
رضوی
इटली ओर स्पेन ने कीव मे अपना दूतावास बंद किया
रूस के खिलाफ यूक्रेन को अमेरिका के हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति देकर बाइडन ने विश्व को एक नए खतरे मे डाल दिया है । यूक्रेन अगर ऐसा दुस्साहस करता है तो रूस का पलटवार बहुत जबरदस्त होगा और इसी डर अमेरिका ने कीव से अपना दूतावास खाली कर दिया जिसके बाद यूरोप के कई देशों ने कीव मे अपना दूतावास बंद करना शुरू कर दिया है । तनाव के बीच अमेरिका ने यूक्रेन की राजधानी कीव में बुधवार को अपनी एम्बेसी बंद कर दी है। इसके अलावा इटली, ग्रीस और स्पेन ने भी एक दिन के लिए कीव दूतावास बंद रखने का फैसला किया है।
हम सभी मामलों में मराजय की राय को ध्यान में रखते हैं।सहायक राष्ट्रपति ईरान
ईरान के राष्ट्रपति के सहायक संसदीय मामलों ने हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी से क़ुम में मुलाकात की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के राष्ट्रपति के सहायक संसदीय मामलों शहराम दबीरी ने हज़रत आयतुल्लाह सुबहानी से मुकद्दस क़ुम में मुलाकात की है।
इस मरजए तक़लीद ने इस मुलाकात के दौरान कहा,संसद में पास होने वाले क़ानूनों की पूरी निगरानी की जानी चाहिए ताकि उनमें इस्लाम और मुसलमानों की भलाई को प्राथमिकता दी जा सके और उनका ख्याल रखा जा सके।
ईरान के राष्ट्रपति के सहायक संसदीय मामलों ने इस अवसर पर सरकार की कार्रवाइयों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा,मराजे ए अज़ाम हमेशा जनता देश और धर्म की भलाई चाहते हैं।
हम सभी मामलों में उनकी राय को ध्यान में रखते हैं और कभी भी उनकी नीतियों के खिलाफ कदम नहीं उठाएंगे।
हज़रत फातिमा ज़हेरा ने आखिर तक इमामत और विलायत का बचाव किया।
अंजमने शरई शीयान ए जम्मू व कश्मीर के सहयोग से अय्यामे फातिमिया की मुनासिबत से विभिन्न स्थानों पर मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया जिसमें सबसे बड़ी मजलिस-ए-अज़ा केंद्रीय इमाम बारगाह आयतुल्लाह आगा सैयद यूसुफ़ शाह र.ह. में आयोजित हुई।
एक रिपोर्ट के अनुसार,अंजमने शरई शीयान ए जम्मू व कश्मीर के सहयोग से अय्यामे फातिमिया की मुनासिबत से विभिन्न स्थानों पर मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया जिसमें सबसे बड़ी मजलिस-ए-अज़ा केंद्रीय इमाम बारगाह आयतुल्लाह आगा सैयद यूसुफ़ शाह र.ह. में आयोजित हुई।
मजलिस-ए-अज़ा में वादी-ए-कश्मीर से अज़ादारों ने शिरकत की और शहजादी-ए-कौनीन हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा को ख़राज-ए-अक़ीदत पेश किया।
मजलिस-ए-अज़ा की सदारत इस्लामिक स्कॉलर हुज्जतुल इस्लाम आगा सैयद मुहम्मद हादी मुसवी सफ़वी ने की।सैयद हादी ने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा ने आख़िर तक इमामत और विलायत का बचाव किया।
आगा सैयद मुहम्मद हादी मुसवी सफ़वी ने जनाब फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा की दीनी और सियासी शख्सियत पर तफ़सील से रोशनी डाली।
उन्होंने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा उम्मुल अबिहा, हर इंसान के लिए नमूना-ए-अमल हैं।
आगा साहिब ने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा वो शख्सियत हैं जिनकी हयात-ए-तैयबा को जानने के लिए दुनिया में रहने वाले हर ज़ी-शुअूर इंसान तश्ना हैं।
आगा सैयद हादी मुसवी साहिब ने और कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा पहली मदीफा-ए-इमामत और विलायत हैं और ज़िंदगी की आखिरी सांस तक इमामत का बचाव करती रहीं।
उन्होंने यह बयान करते हुए कि हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा हक और सच्चाई की तस्वीर हैं, कहा कि इस बात की वाजेह दलील, मस्जिद-ए-नबवी में उनका हक का तलब करना है।
