Super User

Super User

पाकस्तानी सुरक्षा बलों ने विफल कर दी आक्रमण की योजनापाकिस्तान में सुरक्षा बलों का कहना है कि उन्होंने एक बड़े बम धमाके की योजना को समय रहते विफल कर दिया है।

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार उन्होंने क्वेटा शहर से सौ टन बम बनाने वाली सामग्री बरामद की है और दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये विस्फोटक क्वेटा में एक गोदाम पर छापे के दौरान बरामद किए गए। अधिकारियों का कहना है कि इसमें रासायनिकों के अलावा ऐसी मशीने भी शामिल हैं जो बमों के लिए सामग्री का मिश्रण तैयार करने में प्रयोग की जाती हैं। अधिकारियों ने बताया कि ये उसी तरह की सामग्री है जो इस साल की शुरुआत में लगभग दो सौ लोगों की जान लेने वाले दो धमाकों में इस्तेमाल की गई थी। फ्रंटियर कोर के कर्नल मकबूल शाह ने मीडिया को बताया कि खुदा का शुक्र है कि आज हमने क्वेटा और बलोचिस्तान को एक बड़ी दुर्घटना से बचा लिया है। उन्होंने बताया कि एक घंटे से भी ज्यादा समय तक चले इस अभियान में 10 संदिग्ध चरमपंथियों को गिरफ्तार भी किया गया है।

ज्ञात रहे कि क्वेटा में कई महीनों से लगातार आतंकवादी हमले हो रहे हैं।

न्यायालय ने मुबारक को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कियामिस्र के न्यायालय ने पूर्व तानाशाह हुस्नी मुबारक को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कर दिया जो उनके विरुद्ध बाक़ी बचे मामलों में से एक था।

मिस्र के न्यायिक सूत्रों के अनुसार जिसने नाम प्रकट न करने की शर्त पर बताया कि सोमवार को मिस्र के एक न्यायालय ने मोबारक को भ्रष्टाचार के उस मामले में बरी कर दिया जिसमें वह और उनके दो बेटों पर राष्ट्रपति भवनों की मरम्मत के फ़न्ड को ग़बन करने का आरोप था।

पाकिस्तान ग़लती कर रहा है, करारा उत्तर दिया जाएगानियंत्रण रेखा पर निरंतर संघर्षविराम के उल्लंघन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए थलसेना के एक शीर्ष कमांडर ने पड़ोसी देश को चेताया कि वह एक गंभीर ग़लती कर रहा है। शीर्ष कमांडर ने कहा कि सही समय पर और अपनी मर्जी की जगह पर उसे पूरी शक्ति के साथ करारा जवाब दिया जाएगा।

भारतीय थलसेना के 25 इंफैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वीपी सिंह ने कहा कि पाकिस्तान एक गंभीर ग़लती कर रहा है। भारत ने पाकिस्तान के विशेष बलों के कर्मियों और आतंकवादियों से बनी बीएटी को जनवरी में अपने दो सैनिकों की नृशंस हत्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था।

ज्ञात रहे कि इससे पूर्व एक भारतीय सैनिक की गला काटकर हत्या कर दी गई थी। पिछले दिनों पुंछ सेक्टर में पांच भारतीय जवानों को मौत के घाट उतार देने के मामले में भारत ने पाकिस्तान की बीएटी को ही ज़िम्मेदार ठहराया है।

पाकिस्तान 367 भारतीय क़ैदियों को रिहा करेगापाकिस्तान अपने पड़ोसी देश भारत को सकारात्मक संदेश भेजने के उद्देश्य से 367 भारतीय कैदियों को रिहा करेगा। पाकिस्तानी सूत्रों ने शनिवार को बताया कि दोनों पक्ष नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के प्रयास कर रहे हैं।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि हां यह सही है कि 367 भारतीय क़ैदी और मछुआरों को 24 अगस्त को रिहा किया जा रहा है।

