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सीरिया पर आक्रमण, इस्राईल के विनाश का कारण होगा।
तेहरान में जुमा के नमाज़ के भाषण में आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने सीरिया के विरुद्ध किसी की प्रकार के सैन्य आक्रमण को युद्ध प्रेमी देशों के लिए हानिकारक तथा इस्राईल के विनाश का कारण बताया है।
आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने सीरिया की स्थिति और इस देश के विरुद्ध अमेरिका की सैन्य धमकियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि सीरिया पर हमले के घातक परिणामों से केवल सीरिया ही नहीं बल्कि आक्रामक देशप्रभावित होंगे और इस्राईल का विनाश हो।
उन्होंने आशा प्रकट की है कि अमेरिका सीरिया के संबंध में सूझबूझ से काम लेगा और एक युद्ध आरंभ करके क्षेत्र में अस्थिरता का कारण नहीं बनेगा। आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने इसी प्रकार मिस्र की स्थिति ओर संकेत करते हुए कहा कि बड़े दुख की बात है कि मिस्र जैसे सभ्य तथा विद्वानों और बुद्धिजीवियों के देश को ऐसी स्थिति का सामना है। उन्होंने कहा कि मिस्र में जारी हिंसा अमेरिकी साम्राज्यवाद और ज़ायोनियों के षडयंत्रों का परिणाम है। आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने मिस्री जनता से अपील कि वे चेतना के साथ एकता स्थापित करें और एक दूसरे के सहयोग से ज़ायोनियों का मुकाबला करें। तेहरान के इमामे जुमा ने इमाम खुमैनी के नेतृत्व में इस्लामी क्रांति की सफलता को साम्राज्यवादी शक्तियों की बौखलाहट का कारण बताया और कहा कि कि ईरानी सेना ने पवित्र रक्षा के दौरान अपने साहस और बलिदान तथा दृढ़ता से शत्रुओं के षडयंत्रों को विफल बना दिया।
उन्होंने इसी प्रकार मानवता की सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के गठन के दावों को सफेद झूठ बताया और कहा कि वास्तव यह संस्थान विश्व साम्राज्य के हाथों का खिलौना हैं और वे इन संस्थानों को अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग करते हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनईः ख़ुदा करे कि सीरिया के बारे में अमरीका का ताज़ा रवैया गंभीरता पर आधारित हो।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने यह उम्मीद ज़ाहिर की है कि सीरिया के बारे में
अमरीका का ताज़ा रवैया गंभीरता पर आधारित होगा, मक्कारी से ख़ाली होगा,
अकारण व ग़लत व्यवहार से वास्तविकता की ओर
वापसी पर आधारित होगा।
सुप्रीम लीडर ने बुधवार को हज कमेटी के सदस्यों
से मुलाक़ात में सीरिया की स्थिति और क्षेत्र में जंग की आग भड़काने के लिए अमरीकी
धमकियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह लोग अपने तथाकथित राष्ट्रीय हित के लिए जो
वास्तव में ज़ायोनियों और बड़े बड़े पूंजीवादियों के हित हैं,
जंग की आग भड़काने और अन्य राष्ट्रों व देशों
के हितों को रौंदने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर
ने इस्लामी जगत और क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और धार्मिक आधारों पर मुसलमानों को
आपस में लड़ाने के दुश्मनों के प्रयासों का विवरण देते हुए कहा कि हज इस्लामी समाज
के लिए राजनैतिक, सांस्कृतिक व अध्यात्मिक संप्रभुता का कारण है।
उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि वास्तविक हज के लिए एक आवश्यक बात यह है कि इस
महान ईश्वरीय दायित्व के दौरान मुसलमानों का रवैया एक दूसरे के साथ बहुत ही
मैत्रीपूर्ण हो, कहा कि हज के दिनों में टकराव से दूसरी का अर्थ
