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इमाम हुसैन (अ.स) के आंदोलन के क्या उद्देश्य थे ?
हज़रत इमाम हुसैन (अस) ने सन् (61) हिजरी में यज़ीद के विरूद्ध आंदोलन किया। उन्होने अपने आंदोलन के उद्देश्यों को इस तरह बयान किया है किः
1. जब हुकूमती यातनाओं से तंग आकर हज़रत इमाम हुसैन (अस) मदीना छोड़ने पर मजबूर हुये तो उन्होने अपने आंदोलन के उद्देश्यों को इस तरह स्पष्ट किया। कि मैं अपने व्यक्तित्व को चमकाने या सुखमय ज़िंदगी बिताने या फ़साद करने के लिए आंदोलन नहीं कर रहा हूँ। बल्कि मैं केवल अपने नाना (पैगम्बरे इस्लाम स.अ.) की उम्मत में सुधार के लिये जा रहा हूँ। तथा मेरा मक़सद लोगों को अच्छाई की ओर बुलाना व बुराई से रोकना है। मैं अपने नाना पैगम्बर(स.) व अपने बाबा इमाम अली (अस) की सुन्नत पर चलूँगा।
2. एक दूसरे अवसर पर आपने कहा कि ऐ अल्लाह तू जानता है कि हम ने जो कुछ किया वह हुकूमत से दुश्मनी या दुनियावी मोहमाया के लिये नहीं किया। बल्कि हमारा उद्देश्य यह है कि तेरे दीन की निशानियों को यथा स्थान पर पहुँचाए। तथा तेरे बंदों के बीच सुधार करें ताकि लोग अत्याचारियों से सुरक्षित रह कर तेरे दीन के सुन्नत व वाजिब आदेशों का पालन कर सके।
3. जब आप की मुलाक़ात हुर इब्ने यज़ीदे रिहायी की सेना से हुई तो, आपने कहा कि ऐ लोगो अगर तुम अल्लाह से डरते हो और हक़ को हक़दार के पास देखना चाहते हो तो यह काम अल्लाह को ख़ुश करने के लिए बहुत अच्छा है। ख़िलाफ़त पद के अन्य अत्याचारी दावेदारों के मुकाबले में हम अहलेबैत सबसे ज़्यादा अधिकार रखते हैं।
4. एक अन्य स्थान पर कहा कि हम अहलेबैत हुकूमत के लिये उन लोगों से ज़्यादा हक़दार हैं जो हुकूमत पर क़ब्ज़ा जमाए हैं। इन चार कथनों में जिन उद्देश्यों की और इशारा किया गया है वह इस तरह हैं,
1. इस्लामी समाज में सुधार।
2. लोगों को अच्छे काम की नसीहत।
3. लोगों को बुरे कामों के करने से रोकना।
4. हज़रत पैगम्बर(स.) और हज़रत इमाम अली (अस) की सुन्नत को किर्यान्वित करना।
5. समाज को शांति व सुरक्षा प्रदान करना।
6. अल्लाह के आदेशो के पालन के लिये रास्ता समतल बनाना।
यह सारे उद्देश्य उसी समय हासिल हो सकते हैं जब हुकूमत की बाग़डोर ख़ुद इमाम के हाथो में हो, जो इसके वास्तविक अधिकारी भी हैं। इसलिये इमाम ने ख़ुद कहा भी है कि हुकूमत हम अहलेबैत का अधिकार है न कि हुकूमत कर रहे उन लोगों का जो अत्याचारी हैं।
दीन क्या है ?
