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अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी
अगस्त वर्ष १९२५ की गर्मियों में उत्तर पूर्वी ईरान के तबरेज़ नगर में अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी का जन्म हुआ। उनके पिता ने किसी पाठशाला में शिक्षा प्राप्त नहीं की थी किंतु उनकी स्मरण शक्ति बहुत अधिक थी और वे नगर के बुद्धिजीवियों और उपदेशकों के उपदेशों को याद करके अन्य लोगों को सुनाते। वे नानवाई थे और रोटिया पकाते थे और किसी भी दशा में पवित्र हुए बिना आटे को हाथ नहीं लगाते थे। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी की माता भी सैदानी अर्थात पैगम्बरे इस्लाम की पुत्री हज़रत फातेमा ज़हरा के वंश से संबंध रखती थीं और कुरआने मजीद की तिलावत बड़े अच्छे ढंग से करती थीं। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने बचपन में कुरआन पढ़ना तथा आरंभिक शिक्षा अपनी माता से ही प्राप्त की यहां तक कि जब वे स्कूल में नाम लिखाने गये तो उनका नाम पहली के बजाए चौथी कक्षा में लिखा गया। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी अपनी विलक्षण बुद्धि व स्मरण शक्ति के साथ शिक्षा में व्यस्त थे किंतु उन्हें आर्थिक समस्याओं के कारण पढ़ाई छोड़कर काम काज में व्यस्त होना पड़ा किंतु पढ़ाई में भी उन्हें अत्याधिक रूचि थी इसी लिए अन्ततः उन्होंने निर्णय लिया कि आधे दिन काम करेंगे और आधे दिन पढ़ाई करेंगे।
दिवतीय विश्व युद्ध के अंतिम वर्षों में अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने अरबी व्याकरण की कुछ किताबें तथा तर्क व दर्शन शास्त्र की कुछ पुस्तकों को तबरेज़ के तालेबिया स्कूल में पढ़ा और १५ वर्ष की आयु में शिक्षा प्राप्ति के लिए उन्होंने तेहरान का रुख किया और तेहरान के मरवी नामक मदरसे में बड़े बड़े धर्मगुरुओं से शिक्षा प्राप्त करना आरंभ कर दी। इस मदरसे में उन्होंने उस काल के प्रसिद्ध गुरु मिर्ज़ा मेहदी आश्तियानी से दर्शन शास्त्र पढ़ा। मुहम्मद तकी जाफरी ने तेहरान में विभिन्न धर्मगुरुओं से विभिन्न विषयों की ३ वर्षों तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद पवित्र नगर क़ुम का रुख किया और कुम के दारूश्शफा नामक मदरसे में शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही, धर्मगुरुओं की विशेष पोशाक भी धारण कर ली। कुम में जब वे शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तो उस समय वहां अकाल पड़ा था जिसके कारण बड़ी कठिनाई से वे जीवन व्यतीत करते थे किंतु इन सब समस्याओं के बावजूद वे बड़ी तेज़ी के साथ शिक्षा के विभिन्न चरणों से आगे बढ़ते गये और अन्ततः इस्लामी नियमों की शिक्षा के अंतिम चरण तक पहुंच गये किंतु उनकी ज्ञान की प्यास थी कि बुझने का नाम नहीं ले रही थी इसी लिए वे धर्मगुरुओं और ज्ञान के केन्द्र के रूप में विख्यात इराक़ के नजफ नगर जाने का निर्णय लिया ताकि इमाम अली अलैहिस्सलाम के मज़ार के पास रह कर ज्ञान अर्जित करें।
नजफ में भी उन्हें बहुत सी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा किंतु ज्ञान में रूचि के कारण उन्होंने सभी समस्याओं का सहन किया और नजफ में भी उन्होंने विवाह कर लिया किंतु उसके बावजूद कठिनाइयों और समस्याओं ने उनका साथ नहीं छोड़ा। उनकी पत्नी कहती हैं गर्मियों में हम नजफ नगर में तहखाना किराए पर लेते थे तो अत्याधिक पुराने होते थे और उसमें सांप बिच्छु भी होते थे किंतु चूंकि गर्मी गुज़ारने के लिए हमारे पास अन्य कोई स्थान नहीं होता था इस लिए हमें विवश होकर इस प्रकार की जगहों पर रहना पड़ता था।
अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी १५ वर्षों तक नजफ में रहे और इस दौरान उन्होंने मुहम्मद रज़ा तुनेकाबुनी, सैयद अब्दुल हादी शीराज़ी, सैयद अबुल क़ासिम खुई और सैयद मोहिसन हकीम जैसे विख्यात इस्लामी बुद्धिजीवियों से ज्ञान व शिक्षा प्राप्त की तथा स्वंय उन गुरुओं के सहारे ज्ञान के उच्च स्थान तक पहुंचे यहां तक कि नजफ में वे इस्लामी नियमों की उच्च शिक्षा देने लगे तथा अन्य कई विषयों में भी अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी से पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गयी।
अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने नजफ में आवास के दौरान, शिक्षा प्राप्ति और शिक्षा देने के अलावा बहुत सी किताबों का अध्ययन किया किंतु दर्शन शास्त्र से उनकी रूचि इस बात का कारण बनी कि वे अधिकतर इसी विषय पर लिखी जाने वाली पुस्तकों का अध्ययन करें और इस दौरान अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी पूरब व पश्चिम के दर्शनशास्त्रियों के विचारों से भलीभांति अवगत हुए। बाद में अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने कुछ पश्चिमी दर्शनशस्त्रियों के विचारों का विश्लेषण किया और पश्चिम के प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री व गणितज्ञ रसेल के साथ पत्रों द्वारा विचारों का आदान प्रदान किया। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध किताब इरतेबाते इन्सान व जहान अर्थात मनुष्य और विश्व के मध्य संबंध, का पहला भाग नजफ में ही लिखा। वे उसके बपद ईरान लौट आए और पवित्र नगर मशहद में शिक्षा देने के अलावा आयतुल्लाह मीलानी की सेवा से भी लाभ उठाया।
अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी के बारे में कहा जाता है कि वे नैतिकता की अत्याधिक प्रतिबद्धता करते थे। उदाहरण स्वरूप उनकी एक बेटी थीं जो ज्ञान व शिक्षा संबंधी क्षेत्र में उनकी सहयोगी समझी जाती थीं और घरेलू विषयों से लेकर शिक्षा दीक्षा तथा सम्मेलनों और किताबों के लिखने तक के मामलों में अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी की विशेष सलाहकार समझी जाती थीं । उनकी इस बेटी का ४० वर्ष की आयु में निधन हो गया। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी अपनी इस बेटी के निधन के बाद कहते हैं कि मैंने अपना मंत्री खो दिया। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी अपने इस बेटी को इतना अधिक चाहते थे किंतु इसके बावजूद इसी बेटी को दफ्न करने से पूर्व ही एक भाषण देने के लिए चले गये क्योंकि उस भाषण का कार्यक्रम निर्धारित था और बहुत से छात्र उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
वे अत्याधिक साधारण जीवन व्यतीत करते थे तथा अत्याधिक विनम्र और कृपालु थे। उनके विचारों से ज्ञान विज्ञान में रूचि रखने वालों की प्यास बुझती थी। दिखावे और बड़बोला पन का उनसे कोई संबंध नहीं था और वह इस प्रकार की सभी बुराइयों से कोसों दूर थे। धर्म परायणता तथा ईश्वरीय मूल्यों से उनकी प्रतिबद्धता अनुदाहरणीय थी। उनके एक शिष्य का कहना है कि अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी की जीवन शैली, आदर्श थी। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी उनकी बुद्धिजीवियों में समझे जाते हैं जिन्हें सासांरिक मोहमाया से मुक्ति के आंनद का ज्ञान था। उन्होंने परलोक के सुख के लिए इस लोक के सुखों का त्याग किया और कठिनाइयां सहन की और ज्ञान व सत्य की खोज में एक क्षण भी संकोच नहीं किया और न ही थक पर कभी बैठे और उनकी यही विशेषताएं इस बात का कारण बनीं कि ज्ञान व विज्ञान के क्षेत्र में उनका नाम सदा अमर रहे।
