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ओमान नरेश की ईरान यात्रा उत्तम एवं लाभदायक रही
विदेशमंत्री ने ओमान नरेश की ईरान यात्रा को उत्तम एवं लाभदायक बताया है।
मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने ओमान नरेश सुल्तान क़ाबूस बिन सईद की ईरान यात्रा की समाप्ति पर उन्हें विदा करने के समारोह में द्विपक्षीय संबंधों व सहयोग के विस्तार के बारे में उनकी तेहरान यात्रा को अत्यंत लाभदायक बताया और कहा कि ईरान की यात्रा करने वाले मित्र देशों के अधिकारी, जिन विषयों के बारे में बात करते हैं उनमें से एक अमरीका है। उन्होंने कहा कि अमरीका के बारे में इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीति पूर्ण रूप से स्पष्ट है और यह वही नीति है जिसकी घोषणा इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रपति ने की है और यह कोई बहुत ख़ास विषय नहीं है। उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि ईरान व ओमान के बीच बड़े अच्छे समझौते हुए हैं, कहा कि इन समझौतों से विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के सहयोग में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ के महानिदेशक के राजनैतिक सहायक जेफ़री फेल्टमैन और ओमान नरेश की एक साथ ईरान यात्रा के बारे में कहा कि इन दोनों यात्राओं का आपस में कोई संबंध नहीं है क्योंकि फेल्टमैन क्षेत्रीय समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में ईरान आए हैं और सुल्तान नरेश ने द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार हेतु यह यात्रा की है।
भारतीय लोकसभा में खाद्य विधेयक पारित हो गया
सत्ता पक्ष और विपक्ष के जबरदस्त तर्क-वितर्क के बीच सोमवार देर रात लोकसभा ने खाद्य पदार्थ विधेयक को ध्वनिमत से स्वीकृति दे दी। हालांकि विपक्ष और सरकार के सहयोगी दलों ने विधेयक में लगभग दो सौ से अधिक संशोधन पेश किए थे परंतु भारत सरकार के संशोधनों के अतिरिक्त विपक्ष के किसी संशोधन को सदन की मंजूरी नहीं मिली और खाद्य सुरक्षा विधेयक बहुमत के साथ लोकसभा में पारित हो गया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने भी इस विधेयक के समर्थन में मतदान किया। इसके पूर्व सरकार ने पिछले महीने अध्यादेश द्वारा लागू किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को वापस ले लिया। लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा आरंभ करते हुए सरकार ने कहा कि देश में भूख से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक अहम पहल है और सभी दलों को इसे सर्व सम्मति से पारित कराना चाहिए। खाद्य मामलों के मंत्री प्रो केवी थॉमस ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसमें 35 किलोग्राम अनाज प्रति परिवार प्रति माह देने के साथ ही छह महीने से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को पोषक आहार देने का प्रावधान है। गरीब परिवारों की पहचान करने के कार्य में राज्य सरकारों को शामिल किया जाएगा। इस तरह से राज्यों की सहभागिता बढ़ाई जाएगी।
बाहरी शक्तियों का हस्तक्षेप, क्षेत्र की समस्याओं का मुख्य कारण
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप को क्षेत्र की समस्याओं का मुख्य कारण बताया है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार को ओमान नरेश सुल्तान क़ाबूस बिन सईद तथा उनके साथ आए शिष्टमंडल से तेहरान में होने वाली भेंट में, क्षेत्र की स्थिति को संकटमयी बताया और कहा कि इस स्थिति का मुख्य कारण बाहरी शक्तियों का विभिन्न प्रकार का हस्तक्षेप है।
