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सीरिया, एक महान एतिहासिक जीत के क़रीब।
सय्यद हसन नसरुल्लाह नें हरम की मजलिसों और अज़ादारी जुलूसों को आयोजित करने वाली अंजुमनों के सदस्यों से बातचीत करते हुए कहा कि अब हम कह सकते हैं कि एक महान ऐतिहासिक व स्ट्रॉटेजिक सफलता की शुरूआत तक केवल 15 मिनट बाक़ी हैं।
हिज़बुल्लाह लेबनान के प्रमुख सय्यद हसन नसरुल्लाह नें कहा कि सीरिया के ख़िलाफ़ ज़्यादातर साज़िशें असफल हो चुकी हैं और बहुत जल्दी ही एक ऐतिहासिक और महान जीत मिलने वाली है।
लेबनान के अल सफ़ीर अख़बार नें सय्यद हसन नसरुल्लाह के हवाले से लिखा है कि मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि हम सीरिया के ख़िलाफ़ की जाने वाली ज़्यादातर साज़िशों को, राजनीतिक हमले की राह में क्षेत्र के कुछ देशों की तरफ़ से गंभीर रुकावटों के बाद भी असफल कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सीरिया दोबारा सुख और शांति की राह पर चल देगा और राजनीतिक हल की राह पर पहुँच जाएगा जबकि दूसरी तरफ़ से लड़ाई का समर्थन करने वाला धड़ा असफल हो चुका है।
अल सफ़ीर के अनुसार सय्यद हसन नसरुल्लाह नें मुहर्रमुल हराम की मजलिसों और जुसूसों को आयोजित करने वाली अंजुमनों के सदस्यों से बात चीत करते हुए कहा कि अब हम कह सकते हैं कि अब एक महान ऐतिहासिक और स्ट्रॉटेजिक सफलता मिलने वाली है।
बांग्लादेशः ५ विपक्षी नेता गिरफ्तार
बांग्लादेश में सरकार ने विपक्ष द्वारा हड़ताल की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर ५ विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है।
बांग्लादेश में खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनल पार्टी द्वारा अपनी मांगों के लिए 72 घंटों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटे बाद बीएनपी के पांच शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है।
रविवार की सुबह से शुरू होने वाली हड़ताल का उद्देश्य इस देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद की सरकार से सत्ता से हटाने और चुनाव के आयोजन के लिए एक कार्यवाहक सरकार नियुक्त किये जाने की मांग के लिए सरकार पर दबाव डालना है।
प्राप्त ब्योरे के अनुसार सादी वर्दी पहने अधिकारियों ने शुक्रवार रात बीएनपी की नीति निर्माता स्थायी समिति के तीन सर्वोच्च सदस्यों मौदूद अहमद, एमके अनवर और रफीकुल इस्लाम मियां को गिरफ्तार किया और फिर पुलिस ने खालिदा ज़िया के सलाहकार और बांग्ला देश के शीर्ष उद्योगपति अब्दुल अवल मिंटू और खालिदा ज़िया के विशेष सहायक शिंबूल बिस्बास को स्थानीय समयानुसार रात एक बजे हिरासत में ले लिया गया। इन गिरफ्तारियों के विरोध में बीएनपी ने प्रस्तावित हड़ताल को 12 घंटे और बढ़ाते हुए कहा कि 84 घंटों का यह हड़ताल अब बुधवार शाम तक जारी रहेगा।
पिछले दो सप्ताहों के दौरान विपक्ष ने खालिदा ज़िया के नेतृत्व में 120 घंटे की आम हड़ताल की थी , जिसके परिणामस्वरूप हिंसा फैली थी और कम से कम 18 लोग मारे गए ।
प्रतिबंधों से ईरान का व्यवहार प्रभावित नहीं
विदेशमंत्री अली मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने बल दिया है कि प्रतिबंधों ने परमाणु वार्ता में ईरान के व्यवहार को प्रभावित नहीं किया है। उन्होंने बीबीसी से साक्षात्कार में जेनेवा में ईरान और गुट पांच धन एक के मध्य परमाणु वार्ता के नये चरण की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरान की बैंकिग व्यवस्था और तेल पर प्रतिबंधों ने वार्ता में ईरान के व्यवहार को प्रभावित नहीं किया है।
उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि ईरान के तेल और बैंकों पर कड़े प्रतिबंध, ईरान के व्यवहार के परिवर्तित होने का कारण नहीं हैं, कहा कि वार्ता में ईरान के व्यवहार के परिवर्तित होने का मुख्य कारण नई सरकार और नये गुट का सत्ता में आना है जिसने इससे पूर्व भी इसी व्यवहार के साथ विश्व की बड़ी शक्तियों से वार्ता की है।
