रिपोर्ट के अनुसार तुर्की से जुड़े आतंकी तत्वों ने आज सुबह उत्तर-पूर्वी सीरिया के तल अबीद और तरवाज़िया में अमेरिका समर्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तिशरीन बांध और मुंबज इलाके में तुर्की और अमेरिका समर्थित आतंकियों के बीच झड़प चल रही है और इस दौरान तुर्की से जुड़े 13 आतंकी मारे गए हैं। बता दें कि कल भी, अमेरिका समर्थित एसडीएफ समूह ने दावा किया कि 80 से अधिक तुर्की समर्थक आतंकी मारे गए हैं।
सीरिया पर विदेश आतंकी गुटों के बीच कब्जे की लड़ाई तेज़ होने के साथ ही ज़ायोनी सेना के हमले भी तेज हो गए हैं जबकि जोलानी शासन इन सबसे बेखबर ज़ायोनी अमेरिकी योजना को पूरा करने में जुटा हुआ है।
रज़ा खान को धार्मिक मान्यताओं से विमुख करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी
रज़ा खान को बाहरी लोगों द्वारा देश में अधर्म को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके शासनकाल के दौरान, शैक्षणिक संस्थान बहुत कठिन परिस्थितियों से पीड़ित थे।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने कहा: रजा खान, मुस्तफा कमाल अतातुर्क की तरह, विदेशी शक्तियों के निर्देशों का पालन करके लोगों को उनकी धार्मिक मान्यताओं से अलग करने और अधर्म को लोकप्रिय बनाने की कोशिश में लगे हुए थे परिणामस्वरूप, धार्मिक समुदाय को भारी नुकसान हुआ और धार्मिक लोगों को गंभीर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा: रज़ा खान के शासनकाल के दौरान, मस्जिदों को ढेर में बदल दिया गया था, जुमा और नमाज़ जमाअत बंद कर दी गई थी, और इमामबारगाह, तकये और सक्का ख़ाने या तो नष्ट कर दिए गए थे या बंद कर दिए गए थे।
इस शिया मरजा तकलीद ने कहा: शाह के शासनकाल के दौरान, विद्वानों को इस्लामी शिक्षाओं को प्रकाशित करने से रोका गया था।
उन्होंने कहा: इस अवधि के दौरान, महिलाओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं थी और उन्हें अपने शुरुआती धार्मिक मान्यताओं का पालन करने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया था।
आयतुल्लाह जवादी आमोली ने इस दौर को याद करते हुए कहा: वफ़ादार और पर्दा करने वाली महिलाएं हिजाब पहनने के डर से अपने घरों से बाहर निकलने से कतराती थीं।
यमन ने अमेरिका इस्राईल की साज़िश को किया विफल, युद्धपोत को बनाया निशाना
ग़ज़्ज़ा और फिलिस्तीन के समर्थन में इस्राईल के हितों को लगातार निशाना बना रहा यमन अमेरिका ब्रिटेन और उनके सहयोगी तथाकथित मुस्लिम देशों के निशाने पर है। आये दिन अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों का सामना कर रहे यमन ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन और यमन के तट पर तैनात एक अमेरिकी विमानवाहक पोत पर चार मिसाइलें दागीं हैं और साथ ही चार ड्रोन से हमला किया है।
यमन के सशस्त्र बलों ने एक बयान में कहा कि यह ऑपरेशन सोमवार को चलाया गया, जिसमें यूएसएस हैरी ट्रूमैन और तीन ज़ायोनी सैन्य ठिकानों पर हमला किया गया । इनमें से दो तल अवीव के पास याफ्फा शहर के पास मौजूद थे।
प्रेस टीवी की रिपोर्ट केअनुसार, "यमन के मिसाइल और ड्रोन ने उत्तरी लाल सागर में अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस हैरी ट्रूमैन को निशाना बनााया । इस रिपोर्ट के मुताबिक इस विमानवाहक पोत से यमन पर हमला करने का प्लान किया जा रहा था। इस हमले के बाद अमेरिका और अवैध ज़ायोनी राष्ट्र के इरादों पर पानी फिर गया है।
मुसलमान के घर मे रख दी मूर्ति, मंदिर का दावा
उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों मे मस्जिदों के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के बीच अब मस्जिदों के साथ साथ मुसलमान घरों पर भी हिंदुत्ववादी संगठनों ने दावा करना शुरू कर दिया है। ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के फीरोजाबाद का है जहां मुस्लिम आबादी में मकान का ताला तोड़कर मूर्तियों को स्थापित किया गया है। फिरोजाबाद के पुराना रसूलपुर मे हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने एक मकान का ताला तोड़ दिया और मूर्ति रख कर दावा किया कि यहां शिव मंदिर है।
यह जगह एक मुस्लिम घर का हिस्सा थी, जिसे शिव मंदिंर बताया जा रहा है। इसे 35 साल पहले एक मुस्लिम परिवार को बेचा गया था लेकिन, अब हिंदू संगठनों ने वहां देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित करने का फैसला किया है। रसूलपुर इलाके की गली नंबर आठ में मुहम्मद यासीन के घर पर शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है ,जिसका आकार 100 वर्ग फीट बताया जाता है।
मुबल्लिग ए दीन समय की चुनौतियों से अवगत होना चाहिए
अशूरा फाउंडेशन नजफ़ ए अशरफ़ के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त और मशहूर इस्लामी प्रचारक एवं वक्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी के सम्मान में नजफ के छात्रों और उलेमा ने एक स्वागत समारोह का आयोजन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत ज़ियारत-ए-अशूरा और क़ुरआन मजीद की तिलावत से हुआ ज़ियारत-ए-अशूरा का पाठ मौलाना शेख़ इमरान करगली ने किया जबकि मौलाना अली इमाम मारूफ़ी नजफी ने क़ुरआन की आयतें प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम का संचालन हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मिर्ज़ा ज़हीन नजफी ने किया उन्होंने मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी की प्रशंसा में सुंदर काव्य प्रस्तुत कर माहौल को मोहक बना दिया। इसके बाद हुज्जतुल इस्लाम सैयद अली मोहम्मद नजफी बकनालवी और हुज्जतुल इस्लाम सैयद अबूज़र खुर्रम आबादी ने अपने प्रेरणादायक भाषणों और विचारों से सभा को नई ऊंचाई दी।
मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने समारोह में विशेष सम्मानित अतिथि और मेलबर्न के इमामे जुमा व शिया उलमा काउंसिल ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष, मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने सभा को संबोधित किया उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत कुछ अशआर से की और फिर इस्लामी मुबल्लिग़ की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला।
मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी के मुख्य बिंदु:
- मुबल्लिग़ के गुण,इस्लामी प्रचारक को विनम्र (मुतवाज़े) और संतुलित (मुतवाजन) होना चाहिए,वह समकालीन चुनौतियों और समस्याओं से परिचित हो,लोगों तक उसकी पहुँच आसान हो।अपने वक्तव्य को क़ुरआन और हदीस के प्रमाणों से सुसज्जित करे।
- धर्मों के बीच समन्वय,मौलाना ने बताया कि मौलाए कायनात हज़रत अली अ.स ने अपनी पैदाइश के तीन दिन बाद ही रसूल-ए-अकरम स.अ.व की गोद में तमाम आसमानी किताबों की तिलावत करके धर्मों के बीच संवाद की नींव रखी।
- फ़िक़्ह इस्लामी कानून का महत्व,उन्होंने उल्लेख किया कि भारत में शहीद सालेस (तीसरे शहीद) ने फ़िक़्ह-ए-इमामिया के आधार पर फ़ैसले सुनाए और अपनी विद्वता का प्रमाण दिया।
4.मौलाना ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में एकता इत्तेहाद बेन-उल-मुस्लिमीन आवश्यक है।मोमिनों के बीच एकता (इत्तेहाद बेन-उल-मोमिनीन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मौलाना के अंत में दुआ-ए-इमाम-ए-ज़माना (अ) पढ़ी गई और दुआ के साथ समारोह का समापन हुआ अंत में, नज़र-ए-मौला अ.स. के साथ सभी मेहमानों की सेवा की गई कार्यक्रम के अंत में मौलाना मिर्ज़ा ज़हीन नजफी जो अशूरा फाउंडेशन के प्रमुख हैं ने सभी मेहमानों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।