उन्होंने देशों के राजनैतिक मतभेदों में धार्मिक व सांप्रदायिक मामलों को शामिल किए जाने को एक ख़तरनाक बात बताया और कहा कि खेद के साथ कहना पड़ता है कि कुछ क्षेत्रीय देशों के समर्थन से एक तकफ़ीरी गुट बनाया गया है जो सभी मुसलमान गुटों से टकरा रहा है और इस गुट के समर्थकों को जान लेना चाहिए कि यह आग उन्हें भी अपनी चपेट में ले लेगी। वरिष्ठ नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि ज़ायोनी शासन क्षेत्र के लिए एक स्थायी ख़तरा है जिसे अमरीका का भरपूर समर्थन प्राप्त है, कहा कि सामूहिक विनाश के अत्यधिक शस्त्रों से लैस यह सरकार पूरे क्षेत्र के लिए अत्यंत ख़तरनाक और गंभीर चिंता का विषय है। आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम ख़ामेनेई ने कहा कि क्षेत्र को सार्वजनिक शांति व सुरक्षा की आवश्यकता है और यह महत्वपूर्ण लक्ष्य क्षेत्र से सामूहिक विनाश के शस्त्रों पर वास्तविक प्रतिबंध की घोषणा से ही व्यवहारिक हो सकता है।
उन्होंने इसी प्रकार ईरान व ओमान के मैत्रिपूर्ण संबंधों की ओर संकेत करते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों विशेष कर तेल व गैस के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों को पहले से अधिक विस्तृत किए जाने की संभावना मौजूद है। इस भेंट में ओमान नरेश सुल्तान क़ाबूस बिन सईद ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से भेंट पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि दोनों देशों के संबंध, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक जुड़ाव के कारण अति उत्तम हैं और ईरान के राष्ट्रपति से होने वाली वार्ता में सभी क्षेत्रों में संबंधों को पहले से अधिक विस्तृत करने की समीक्षा की गई। उन्होंने इसी प्रकार क्षेत्र की वर्तमान संवेदनशील स्थिति व ज़ायोनी शासन के ख़तरों के संबंध में वरिष्ठ नेता के बयान की पुष्टि करते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति से निकलने हेतु क्षेत्रीय जनता के हितों को दृष्टिगत रखना और सभी क्षेत्रीय देशों के बीच आपसी सहयोग है।
ईरान-ओमान राष्ट्राध्यक्षों की भेंटवार्ता
राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने ओमान नरेश से भेंट में कहा कि ईरान, ओमान के साथ समस्त क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने में रुचि रखता है। उन्होंने तेहरान-मसक़त के मध्य सहयोग को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की वापसी में महत्त्वपूर्ण व प्रभावी बताया और कहा कि ईरान चाहता है कि क्षेत्र के अन्य देशों के प्रयासों से इस नीति को आगे बढ़ाये। मध्यपूर्व की विस्फोटक परिस्थिति विशेषकर सीरिया, लेबनान और इराक़ के परिवर्तनों के दृष्टिगत ओमान नरेश की ईरान यात्रा बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। ईरान ने क्षेत्र में बढ़ते तनाव विशेषकर सीरिया में रसायनिक शस्त्रों के निराधार आरोप के आधार पर इस देश में सैन्य हस्तक्षेप के दृष्टिगत विभिन्न देशों के साथ विभिन्न देशों से विचार विमर्श तेज़ कर दिए हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के राजनैतिक सलाहकार जेफ़री फ़ेल्टमैन की ईरान यात्रा का उद्देश्य भी मध्यपूर्व की स्थिति की समीक्षा करना है। सोमवार को महासचिव बान की मून के राजनैतिक सलाहकार जेफ़री फ़ेल्टमैन की ईरान यात्रा करेंगे
अफ़ग़ान चुनाव में तीन से चार प्रत्याशी भाग लेंगे
अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कहा है कि अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में तीन से चार प्रत्याशी भाग लेंगे। उन्होंने काबुल में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि दो प्रत्याशियों के मध्य मुक़ाबला उचित होता है जैसा कि अमरीका में होता है किन्तु चार प्रत्याशियों के मध्य भी मुक़ाला उचित हो सकता है।
ज्ञात रहे कि अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव पांच अप्रैल को होंगे। हामिद करज़ई दो बार राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत चुके हैं इसलिए वह इस चुनाव में भाग नहीं ले सकते। उन्होंने तीन संभावित प्रत्याशियों में पूर्व फ़ील्ड कमान्डर अबदुर्रसूल सियाफ़, वर्ष 2009 में राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह और पूर्व वित्तमंत्री अशरफ़ ग़नी का उल्लेख किया। कुछ टीकाकारों का कहना है कि हामिद करज़ई के भाई क़य्यूम करज़ई भी चुनाव में भाग ले सकते हैं।
وَأَذِّن فِي النَّاسِ بِالْحَجِّ يَأْتُوكَ رِجَالًا وَعَلَىٰ كُلِّ ضَامِرٍ يَأْتِينَ مِن كُلِّ فَجٍّ عَمِيقٍ
और लोगों में हज के लिए उद्घोषणा कर दो कि "वे प्रत्येक गहरे मार्ग से, पैदल भी और दुबली-दुबली ऊँटनियों पर, तेरे पास आएँ[22:27]
हिंसक वहाबी विचारधारा को लोगों के लिए स्पष्ट किया जाएः आयतुल्लाह काशानी
तेहरान में जुमे की नमाज़ में आयतुल्लाह काशानी ने कहा है कि वहाबियों की हिंसक विचारधारा स्पष्ट करना इस्लामी धर्मगुरूओं का दायित्व है। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने नमाज़े जुमा के अपने ख़ुत्बे में कहा कि इस्लामी जगत में नरसंहार को रूकवाने हेतु वहाबियों की हिंसक विचारधारा से लोगों को अवगतर कराना, समस्त इस्लामी धर्मगुरूओं और विद्वानों का दायित्व है। आयतुल्लाह काशानी ने कहा कि सलफ़ियों की ओर से जनसंहारों का आरंभ तीसरी शताब्दी से जारी है और उसके बाद ब्रिटेन ने अपनी विस्तारवादी नीति के अन्तर्गत इस्लामी जगत में इस भ्रष्ट एवं हिंसक विचारधारा को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इस्लामी जगत में तेज़ी से फैलती वहाबी विचारधारा की ओर से लोगों को सचेत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में धर्मगुरूओं और इस्लामी विद्वानों का यह दायित्व बनता है कि वे सलफ़ियों या वहाबियों की हिंसक एवं भ्रष्ट विचारधारा को रोकने के लिए प्रयास करें। आयतुल्लाह काशानी ने मिस्र तथा सीरिया की हालिया घटनाओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि हमें मुसलमानों के शत्रुओं को पहचानना चाहिए। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने ईरान में वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व की उपस्थिति की ओर संकेत करते हुए कहा कि देश मंर पाई जानी वाली शांति और स्थिरता, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के उचित मार्गदर्शन के ही कारण संभव है। उन्होंने कहा कि इस्लामी जगत को भी इस इस्लामी विचारधारा से लाभ उठाना चाहिए। अपने भाषण में आयतुल्लाह काशानी ने देश में नई सरकार के गठन की ओर संकेत करते हुए आशा व्यक्त की है कि यह सरकार, देश की समस्याओं के समाधान में सफल सिद्ध हो।
मस्जिदे अक़सा ख़तरे में
फ़िलिस्तीन के इन्फ़ॉरमेशन सेंटर नें ख़बर दी है कि ज़ायोनियों नें रविवार को इस्राईली फ़ौजियों की मदद से बाबुल मुग़ारबा की तरफ़ से मस्जिदे अक़सा के सहेन में घुस कर उस पवित्र स्थान का अपमान किया। अधिकृत फ़िलिस्तीन में लाकर बसाए गए ज़ायोनी, अक्सर मस्जिदे अक़्सा पर हमला करते रहते हैं और उन्हें इस्राईली फ़ौजियों का समर्थन भी प्राप्त होता है।