रूस ने किया परमाणु नीति में बदलाव, अमेरिकी शरारत यूरोप को महंगी पड़ेगी
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने बाइडन के हालिया फैसले के खिलाफ कड़ा क़दम उठाते हुए ऐसे क़ानून को मंज़ूरी दी है जो यूरोप के लिए मुसीबत बन सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में यूक्रेन को रूस के खिलाफ अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल के लिए फ्री हैंड दिया था, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो पुतिन जवाब में जो क़दम उठाएंगे वह बहुत खतरनाक होगा।
पुतिन ने नियम पास किया है कि अगर रूस की धरती पर अमेरिकी मिसाइल गिरी, या मिसाइल हमले के साथ-साथ ड्रोन या दूसरे एयरक्राफ्ट के माध्यम से भी अटैक हुआ और यह हमला किसी गठबंधन के सदस्य देश की ओर से होता है तो मॉस्को इस आक्रमण को पूरे गठबंधन की ओर से किया गया हमला मानेगा। यानी अगर अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ होता है तो रूस इसके लिए पूरे NATO गठबंधन को जिम्मेदार मानेगा।
रूस के इस नए न्यूक्लियर सिद्धांत के अनुसार, अगर किसी न्यूक्लियर ताकत वाले देश की मदद से रूस की जमीन पर कन्वेंशनल मिसाइल हमला होता है तो वह ऐसी स्थिति में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए स्वतंत्र होगा।
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े होना सभी मुसलमानों पर फ़र्ज़
आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने क़ुम अलमुकद्देस में ईरान के राष्ट्रपति के संसदीय मामलों के सहायक शहराम दबीरी से मुलाकात की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने क़ुम अलमुकद्देस में ईरान के राष्ट्रपति के संसदीय मामलों के सहायक शहराम दबीरी से मुलाकात की है।
इस मुलाकात के दौरान उन्होंने ग़ासिब इज़राईली हुकूमत के अपराधों की ओर इशारा करते हुए कहा,हर दिन विभिन्न समाचार एजेंसियों के माध्यम से बड़ी संख्या में मज़लूम मुसलमानों की शहादत की दुखद ख़बरें सुनने को मिलती हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने कहा, इस्लामी शिक्षाओं और क़ुरानी नज़रिए के अनुसार यदि दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी मुसलमान का ख़ून नाहक़ बहाया जाता है तो इसके बारे में सभी मुसलमान ज़िम्मेदार हैं और इस ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े होना उन पर फ़र्ज़ है।
ईरान की ओर से इस्राईल को तीसरा जवाब दिया जायेगा?
विदेशमंत्री ने ईरान पर ज़ायोनी सरकार के हालिया हमले की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान जवाब देने के अपने अधिकार से पीछे नहीं हटा नहीं है और वह उचित समय पर और उचित तरीक़े से इस हमले का जवाब देगा।
सैय्यद अब्बास इराक़ची ने ईरान की इस्लामी फ़ोर्स सिपाहे पासदारान के कमांडरों व कर्मचारियों के मध्य बोलते हुए कहा कि ईरान ने आधिकारिक रूप से विश्व समुदाय में एलान कर दिया है कि ईरान पर ज़ायोनी सरकार का हालिया हमला नया हमला व अतिक्रमण है और वह प्रतिक्रिया और जवाब का पात्र है।
विदेशमंत्री इराक़ची ने इसी प्रकार (वादे सादिक़ 3) अर्थात सच्चा वादा 3 नामक हमले के समय के बारे में कहा कि गत 12 महीनों के दौरान ईरान ने बहुत होशियारी व समझदारी से काम लिया है और उसका निर्णय एहसासी और उतावला नहीं होता है और वादये सादिक़ 3 के संबंध में भी यही होगा।
ईरान के विदेशमंत्री ने कहा कि जो चीज़ जंग को रोकेगी वह जंग के लिए तत्परता व तैयारी है और जो दुश्मन धमकी देते हैं वे सामने वाले पक्ष की ओर से कमज़ोरी की प्रतीक्षा में होते हैं कि अगर कमज़ोरी देखते हैं तो वे अपना कार्य अंजाम देते हैं। तो जंग की हालत में मज़बूती से डट जाना बहुत महत्वपूर्ण है।