पहली बार पश्चिम से आकर अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी से उनके घर में साक्षात्कार लेने वाले का नाम प्रोफेसर रोज़ेन्टल है । उनका संबंध जर्मनी से था और युरोप में वे एक प्रतिष्ठित दर्शन शास्त्री समझे जाते थे। उस समय अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी तेहरान के एक साधारण से मोहल्ले में एक अत्यन्त जर्जर से घर में अपने परिवार के साथ रहते थे। उनके बहुत से मित्रों ने उनसे कहा कि विदेशी मेहमानों के आवागमन को देखते हुए उन्हें अपने घर के बड़े कमरे में एक कालीन बिछानी चाहिए किंतु अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने स्वीकार नहीं किया । कुल मिलाकर इस महान बुद्धिजीवी ने अपनी आयु के लगभग पचास वर्ष ज्ञान विज्ञान की सेवा में व्यतीत किये और १६ नवम्बर वर्ष १९९८ में रोग के कारण उनका स्वर्गवास हो गया और इस प्रकार से ज्ञान से संबंधित सभी लोगों ने एक महान ज्ञानी को गंवा दिया ।
अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने बहुत सी किताबें लिखी हैं जिनमें से कुछ का हम वर्णन कर रहे हैं। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने रसाइले फिक़ही नाम की एक किताब लिखी है जिसमें नमाज़ और रोज़े जैसी उपासनाओं और कर्तव्यों के नियमों का वर्णन है। इसी प्रकार इस्लाम और पश्चिम की दृष्टि में मानवाधिकार शीर्षक के अंतर्गत उनकी विख्यात पुस्तक है जिसका अग्रेज़ी भाषा में भी अनुवाद हो चुका है। इसी प्रकार जीवन के आदर्श और आदर्श जीवन के शीर्षक से भी उनकी किताब काफी विख्यात है। इसके अलावा उन्होंने सौन्दर्य और कला इस्लाम में, शीर्षक के अंर्तगत एक किताब लिखी है जिसे काफी ख्याति प्राप्त हुई। अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी ने दर्शन शास्त्र के विषय पर दो किताबें लिखी हैं। एक में उन्होंने डेविड ह्यूम के विचारों का विश्लेषण किया और उन पर टिप्पणी लिखी है तथा दूसरे किताब में रसेल के विचारों की समीक्षा की है। इसी प्रकार उन्होंने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के कथनों के प्रसिद्ध संकलन नहजुल बलागा की व्याख्या लिखी तथा फारसी साहित्य की प्रसिद्ध कविता, मसनविए मानवी की भी व्याख्या की । अल्लामा मुहम्मद तकी जाफरी को देश विदेश में विभिन्न सम्मेलनों में निमंत्रण दिया जाता और उनके ज्ञान से लाभ उठया जाता किंतु विशेषज्ञों के अनुसार उनकी सब से अधिक महत्वपूर्ण किताब, मनुष्य और संसार में संबंध है जो कई जिल्दों पर आधारित है और इस किताब में उन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की है।
रूस के साथ व्यापारिक समझौते पर यूक्रेन ने किए हस्ताक्षर
यूक्रेन में लाखों लोगों के विरोध प्रदर्शनों के बावजूद इस देश के राष्ट्रपति ने रूस के साथ व्यापारिक सहयोग के नए समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर ने रूसी अधिकारियों के साथ औद्योगिक एवं व्यापाक समझौतों पर हस्ताक्षर करके रूस से अपने व्यापक संबंध स्थापित कर लिए हैं। ज्ञात रहे कि यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ में लगभग एक महीने से लाखों प्रदर्शनकारी रूस के साथ व्यापारिक संबंधों के विरोध में और यूरोपीय संघ के साथ व्यापाक समझौता किए जाने के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि राष्ट्रपति अपने पद से त्यागपत्र दें। इस राजनैतिक संकट के बारे में विक्षप से सरकार की वार्ता विफल हो चुकी है।