जिसमें पवित्र क़ुरआन में बल दिया गया है, मुसलमानों का आपस में टकराव व झगड़ा न करना है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने हज के
दिनों में झगड़ा व टकराव न करने की व्याख्या करने के संबंध में भ्रांति में ग्रस्त
कुछ लोगों के प्रयासों पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि यह तत्व अनेकेश्वरवादियों से
दूरी की ज़िम्मेदारी को निभाने के मूल आधार पर ही प्रश्न चिन्ह लगाना चाहते हैं
जबकि अनेकेश्वरवादियों से टकराव इस्लाम के मुख्य आदेशों में से है। इस्लामी इंक़ेलाब
के सुप्रीम लीडर ने धार्मिक मतभेद फैलाने और लड़ाइयों में उलझाने के लिए दुश्मनों
के षड्यंत्रों से मुसलमानों को होशियार रहने की सलाह देते हुए कहा कि इस्लाम के
शत्रु भलिभांति समझ गये हैं कि इस्लामी मतों के बीच मतभेद और विवाद,
ज़ायोनी शासन के हित में है। इस्लामी इंक़ेलाब
के सुप्रीम लीडर ने बल देकर कहा कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी और शीया धर्म के अन्य
महापुरुषों ने सदैव मुसलमानों के मध्य एकता की आवश्यकता पर बल दिया है।
किर्गिस्तान में भारत-पाकिस्तान वार्ता
भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों एवं राष्ट्रीय सुरक्षा पर सलाहकार सरताज अज़ीज़ से भेंट की।
यह भेंट किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन एससीओ की बैठक के अवसर पर हुई है। पाकिस्तानी सूत्रों के अनुसार इस भेंट में नियंत्रण रेखा की स्थिति और दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच संभावित भेंट पर विचार विमर्श किया गया सरताज अजीज किर्गिस्तान की राजधानी में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों नेताओं की बैठक में दोनों देशों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर भी जोर दिया गया जबकि हालिया दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर होने वाले तनाव का मामला भी बैठक में उठाया गया । भारतीय मीडिया से बातचीत में सलमान खुर्शीद का कहना था कि पाकिस्तान को भारत की चिंताओं का निवारण करना होग और दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा तभी क्षेत्र में शांति स्थापना हो सकती है।
काँग्रेस के विरुद्ध ओलमा का रायबरेली में 16 सितम्बर को रोड शो
दिल्ली में ग़ौसिया मस्जिद को शहीद किये जाने और करबला शाहे मरदां और छोटी करबला पर काँग्रेस की सरकार और लीडरों की बुरी नज़र के ख़िलाफ़ मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नक़वी के नेतृत्व में आचार्य पण्डित क्रष्ण चंद्र शुकेला, शहर क़ाज़ी अबुल इरफ़ान फ़िरंगी महली और मौलाना नसीर नें काँग्रेस के ख़िलाफ़ 16 सितम्बर को रायबरेली में रोड शो कर के जनता को सोनिया गाँधी के झूठे वादों और काँग्रेस की मुस्लिम विरोधी साज़िशों से अवगत कराएंगे। यह ऐलान इन लोगों नें प्रेस क्लब में एक सामूहिक प्रेस काँफ़्रेंस में किया। इस अवसर पर मौलाना कल्बे जवाद नक़वी नें कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर जैसे मामले में जनता को बहुत ही धैर्य से काम लेना होगा और लोगों को राजनीतिक पार्टियों से होशियार रहना होगा। उन्होंने ऐलान किया कि जल्दी ही हिन्दू मुस्लिम धार्मिक लीडर रैली निकालेंगे। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन अनुमति देगा तो यह लोग मुज़फ़्फ़रनगर में जाकर लोगों से अमन बनाने और आपस में भाई चारे के साथ एक रहने की अपील करते हुए शांति मार्च निकालेंगे। मौलाना कल्बे जवाद नें पत्रकारों को बताया कि सात सौ साल पुरानी ग़ौसिया मस्जिद को काँग्रेस सरकार नें पॉश कॉलोनी बनाने के लिये सहीद कर दिया और उन्होंने कहा कि यही नहीं बल्कि छोटी करबला की ज़मीन पर बारात घर बनाने का सुझाव भी काँग्रेस सरकार नें तैयार किया है।
