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भारत और पाकिस्तान के विदेशमंत्री करेंगे मुलाक़ात।
भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात तय पा गई है।
सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के विदेश मंत्री 13 सितंबर को क़िरक़ीज़िस्तान में मिलेंगे। रिपोर्टों के अनुसार भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और सरताज अज़ीज़ के बीच भेंट 13 सितंबर को क़िरक़ीज़िस्तान में तय पा गई है।
सूत्रों के अनुसार दोनों की भेंट शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के अवसर पर होगी और बैठक में भारत पाक के प्रधानमंत्रियों की संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तावित भेंट पर भी बात होगी। समाचारों के अनुसार भेंट की अपील पाकिस्तान ने की थी जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया।
जान कैरी ने बोला वर्ष 2013 का सबसे बड़ा झूठ
तेहरान की नमाज़े जुमा के इमाम ने सीरिया में जारी संकट को पश्चिमी देशों और विशेष रूप से अमरीका की लिबरल डेमोक्रेटिक सोच का दुष्परिणाम बताया।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने तेहरान विश्वविद्यालय के परिसर में नमाज़े जुमा के खुतबों में सीरिया को धमकियों देने वाले देशों विशेष रूप से अमरीका की आलोचना करते हुए कहा कि सीरिया में आज जो कुछ हो रहा है वह पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेटिक सोच का परिणाम है। उन्होंने कहा कि लगभग तीस महीने हो रहे हैं कि अमरीका, ज़ायोनी शासन, सऊदी अरब, तुर्की और क़तर द्वारा समर्थित आतंकवादियों द्वारा लगाई गई आग में सीरिया जल रहा है और हज़ारों निर्दोष नागरिक जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं मारे जा चुके हैं। आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने अमरीकी विदेश मंत्री जान कैरी के इस बयान को वर्ष 2013 का सबसे बड़ा झूठ बताया कि अमरीका सीरिया में अलक़ायदा से सहयोग नहीं कर रहा है। आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि पुष्ट साक्ष्यों से साबित हो चुका है कि अलक़ायदा सीरिया में अमरीका तथा कुछ क्षेत्रीय देशों की आर्थिक और सामरिक मदद से आतंकवादी हमले कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीरिया में अलक़ायदा अमरीकी योजनाओं को लागू करने का साधन बन गया है और अमरीका सीरिया में अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अलक़ायदा की भरपूर मदद कर रहा है जबकि कुछ वर्ष अमरीका ने इसी अलक़ायदा को ध्वस्त करने के बहाने अफ़ग़ानिस्तान पर सैनिक आक्रमण किया था। आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने अमरीकी विदेश मंत्री के इस बयान को हास्यास्पद बताया कि सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद ने रासायनिक हमला करके रेड लाइन पार कर दी है, आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि ग्वान्तानामो जेल तथा इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका की गुप्त जेलों में क़ैदियों को दी जाने वाली यातनाएं अमरीका को विश्व में मानवाधिकार का सबसे बड़ा हननकर्ता साबित करती हैं।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने सीरिया पर आक्रमण की अमरीका की योजना के बारे में कहा कि बश्शार असद सरकार को गिराने की अपनी योजनाओं और चालों को विफल होता देखकर अमरीकियों को अब यह लग रहा है कि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सीरिया पर आक्रमण के अलावा कोई और मार्ग नहीं है। आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि सीरिया की सरकार पर यह आरोप सही नहीं है कि उसने रासायनिक हमला किया है क्योंकि जिस सरकार और सेना ने हालिया महीनों में उग्रवादियों के विरुद्ध कार्यवाही में लगातार सफलताएं अर्जित की हैं उसे रासायनिक हमला करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ)