इसी प्रकार ईरान के विदेशमंत्री ने कहा कि रणक्षेत्र और डिप्लोमेसी में समानता है और दोनों एक हैं और दोनों एक से अलग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि डिप्लोमेसी का आधार शक्ति होती है और वह उसी के हिसाब से काम करती है और अगर शक्ति व ताक़त न हो तो डिप्लोमेसी से कुछ नहीं हो सकती।
विशेषज्ञों के कथनानुसार इस्लामी गणतंत्र ईरान ने हालिया महीनों में " वादये सादिक़ 1" और "वादये सादिक़ 2"नामक कार्यवाही करके साबित कर दिया कि ईरान अतिक्रमणकारियों को जवाब देने और अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा में गम्भीर हैं और क्षेत्र में ईरान की प्रतिरोधक शक्ति व नीति ने ज़ायोनी सरकार और तेलअवीव के पश्चिमी समर्थकों के तनाव उत्पन्न करने वाले रवइये को रोकने में बहुत प्रभावी है।
इज़राइल शासन के अत्याचारों पर चुप रहना हराम
मजलिस ए ख़बरगाने रहबरी के सदस्य और नायब सदर मुदरिसीन ए हौज़े इल्मिया कुम, आयतुल्लाह अब्बास काबी ने इज़राइल शासन के अपराधों के खिलाफ तमाशाई बने रहने को हराम करार देते हुए मजाहमती मोर्चे की समर्थन को धार्मिक फर्ज़ बताया और कहा कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिरोध का समर्थन करे।
एक रिपोर्ट के अनुसार,मजलिस ए ख़बरगाने रहबरी के सदस्य और नायब सदर मुदरिसीन ए हौज़े इल्मिया कुम, आयतुल्लाह अब्बास काबी ने इज़राइल शासन के अपराधों के खिलाफ तमाशाई बने रहने को हराम करार देते हुए मजाहमती मोर्चे की समर्थन को धार्मिक फर्ज़ बताया और कहा कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिरोध का समर्थन करे।
आयतुल्लाह काबी ने कहा कि इस्लाम की वास्तविक प्रगति और उन्नति के लिए मजाहमत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसकी नींव इस्लामी क्रांति और नबी-ए-करीम स.ल. की क्रांति में मौजूद है।
उन्होंने आगे कहा कि नबी-ए-अकरम (स.) ने शुरुआती दिनों में प्रतिरोध की बुनियाद पर एक मजबूत इस्लामी समाज का निर्माण किया यही प्रतिरोध की भावना इस्लामी क्रांति-ए-ईरान के माध्यम से फिर से उभरी और आज यह सिय्योनिस्ट शासन के खिलाफ प्रतिरोध के रूप में जारी है।
आयतुल्लाह काबी ने नबी ए करीम स.ल. के संघर्ष को तीन चरणों में विभाजित किया:
- पहला चरण: शुरुआती गुप्त दावत और इस्लाम की तब्लीग़।
- दूसरा चरण: मदीना में इस्लामी सरकार की स्थापना और उसका बचाव।
- तीसरा चरण: इस्लाम की वैश्विक विजय और धर्म का प्रचार।
उन्होंने कहा कि अगर प्रतिरोध न होता तो इस्लाम अपने दुश्मनों के सामने सफल नहीं होता आज इस्लामी क्रांति के बाद, प्रतिरोध का सबसे बड़ा मोर्चा ग़ज़ा और लेबनान हैं जहां इस्लामी मूल्यों के संरक्षण के लिए प्रतिरोध सक्रिय है।
आयतुल्लाह काबी ने कहा कि अत्याचारियों के खिलाफ संघर्ष के लिए शक्ति प्राप्त करना एक धार्मिक कर्तव्य है। यह शक्ति केवल सैन्य क्षेत्र में नहीं बल्कि आर्थिक, राजनीतिक और बौद्धिक क्षेत्रों में भी हासिल की जानी चाहिए, ताकि उम्मत-ए-मुस्लिम को एक मजबूत रक्षा प्रदान किया जा सके।
उन्होंने दाइश (ISIS) को इज़राइल की सुरक्षा के लिए एक योजना करार देते हुए कहा कि "तूफ़ान अल-अक़्सा" ने सभी अत्याचारी योजनाओं को विफल कर दिया है। इज़राईल शासन आज सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहा है और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।
आयतुल्लाह काबी ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में सिय्योनिस्ट अत्याचारों के खिलाफ चुप रहना शरई तौर पर हराम है। हर मुसलमान को अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिरोध के मोर्चे की मदद करनी चाहिए, चाहे वह आर्थिक सहायता हो, वैचारिक मार्गदर्शन हो, या दुश्मन के प्रचार का खंडन हो।
इस्लामी निज़ाम की स्थिरता का असली सरमाया शहीदों का ख़ून है।