इराक़ः पकड़े गए ईरानी इंजीनियरों के हत्यारे
इराक़ के प्रधानमंत्री नूरी मालेकी ने कहा है कि सुरक्षा बलों ने उन आतंकवादियों को धर दबोचा है जिन्होंने इराक़ में गैस परियोजना पर काम करने वाले ईरानी व इराक़ी इंजीनियरों की हत्या की थी।
मंगलवार को बग़दाद में ईरान के विदेश उपमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से मुलाक़ात में प्रधानमंत्री नूरी मालेकी ने कहा कि हम आतंकवादियों को इराक़ के आर्थिक एवं मूल प्रतिष्ठानों से संबंधित विकास को बाधित करने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने ईरान के साथ अपने देश के द्विपक्षीय संबंधों के और अधिक विस्तार पर बल दिया और कहा कि मध्यपूर्व में शांति की स्थापना के लिए क्षेत्रीय देशों का सामूहिक प्रयास आवश्यक है। मुलाक़ात में ईरान के विदेश उपमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि इराक़ के साथ ईरान के रणनैतिक संबंध जारी रहेंगे।
ज्ञात रहे कि गत 13 दिसम्बर को इराक़ के बलदरूज़ नगर के निकट चरमपंथियों ने हमला किया था जिसमें 15 ईरानी और 3 इराक़ी इंजीनिया मारे गए जबकि पांच ईरानी और तीन इराक़ी इंजीनियर घयल हो गए।
हवाई आक्रमण रूकने की स्थिति में समझौता संभवः करज़ई
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कहा है कि उनका देश तबतक अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता नहीं करेगा जब तक वह हवाई हमले नहीं रोकता। करज़ई ने संवाददाताओं से कहा कि हम यह मानते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में घरों की सुरक्षा और शांति प्रक्रिया की शुरूआत निश्चित तौर पर पूर्व शर्तों में से है। उन्होंने कहा कि काबुल उस समय तक वाशिग्टन के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता नहीं करेगा जब तक वह हवाई हमले करना और घरों पर छापे मारना नहीं रोकता। हामिद करज़ई ने यह भी कहा कि तालिबान के साथ विलंबित शांति प्रक्रिया शुरू करने में भी जबतक अमरीका मदद नहीं करता उस समय तक समझौते पर हस्ताक्षर संभव नहीं हैं। अमेरिका से अपनी स्थिति पर फिर से विचार करने को कहते हुए अपनी भारत यात्रा के दौरान करज़ई ने कहा कि भारत भी इस बात को समझता है कि अफ़ग़ानिस्तान उस समझौते पर दस्तखत करने को लेकर बहुत सतर्क क्यों है जिससे अगले साल विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी का प्रारूप तैयार होगा।
अफ़ग़ानिस्तान पर अमरीकी ड्रोन, आक्रमण सत्ताईस हताहत
दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान पर होने वाले अमरीका के ड्रोन आक्रमण में कम से कम सत्ताईस लोग हताहत और कई अन्य घायल हो गए।
प्रेस टीवी के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी ड्रोन हमले ऐसी स्थिति में जारी हैं कि अफ़ग़ान सरकार और जनता ने बारंबार इन हमलों को बंद किए जाने की मांग है क्योंकि इनमें अधिकतर आम नागरिक मारे जाते हैं। अमरीका यह दावा करता है कि यह आक्रमण, तालेबान और अलक़ाएदा के चरमपंथियों विरुद्ध किए जाते हैं। अमरीका की ओर से अफ़ग़ानिस्तान के वरदक, कुनड़, नूरिस्तान और ज़ाबुल जैसे विभिन्न क्षेत्रों के आवासीय स्थानों पर हमले किए जाते रहे हैं। दूसरी ओर अफ़ग़ानिस्तान के हिलमंद प्रांत में एक पुलिस चौकी पर तालेबान गुट के हमले में एक व्यक्ति मारा गया और तीन अन्य घायल हो गए। उधर नैटो ने एक बयान जारी करके कहा है कि दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में उसका एक सैनिक मारा गया है। नैटो ने अपने इस बयान में सैनिक की नागरिकता की ओर संकेत नहीं किया है किंतु दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में अधिक तर अंग्रेज़ सैनिक तैनात हैं।