आसमान वालों के नज़दीक इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की उपाधि पहले से ही सादिक़ थी।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ का नाम जाफ़र, आपकी कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह, अबू इस्माईल और आपकी उपाधियां, सादिक़, साबिर व फ़ाज़िल और ताहिर हैं, अल्लामा मज़लिसी लिखते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ ने अपनी ज़िंदगी में हज़रत इमाम जाफ़र बिन मोहम्मद (अ) को सादिक़ की उपाधि दी और उसका कारण यह था कि आसमान वालों के नज़दीक आप की उपाधि पहले से ही सादिक़ थी।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ 17 / रबीउल अव्वल 83 हिजरी में मदीना में पैदा हुए।
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की विलादत की तारीख को खुदा वंदे आलम ने बड़ा सम्मान और महत्व दिया है हदीसों में है कि इस तारीख़ को रोज़ा रखना एक साल रोज़ा रखने के बराबर है आपके जन्म के बाद एक दिन हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि मेरा यह बेटा उन कुछ ख़ास लोगों में से है कि जिनके वुजूद से ख़ुदा ने लोगों पर एहसान फ़रमाया और यह मेरे बाद मेरा जानशीन व उत्तराधिकारी होगा।
अल्लामा मज़लिसी ने लिखा है कि जब आप मां के पेट में थे तब कलाम फरमाया करते थे जन्म के बाद आप ने कल्मा-ए-शहादतैन ज़बान पर जारी फ़रमाया।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत
उल्मा के अनुसार 15 या 25 / शव्वाल 148 हिजरी में 65 साल की उम्र में मंसूर ने आपको ज़हर देकर शहीद कर दिया।
अल्लामा इब्ने हजर, अल्लामा इब्ने जौज़ी, अल्लामा शिब्लन्जी, अल्लामा इब्ने तल्हा शाफ़ेई लिखते हैं कि
مات مسموما ایام المنصور
मंसूर के समय में आप ज़हेर से शहीद हुए हैं। (1)
उल्मा-ए-शिया सहमत हैं कि आप को मंसूर दवानेक़ी ने ज़हर से शहीद कराया था, और आप की नमाज़ हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने पढ़ाई थी अल्लामा कुलैनी और अल्लामा मज़लिसी का फ़रमाते हैं कि आप अच्छा कफ़न दिया गया और आपको जन्नतुल बक़ीअ में उन्हें दफ़्न किया गया।
जामिया अल अज़हर नें सीरिया पर अमरीकी हमले का विरोध किया
अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी (अबना) की रिपोर्ट के अनुसार मिस्र की मशहूर ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी अलअज़हर ने सीरिया पर अमरीका के सम्भावित हमले का विरोध किया है और कहा है कि इसको अरब और इस्लामी क़ौम के विरुद्ध बर्बरता समझा जाए।
जामिया अल अज़हर नें रविवार को एक बयान में दो टूक शब्दों में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सीरिया के विरुद्ध फ़ौजी हमलों को ग़लत बताते हुए उसका विरोध किया है।
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा नें शनिवार को ऐलान किया था कि वह सीरिया के विरुद्ध फ़ौजी कार्यवाही के लिये कांग्रेस से परमीशन चाहेंगे और कांग्रेस 9 सितम्बर तक उनके फ़ैसले का समर्थन करे।
बराक ओबामा संयुक्त राष्ट्र की रक्षा समिति के कुछ स्थाई सदस्यों के विरोध के बाद भी सीरिया के विरुद्ध फ़ौजी कार्यवाही के लिये तैयार है। इस समय सीरिया के किनारे समंदर में अमरीका के 5 लड़ाकू जहाज़ मौजूद हैं और उनसे सम्भावित रूप से सीरिया पर मीज़ाइल हमले किये जाएंगे। अमरीकी राष्ट्रपति का कहना है कि रक्षा समिति की मंज़ूरी के बाद भी सीरिया के बिना भी वह हमले के लिये तैयार हैं।
जामिया अलअज़हर का कहना है कि इस तरह के हमले अरब और इस्लामी क़ौम के विरुद्ध बर्बरता समझे जाएंगे और उन से अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सदभावना को ख़तरा पैदा हो जाएगा।