ग़ाज़ा में शहीदों की संख्या 46 हज़ार के करीब पहुँच गई
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज दोपहर सोमवार को घोषणा की है इज़रायली सेना के ग़ाज़ा पर हमले लगातार जारी हैं और पिछले 24 घंटों के दौरान दर्जनों फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार , ग़ाज़ा की स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज दोपहर सोमवार को घोषणा किया हैं इज़रायली सेना के ग़ज़ा पर हमले लगातार जारी हैं और पिछले 24 घंटों के दौरान दर्जनों फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।
ग़ाज़ा की स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इज़रायली सेना ने एक सभा पर हमला कर पिछले 24 घंटों में 48 फ़िलिस्तीनियों को शहीद और 75 को घायल कर दिया है।
यह सूचना फ़िलिस्तीन के कब्जे वाले क्षेत्रों में चल रही जंग के 458वें दिन जारी की गई है इसके अनुसार ग़ज़ा में शहीदों की कुल संख्या 45,854 तक पहुँच चुकी है जबकि घायलों की संख्या 1,09,139 हो गई है।
मंत्रालय ने कहा है कि अब भी बड़ी संख्या में शहीद मलबे के नीचे दबे हुए हैं लेकिन युद्ध की स्थिति के कारण राहतकर्मियों को मलबा हटाने और शहीदों को बाहर निकालने का मौका नहीं मिल रहा।
ग़ाज़ा की पट्टी पिछले साल अक्टूबर के मध्य से इज़रायली सेना की भारी बमबारी का शिकार है, और इस्राइली सरकार ने इस क्षेत्र को कड़े घेरे में ले रखा है।
ग़ज़ा के लोग अपने तबाह घरों के कारण टेंटों में शरण लेने पर मजबूर हैं, जबकि कुछ लोग स्कूलों में रह रहे हैं। हालांकि, ये टेंट और स्कूल भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि इज़रायली सेना अक्सर प्रतिरोधी तत्वों की मौजूदगी का बहाना बनाकर उन पर हमले करती रहती है।
मानवाधिकार संगठनों ने कई बयानों में कहा है कि ग़ज़ा के लोगों को खाने और दवाओं की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन संगठनों ने इज़रायल से अपील की है कि ग़ज़ा में राहत सामग्री ले जाने वाले अधिक ट्रकों को प्रवेश की अनुमति दी जाए।
गत वर्ष इमाम रज़ा (अ) के हरम के विदेशी आगंतुकों को प्रदान की गई सेवाओ पर एक रिपोर्ट
हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) का नूरानी और मलाकूती हरम उन सभी तीर्थयात्रियों के लिए एक महान शरण स्थल है जो इस हरम की ज़ियारत के लिए दुनिया भर से आते हैं।
इमाम रज़ा (अ) के तीर्थयात्री दूर व दराज़ के क्षेत्रो और विभिन्न देशों से आते हैं। इन तीर्थयात्रियों को विभिन्न और विविध सेवाएं प्रदान करता है नीचे सौर वर्ष 1403 की शुरुआत से लेकर आज तक विदेशी आगंतुकों को प्रदान की गई सेवाओं की एक संक्षिप्त रिपोर्ट दी गई है।
रमज़ान के पवित्र महीने के लिए विशेष कार्यक्रम
चूँकि नए साल के दिन और ईद नौरोज़ रमज़ान के पवित्र महीने में आते हैं, इसलिए विदेशी तीर्थयात्रियों के कार्यालय ने "हिल हिलालक" जैसे इस पवित्र महीने के लिए उपयुक्त पारंपरिक कार्यक्रमों के साथ नए साल की शुरुआत की, यह पारंपरिक कार्यक्रम पवित्र महीने का पहला है रमज़ान की रात इमाम खुमैनी (र) हॉल में आयोजित की गई, जिसमें बारह देशों के चालीस बच्चों और युवाओं ने भाग लिया।
शब ए क़द्र के अवसर पर, इमाम रज़ा (अ) के हरम के दार अल-मरहमा, दार अल-रहमा और ग़दीर में अरब, आज़ेरी और उर्दू भाषा के तीर्थयात्रियों के लिए एक दुआ का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था। विश्व कुद्स दिवस पर तूहान अल एहरार शीर्षक के तहत एक कांफ्रेंस आयोजित की गई , जिसमें "फतेह इश्क" शीर्षक के तहत विभिन्न भाषाओ मे तराने पढ़े गए।