खुरासान रिज़वी में नुमाइंदे वली ए फ़क़ीह ने कहा: इस्लामी इंक़लाब आइम्मा ए अतहार अ.स.के इंक़ेलाब का सिलसिला है शहीदों के परिवार इस निज़ाम और इस्लामी इंक़लाब की नेमतों का सबब हैं और हक़ीक़त में वही इस इंक़लाब के असली मालिक हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,ईरान के ख़ुरासान रिज़वी प्रांत में वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सैयद अहमद अलमुलहुदा ने मशहद में शहीदों की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, शहीदों के परिवार इस निज़ाम और इस्लामी इंक़लाब की नेमतों का कारण हैं और वास्तव में आप ही इस इंक़लाब के असली मालिक हैं।
उन्होंने कहा,शहीदों के परिवारों की भूमिका इंक़ेलाब की सफलता में तमाम राजनीतिक गुटों और समाज के विभिन्न वर्गों के मुक़ाबले में अधिक प्रभावशाली रही है।
इस्लामी इंक़ेलाब के दरख़्त को शहीदों के खून ने सींचा है जो इस दरख़्त की मज़बूती और स्थायित्व का कारण बना है।
ख़ुरासान रिज़वी में वली-ए-फ़क़ीह ने कहा, इंक़ेलाब और इस्लामी निज़ाम की स्थिरता और अस्तित्व का असली पूंजी शहीदों का खून है। इस्लामी गणराज्य की पवित्र हुकूमत का निज़ाम उसी ताक़तवर इंक़लाबी दरख़्त पर निर्भर है जो तब तक मज़बूत रहेगा जब तक शहीदों का खून इसकी बुनियाद में मौजूद है।
उन्होंने आगे कहा,जब किसी परिवार का सदस्य शहीद होता है तो उनके जाने से परिवार ग़मज़दा होता है लेकिन सबसे गहरा असर उसके बच्चों पर पड़ता है जो अपने पिता को खो देते हैं इसके बाद, शहीद की पत्नी अपने माता-पिता के मुक़ाबले में अधिक तकलीफ़ और ग़म झेलती है।
आयतुल्लाह अलमुलहुदा ने यह भी कहा,बेटे की शहादत का ग़म माता-पिता के लिए भी एक अटूट और दिल दहला देने वाला अनुभव होता है लेकिन इन लोगों के सब्र का जो इनाम अल्लाह के पास है, वह इन तमाम दुखों का मुआवज़ा और सबसे बेहतरीन सिला है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई का पैग़ाम, लेबनान की जनता के नाम
इस्लामिक क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह अली हुसैनी ख़ामेनेई ने लेबनान के लोगों के लिए एक मौखिक संदेश जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा कि हम आपसे अलग नहीं हैं, हम आपके साथ हैं। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने मशहूर नौहाख्वां मीसम मुतीई और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हाथों भेजे गए अपने सन्देश में लेबनान की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हम आपके दुःख, पीड़ा और दर्द में भागीदार हैं। आपका और हमारा दर्द एक है, आपका दुःख दर्द, हमारा दर्द है और हम आपसे अलग नहीं हैं।
बता दें कि विख्यात नौहाख्वां मीसम ईरान के अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ईरानी लोगों की ओर से जमा की गयी राहत सामग्री और आर्थिक सहायता लेकर लेबनान गए हैं।
अजमेर का ख़ादिम अब कहलाएगा अजयमेरु, राजस्थान सरकार ने आदेश जारी किया
राजस्थान सरकार ने दशकों से अजमेर शहर की पहचान रहे ख़ादिम का नाम बदलकर अजयमेरु करने का आदेश जारी किया है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दशकों से अजमेर की पहचान रहा राजस्थान सरकार का मशहूर होटल 'ख़ादिम' अब अजयमेरु हो गया गया, सरकार के आदेश के बाद इसका नाम बदल दिया गया है। अब 45 साल पुराने इस होटल को अजयमेरू के नाम से जाना जाएगा। राज्य की भजनलाल शर्मा की अगुआई वाली बीजेपी सरकार ने राजस्थान पर्यटन विभाग के इस सरकारी होटल का नाम बदलने के लिए आदेश जारी कर दिया है।
बता दें कि राजस्थान का यह शहर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए मशहूर है और 'खादिम' नाम इसी से जुड़ा है। दरगाह की देखरेख करने वाले लोगों और सेवकों को 'ख़ादिम' कहा जाता है।