इमाम मूसा सद्र केस की तहक़ीक़ात ज़रूरी।
इस्लामी रिपब्लिक ईरान के विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ नें कहा है कि इमाम मूसा सद्र की स्थिति का पता लगाने के लिये एक विशेष प्रतिनिधि की नियुक्ति ज़रूरी है। मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ नें आज तेहरान में इमाम मूसा सद्र के घर वालों से मुलाक़ात करते हुए यह बात कही। इस मुलाक़ात में इमाम मूसा सद्र के घर वालों नें इमाम मूसा सद्र के बारे में किये जाने वाले प्रयासों की रिपोर्ट पेश की।
मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ नें कहा कि इमाम मूसा सद्र के बारे में विदेश मंत्रालय भी अपनी कोशिशे कर रहा है और इस मामले के अन्त तक पहुँचने के लिये एक प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाएगी।
स्पष्ट रहे कि लेबनान में शिया मुसलमानों के प्रिय नेता इमाम मूसा सद्र 1978 में लीबिया गए थे जिसके बाद उनका कोई पता नहीं चल सका। इमाम मूसा सद्र लीबिया के पूर्व डिक्टेटर की दावत पर लीबिया गए थे।
सांस्कृति आक्रमण से मुक़ाबले पर वरिष्ठ नेता का बल
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सांस्कृतिक आक्रमण के मुक़ाबले के लिए गंभीर प्रयासों पर बल दिया है।
आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने आज ईरान की सांस्कृतिक परिषद के प्रमुख और सदस्यों को संबोधित करते हुए ईरानी राष्ट्र के विचारों और दृष्टिकोणों को निर्धारित लक्ष्य के अंतर्गत प्रभावित करने वाली इन्टरनेट पर मौजूद सैकड़ों आडियो और विडियो तथा विभिन्न सामग्रियों से मुक़ाबले के लिए गंभीर प्रयासों को सांस्कृतिक आक्रमण के विरुद्ध तत्वदर्शी क़दम बताया। उन्होंने सांस्कृतिक व मार्गदर्शन मंत्रालय और ईरान की टीवी संस्था को सांस्कृतिक आक्रमण पर मुक़ाबले पर बल दिया और कहा कि पुस्तकों का लिखना, प्रकाशन, अनुवाद और उत्पादन की उच्च क्षमताओं को प्रयोग करते हुए रोचक फ़िल्मों, लाभदायक कमप्यूटर गेमस, मंनोरंजन की वस्तुओं व खिलौना के उत्पादन के लिए व्यवहारिक कार्यवाही किये जाएं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सांस्कृतिक आक्रमण के नवीन तत्वों की पहचान, उनके ईरान में प्रविष्ट होने से पूर्व आवश्यक है और आक्रमणकारी संस्कृति व सभ्यता के सामने रक्षात्मक व्यवहार अपनाना सबसे अधिक बुरा और हानिकारक है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विश्वविद्यालयों और शोध केन्द्रों में वैज्ञानिक क्षेत्रों में निरंतर प्रगति पर बल देते हुए कहा कि हम कर सकते हैं नामक वास्तविकता ईरानी युवाओं की आत्मा में निहित है और यह एक ऐसी वास्तविकता है जिसे वैज्ञानिक चोटियों पर पहुंचने, मुख्य स्रोतों की ओर पलटने और नवीन इस्लामी सभ्यता की प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि विश्व विद्यालयों को किसी भी क़ीमत पर राजनैतिक हथकंडों का केन्द्र नहीं बनना चाहिए क्योंकि इससे वैज्ञानिक प्रगति में रुकावट उत्पन्न होती है।