यद्यपि अधिकारी ने यह जानकारी अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर दी क्योंकि निर्णय की अभी तक आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की गई है। दोनों देशों में फिलहाल सैकड़ों कैदी जेलों में बंद हैं। विदेश मामलों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तानी जेलों में 491 क़ैदी बंद हैं जिसमें से 437 मछुआरे और 54 नागरिक शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार भारत में कम से कम 485 पाकिस्तानी क़ैद़ी हैं जिसमें 172 मछुआरे और 313 नागरिक शामिल हैं। हालांकि भारत द्वारा एक जुलाई को वाणिज्य दूत स्तर पर हुए समझौते के तहत जो सूची मुहैया कराई गई है उसमें दिखाया गया है कि भारतीय जेलों में 386 क़ैदी हैं जिसमें 108 मछुआरे हैं।

बैरूत में विस्फोटों के मुख्य संदिग्ध तकफीरी गुटलेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव ने कहा है कि बैरूत विस्फोट में मुख्य संदिग्ध तकफीरी गुट हैं किंतु जांच के मामले में जल्दबाज़ी नहीं की जाएगी।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने जूलाई २००६ में इस्राईली युद्ध में हिज़्बुल्लाह की विजय की वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार की शाम अपने एक भाषण में दक्षिणी लेबनान में गुरुवार को होने वाले भीषण विस्फोट के बारे में कहा कि सब से पहला विचार यह है कि इन विस्फोटों के पीछे इस्राईल का हाथ है जो सदैव हिज़्बुल्लाह के साथ युद्ध की दशा में रहता है।

उन्होंने कहा कि दूसरा विचार यह है कि यह विस्फोट लेबनान में इस्राईली एजेन्टों का काम है जबकि तीसरा विचार यह है कि इन धमाकों के पीछे चरमपंथी तकफीरी गुटों का हाथ हो सकता है जिन्होंने सीरिया के संकट के आरंभ के साथ ही हिज़्बुल्लाह के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर दिया है। उन्होंने बल दिया कि शत्रु सदैव ही हिज़्बुल्लाह से पराजित होने के बाद आम जनता को निशाना बनाता है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बात पर बल देते हुए कि अब किसी भी इस्राईली सैनिक को लेबनानी सीमा के भीतर क़दम नहीं रखने दिया जाएगा कहा कि लेबनान में इस्राईल की सैर का युग बीत गया है।

नई सरकार की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी जनता की सेवातेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा है कि नई सरकार की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी जनता की सेवा करना तथा विभिन्न विभागों में योग्य व सक्षम लोगों को प्रयोग करना है।

तेहरान विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित केन्द्रीय नमाज़े जुमा का ख़ुतबा देते हुए आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार के मंत्रियों का दायित्व बहुत भारी है और मंत्रीमंडल में शामिल लोगों को चाहिए कि अपने दायित्वों के निर्वाह का भरपूर प्रयास करें तथा अपने अपने मंत्रालयों पर संपूर्ण दृष्टि रखें। आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने कहा कि मंत्रियों को चाहिए कि अपने अपने मंत्रालयों में निष्ठावान और योग्य लोगों का चयन करें तथा जनता की अपेक्षाओं पर पूरा उतरने का प्रयास करें।

आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में मिस्र में जारी झड़पों और जनसंहार पर गहरा दुख जताया और इस देश के बुद्धिजीवियों तथा धर्मगुरुओं से अपील की कि आगे बढ़कर रक्तपात की रोकथाम करें। उन्होंने मिस्री सेना की नीतियों और कार्यवाहियों की आलोचना करते हुए सैनिक अधिकारियों को सुझाव दिया कि तार्किक दृष्टिकोण अपनाएं तथा जनता की दृष्टि में स्वयं को और घृणित होने से बचाएं। आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने मिस्र में जारी घटनाओं में साम्राज्यवादी शक्तियों की संलिप्तता को निश्चित बताते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में मिस्री संगठनों और दलों के बीच वार्ता आरंभ करवाने की आवश्यकता है।

आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने 65 साल से फ़िलिस्तीन पर ज़ायोनियों के क़ब्ज़े का हवाला देते हुए कहा कि इस अवधि में फ़िलिस्तीनियो को हमेशा अत्याचार और यातनाओं का निशाना बनाया गया और लोकतंत्र तथा मानवाधिकार के दावे करने वाले पश्चिमी देश न केवल यह कि इन अपराधों के मूक दर्शक बने रहे बल्कि उन्होंने अनेक अवसरों पर इस्राईल की आपराधिक कार्यवाहियों का समर्थन भी किया। आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने ज़ायोनियों के साथ फ़िलिस्तीनी प्रशासन की वार्ता फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों के जघन्य अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश बताया और कहा कि फ़िलिस्तीनी जाग चुके हैं और इस वार्ता को उन्होंने रद्द कर दिया है जिसमे उनका कोई भी वास्तविक प्रतिनिधि शामिल नहीं है।

आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने लेबनान की राजधानी बैरूत में बृहस्पतिवार की रात होने वाले धमाके की भर्त्सना की और इसे एक त्रासदी का नाम दिया।

आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने पवित्र नगर मदीना में स्थित जन्नतुल बक़ी क़बरिस्तान में चरमपंथी वहाबियों के हाथों शीया समुदाय के चार इमामों के मज़ार ध्वस्त किए जाने की घटना की बर्सी को इस्लामी जगत और विशेष रूप से शीया समुदाय के लिए बहुत बड़ी मुसीबत और दुखा का दिन ठहराया। उन्होंने कहा कि चरमपंथी तकफ़ीरी संगठन पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की मोहब्बत लोगों के दिलों से कभी भी मिटा नहीं पाएंगे।

वार्ता की पाकिस्तानी पहल अस्वीकार!पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां मोहम्मद नवाज़ शरीफ ने मंगलवार को कहा है कि आतंकवाद की समस्या देश के एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

उन्होंने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए संयुक्त पहल पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए सभी प्रान्तों से परामर्श और संपर्क आवश्यक है। इस से पहले भारत से संबंधों के बारे में नवाज शरीफ ने कहा कि हम भारत से बहुत प्यार करते हैं और हम दोनों को साफ दिल के साथ बैठना होगा, तभी समस्याओं का निवारण होगा। समाचारों के अनुसार नवाज़ शरीफ ने एक साक्षात्कार में कहा कि आइए हम मिलकर नई शुरुआत करें. आइए हम साथ बैठकर मैत्रीपूर्ण व्यवहार के साथ सारे मुद्दों को सुलझाएं। इसी मध्य पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार भारत ने वार्ता की नवाज़ शरीफ की पहल को अस्वीकार कर दिया है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार भारतीय विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को सकारात्मक चिन्ह बताते हुए पाकिस्तान से मांग की है कि वह हाफिज़ सईद के विरुद्ध कार्यवाही करे।

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई के बयान की रौशनी में

दुनिया के जाल से बचें

 

इमाम अली अ. का पूरा जीवन हमारे लिये आइडियल है लेकिन इस समय मैं उनकी ख़िलाफ़त और हुकूमत के ज़माने के सिलसिले में कुछ बातें कहना चाहता हूँ। जिन दिनों हज़रत अली अ. ख़लीफ़ा बने हैं और आपने हुकूमत की बागडोर सम्भाली है, उन दिनों में और पैग़म्बर के ज़माने में काफ़ी अन्तर था। रसूलुल्लाह स. के देहान्त और हज़रत अली अ. की ख़िलाफ़त के बीच पच्चीस साल में जो घटनाएं उस समय के इस्लामी समाज में घटी थीं जिन्होंने लोगों की फ़िक्र और उनके नेचर पर बहुत गहरा प्रभाव डाला था। इमाम अली अ. नें लगभग पाँच वर्ष हुकूमत की और उन पाँच वर्षों का एक एक दिन याद रखने वाला और सीखने वाला है। इन पाँच वर्षों में इमाम अ. का एक काम लोगों के अख़लाक़ की तरबियत करना था। उनके स्वभाव को ठीक करना था। क्योंकि लोगों की गुमराही में बहुत बड़ा हाथ उनके अख़लाक़ का होता है। आज की तरह उस ज़माने के लोगों में भी एक बीमारी थी और वह थी दुनिया से उनकी मोहब्बत। इमाम की नज़र में सारी बुराइयों की जड़ यही थी। इमाम नें एक जगह फ़रमाया-

 

’’اَلدُّنیَا رَأسُ كُلِّ خَطِیئَةٍ ‘‘

 

दुनिया की मोहब्बत सभी बुराइयों की जड़ है।

दुनिया है क्या?