दीन अर्बी शब्द है जिस का मतलब आज्ञापालन परोतोषिक आदि बताया गया है लेकिन दीन या दीन की परिभाषा होती है इस सृष्टि के रचयता और उसके आदेशों पर विश्वास व उस के प्रति आस्था रखना इस आधार पर जो लोग किसी रचयता के वुजूद में विश्वास नहीं रखते और इस सृष्टि के वुजूद को संयोग का नतीजा मानते हैं
उन्हें बे दीन अर्थात नास्तिक कहा जाता है लेकिन जो लोग इस दुनिया को पैदा करने वाले को मानते हैं तो फिर भले ही उनके विश्वास उनकी आस्थाएं और उनके सिध्दान्तों में बहुत सी अनुचित बातें शामिल हों लेकिन उन्हें धार्मिक या आस्तिक कहा जाता है। इस तरह से इस दुनिया में मौजूद धर्मों को दो हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है हक़ अर्थात सत्य और बातिल अर्थात असत्य। इस आधार पर सच्चा दीन वही होता है जिस के सिद्धांत तार्किक और वास्तविकताओं से मेल खाते हों और जिन कामों को करने का आदेश दिया गया हो उस के लिए उचित व तार्किक प्रमाण मौजूद हों।
उसूल व फुरूए दीन
हम ने दीन की जो परिभाषा बताई है उस के बाद अब यह स्पष्ट हो जाता है दीन कम से कम दो हिस्सों पर आधारित है।
1. ईमान जो जड़ और आधारशिला का स्थान रखती है।
2. व्यवहारिक सिद्धांत अर्थात वह आदेश जिन का पालन उसी विशेष आस्था व विश्वास के अंर्तगत ज़रूरी होता है।
मत या आइडियालॉजी
आइडियालॉजी का एक मतलब है इंसान व दुनिया के बारे में कुछ विशेष तरह के विश्वास व मत और मामूहिक रूप से पूरी सृष्टि के बारे में समन्वित विचारों को आइडियालॉजी कहा जाता है। आइडियालॉजी का एक दूसरा मतलब, इंसानी व्यवहार के बारे में समन्वित विचारधाराएं भी है।
इस दो अर्थों के अनुसार हर दीन के मतों व आस्थाओं तथा उस दीन की विचारधारा और उसकी शिक्षाओं व सिध्दान्तों को आइडियालॉजी कहा जाता है लेकिन इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि आइडियालॉजी में आंशिक सिद्धांत शामिल नहीं होती इस तरह से विचारधारा में आंशिक आस्थाएं भी शामिल होती हैं। इस संदर्भ में आगे के पाठों में ज़्यादा ब्योरा दिया जाएगा।
इलाही व भौतिक विचारधाराएं
इंसान में विभिन्न तरह की विचारधाराएं पाई जाती हैं लेकिन भौतिक व अध्यात्मिक दृष्टि से उसे दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है अर्थात कुछ विचारधाराएं ऐसी होती हैं जिनमें इस भौतिक दुनिया से परे भी किसी भी लोक व दुनिया से वुजूद को स्वीकारा गया है जब कि कुछ विचारधाराएं ऐसी होती हैं जिन में केवल इसी दुनिया को सब कुछ समझा गया है इस तरह से दुनिया की समस्त विचारधाराएं दो तरह की होती हैं इलाही या आध्यात्मिक विचारधारा और दुनियावी या भौतिक विचारधारा।
भौतिक विचारधारा रखने वालों को भौतिकतावादी नास्तिक व बेदीन जैसे नामों से याद किया जाता है। अगरचे वर्तमान युग में उन्हें भौतिकवादी या मेटीरियालिस्ट कहा जाता है।
भौतिकतावाद में भी विभिन्न तरह के मत पाए जाते हैं लेकिन हमारे युग में सब से ज़्यादा मशहूर मत मेटीरियाल्ज़िम डियालक्टिक है जो मार्कसिस्ट दर्शन का आधार है।
इलाही दीन और उनके सिद्धान्त
विभिन्न धर्मों के वुजूद में आने के बारे में बुद्धिजीवियों और दीन के इतिहास के जानकारों तथा समाज शारित्रयों के बीच मतभेद पाए जाते हैं।