इस महान ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी का कहना था कि सीरिया की जनता को अपनी क़िस्मत और सरकार का आज़ादी वाला और मोहब्बद से भरे अंदज़ में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिये। बयान में सीरिया में किसी भी पक्ष की तरफ़ से रासायनिक हथियारों के प्रयोग की निंदा की गई।
सीरिया के समर्थन में जारी है प्रदर्शनों का क्रम
सीरिया पर अमरीका के संभावित आक्रमण के विरुद्ध न केवल लेबनानी जनता के प्रयास जारी हैं बल्कि लेबनान की राजनैतिक पार्टियों और लेबनान में फ़िलिस्तीनी पार्टियों के सदस्यों ने भी बैरूत में अमरीका के विरुद्ध प्रदर्शन किए हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को हुए इस प्रदर्शन में भाग लेने वालों ने रसायनिक शस्त्रों के प्रयोग के बहाने, सीरिया पर सैन्य आक्रमण करने के अमरीकी निर्णय की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ से इस संभावित आक्रमण को रुकवाने की मांग की है। बैरूत में होने वाले इस प्रदर्शन में फ़िलिस्तीनी और लेबनानी जनता ने ऐसे प्ले कार्ड उठा रखे थे जिन पर सीरियाई राष्ट्र और सरकार के समर्थन में नारे लिखे हुए थे।
इस प्रदर्शन में शामिल एक फ़िलिस्तीनी ने कहा कि फ़िलिस्तीनी गुट सीरिया पर संभावित आक्रमण के विरुद्ध अपने समर्थन की घोषणा करते हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम का व्यक्तित्व सृष्टि की महानताओं और परिपूर्णताओं का चरम बिंदु है। यह व्यक्तित्व, महानता के उन पहलुओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है जो मनुष्यों के विवेक की पहुंच के भीतर हैं जैसे सूझबूझ, बुद्धि, तत्वज्ञान, उदारता, कृपा, दया, क्षमाशीलता आदि और उन पहलुओं की दृष्टि से भी जो मानव बुद्धि की पहुंच से ऊपर हैं। अर्थात वह आयाम जो पैग़म्बरे इस्लाम (स) को ईश्वर की महान विशेषताओं के प्रतीक के रूप में पेश करते हैं या ईश्वर से उनके सामिप्य के महान स्थान को उद्धरित करते हैं। इन आयामों को बस हम महानता और परिपूर्णता का नाम देते हैं और इनके बारे में बस इतना ही जानते हैं कि यह बहुत महान चीज़ें हैं। इनकी विषयवस्तु का हमें ज्ञान नहीं है। इन तथ्यों का बोध केवल ईश्वर के विशेष बंदों को ही होता है। यह तो पैग़म्बरे इस्लाम (स) का महान व्यक्तित्व है। दूसरी ओर उनका लाया हुआ वह महान संदेश है जो मानव कल्याण तथा मानव उत्थान के लिए सबसे भरोसेमंद मार्ग पेश करता है। यह कहना सही होगा कि मानवता आज तक इस संदेश के सभी आयामों को पूर्णरूप से अपने जीवन में लागू नहीं कर सकी है किंतु इसमें कोई संदेह नहीं है कि मानवता एक न एक दिन उस ऊंचाई तक आवश्य पहुंचेगी जब यह सारे आयाम उसके जीवन में रच बस जाएंगे। इस विचार का कारण यह है कि मानव विवेक दिन प्रतिदन नई चोटियां सर कर रहा है अतः यह सोचना बिल्कुल दुरुस्त है कि एक दिन मनुष्य सूझबूझ और ज्ञान के उस महान स्थान पर पहुंच जाएगा जहां इस्लाम, मानव जीवन के हर भाग को अपने नियमों से सुशोभित कर चुका होगा।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के एकेश्वरवाद के संदेश की सत्यता, जीवन के लिए इस्लाम का पाठ और मानव कल्याण एवं सौभाग्य के लिए इस्लाम द्वारा बयान किए गए स्वर्णिम सिद्धांत सब मिलकर मनुष्य को उस स्थान पर पहुंचा देंगे जहां उसे उसका खोया हुआ गंतव्य मिल जाएगा और अपने वांछित मार्ग पर पहुंच कर उत्थान की यात्रा पर चल पड़ेगा। हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य बात यह है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यक्तित्व के बारे में अधिक से अधिक शोध करें, उसका विशलेषण करें।