दूसरी तरफ़ फ़िलिस्तीन के वक़्फ़ बोर्ड नें चेतावनी दी है कि मस्जिदे अक़सा को ज़ायोनियों की तरफ़ से ख़तरा है। फ़िलिस्तीन के वक़्फ़ बोर्ड के अधिकारियों नें चेतावनी दी है कि मस्जिदे अक़सा के नीचे खुदाई का सिलसिला जारी रहता है तो उससे मस्जिद के अस्तित्व को ख़तरा पैदा हो गया है।
इन फ़िलिस्तीनी अधिकारियों नें कहा कि इस पवित्र स्थल के ऊपर इस्राईली युद्धक विमानों द्वारा जानबूझ कर साउंड बैरियर की क्रासिंग अंजाम देने से मस्जिदे अक़सा की दीवारें धीरे धीरे गिरती जा रही हैं और उन दीवारों में बड़ी बड़ी दरारें पड़ती जा रही हैं।
फ़िलिस्तीन के वक़्फ़ बोर्ड के एक अधिकारी हमदी ज़ियाब नें कहा कि ग़ासिब इस्राईली सरकार मस्जिदे अक़सा की बर्बादी के लिये कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस्राईली सरकार दसियों साल से मस्जिदे अक़सा के नीचे खुदाई कर रही है मगर बैकल सुलैमानी से सम्बंधित उसे अपने दावे के सुबूत में कोई भी चीज़ अभी तक नहीं मिली है।
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने की आशंका
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। भारतीय मीडिया का कहना है कि भारत ने चीन की चेतावनियों की उपेक्षा करते हुए मंगलवार सुबह लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (LAC) से कुछ ही दूर दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर अपना C-130 जे सुपर हर्क्युलीज एयरक्राफ्ट उतारा है जिसे भारत की ओर से चीन के लिए कड़ा संदेश समझा जा रहा है।
चीन ने सुपर हर्क्युलीज को लद्दाख भेजने की भारत की योजना पर अपना विरोध जता दिया था। उसने लद्दाख में सुपर हर्क्युलीज को न उतारने की चेतावनी दी थी। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि सुपर हर्क्युलीज कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन तेजबीर सिंह और 'वेल्ड वाइपर्स' की टुकड़ी के साथ इस हवाई पट्टी पर उतरा। इसके बाद वह वापस हिंडन एयरबेस लौट आया। वायुसेना के अधिकारी ने कहा कि सुपर हर्क्युलीज़ की मदद से वासुसेना थलसेना को इस बेहद ऊंचाई वाली पोस्ट पर जरूरी साजो-समान तुरंत मुहैया कराने में सक्षम होगी।
पिछले दिनों 43 साल बाद दो इंजन वाले AN-32 एयरक्राफ्ट को यहां उतारा गया जिसके बाद भारतीय वासुसेना ने 20 टन तक भार ले जाने में सक्षम C-130J सुपर हर्क्युलीज को उताने का फैसला किया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बुलाई रक्षा समिति की बैठक
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने भारत के साथ हालिया तनाव तथा अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सेनाओं के निष्कासन के बाद की स्थिति पर विचार विमर्श के लिए मंत्रिमंडल की रक्षा समिति की बैठक बुलाई है।
11 मई के चुनावों के बाद पाकिस्तान की सरकार तथा सेना के बीच संपर्क के इस फ़ोरम की यह पहली बैठक है। सामान्य रूप से इस बैठक में केन्द्र सरकार की ओर से विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री भाग लेते हैं जबकि तीनों सेनाओं के प्रमुख और ज्वाइंट चीफ़्स आफ़ स्टाफ़ कमेटी के चेयरमैन इस समिति में शामिल होते हैं। सूत्रों के हवाले से मीडिया में आए समाचार के अनुसार 22 अगस्त को होने वाली इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने थल सेना के आप्रेशनल कमांडर से छह अगस्त के दिन नियंत्रण रेखा पर घटने वाली घटना की विस्तृत ब्रीफ़िंग भी मांगी है। सूत्रों का कहना है कि नवाज़ शरीफ़ नियंत्रण रेखा की घटनाओं पर व्यक्तिगत रूप से दृष्टि रख रहे हैं और वे सच्चाई जानने के बाद तनाव कम करने के कुछ उपायों को स्वीकृति देंगे। इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा होगी तथा यह भी तय किया जाएगा कि अगले सप्ताह