मौलाना नें कहा कि शाहे मरदां में ज़ायरों पर गोलीबारी और उसकी सम्पत्ति पर सलमान ख़ुर्शीद और अहमद पटेल की हिस्सेदारी के चलते अवैध क़ब्ज़े के ज़रिये एक नर्सरी बनाई गई है जिसमें यह दोनों नेताओं की शह से बनाया गया है।
पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति ने ली शपथ
पाकिस्तान में नए राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने अपने पद की शपथ उठ ली है।
इस्लामाबाद से प्राप्त सूचना के अनुसार राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में चीफ़ जस्टिस पाकिस्तान, इफ़्तेख़ार मोहम्मद चौधरी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़, निवर्तमान राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी, सभी प्रांतों के मुख्य मंत्री, गवर्नर तथा राष्ट्रीय एसेंबली एवं प्रांतीय असेंबलियों के सदस्यों ने भाग लिया जबकि सैनिक अधिकारी भी उपस्थित थे।
श्री ममनून हुसैन ने आसिफ अली ज़रदारी का स्थान लिया है, जिन्होंने अपना पांच साल का संवैधानिक कार्यकाल पूरा होने के बाद रविवार को पद छोड़ दिया। 73 वर्षीय मक्लिक करें मनून हुसैन पेशे से कपड़ा कारोबारी हैं और प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के क़रीबी रहे हैं। ममनून हुसैन कुछ समय के लिए पाकिस्तान के सिंध प्रांत के गवर्नर रह चुके हैं। ममनून हुसैन का जन्म भारत के ऐतिहासिक आगरा में हुआ था किंतु विभाजन के बाद वे पाकिस्तान पलायन कर गए थे। ममनून हुसैन लंबे समय से पीएमल-एन से जुड़े रहे हैं. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया।
पश्चिम के मानवाधिकारों के दावों को परखना आवश्यक
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि सरकार, अधिकारियों, राजनेताओं और कूटनयिकों सहित देश की जनता को पश्चिम के तथाकथित मानवाधिकारों के दावों की गहन समीक्षा करनी चाहिए। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने जुमे की नमाज़ पढ़ाने वाले इमामों के साथ तेहरान में सोमवार को भेंट में कहा कि पश्चिम ने इस्लामी जगत सहित पूरब पर अपने राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और हर प्रकार के वर्चस्व को विस्तृत कर रखा है और अपनी वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगतियों के माध्यम से वह यह दर्शाना चाहता है कि विश्व में हर चीज़ का मापदंड केवल पश्चिम ही है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि एसे में कि जब पूरा विश्व पश्चिमी वर्चस्व का शिकार था, ईरान की इस्लामी क्रांति ने इस्लामी शिक्षाओं के प्रति कटिबद्ध रहते हुए पूर्ण स्वावलंबन के आधार पर सफलता प्राप्त की जिससे पश्चिम को गहरा आघात लगा। उन्होंने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति की विस्तृत होती विचारधारा और उसकी पहचान से पश्चिम बुरी तरह से बौखला गया और उसने इससे मुक़ाबले के लिए जटिल योजनाबंदी की। आयतुल्ला ख़ामेनेई ने कहा कि वर्तमान समय में क्षेत्र और मुस्लिम जगत की परिस्थतियां कुछ एसी हैं जिसके कारण वे सोचते हैं कि हम इस्लामी क्रांति की विचारधारा के मुक़ाबले में पीछे रह गए हैं। इसी आधार पर अपने इस पिछड़ेपन को समाप्त करने के लिए पश्चिम, अपनी समस्त क्षमताओं का प्रयोग कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम के मुक़ाबले में हमें डटे रहना चाहिए क्योंकि उन्होंने दर्शा दिया है कि वे किसी पर भी दया नहीं करते और मानवाधिकारों के उनके तथाकथित दावों के विरुद्ध, लाखों लोगों की हत्या और जनसंहार से उन्हें कोई अंतर नहीं पड़ता। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि झूठ बोलना पश्चिमी नेताओं की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि यह लोग हिरोशिमा तथा नागासाकी की परमाणु त्रासदी, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में लाखों निर्दोष लोगों की हत्याओं और इराक, अफ़ग़ानिस्तान एवं पाकिस्तान में जनसंहार से बिल्कुल भी चिन्तित एवं विचलित नहीं हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि भविष्य में भी जहां पर उनके हित में होगा वहां पर जनसंहार करवाने में वे बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाएंगे।
पाकिस्तान में आज होगा आतंकवाद पर फ़ैसला
पाकिस्तान में आज आल पार्टीज़ कांफ़्रेंस आयोजित होगी जिसमें यह फ़ैसला किया जाएगा कि चरमपंथी गुटों से वार्ता करनी है या उनके विरुद्ध शक्ति का प्रयोग किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार आल पार्टीज़ कांफ़ेंस पाकिस्तान के स्थानीय समय के अनुसार ग्यारह बजे आरंभ होगी जिसमें चारों मुख्यमंत्रियों के साथ साथ ख़ैबर पख़्तून ख़ा के गवर्नर को भी विशेष निमंत्रण दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि आल पार्टीज़ कांफ़्रेंस प्रधानमंत्री के भाषण से आरंभ होगी जिसके बाद पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अशफ़ाक़ परवेज़ कियानी और आईएसआई प्रमुख कांफ़्रेंस में भाग लेने वालों को संबोधित करेंगे। सूत्रों का कहना है कि बंद कमरे में होने वाली इस कांफ़्रेंस से मीडिया को दूर रखा जाएगा।
ईरानी महिलाएं
यदि आप पत्रिकाओं या वैबसाइटों पर नज़र डालेंगे तो निश्चित रूप से उन पर महिलाओं के चित्र पायेंगे। पत्रिकाओं की अधिक से अधिक प्रत्रितायां बेचने या फिर इंटरनेट और टीवी पर वस्तुओं के विज्ञापन हेतु महिलाओं एवं उनके चित्रों का प्रयोग किया जाता है। अकसर हम विश्व की सबसे अधिक सुन्दर महिला, सफलतम महिला और इसी प्रकार के बहुत से समाचार सुनते रहते हैं तथा हॉलिबुड की महिला अभिनेत्रियों के निजी जीवन के समाचारों की टीवी चैनलों एवं मीडिया में इतनी भरमार है कि इन्सान का जी ऊब जाता है।
किन्तु इन समाचारों में जो कुछ भी हम पढ़ते हैं वह सब इन महिलाओं के विदित सौन्दर्य और विशेषताओं से संबन्धित होता है और दुर्भाग्यवश पश्चिम में महिलाओं के मानवीय सौन्दर्य एवं शिष्टाचार को कोई महत्व नहीं दिया जाता।
यह विषय इस लिए दुखद है कि पश्चिमी एवं ज़ायोनी विज्ञापन एजेंसियां, महिला को विज्ञापन सामग्री की सीमा तक गिरा कर उसे पूंजीवादी अर्थव्यस्था एवं समाज में अश्लीलता फैलाने के लिए प्रयोग कर रही हैं तथा महिलाओं की मानवीय, नैतिक एवं आध्यात्मिक प्रगित से भयभीत हैं।
अरब में भी अज्ञानता के काल में अत्याचार, अश्लीलता एवं कामुकता अपने चरम पर थी, ईश्वर ने प्रेम और प्यार के पैग़म्बर मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) को विश्ववासियों के मार्ग दर्शन के लिए भेजा ताकि विश्व में शिष्टाचार एवं मानवता की बयार बहाएं। इस्लाम के अवतरण के साथ ही पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने आचरण एवं कथनों से नारी के स्थान को ऊंचा किया तथा सदगुणों, नैतिकता और आध्यात्मिकता एवं अधिकारों की प्राप्ति में उसे पुरुष के समांतर ठहराया। उस दौर में महिलाओं के संबंध में दृष्टिकोण के परिवर्तन के साथ ही महिलाओं ने इस्लाम के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उल्लेखनीय