दुनिया उसी सर्वश्रेष्ठ नेचर को कहते हैं जो ख़ुदा नें बनाया है और हम इन्सानों को उस से फ़ायदा उठाने और उसे इस्तेमाल करने की आज्ञा दी है। हमारी उम्र, वह चीज़ें जिन्हें हम अपनी मेहनत और कोशिश से हासिल करते हैं। सन्तान, प्रापर्टी, इल्म, पानी, हवा, नैचुरल संसाधन और वह सारी चीज़ें जो इन्सान दुनिया में और उसके नेचर में देखता है वह सब दुनिया हैं। क्या यह बुरी चीज़ें हैं? क्या इस्लाम इनका विरोधी है? कुछ आयतें और हदीसें कहती हैं कि यह दुनिया तुम्हारे लिये बनाई गई है, इस से फ़ायदा उठाओ, इसे इस्तेमाल करो-

 

’’خَلَقَ لَكُم مَّا فِي الأَرْضِ جَمِيعًا‘‘

 

ज़मीन पर जो भी है वह तुम्हारे लिये बनाया गया है। यह दुनिया तुम्हारी है। इसे बनाओ, इसके नेचर से फ़ायदा उठाओ-

 

’’اَلدُّنیَا مَزرَعَةُ الآخِرَةِ ‘‘

 

दुनिया आख़ेरत की खेती है-

 

’’اَلدُّنیَا مَتجَرُ عِبَادِاللَّهِ‘‘

 

दुनिया अल्लाह के बंदों के लिये व्यापार करने की जगह है। लेकिन कुछ ऐसी भी आयतें और हदीसें हैं जिनमें दुनिया की बुराई की गई है। दुनिया को बुराइयों की जड़ आदि कहा गया है। दुनिया के बारे में यह दो तरह की बातें क्यों की गईं हैं? इनको कैसे जमा किया जा सकता है? इसका जवाब यह है कि ख़ुदा नें यह दुनिया इसी लिये बनाई है ताकि इन्सान इसमें रहे और इस से फ़ायदा उठाए, इसे इस्तेमाल करे और अच्छी ज़िन्दगी जिये लेकिन उसे खुली छूट नहीं दी गई है कि जो चाहे जिस तरह चाहे इस्तेमाल करे बल्कि उसके कुछ क़ायदे क़ानून बनाए और बताए गए हैं और इन्सान से कहा गया है कि उनको सामने रखते हुए दुनिया से फ़ायदा उठाए। उतना ही इस्तेमाल करे जितना उसकी ज़रूरत है। उतना ही ले जितना उसका अधिकार है, इस दुनिया में इतना न खो जाए कि ख़ुदा ही को भूल जाए। दिल में दुनिया की मोहब्बत न बसा ले क्योंकि जब दिल में किसी की चाह और उसकी मोहब्बत बस जाती है तो इन्सान उसे हासिल करने के लिये कुछ भी कर बैठता है।

 

’’حُبُّ الشَّى‌ءِ یُعمِى وَ یُصِمّ‘‘

 

किसी चीज़ की मोहब्बत इन्सान को अन्धा और बहरा बनाती है। इससे मालूम होता है कि ख़ुद दुनिया कोई बुरी चीज़ नहीं है और इस्लाम नें उससे रोका नहीं है बल्कि उसकी मोहब्बत में जाना। अपनी दुनिया के लिये दूसरों की दुनिया ख़राब करना, हद से आगे बढ़ना, इस से रोका गया है और इसी को इमाम अली अ. नें बुराइयों की जड़ कहा है।