लेकिन इस्लामी दृष्टिकोण से जो बातें समझ में आती हैं वह यह हैं कि दीन के वुजूद में आने का इतिहास, इंसान के वुजूद के साथ ही है और ज़मीन पर आने वाले सबसे पहले इंसान अर्थात हज़रत आदम इलाही दूत और तौहीद की ओर बुलाने वाले थे और अनेकिश्वरवादी दीन वास्तव में सच्चे इलाही दीन का बिगड़ा हुआ रूप है अर्थात कुछ लोगों ने राजा महाराजाओं को ख़ुश करने के लिए इलाही धर्मों में कुछ बातें मिला दीं या कुछ बातों को कम कर दिया।
तौहीद परस्त अर्थात एकेश्वरवादी दीन जो वास्तव में सच्चे दीन हैं उन सब में तीन संयुक्त सिद्धान्त पाए जाते हैं:
1. एक अल्लाह में विश्वास
2. आख़ेरत में हर इंसान के एक अनंत जीवन में विश्वास
3. और इस दुनिया में किए गये कामों के फल तथा मानवजाति के मार्गदर्शन के लिए इलाही पैग़म्बरों के आगमन पर विश्वास।
यह तीन सिद्धान्त वास्तव में हर आदमी के इस तरह के सवालों के आरंभिक जवाब हैं कि सृष्टि का आरंभ कहा से हुआ जीवन का अंत क्या होगा और किस रास्ते पर चल कर सही रूप से जीवन व्यतीत करना सीखा जा सकता है। तो इस तरह से इलाही संदेश अर्थात वही द्वारा इंसान को जीवन यापन का जो कार्यक्रम हासिल होता है उसे ही धार्मिक आइडियालॉजी कहते हैं जिस का आधार इलाही विचारधारा होती है।
इंसान सिद्धान्त व आस्था के लिए बहुत सी चीज़ों की ज़रूरत होती है जो एक साथ मिल कर किसी मत या विचारधारा को वुजूद प्रदान करती हैं और इन्हीं बातों में मतभेद के कारण ही विभिन्न तरह के धर्मों और मतों का जन्म होता है। उदहारण स्वरूप कुछ इलाही पैग़म्बरों के बारे में मतभेद और इलाही किताब के निर्धारण अलग अलग मत ही यहूदी ईसाई और इस्लाम दीन के बीच मतभेद का मूल कारण हैं कि जिस के आधार पर शिक्षाओं की दृष्टि से इस तीनों धर्मों में बहुत अंतर हो गया है कभी कभी तो यह अंतर इतना ज़्यादा हो जाता है कि इस से मूल आस्था व विश्वास को भी नुकसान पहुँचता है। उदाहरण स्वरूप ईसाई त्रीश्वर को मानते हैं जो उन की एकेश्वरवादी विचारधारा से मेल नहीं खाता हैं अगरचे ईसाई दीन में विभिन्न प्रकार से इस विश्वास के औचित्य दर्शन का प्रयास किया गया है कि इसी तरह इस्लाम में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के अत्तराधिकारी के निर्धारण की शैली के बारे में मतभेद, अर्थात यह कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के उत्तराधिकारी का निर्धारण अल्लाह करता है या जनता शिया व सुन्नी मुसलमानों के बीच मतभेत का मुख्य व मूल कारण है।
तो फिर नतीजा यह निकलता है कि समस्त इलाही धर्मों में एकेश्वरवाद, इलाही पैग़म्बर और क़यामत मूल सिद्धान्त व मान्यता के रूप में स्वीकार किया जाता है लेकिन इन सिद्धान्तों की व्याख्या के नतीजे में जो दूसरे विश्वास व आस्थाएँ सामने आई हैं उन्हें मुख्य शिक्षा व सिद्धान्त का भाग मात्र कहा जा सकता है। उदाहरण स्वरुप अल्लाह के वुजूद पर विश्वास को आधार और एकेश्वरवाद को उस का एक भाग माना जा सकता हैं कि बहुत से शिया बुद्धिजीवियों ने अद्ल (न्याय) को उसूले दीन अर्थात दीन के मुख्य सिद्धान्तों में गिना है और इमामत अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकार को भी इस में शामिल किया है।
सवालः
1. दीन की परिभाषा कीजिए।
2. विचारधारा व आइडियालॉजी क्या है ?
3. दो प्रकार की आइडियालॉजी को स्पष्ट करें।
4. उसूले दीन अर्थात दीन की आधारशिला क्या है ?
5. वह कौन से सिद्धान्त व विश्वास हैं जो सभी इलाही धर्मों में समान रूप से पाए जाते हैं ?