एवं आदर्शीय कार्य अंजाम दिए। उन्होंने परिवार, समाज और संकट ग्रस्त परिस्थितियों में एक महिला के नैतिक, भावनात्मक एवं उच्च मानवीय आचरण की ऐसी तस्तवीर खींची कि उनमें से कुछ को हर काल की महिलाओं के लिए महान आदर्श ठहराया जा सकत है। इस विवरण के साथ हम ऐसी महिलाओं की चर्चा करेंगे कि जिन्होंने इस्लाम के आरम्भिक दौर की महिलाओं विशेषकर पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पवित्र पुत्री का अनुसरण करते हुए संकट ग्रस्त परिस्थितियों से राष्ट्र को निकालने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यद्यपि इस्लाम ने महिलाओं को युद्ध क्षेत्र में उपस्थित होने का आदेश नहीं दिया है किन्तु हम इतिहास में देखते हैं कि जब कभी भी मुस्लिम महिलाओं ने देखा कि अपनी भूमि एवं इस्लाम की रक्षा के लिए उनकी उपस्थिति ज़रूरी है तो वे उपस्थित हुईं। ईरान के ऊपर सद्दाम द्वारा थोपा गया युद्ध भी कि जो ईरान के सीमावर्ती शहरों पर वायु एवं ज़मीनी आक्रमणों से शुरू हुआ, इस क्रूर लड़ाई में भी ख़ुर्रमशहर, सूसनगर्द एवं हुवैज़ा शहरों की बहादुर महिलाओं ने शत्रु के अमानवीय हमलों का पुरुषों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर मुक़ाबला किया और उसे खदेड़ने के लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा दी और उनमें से कुछ शहीद होकर अमर हो गईं। इस प्रकार, आठ वर्षीय पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान सात हज़ार महिलाएं शहीद हुई हैं।
इसी संदर्भ में हाल ही में तेहरान में राष्ट्र की सात हज़ार शहीद महिलाएं शीर्षक सम्मेलन आयोजित हुआ कि जिसका उद्घाटन 6 मार्च को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई के मार्ग-दर्शक संदेश से हुआ। इस सम्मेलन का उद्देश्य था कि सद्दाम द्वारा थोपे गए युद्ध के दौरान ईरानी मुस्लिम महिलाओं की भूमिका की समीक्षा की जाए तथा उनकी याद को जीवित रखा जाए।
वरिष्ठ नेता अपने संदेश में एक जगह उल्लेख करते हैं कि आज आप लोग यहां हज़ारों शहीद महिलाओं की याद मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं कि जिन्होंने देश और इस्लाम के इतिहास का मार्ग परिवर्तन करने में प्रशंसनीय भूमिका निभाई तथा गौरवपूर्ण ईश्वर के समक्ष उपस्थित हो गईं। फ़रिश्तों की एक टुकड़ी ने इस्लाम के मार्ग में अपनी जान निछावर कर दी, वे दर्शक नहीं थीं उन्होंने क़दम आगे बढ़ाया तथा नए ईरान के निर्माताओं की भूमिका में प्रकट हुईं। वे महान महिलाएं थीं कि जिन्होंने पूर्व एवं पश्चिम के सामने महिला की नई परिभाषा प्रस्तुत की।
वरिष्ठ नेता बल देकर कहते हैं कि क्रांति और उसके बाद थोपे गए युद्ध के दौरान माताओं ने अपने बच्चों को इस्लाम के मार्ग में वीर सैनिकों में परिवर्तित कर दिया, तथा पत्नियों ने भी इस संवेदनशील काल में अपने पतियों को प्रतिरोधी एवं मज़बूत इन्सानों में परिवर्तित कर दिया।
युद्ध भड़कने के बाद मोर्चे पर केवल पुरुषों की तैनाती विजय की गारंटी नहीं दे सकती, बल्कि युद्ध का समर्थन एवं सहयोग, निरंतर मोर्चे पर डटे रहने के लिए पुरुषों का उत्साह बढ़ाना एवं उनका प्रोत्साहन, बच्चों की देखभाल और परिवार की रक्षा, घायलों की देखभाल तथा उनका उपचार, मोर्चे के पीछे की ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना और अन्य बहुत से ऐसे कारक हैं कि जो योद्धाओं की मानसिकता एवं युद्ध का भविष्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सद्दाम द्वारा ईरान के विरुद्ध थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध के दौरान, ईरानी मुस्लिम महिलाओं ने उक्त क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वरिष्ठ नेता का मानना है कि ईरानी महिलाओं को इस्लाम ने यह शक्ति प्रदान की और उन्होंने प्रारम्भिक इस्लमी महिलाओं को अपना आदर्श बनाया जिससे उनकी आस्था और मज़बूत हो गई तथा ईश्वर से संपर्क बनाने इच्छा अधिक सुदृढ़ हो गई तथा उन्होंने अपने बच्चों एवं पतियों पर भी काफ़ी प्रभाव डाला। वरिष्ठ नेता इस संदर्भ में कहते हैं कि हमारे देश की महिलाओं ने क्रांति के दौरान पुरुषों के आंदोलन समर्थन किया, यदि महिलाओं की दृढ़ आस्था एवं संकल्प न होता तो संभवतः हमारे बहुत से पुरुषों में यह शक्ति प्राप्त नहीं होती कि वे नाना प्रकार के सख़्त मुक़ाबलों एवं आंदोलनों में उपस्थित हो सकें।
मोर्चों पर बहादुरी से डटे रहने के लिए योद्धाओं के साहस को मज़बूत करना तथा सदैव उनको प्रोत्साहित करना आठ वर्षीय थोपे गए युद्ध के दिनों में महिलाओं के महत्वपूर्ण कार्यों में से है। उन दिनों युद्ध की विभीषिका के दौरान ऐसी महिलाएं थीं कि जिन्होंने कई कई महीनों तक यहां तक कि एक बार भी अपने पतियों से मुलाक़ात नहीं की थी और कभी उनके बच्चों के जन्म को कई महीने बीत जाने के बाद उनकी संक्षिप्त सी मुलाक़ात हो पाती थी, किन्तु इन धैर्य रखने वाली एवं उत्साहित महिलाओं के यहां तक कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी होठों पर शिकायत नहीं होती थी और वे उत्साहपूर्वक इन कठिनाईयों का स्वागत करती थीं। अपने बच्चों की उदासी देखती थीं और उनकी ढाढ़स बंधाती थीं और अपनी उदासी को प्रकट नहीं करती थीं। यह कार्य न केवल सरल बल्कि बहुत बड़ी एवं जटिल कला है। इसके अतिरिक्त सहायता राशि एवं सामग्री एकत्रित करने, युद्ध के मोर्चे पर खाना और खाद्य पदार्थ भेजने, योद्धाओं के लिए वर्दी सीने और गर्म कपड़े तैयार करने, ख़ून दान करने तथा घायलों का उपचार करने में भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में ईरानी मुस्लिम महिलाओं ने क्रांति की सफलता एवं थोपे गए युद्ध के दौरान अपने बलिदानों से एक नई आदर्शीय महिला का रूप प्रस्तुत किया जिसने इतिहास रच दिया। वरिष्ठ नेता ने शहीद महिला सम्मेलन में अपने संदेश में इस्लामी क्रांत एवं पवित्र प्रतिरक्षा के क्षेत्र में महिलाओं के कर्बला के शहीदों से प्रभावित साहस की ओर संकेत करते हुए उल्लेख किया कि नए युग में इन प्रतिरोधी महिलाओं के ख़ून के आशीर्वाद से नए साहस एवं नई शक्ति ने जन्म लिया है कि जिसकी शीघ्र या देर से विश्व की महिलाओं का भविष्य एवं स्थान निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
यह आदर्श वर्तमान विश्व की पीड़ित एवं उपकरणीय रूप में प्रयोग होने वाली महिलाओं को उनकी सृष्टि की ओर पलटा सकता है तथा उन्हें इस अव्यवस्थित स्थिति से मुक्ति दिला सकता है। दुर्भाग्यवश पश्चिम की ग़लत संस्कृति ने नारी को घर के शांत वातावरण से निकाल कर और उसे प्रतिकूल अवस्था में डाल कर अश्लीलता के गढ़े में धकेल दिया और इस तरह महिलाओं पर आधुनिक अत्याचारों का आरम्भ हुआ।