दुनिया का फ़ितना

रसूलल्लाह स. के लोग दुनिया की मोहब्बत में इतने अन्धे बहरे हो गए थे कि उन्होंने हज़रत अली अ. जैसे महान इन्सान का अधिकार छीन लिया, वह अली अ. जिसकी कोई मिसाल नहीं थी और न है उनका विरोध किया, उन पर अत्याचार किया, उन्हें सताया। इसका कारण क्या था? इसका कारण यही दुनिया की मोहब्बत थी जिसको इमाम बुराइयों की जड़ कहते हैं। जब दुनिया के पुजारी और उससे मोहब्बत करने वाले हुकूमत सम्भालते हैं तो वही होता है जो आजकल आप दुनिया में देख रहे हैं। यानी दूसरों पर अत्याचार करते हैं, झूठे प्रोपगण्डे, जंगें, लड़ाइयां, एक दूसरे के विरुद्ध गंदी राजनीति यह सब षड़यंत्र होते हैं तो सब उसकी लपेट में आते हैं। अच्छे भी बुरे भी। वह लोग भी जो दुनिया के पीछे हैं और वह सीधे साधे लोग भी जो जिन्हें दुनिया वालों के शैतानी कारनामों का कुछ पता ही नहीं होता। दुनिया का फ़ितना उस धुँवे व कोहरे की तरह होता है जिसमें इन्सान दो मीटर दूर की चीज़ को भी नहीं देख पाता है। जब समाज में ऐसा हो जाए यानी इस तरह का फ़ितना खड़ा हो जाए तो अच्छे अच्छे लोग भटक जाते हैं। इसी लिये दुनिया को बुराइयों की जड़ बताया है।

नहजुल बलाग़ा में जगह जगह आपको मिलेगा कि इमाम नें दुनिया से दूर रहने, उससे बचने, उससे दिल न लगाने, ज़ोह्द अपनाने और दुनिया को तलाक़ देने की बात की है और कहा जा सकता है इमाम अ. नें नहजुल बलाग़ा में जिस विषय पर सबसे ज़्यादा बात की है वह यही है। अलबत्ता इमाम नें ख़ुदा दुनिया की बुराई नहीं की है बल्कि उसके मोहब्बत के जाल में फँस जाने से रोका है। ख़ुद इमाम नें दुनिया से इतना फ़ायदा उठाया है जितना एक मोमिन को उठाना चाहिये। आप इमाम के जीवन का इतिहास पढ़ें, आपको मालूम होगा कि इमाम खेतों में काम करते थे, बाग़ लगाते थे, कुँवे खोदते थे, मेहनत मज़दूरी करते थे यह सब करते थे लेकिन ख़ुदा के लिये, लोगों की सेवा के लिये, उनको दुनिया से कोई ऐसी चाहत नहीं थी कि उसके लिये इन्सानी और दुनियावी सीमाओं को पार कर जाते। और चूँकि वह दुनिया को बहुत अच्छी तरह जान और समझ चुके थे, उसके धोखे को देख चुके थे इसलिये दूसरों को सावधान करते थे कि उसके जाल में न फँसना यह तुम्हे बर्बाद कर के छोड़ेगी। दुनिया की बुराइयों से बचने का रास्ता भी इमाम नें नहजुल बलाग़ा में बताया है और वह है तक़वा। इमाम फ़रमाते हैं-

 

’’عَظُمَ الخَالِقُ فِى أَنفُسِهِم فَصَغُرَ مَا دُونَهُ فِى أَعیُنِهِم‘‘

 

ख़ुदा उनकी नज़र में इतना बड़ा और सर्वश्रेष्ठ है कि उसके अलावा सारी चीज़ें उन्हें छोटी मालूम होती हैं। वह इस दुनिया को, दुनिया के धन दौलत को, दुनिया की इन पोस्टों को, इस चमक धमक को, आनन्द भरी चीज़ों को बिल्कुल छोटा समझते हैं। यह तक़वे की विशेषता है। जिसके अन्दर भी तक़वा होता है वह दुनिया को ज़्यादा महत्व नहीं देता। ऐसा नहीं है कि दुनिया से दूर भागता हो बल्कि उससे बस इतना ही लेता है जितना उसकी ज़रूरत और अधिकार होता है।

बीमारी का इलाज

दुनिया की मोहब्बत एक बीमारी है हमें इसका इलाज करना चाहिये। इस बीमारी के इलाज के लिये यह रातें एक अच्छा अवसर है और इलाज भी इन्हीं दुआओं, क़ुरान की तिलावत, तौबा व इसतेग़फ़ार, अल्लाह की याद के द्वारा हो सकता है। जवानों को मेरी नसीहत और मेरा यह उपदेश है कि इन दुआओं को अनुवाद के साथ पढ़ें, इन्हें समझें। अगर कोई दुआएं पढ़ सकता है तो अपनी ज़बान में ख़ुदा से दुआ करे, उससे बातें करे। यानी हमारी इस बीमारी का इलाज करेंगी जो दूसरी सभी बीमारियों की जड़ है।