बांग्लादेश में ताज़ा झड़पें, दो हताहत
बांग्लादेश में होने वाली ताज़ा झड़पों में दो लोग मारे गये हैं।
ढाका में पुलिस सूत्रों ने बताया कि शनिवार की सुबह विपक्षी दल बीएनपी के कार्यकर्ताओं और पुलिस के मध्य होने वाली झड़पों में दो लोग मारे गये। झड़पें उस समय आरंभ हुईं जब बीएनपी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी ढाका और देश के अन्य बड़े नगरों में महत्त्वपूर्ण राजमार्गों को बंद करने का प्रयास किया। बांग्लादेश में पिछले 48 घंटे के दौरान हिंसक घटनाओं के दौरान बीस लोग मारे जा चुके हैं।
बांग्लादेश में चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद सबसे बड़े विपक्षी दल बीएनपी ने अपने समर्थकों से सरकार के विरुद्ध पहिया जाम हड़ताल करने की अपील की थी। बीएनपी, प्रधानमंत्री शैख़ हसीना वाजिद के त्यागपत्र और अंतरिम सरकार की निगरानी में चुनाव कराए जाने की मांग कर रही है।
अमरीकी विमानन कंपनियां क्षेत्र में चीन के दिशा निर्देशों का पालन करें
अमरीकी सरकार ने देश की निजी विमानन कंपनियों को पूर्वी चीन सागर में चीन की ओर से हाल ही में निर्धारित किए गए नए हवाई क्षेत्र में उड़ान से पहले बीजिंग को इस बारे में सूचित करने का सुझाव दिया है।
चीन के रक्षा मंत्रालय ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि नए रक्षा हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने वाले सभी विमानों के लिए अपनी पहचान बताना और चीनी दिशा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
इससे पहले चीन ने कहा था कि उसने पूर्वी चीन सागर स्थित अपने हालिया घोषित वायु रक्षा क्षेत्र में उड़ान भरने वाले अमरीकी और जापानी विमानों की निगरानी के लिए लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया है।
चीन ने पिछले सप्ताह कहा था कि इस क्षेत्र से गुज़रने वाले विमानों को अपनी पहचान प्रकट करनी होगी वरना उन्हें 'आपात रक्षात्मक उपायों' का सामना करना पड़ेगा।
चीन के इस वायु रक्षा क्षेत्र में पूर्वुी चीन सागर का एक बड़ा हिस्सा शामिल है, इसमें वे द्वीप समूह भी आते हैं जिन पर जापान और चीन अपना अधिकार जताते हैं।
त्रिपक्षीय बैठक निकट भविष्य में
इस्लामी गणतंत्र ईरान, तुर्की और आज़रबाइजान गणराज्य की त्रिपक्षीय बैठक निकट भविष्य में आयोजित होगी। बाकू में मौजूद तुर्की के राजदूत Ismayil Alper Coskun ने शुक्रवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि इस बात की आशा की जाती है कि दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ईरान, तुर्की और आज़रबाइजान गणराज्य की त्रिपक्षीय बैठक तुर्की में आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में विचार विमर्श चल रहा है और तीनों पक्षों की ओर से सहमति के पश्चात बैठक के आयोजन की तिथि और स्थान की घोषणा कर दी जाएगी। इससे पूर्व इस प्रकार की दो बैठकें ईरान और आज़रबाइजान गणराज्य में आयोजित हो चुकी हैं जिसकी तीसरी बैठक तुर्की में होनी है।
जेनेवा वार्ता का लक्ष्य परमाणु अधिकारों को मनवाना था,
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि जेनेवा में सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों और जर्मनी पर आधारित गुट पांच धन एक के साथ वार्ता में ईरान के शामिल होने का लक्ष्य विश्व शक्तियों से ईरान के परमाणु अधिकारों का मान्यता दिलवाना था।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने ईरान की वार्ताकार टीम की सफलता का हवाला देते हुए कहा कि इस वार्ता में ईरान का लक्ष्य यह था कि पश्चिमी देश ईरान की नागरिक परमाणु गतिविधियों को मान्यता दें तथा ईरान के अधिकारों का सम्मान करें। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि कुछ पश्चिमी देशों और इस्राईल के ओर से यह झूठा प्रोपैगंडा किया जा रहा है कि ईरान परमाणु बम बनाने के प्रयास में है किंतु ईरान कभी भी परमाणु बम बनाने के प्रयास में न रहा है और न रहेगा बल्कि क्षेत्र की शांति व सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में ईरान ने हमेशा महाविनाश के शस्त्रों का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि ईरान ने गत 34 साल के दौरान यह प्रमाणित कर दिया है कि क्षेत्र की शांति व सुरक्षा उसकी विदेश नीति की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इतिहास में कहीं कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह सिद्ध हो कि ईरान ने पड़ोसी या अन्य देशों पर कभी हमला किया हो।