इस्लमी क्रांति के वरिष्ट नेता का मानना है कि महिला की प्रकृत्ति को पहचानने और उसके साथ व्यवहार करने में पश्चिम वासियों ने समस्त सीमाएं लांघ दी हैं। मूल रूप से महिला के प्रति पश्चिमी दृष्टिकोण असमानता एवं असंतुलन पर आधारित है। पूर्वी संस्कृति में भी पुरुष को मूल भूमिका प्राप्त है तथा आम तौर पर पूर्व में महिला को रचनात्मक एवं अद्भुत परिवर्तनों की प्रतिभा रखने वाली के रूप में पहचाना नहीं जाता। इस बीच ईरान की मुस्लिम महिलाओं ने उज्जवल रचनात्मक कार्य अंजाम देकर सिद्ध कर दिया कि महिला परिवार, समाज और यहां तक कि युद्ध क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है, बग़ैर इसके कि उसका दुरुपयोग हो तथा उसके मूल्यों को नष्ट कर दिया जाए। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृषअटि में ईरानी महिलाएं न पूर्वी और न पश्चिमी आदर्श हैं बल्कि उनके अनुसार, अधिकतर पूर्व में महिला को इतिहास के निर्माण में अप्रभावी एवं महत्वहीन तत्व के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी संस्कृति में भी अक्सर महिला होने को उसके मनुष्य होने पर वरीयता दी जाती है तथा वह पुरुषों के लिए यौन इच्छाओं की पूर्ति का माध्यम एवं नवीन पूंजीवाद की सेवक है। किन्तु इस्लामी क्रांति एवं पवित्र प्रतिरक्षा की वीर महिलाओं ने सिद्ध कर दिया कि वे आदर्श का तीसरा रूप हैं कि जो न पूर्वी है और न पश्चिमी।
ईरानी महिलाओं ने विश्व की महिलाओं के सामने इतिहास का नया द्वार खोल दिया और सिद्ध कर दिया कि महिला होने, पवित्र होने, सज्जन होने और हिजाब पहनने के साथ साथ केन्द्र का बिंदु बने। परिवार की पवित्रता की रक्षा के साथ साथ राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर भी नए नए कीर्तिमान स्थापित किए जा सकते हैं और महान उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। ऐसी महिलाएं कि जिन्होंने स्त्री भावना, दयालुता एवं दया को जेहाद, शहादत और प्रतिरोध के साथ समावेश करके वीरता, शुद्धता और अपने बलिदान द्वारा बड़े बड़े रण क्षेत्रों को विजय किया है।
सीरिया पर सैन्य हमले के परिणाम घातक होंगे
ईरान के संसद सभापति अली लारीजानी ने सीरिया के विरुद्ध अमरीकी नेतृत्व वाले सैन्य हमले की योजना के बारे में चेतावनी देते हुए कहा है कि इस हमले के परिणामों का उल्लेख संभव नहीं है।
शुक्रवार को तुर्कमेन संसद में भाषण देते हुए लारीजानी ने कहा कि अमरीका द्वारा युद्ध का जो ड्रम पीटा जा रहा है वह कोई साधारण क़दम नहीं है।
उन्होंने कहा कि मध्यपूर्ण में एक और युद्ध भड़काने वालों को यह नहीं पता है कि इसमें कितने लोग मारे जाएंगे और कहां तक इस की आग फैलेगी।
ईरानी संसद सभापति ने सीरिया के विरुद्ध किसी भी सैन्य कार्यवाई का विरोध करते हुए कहा कि अरब देशों में बंदूक़ की नोक पर राजनीतिक सुधार नहीं किए जा सकते। उन्होंने सीरियाई संकट के राजनीतिक समाधान की ईरान की नीति पर एक बार फिर ज़ोर दिया।
उन्होंने बल देकर कहा कि हथियार और आतंकवादी लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकते।
सीना प्रायद्वीप में सेना की कार्यवाही १० आतंकवादी हताहत
मिस्र के सीना प्रायद्वीप में सेना की ओर से की गई कार्यवाही में कम से कम १० सश्स्त्र लोग मारे गए हैं। फ़्रांस प्रेस के अनुसार शनिवार को एक सैनिक स्रोत के हवाले से खबर दी गई थी कि मिस्री सेना के हेलीकाप्टर और टैंक, सीना प्रायद्वीप के उत्तर में आतंकवादियों के ठिकानों पर आक्रमण कर रहे हैं। इस आक्रमण में १० सशस्त्र आतंकवादी मारे गए और २० अन्य घाल हो गए। इस सैनिक स्रोत का कहना है कि कार्यवाही के दौरपा कम से कम १५ आतंकवादियों को गिरफ़्तार किया गया है। मिस्र की सेना का कहना है कि सैनिकों तथा सैन्य ठिकानों एवं सरकारी केन्द्रों पर आक्रमण करने वालों के विरुद्ध अभियान जारी रहेगा। ज्ञात रहे कि वर्तमान समय में मिस्र का सीना प्रायद्वीप एक अशांत क्षेत्र में परिवर्तित हो चुका हैं जहां पर सशस्त्र आतंकवादियों की कार्यवाहियां जारी हैं। यहां पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया है।