वरिष्ठ नेता ने फ़ारसी भाषा से निश्चेतना और इस भाषा के विरुद्ध षड्यंत्रों और आक्रमणों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च सांस्कृतिक परिषद को फ़ारसी जैसी सूक्ष्म और सुन्दर भाषा को कमज़ोर बनाने और उसके विरुद्ध किए जाने वाले प्रयासों का बुद्धिमत्तापूर्ण मुक़ाबला करने के साथ उसके प्रसार और उसकी सुदृढ़ता के गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उच्च सांस्कृतिक परिषद को प्रतिदिन के मामले जैसे तलाक़, वित्तीय भ्रष्टाचार और अपराधों के मूल कारणों और उनके हल के लिए भी ध्यान देना चाहिए।
गैस पाइपलाइन परियोजना पर तेज़ी से काम करेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान ने कहा है कि वह पड़ोसी देश ईरान से गैस के आयात के लिए पाइपलाइन बिछाने की परियोजना पर तेज़ी से काम करेगा।
मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से जारी होने वाले बयान में कहा गया कि पाकिस्तान और ईरान के पेट्रोलियम मंत्रियों ने सोमवार को तेहरान में एक मुलाक़ात में गैस पाइपलाइन परियोजना पर बातचीत की है जो विलंब का शिकार है। बयान के अनुसार दोनों देशों ने इस परियोजना पर तेज़ी से काम करने का निर्णय किया है और इससे संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के विशेषज्ञ शीघ्र ही मुलाक़ात करने वाले हैं।
गैस पाइपलाइन परियोजना के तहत पाकिस्तान को अपनी सीमा के भीतर पाइपलाइन बिछाने का काम दिसम्बर 2014 तक पूरा कर लेना है किंतु इसमें कई बार विलंब हो चुका है। यदि पाकिस्तान निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने हिस्से की पाइपलाइन बिछाने में असमर्थ रहता है तो उसे जुर्माना अदा करना होगा जो प्रतिदिन लाखों डालर की रक़म है। पाकिस्तान को अपनी सीमा के भीतर 780 किलोमीटर पाइपलाइन बिछानी है ईरान अपने हिस्से की पाइपलाइन बहुत पहले बिछा चुका है।
हिंसक ज़ायोनियों के हाथों इस्लाम का अपमान।
फ़िलिस्तीन में हिंसक ज़ायोनियों नें एक बार फिर मुसलमानों और उनके धर्म यानी इस्लाम का अपमान किया है। अरबी सूत्रों के हवाले से मिली रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनियों नें उत्तरी फ़िलिस्तीन में मुसलमानों के दिलों को चोट पहुँचाने के उद्देश्य से बाबुल में मस्जिद की दीवारों पर इस्लाम के अपमान वाले नारे लिखे हैं।
इन ज़ायोनियों नें इसी तरह मस्जिद के पास खड़ी कई गाड़ियों को नुक़सान भी पहुँचाया है। उल्लेखनीय है कि ज़ायोनियों के हाथों क़ब्ज़ा किये गए फ़िलिस्तीन और विशेष रूप से जार्डन के पश्चिमी किनारे में हिंसक ज़ायोनियों के हाथों इस्लाम का अपमान होता रहता है और यह ज़ायोनी फ़िलिस्तीनियों को हिंसा का शिकार भी बनाते रहते हैं।
जेनेवा सम्मेलन में ईरान की उपस्थिति आवश्यक
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीरिया संकट पर आयोजित होने जा रहे जेनेवा-2 सम्मेलन में ईरान की उपस्थिति आवश्यक है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि मास्को का मानना है कि क्षेत्र के प्रभावशाली देशों को जिनमें ईरान शामिल है, जेनेवा-2 अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का न्योता दिया जाना चाहिए।
ज्ञात रहे कि गत 25 नवम्बर को संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने घोषणा की थी कि जेनेवा-2 सम्मेलन 22 जनवरी 2014 को आयोजित होगा। गत 5 दिसम्बर को बान की मून ने कहा कि जेनेवा-2 सम्मेलन में ईरान की उपस्थिति आवश्यक है क्योंकि ईरान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।