इस समय इस्लामी जगत की सबसे बड़ी समस्या सांप्रदायिकता और आपसी मतभेद एवं वैमनस्य है। एसे में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यक्तित्व को एकता व समन्वय का केन्द्रीय बिंदु और ध्रुव बनाया जा सकता है जिनपर समस्त मुसलमानों और न्यायप्रेमी लोगों की गहरी आस्था और गहरा ईमान है। मुसलमानों के पास पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यक्तित्व से अधिक उज्जवल बिंदु नहीं है जिसपर सारे मुसलमानों का विश्वास और आस्था है और जिसको आधार बनाकर सबको एक प्लेटफ़ार्म पर एकत्र किया जा सकता हो और जिससे समस्त मुसलमानों और न्यायप्रेमी लोगों को हार्दिक संबंध और आत्मिक आस्था हो।
यह कोई संयोग की बात नहीं है जो आज हम देख रहे हैं कि इधर कुछ वर्षों से कुछ तत्वों ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) के संबंध में उसी प्रकार से अनादरपूर्ण टिप्पणियां और हरकतें आरंभ कर दी हैं जैसी मध्युगीन शताब्दियों में होती थीं। मध्ययुगीन शताब्दियों में भी ईसाई पादरियों ने अपने भाषणों और लेखों में तथा तथाकथित कलाकृतियों में पैग़म्बरे इस्लाम के व्यक्तित्व को निशाना बनाया था। बीती शताब्दी में भी हमने एक बार फिर देखा कि पश्चिम के कुछ लेखकों ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यक्तित्व को अपनी ओछी हरकतों का निशाना बनाया है। कई साल गुज़र जाने के बाद हालिया वर्षों में हम फिर देख रहे हैं कि मीडिया और तथाकथित सांस्कृतिक लिटरेचर के नाम पर पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अनादर की कुचेष्टा की गई है।
यह सब कुछ सोची समझी साज़िश के अंतर्गत हो रहा है क्योंकि उन्होंने इस तथ्य को भांप लिया है कि मुसलमान इसी पवित्र व्यक्तित्व पर समन्वित और एकजुट हो सकते हैं इसलिए कि मुसलमानों को उनसे प्रेम और अथाह स्नेह है अतः उन्होंने इसी ध्रुव को हमले का निशाना बनाया है। अतः इस समय बुद्धिजीवियों, धर्मगुरुओं, लेखकों और कवियों सबकी ज़िम्मेदारी है कि उनसे जिनता भी हो सकता है पैग़म्बरे इस्लाम (स) के व्यक्तित्व की महानता के आयामों को उजागर करें। मुसलमानों और ग़ैर मुस्लिमों को उनसे अवगत करवाएं। इससे मुसलमानों के बीच एकता व एकजुटता मज़बूत करने में भी मदद मिलेगी तथा इस्लाम की ओर लालायित युवा पीढ़ी का भी मार्गदर्शन हो जाएगा।
स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की तत्वदर्शी दृष्टि के आधार पर इस्लामी क्रान्ति का एक महान प्रतिफल यह है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के शुभ जन्म के दिनो को एकता सप्ताह का नाम दिया गया है। इस दृष्टि से भी इस मामले का महत्व कई गुना बढ़ चुका है कि बहुत से लोगों की बड़ी प्राचीन कामना थी कि इस्लामी एकता के लिए काम किया जाए। कुछ लोग केवल बात की सीमा तक अपना नज़रिया पेश करते थे किंतु यह बहुत पुरानी मनोकामना थी। बहरहाल इस मनोकामना और इच्छा की पूर्ति के लिए व्यवहारिक क़दम उठाना आवश्यक था क्योंकि कोई भी मनोकामना व्यवहारिक प्रयास और संघर्ष के बग़ैर पूरी नहीं हो सकती। जब हमने इस दिशा में व्यवहारिक क़दम उठाने और वांछित गंतव्य तक पहुंचने के मार्ग के बारे में सोचा तो ध्रुव और केन्द्र के रूप में जो महान व्यक्तित्व हमारे सामने आया वह पैग़म्बरे इस्लाम (स) का व्यक्तित्व था जिनकी केन्द्रीय स्थिति समस्त मुसलमानों की आस्थ का स्रोत है। इस्लामी दुनिया में वह बिंदु जिसपर सब एकमत हैं और जो समस्त मुसलमानों की भावनाओं और अनुभूतियों का केन्द्र है वह पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) के अलावा कोई अन्य नहीं है। भावनाओं की मानव जीवन में बड़ी केन्द्रीय भूमिका होती है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) की भांति उनके परिजनों को भी सभी मुसलमान मानते और उनके प्रति गहरा प्रेम करते हैं। अलबत्ता शीया समुदाय उन्हें इमाम अर्थात ईश्वर की ओर से नियुक्त मार्गदर्शक भी मानता है जबकि ग़ैर शीया मुसलमान उन्हें इमाम तो नहीं मानते किंतु पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिजन होने के नाते उनसे श्रद्धा रखते हैं। उन्हें एसे महान इंसानों के रूप में देखते हैं जिन्हें इस्लाम धर्म के नियमों का सबसे अधिक ज्ञान है। इस आधार पर मुसलमानों को चाहिए कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के साथ ही उनके परिजनों की शिक्षाओं का पालन करते हुए स्वयं को एक प्लेटफ़ार्म पर एकत्रित करें।