यौवन समारोह का आयोजन
विदेशी आगंतुक कार्यालय के प्रशासन द्वारा विदेशी आगंतुकों को प्रदान की जाने वाली एक अन्य सेवा उन लड़कों और लड़कियों के लिए जशन-ए-बुलुग़त शीर्षक के तहत समारोहों का आयोजन करना है, जो सिन्ने तकलीफ तक पहुंच चुके हैं, जिसमें उन्हें धार्मिक और शरिया मुद्दों के बारे में जानकारी दी जाती है।
तदनुसार, मई 2024 में, सीरिया, बहरीन और इराक के 26 अरबी भाषी बच्चों के लिए जशन ए बुलुगत आयोजित किया गया था, और इसी तरह, अप्रैल 2024 में, हरम इमाम को लड़कियों के लिए सबसे बड़े उत्सव का नाम दिया गया था। इस्लामी दुनिया में यह समारोह इमाम रज़ा (अ) के हरम में आयोजित किया गया था और दिसंबर 2024 में, 22 अरबी भाषी लड़कियों ने रावक मिल में अपने वयस्क होने का जश्न मनाया, ये लड़कियाँ इराक, सीरिया, लेबनान और बहरीन से थीं।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो लड़के और लड़कियाँ नमाज और इबादत करने के लिए बाध्य हो गए थे, उन्हें वयस्क होने के समय विभिन्न सांस्कृतिक उपहार जैसे नमाज़ की चादर, जा नमाज (मुसल्ला) और तस्बीह आदि दिए जाते है।
करामत की दस रात पर कार्यक्रमों का आयोजन
हज़रत फातिमा मासूमा (स) और हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) के जन्म की दस रातो के दौरान, इस्लामी देशों से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री इमाम रज़ा (अ) की दरगाह पर आते हैं। विदेशी आगंतुक प्रशासन इनके लिए विशेष स्वागत समारोह आयोजित करता है विशेष आयोजनों के आयोजन के साथ-साथ आगंतुक।
पिछले साल, इशरा करामत के विशेष समारोह "अशरा ए करामत" के शीर्षक के तहत आयोजित किए गए थे, उनमें हज़रत मासूमा (अ) और हज़रत इमाम रज़ा (अ) सहित उर्दू भाषी महिलाओं के लिए विशेष उत्सव कार्यक्रम आयोजित किए गए थे ग़दीर में, अज़ेरी भाषा के तीर्थयात्रियों के लिए विशेष कार्यक्रम रावक दार-उल-रहमा में आयोजित किए गए थे, और अरबी भाषा के तीर्थयात्रियों के लिए विशेष कार्यक्रम, जिसमें पाठ और शाम की कविता शामिल थी, रावक दार-उल-रहमा में आयोजित किए गए थे और इसके अलावा, ग़दीर प्रांगण में सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं और इन धन्य दिनों पर रिज़वी आशीर्वाद उपहार भी पेश किए गए।
विभिन्न अवसरों पर विदेशी आगंतुकों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करना
उर्दू भाषा के तीर्थयात्रियों के लिए सेवा के शहीदों की स्मृति में एक समारोह का आयोजन, "शोहदा ए दर ग़ुरबत" शीर्षक के तहत आयोजित 9वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का आयोजन, कुद्स शरीफ के विचारों के प्रतिरोध और समर्थन की अकादमिक सम्मेलन की समीक्षा, उर्दू भाषा का आयोजन इमाम जवाद (अ) की शहादत के अवसर पर तीर्थयात्रियों के लिए शोक समारोह, 22 नवविवाहित जोड़ों के लिए एक समारोह और मेडागास्कर, भारत, सीरिया, इंग्लैंड, इराक, अमेरिका और 25 विदेशी जोड़ों के लिए एक विवाह समारोह का आयोजन यह फ़्रांस से था, यह कार्यक्रम अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) और हज़रत फातिमा ज़हरा (स) की शादी की सालगिरह के अवसर पर आयोजित किया गया था, ईद के अवसर पर अराफा प्रार्थना के अवसर पर एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था अल-ग़दीर। "इस्लाम की दुनिया की लड़कियों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन" अज़ेरी, अरबी और उर्दू भाषी तीर्थयात्रियों के लिए इमाम रज़ा श्राइन के विदेशी आगंतुक कार्यालय द्वारा आयोजित कुछ कार्यक्रम हैं।
मुहर्रम और सफ़र अल-मुजफ्फर के दिनों में, हज़रत सय्यद अल-शाहेदा इमाम हुसैन (अ) की मजलिसे करना भी इमाम रज़ा (अ) तीर्थ के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल है।