सोमवार, 12 अगस्त 2013 04:11

ईदे फ़ित्र

ईदे फ़ित्र

ईदे फ़ित्र मुसलमानों की एकता व सहृदयता का प्रतीक

ईदे फ़ित्र की सुगंध पवित्र रमज़ान के दरवाज़ों से गुज़र कर लोगों के घरों को महका रही है। यह ईद ईश्वर पर असीम आस्था रखने वालों के मन व आत्मा में ईमान के फूलों के खिलने का समाचार दे रही है। वे लोग जिन्होने एक महीने तक रोज़े रख कर शरीर और आत्मा दोनों पर जमी धूल को झाड़ कर ईश्वरीय प्रकाश से अपने अस्तित्व को चमका दिया है, इस दिन उत्सव मना रहे हैं।

ईदे फ़ित्र मनुष्य के अपनी ईश्वरीय प्रवृत्ति की ओर लौटने का दिन है, और ईश्वर के प्रेमी इसी प्रवृत्ति की ओर लौटने पर अपने पालनहार का आभार व्यक्त करने के लिये विशेष नमाज़ का आयोजन करते तथा उत्सव मनाते हैं। जिन लोगों ने पवित्र रमज़ान के पूरे महीने अपनी आंतरिक इच्छाओं को नियंत्रित करके अपने आप को सुधारने तथा अपने व्यक्तित्व में संतुलन उत्पन्न करने का अभ्यास कर लिया है और इस प्रकार ईमान के ऊंचे स्तर तक पहुंच गये हैं, वे इस ईद में आत्मिक व आध्यात्मिक स्वाद का आभास करते हैं। इस प्रकार आत्मा और मन को प्राप्त होने वाले महान स्थान उत्सव मनाने का वास्तविक कारण हैं।

शव्वाल महीने का चांद निकलते ही ईदे फ़ित्र आ पहुंचती है।लोग एक दूसरे को शुभकामनाये और मुबारकबाद देते हैं और अनेक लोग इस रात की विशेष नमाज़ और दुआयें पढ़ते हैं, फिर अगली सुबह की तय्यारियां आरंभ हो जाती हैं।

ईद की प्रातः लोग नहा धोकर और पवित्र वस्त्र पहिन कर ईद गाह की ओर चल पड़ते हैं उनके होठों पर ईश्वर का गुणगान होता है तथा वे ईश्वर की महानता व अनन्यता की गवाही देते हुये नमाज़ के लिये आगे बढ़ रहे होते हैं। पैगम्बरे इस्लाम(स) के पौत्र इमाम अली रज़ा(अ) अल्लाहो अकबर अर्थात ईश्वर सबसे महान है, बार बार दोहराने का कारण बताते हुये कहते हैं, यह शब्द ईश्वर की महानता को दर्शाते हैं और एक प्रकार से उसके प्रति सम्मान प्रकट करने तथा उसके मार्गदर्शन एवं अनुकंपाओं के लिये आभार व्यक्त करने के अर्थ में हैं।

ईदे फ़ित्र सभी मुसलमानों की ईद है और इस्लाम जगत में हर स्थान पर मनाई जाती है। यदि इस दिन आप किसी मुस्लिम देश या मुस्लिम समाज में हों तो आपको उस प्रसन्नता व आनन्द का आभास होगा जो मुसलमानों को इस दिन प्राप्त होता है और जिसे वे एक दूसरे में स्थानांतरित करते हैं। वास्तव में यदि देखा जाये तो यह प्रसन्नता रोज़े का महीना समाप्त होने के कारण नहीं होती बल्कि इसका कारण पापों से पवित्र हो कर एक नया व पवित्र जीवन आरम्भ करना होता है। रमज़ान एक भट्ठी के समान है जो रोज़ा रखने वालों के अवगुणों व अशिष्ट व्यवहार को जला कर मनुष्य को जीवन के प्रति एक नया दृष्टि कोण तथा एक नया व्यक्तित्व प्रदान करती है।