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के शुभ जन्म के दिन हर मुसलमान के लिए एकता हेतु स्वर्णिम अवसर हैं। इसी महान हस्ती के जन्म से मानव इतिहास में निर्णायक मोड़ आया। सृष्टि की हर महानता का स्रोत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम का व्यक्तित्व और उनका शिष्टाचार है और इस तथ्य से प्रत्येक मुसलमान भलिभांति अवगत है।
अमरीका का संभावित आक्रमण पूरे विश्व के लिए त्रासदी
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा है कि सीरिया पर अमरीका का संभावित आक्रमण पूरे क्षेत्र विश्व के लिए त्रासदी सिद्ध होगा।
हुज्जुल इस्लाम काज़िम सिद्दक़ी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में सीरिया पर आक्रमण की अमरीका और उसके घटकों की कोशिशों का हवाला देते हुए कहा कि यह हमला क्षेत्र और पूरे विश्व को आग में झोंक देगा। उन्होंने कहा कि अमरीका और उसके घटक देश सीरिया पर आक्रमण करके विजय तो प्राप्त कर नहीं पाएंगे उल्टे उनके विरुद्ध इस्लमी जगत और पूरे मानव समाज की घृणा बढ़ेगा।
हुज्जुल इस्लाम काज़िम सिद्दक़ी ने कहा कि विजय तो सीरिया की सरकार और जनता की होगी और सीरिया की जनता अपनी दृढ़ता और प्रतिरोध से अमरीका के हर षडयंत्र को विफल बना देगी।
हुज्जुल इस्लाम काज़िम सिद्दक़ी ने मिस्र वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता जताई और कहा कि निहत्थे लोगों का जनसंहार चाहे किसी भी पक्ष की ओर से किया जाए निन्दनीय है। उन्होंने कहा कि मिस्र के हितैषी लोगों को चाहिए कि एसे उपाय करें जिससे यह देश गृहयुद्ध से बच जाए क्योंकि गृह युद्ध केवल मिस्र ही नहीं पूरे इस्लामी जगत के लिए असहनीय है।
हुज्जुल इस्लाम काज़िम सिद्दक़ी ने इराक़ की स्थिति के बारे में कहा कि इस देश में एक क़ानूनी सरकार है किंतु लगातार आतंकवादी कार्यवाहियां और धमाके हो रहे हैं जो आतंकवादी संगठनो की सोची समझी योजना का एक भाग हैं। उन्होंने कहा कि यह आतंकवादी संगठन इराक़ में सांप्रदायिक आग भड़काना चाहते हैं किंतु शीया व सुन्नी धर्मगुरुओं तथा इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के मार्गदर्शनों से यह योजना विफल हो गई है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमेरिका को चेतावनी दी
ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी और उनकी सरकार के सदस्यों ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से भेंट की। वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने इस भेंट में मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीक़ा के परिवर्तनों तथा देश के महत्पूर्ण आंतरिक मामलों को बयान किया और सीरिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के प्रति चेतावनी दी। वरिष्ठ नेता ने इस भेंट में ज्ञान एवं अर्थव्यवस्था को सरकार की प्राथमिकता बताया और ईरान के राष्ट्रपति को अच्छा, विश्वास पात्र और अच्छे अतीत का स्वामी, क्रांतिकारी व्यक्ति बताया। इस भेंट में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने नई सरकार से मांग की है कि वह अर्थ व्यवस्था और ज्ञान को अपनी प्राथमिकता क़रार दे और मंहगाई को नियंत्रित करके लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करके लोगों में अच्छे भविष्य के प्रति आशा में वृद्धि करे। वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र की स्थिति को संवेदनशील बताया और सीरिया में अमेरिका के सैनिक हस्तक्षेप को एक त्रासदी बताया और कहा कि यदि इस प्रकार की कार्यवाही होती है तो निश्चित रूप से अमेरिकियों को इराक और अफगानिस्तान में हस्तक्षेप की भांति नुकसान उठाना पड़ेगा।