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने जेनेवा में होने वाली परमाणु वार्ता को विफल बनाने के लिए ज़ायोनी शासन की ओर से किए गए प्रयासों का हवाला देते हुए कहा कि इस शासन ने एसी स्थिति में ईरान पर जो समृद्ध संस्कृति व सभ्यता का स्वामी है, क्षेत्र और विश्व में अशांति फैलाने का आरोप लगाया कि जब अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी शासन के आपराधिक कार्यवाहियों से क्षेत्र और पूरे विश्व के लोग इस्राईल से घृणा करते हैं।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि जेनेवा समझौते के बाद अब पश्चिम को चाहिए कि विश्वास बहाली के लिए उन प्रतिबंधों को उठाए जो उसने ग़ैर क़ानूनी रूप से ईरान पर लगा रहे हैं ताकि विश्व के सामने उसे झूठ और धोखाधड़ी पहले से भी अधिक स्पष्ट रूप में सामने न आए।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने अमरीकी विदेश मंत्री जान कैरी के उस बयान का हवाला दिया जिसमें कैरी ने कहा कि प्रतिबंधों ने ईरान को घुटने टेकने और वार्ता के मेज़ पर बैठने पर विवश कर दिया, आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि निश्चित रूप से राष्ट्रों के दैनिक जीवन में अर्थ व्यवस्था का बड़ा महत्व होता है किंतु गौरव, प्रतिष्ठान, राष्ट्रीय हित तथा ज्ञान के मार्ग में प्रगति ईरानी जनता के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि हम आशा करते हैं कि ईरान की परमाणु वार्ताकार टीम आगामी वार्ताओं में अधिक दृढ़ता और सूझबूझ के साथ ईरान के हितों के अनुरूप क़दम उठाएगी।
करज़ई ने की नैटो आक्रमण की कड़ी निन्दा
अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने हेलमन्द में हुए नाटो के आक्रमण की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि अमरीका जब तक इस प्रकार के आक्रमण बंद नहीं करता तबतक उसके साथ किसी भी द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएँगे। हेलमंद प्रांत में किये गए आक्रमण इस हमले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए करजई ने कहा कि जब तक अमरीका इस तरह की क्रूरता बन्द नहीं करेगा तब तक उसके साथ किसी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा कि अमरीकी सैनिकों द्वारा घरों पर हमला करने की यह घटना दर्शाती है कि अमरीका की दृष्टि में अफ़गानियों की जान की कोई क़ीमत नहीं है। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति के कार्यालय की ओर से इस सप्ताह माग की गई थी कि समझौते से पहले अमरीका को यह गारण्टी देनी होगी कि विदेशी सैनिक अफ़गानी घरों पर हमला नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने गुआन्नातामो जेल में बन्द अफ़गानी नागरिकों को छोड़ने की भी शर्त रखी है। वर्ष 2014 के बाद भी अफ़गानिस्तान में बने रहने के लिए अमेरिका और अफ़गानिस्तान के बीच होने वाले सुरक्षा समझौते पर पहले ही संकट के बादल मँडरा रहे हैं। अमेरिका जल्द से जल्द इस समझौते पर हस्ताक्षर चाहता है। इस बीच इस ताज़ा हमले ने समझौते के लिए स्थिति को और ख़राब कर दिए हैं।
वाइट हाउस की फ़ैक्ट शीट, समझौते के मसौदे से भिन्न
ईरान ने कहा है कि जेनेवा समझौते के बारे में वाइट हाउस ने जो बयान जारी किया है वह समझौते के मसौदे के कुछ बिंदुओं से विरोधाभास रखता है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मरज़िया अफ़ख़म ने मंगलवार को कहा कि वाइट हाउस से जो फ़ैक्ट शीट जारी की गई है और जिन्हें कुछ संचार माध्यमों ने समझौते के मसौदे का नाम देकर प्रकाशित किया है वह समझौते से विरोधाभास रखता है। प्रवक्ता ने कहा कि जिस मसौदे पर दोनों पक्षों की लंबी सघन वार्ता के बाद सहमति बनी है उसके हर एक शब्द को बहुत सावधानी और सोच विचार के साथ चुना गया है। प्रवक्ता ने कहा कि यह चार पृष्ठों का मसौदा है और इसके हर शब्द पर बहस हुई है। उन्होंने कहा कि फ़ैक्ट शीट के नाम से जो बयान जारी किया है वह समझौते के मसौदे एकपक्षीय दृष्टिकोण है।
बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन छह की मौत
बांग्लादेश में पुलिस और विपक्षी दल के समर्थकों के साथ हुई झड़पों में कम से कम छह लोग मारे गए हैं।
प्रदर्शनों के दौरान देश भर में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने देसी बम फेंके, रेलवे पटरियों को उखाड़ दिया और सड़कें जाम कर दीं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि वर्तमान अवामी लीग सरकार को हटाकर एक निष्पक्ष सरकार के अधीन चुनाव कराए जाएं किंतु प्रधानमंत्री शेख हसीना इस मांग को लगातार अस्वीकार करती आ रही हैं।
विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनल पार्टी के नेतृत्व में विपक्षी दलों का कहना है कि मौजूदा सरकार के अधीन चुनाव कराना ठीक नहीं होगा। विपक्षी दल अगले साल जनवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने जैसे ही आम चुनाव की तारीख तय की, विपक्षी दलों ने दो दिन के बंद की घोषणा कर दी।
परमाणु समझौते पर जारी प्रतिक्रियाएं
जेनेवा में इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों और जर्मनी का परमाणु समझौता क्षेत्र और विश्व के देशों के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि समझौता जो जाने के तीसरे दिन भी प्रतिक्रियाओं का क्रम जारी है जबकि मीडिया में यह समझौता सुर्खियों में है।
समझौते पर व्यापक रूप सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आई है जबकि इस्राईल ने समझौते पर बड़ा आक्रोश जताया है।
समझौते पर अपनी प्रतिक्रिया में ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था के प्रमुख अली अकबर सालेही ने कहा कि इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के दूरदर्शी निर्देशों की सहायता से हम अपने लक्ष्य की रक्षा करने में सफल रहे हैं। अली अकबर सालेही ने कहा कि ईरानी जनता के 34 वर्षों से जारी प्रतिरोध का प्रतिफल सामने आया है। ईरान की संसद ने भी समझौते के समर्थन की घोषणा की है। ईरान के विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि ईरानोफ़ोबिया फैलाने की योजना चारों खाने चित गिरी है और जो लोग अपने अवैध हितों के लिए ईरान की बुरी छवि पेश करने का प्रयास कर रहे हैं उन लोगों को इस्लामी गणतंत्र ईरान और विश्व शक्तियों के बीच परमाणए समझौते पर गिहरी निराशा हुई है। सोमवार की रात इस्लामी गणतंत्र ईरान न्यूज़ नेटवर्क के साथ विशेष बातचीत में श्री ज़रीफ़ ने कहा कि तेल अबीब ने भी जेनेवा समझौते को शताब्दी का सबसे बड़ा समझौता कहा है और अब ईरान के शत्रु इस समझौते के कार्यान्वयन को रोकने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। लेबनान के संसद सभापति ने कहा कि ईरान और गुट पांच धन एक का परमाणु समझौता बहुत महत्वपूर्ण तथा वर्तमान युग का सबसे बड़ा समझौता है। तेहरान यात्रा पर आए लेबनान के संसद सभापति ने कहा कि ईरान ने अपने संयम, साहस, प्रतिरोध, संघर्ष और शक्ति से यह लक्ष्य प्राप्त किया है। दूसरी ओर फ़्रांस के विदेश मंत्री लोरेन फ़ेबियस ने कहा कि ईरान के विरुद्ध योरपीय संघ के प्रतिबंध अगले सप्ताह से उठाए जाएंगे। समझौते पर इस्राईल ने बड़ी अप्रसन्नता जताई है और विशेष रूप से ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू तथा विदेश मंत्री एविग्डर लेबरमैन ने समझौते को एतिहासिग ग़लती और बहुत बुरा समझौता बताया।
इस बीच अमरीकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा ने ईरान के परमाणु समझौते के विरुद्ध विषैला प्रचार करने वालों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अभी एक समग्र समझौते पर पहुंचना है अतः जेनेवा समझौते के विरुद्ध ज़हर उगलने से बचना चाहिए।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने इस्राईल को चेतावनी देते हुए कहा कि परमाणु समझौते को प्रभावित करने का प्रयास न करे।
टीकाकारों का मानना है कि जेनेवा में विश्व शक्तियों के साथ ईरान की जो वार्ता हुई और उसका जो परिणाम निकला वह ईरान की शक्ति और क्षमता का खुला प्रदर्शन है।