इस वर्ष ईदे फ़ित्र सदैव की भांति नहीं मनाई जा सकेगी क्योंकि कई इस्लामी देश इस वर्ष संकटों में घिरे हुये हैं। लोग इस ईद के धार्मिक आयाम तो मनाएंगे परन्तु ईद का उत्सव नहीं मनाया जासकेगा। सीरिया, बहरैन, मिस्र, ट्युनिस तथा अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध जैसी स्थिति है और जनता बड़ी कठिनाई में जीवन व्यतीत कर रही है जब कि उधर फ़िलिस्तीन में जनता ज़ायोनी शासन के अत्याचारों में ग्रस्त है और पश्चिमी शक्तियां पूरी ढिटाई से ज़ायोनी शासन का साथ दे रही हैं। उधर अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान तथा इराक़ में अमरीकी हितों के लिये काम करने वाली सऊदी कठपुतलियां अर्थात सलफ़ी गुट के लोग आतंक फैलाये हुये हैं। इस प्रकार मुसलमानों को शीया व सुन्नी के नाम पर आपस में लड़वाकर इस्लाम के शत्रु उन्हें कमज़ोर कर रहे हैं और स्वयं इसका लाभ उठा रहे हैं।

विश्व के सभी इस्लामी देशों में ईद सदैव बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती थी। उदीहरण स्वरूप आप सीरिया को ले लें। वहां ईद के अवसर पर बड़े स्तर पर उत्सव मनाया जाता था, नगरों की सजावट होती थी, लोग नये वस्त्र पहनते थे, घरों को साफ़ सुथरा करके सजाया जाता तथा मेहमानों के लिये विभिन्न प्रकार के खाने और मिठाइयां तय्यार की जाती थीं परन्तु इस समय भ्रष्ट तकफ़ीरी गुटों ने पश्चिमी देशों तथा कुछ अरब देशों की सहायता से लोगों का नर संहार करके और घरों को तबाह करके बड़ी संख्या में महिलाओं तथा बच्चों को कैम्पों में रहने पर विवश कर दिया है। प्रत्येक स्थिति में, दुखी मन के साथ भी लोग ईदे फ़ित्र की नमाज़ पढ़ने तो जायेंगे ही क्योंकि यह नमाज़ सब को एकत्रित करके उन्हें यह ढारस बंधाएगी कि वे अकेले नहीं हैं और सबसे बढ़कर ईश्वर उनकी स्थिति को अवश्य ही उत्तम रूप में परिवर्तित करेगा तथा अत्याचारियों से प्रतिशोध अवश्य लेगा। यही स्थिति इराक़, बहरैन, मिस्र आदि की भी है।

हमारी दुआ है कि वर्तमान ईद विश्व में शान्ति का संदेश लेकर आई हो, आपस में लड़ने वाले मुसलमानों में सद्बुद्धि आये कि वे अपने वास्तविक शत्रुओं को पहचानें और भ्रष्ट शक्तियों एवं गुटों की कठपुतली बनकर अपने देश व धर्म को हानि न पहुचायें। क्योंकि ईदे फ़ित्र ऐसा आध्यात्मिक अवसर है जो एक महीने तक ईश्वर का आदेशापालन करने के बाद हाथ आता है। यह ईद ईश्वरीय आतिथ्य समाप्त होने तथा गुनाह व पाप से दूर रहने का मीठा फल चखने का अवसर बन कर आती है। इस दिन ईश्वरीय अनुकंपाओं के द्वार उपासकों एवं पवित्र लोगों के लिये खुले होते हैं, ईश्वरीय कृपा, वर्षा की भांति उनके तन मन पर बरस रही होती है। मन की आखों से देखें तो हर वस्तु ईश्वरीय रंग में डूबी तथा एक अलौकिक सुगंध में बसी होती है। यह दिन अपने पालन हार से सामिप्य का दिन होता है।

पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद(स) कहते हैं कि जब ईद की पूर्व संध्या आती है तो ईश्वर रोज़ा रखने वालों को असीम प्रतिदान देता है।