पश्चिम और क्षेत्र के कुछ देशों ने यह दावा किया है कि सीरियाई सैनिकों ने रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया है और अपने इसी दावे को आधार बनाकर उन्होंने सीरिया में सैनिक हस्तक्षेप के लिए गतिविधियां आरंभ कर दी हैं जबकि सीरिया ने बारम्बार इस दावे का कड़ाई से खंडन किया है। अमेरिका सीरिया के शत्रुओं में सबसे आगे है। अमेरिका के विदेशमंत्री जान केरी, युद्धमंत्री चक हैगल अमेरिका के उपराष्ट्रपति जो बाइडेन सहित दूसरे अमेरिकी व पश्चिमी अधिकारियों का कहना है कि सीरिया पर आक्रमण निकट है। पश्चिमी राजनेताओं का कहना है कि सीरिया पर आक्रमण करने के संबंध में निर्णय लेने की उल्टी गिनती आरंभ हो चुकी है। प्रश्न यह उठता है कि क्या अमेरिका को सीरिया सहित किसी देश की जनता से सहानुभूति है? इसलिए वह एसा करना चाहता है? इसका उत्तर स्पष्ट है अमेरिका को किसी भी देश की जनता से कोई प्रेम नहीं है उसे केवल अपने हितों से प्रेम है और वह अपने हितों की पूर्ति के लिए किसी प्रकार की कार्यवाही में संकोच से काम नहीं लेता। वह अफगानिस्तान में तालेबान और अलक़ायदा से मुकाबले का दावा करता है और उन्हें आतंकवादी कहता है जबकि यही अमेरिका सीरिया में अलक़ायदा का समर्थन करता है और उन्हें हर प्रकार के हथियारों से लैस करता है। सारांश यह कि उसका मापदंड केवल उसके हित हैं न कि कोई और चीज़।
हर तरह के विदेशी हमले का डट कर मुक़ाबला किया जाएगा।
सीरिया के विदेशमंत्री ने कहा है कि हर तरह के विदेशी हमले का डट कर मुक़ाबला किया जाएगा।
वलीदुल मुअल्लिम ने मंगलवार को दमिश्क़ में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सीरिया पर सैन्य हमले की संभावना के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि सीरिया पर विदेशी हमले के माध्यम से वह सीरियाई सेना तथा विद्रोहियों के बीच तथाकथित संतुलन स्थापित कर देंगे लेकिन यह एक निरर्थक आशा है और सीरियाई राष्ट्र के प्रतिरोध को नुकसान पहुंचाने के बड़ी शक्तियों के सभी प्रयास विफल रहे हैं। उन्होंने सीरियाई सेना द्वारा रसायनिक शस्त्र प्रयोग किए जाने के अमरीकी अधिकारियों के दावों को पूर्ण रूप से निराधार बताया। इस बीच सूचना है कि अज्ञात बंदूक़धारियों द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के निरीक्षकों पर फ़ायरिंग किए जाने के बावजूद उन्होंने दूसरे दिन भी उस स्थान का निरीक्षण किया जहां रसायनिक शस्त्रों से हमले किया गया था।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर शरीफ़ व करज़ई के बीच वार्ता
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति के बीच दूसरे चरण की वार्ता मरी में हुई।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नवाज़ शरीफ़ और हामिद करज़ई ने मंगलवार को अपनी वार्ता के दूसरे चरण में क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति के बारे में विचार विमर्श किया। इस अवसर पर पाकिस्तानी सेना के प्रमुख अश्फ़ाक़ परवेज़ कियानी, वित्तमंत्री इस्हाक़ डर और विदेशी मामलों में प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार तारिक़ फ़ातेमी भी उपस्थित थे। ज्ञात रहे कि अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई एक दिवसीय यात्रा पर सोमवार को पाकिस्तान पहुंचे थे किंतु पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के आग्रह पर उन्होंने अपनी यात्रा में एक दिन का विस्तार कर दिया।