ईद के दिन हर व्यक्ति अपने प्रयास को अनुसार प्रतिदान प्राप्त करता है, अर्थात जिसने पवित्र रमज़ान में ईश्वर का आज्ञा पालन अधिक किया है, भूख, प्यास तथा अपनी आंतरिक इच्छाओं को अच्छी तरह नियंत्रित किया है, उसका भाग ईद की ईश्वरीय कृपाओं एवं अनुकंपाओं में अधिक होगा। हज़रत अली(अ) मुसलमानों का ध्यान ईद की महानता की ओर आकर्षित करते हुये कहते हैः आज के दिन को ईश्वर ने तुम्हारे लिये ईद बनाया है अतः निरन्तर ईश्वर की याद में रहो ताकि वह भी तुम को याद रखे। उसे पुकारो कि तुम्हारा उत्तर दे, इस शुभ दिन अपना फ़ितरा दो जो वास्तव में तुम्हारे पैग़म्बर की परम्परा है तथा पालनहार की ओर से तुम पर अनिवार्य किया गया है।

फ़ितरा एक प्रकार का इस्लामी कर है जिसे रमज़ान के रोज़ों के बाद देना अनिवार्य होता है और इसका उद्देश्य इस्लामी समाज से दरिद्रता को उखाड़ फेंकना होता है। आर्थिक विकास और सामाजिक समस्याओं के समाधान के अतिरिक्त फ़ितरे के अन्य लाभ भी हैं जैसे सहकारिता व सहयोग की भावना को उजागर करना, समाज की सांसकृतिक तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति, ऐसे ऋणी लोगों के ऋण चुकाना जो वास्तव में कठिनाई में घिरे हुये हैं,स्कूल, सड़कें, तथा अस्पताल बनवाना और समाज की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना।

फ़ितरे के सामाजिक व आर्थिक आयामों के अतिरिक्त इसके आध्यात्मिक आयाम भी हैं। इस्लामी शिक्षओं में आया है कि यदि फ़ितरा उपासना तथा ईश्वरीय सामिप्य की दृष्टि से दिया जाता है तो इस प्रकार भौतिकता से आध्यात्मिकता के लिये लाभ उठाया जाता है और एक ईमान वाला व्यक्ति मार्गदर्शन व परिपूर्णता के मार्ग पर रहने के लिये स्वयं को भौतिकता की ज़ंजीरों से मुक्त करा लेता है तथा हल्का होकर ईश्वर की ओर बढ़ने लगता है।

तेहरान में ईद की नमाज़ इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई की इमामत में अदा की गयी, ईद की नमाज़ के बाद अपने ख़ुत्बे में इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने पश्चिमी एशिया ख़ास कर फिलिस्तीन की घटनाओं को चिंताजनक बताया है।

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने फिलिस्तीन की घटनाओं पर जहां पिछले ६५ वर्षों से अत्याचार जारी है, चिंता प्रकट की है। उन्होंने घरों को ध्वस्त किये जाने, बच्चों को उनके माँ बाप से अलग किये जाने, बंदियों की संख्या में बढ़ोत्तरी और सब से अधिक दुखदायी, पश्चमी देशों के समर्थन को फिलिस्तीनियों की समस्याओं में से बताया।

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस बात पर बल देते हुए मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करने वाले देश, ज़ायोनियों के अपराधों का समर्थन करते हैं, कहा कि तथाकथित शांति वार्ता का नाकामी के अतिरिक्त कोई नतीजा नहीं निकलेगा और निश्चित रूप से साम्राज्यवादियों का नया षडयंत्र, फिलिस्तीनियों के लिए ही हानिकार होगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने इसी तरह मिस्र के आंतरिक हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस देश में गृहयुद्ध की आशंका दिन प्रतिदिन प्रबल होती जा रही है और यह एक त्रासदी है। इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने मिस्र में विदेशियों के हस्तक्षेप की ओर से चेतावनी देते हुए कि जिसका एकमात्र नतीजा इस देश की जनता की हानि के रूप में निकलेगा, मिस्र के राजनीतिक व धार्मिक दलों को सिफारिश की कि वह अपने देश के मामलों में विदेशियों को हस्तक्षेप न करने दें।

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इराक़ के हालात के बारे में कहा कि इस देश में इस्लामी व प्रजातांत्रिक मापदंडों के आधार पर एक सरकार का गठन हुआ और चूंकि पश्चिमी देश, इराक में शांति व स्थिरता के इच्छुक नहीं हैं इस लिए वे हथियार और डालर द्वारा इराक़ को अशांत बना और इस देश के हुकूमती ढांचे को तबाह कर रहे हैं।