इसी बीच ईरान और अमरीका के विदेशमंत्रियों और यूरोपीय संघ की विदेश नीति आयुक्त कैथरीन एश्टन के मध्य जेनेवा में जेनेवा में चौथे चरण की वार्ता भी संपन्न हो गयी।
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस
ज़ीक़ादह की बारह तारीख़ हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस है। यही अवसर जब आकाश के समस्त तारे नज़रे बिछाए ईश्वरीय तर्क के संसार में क़दम रखने की प्रतीक्षा कर रहे थे, फिर ईश्वरीय तर्क ने संसार में आंखे खोली, धरती और आकाश का वातावरण ईश्वरीय सुगंध से महक उठा। पैग़म्बरे इस्लाम का पवित्र वंश आगे बढ़ा और पिता ने पुत्र का नाम अली रखा।
ईश्वर की ओर से नियुक्त इमाम ईश्वरीय दया, शक्ति व कृपा के दर्पण होते हैं और समस्त ईश्वरीय गुणों को बेहतरीन ढंग से इमामों में देखा जा सकता है। विभिन्न कथनों और हदीसों में इमामों की उपाधियों और उनकी विशेषताओं के बारे में जो कुछ बयान किया गया है, वह इमामों की विशेषताओं व सदगुणों का एक छोटा सा उदाहरण है और यही छोटा सा पहलू सत्य के खोजियों और परिज्ञानियों के लिए मार्ग की मशअल है। आइये इस कार्यक्रम में हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के कुछ गुणों और विशेषताओं पर प्रकाश डालते हैं।
इस्लाम धर्म के प्रसिद्ध विद्वान व बुद्धिजीवी शैख़ सदूक़ उयूने- अख़बारुर्रज़ा नामक पुस्तक में लिखते हैं कि हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की विभिन्न उपाधियां थीं जो उनके व्यवहार और उनके सदगुणों को दर्शाती थीं उनकी सबसे प्रसिद्ध उपाधि आलिमे आले मुहम्मद अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के ज्ञानी।
हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के हवाले से एक कथन बयान हुआ कि उनके पिता हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्लाम ने कई स्थानों पर कहा है कि तुम्हारी पीढ़ी में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों का ज्ञानी होगा, काश मैं उसको देख सकता और उसका नाम हज़रत अली के नाम की भांति है।
हज़रत इमाम रज़ा की इमामत के काल में इस्लामी समाज में दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र और वादशास्त्र की चर्चाएं बहुत अधिक प्रचलित थीं और इस्लामी जगत पर अब्बासी शासक मामून का राज था। अब्बासी शासकों में मामून सबसे अधिक ज्ञानी व चतुर था और अपने काल के कई ज्ञानों पर उसे दक्षता प्राप्त थी। उस समय इस्लामी जगत में विभिन्न गुटों की ओर से विभिन्न दृष्टिकोण और विचार फैले हुए थे। मामून ने इमाम रज़ा को अपनी राजधानी मर्व में बुलाकर इमाम और विभिन्न बुद्धिजीवियों के मध्य कई शास्त्रार्थ कराए। मामून जिसके बारे में भी यह समझता था कि अमुक बुद्धिजीवी इमाम रज़ा से शास्त्रार्थ में बाज़ी मार ले जाएगा उसे इमाम रज़ा से शास्त्रार्थ का निमंत्रण देता था परंतु इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी धर्म का कोई भी विद्वान विजयी होकर सभा से नहीं निकला। शास्त्रार्थ सभा में भाग लेने वाले बड़े बड़े विद्वान और दिग्गज बुद्धिजीवी अंत में इमाम रज़ा के सदगुणों और तर्कों के समक्ष नतमस्तक हो जाते थे और यही कहते हुए सभा से निकलते थे कि आज तक ऐसा तर्क हमने किसी की ज़बान से नहीं सुना।
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के काल में साएब समुदाय का जो ईश्वरीय दूत हज़रत यहिया का अनुयायी है, एक दक्ष व निपुण विद्वान था जिसका नाम था इमरान साएबी। अब्बासी शासक ने सभा का आयोजन किया और इस सभा में यहूदी, नसरानी, साएबी और आग के पुजारी मजूसी लोग के बड़े बड़े विद्वान और दिग्गज उपस्थित थे। हज़रत इमाम रज़ा ने यहूदी और नसरानी बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि तुम्हारे बीच कोई इस्लाम धर्म का विरोधी है और कुछ पूछना चाहता है या उसे कोई शंका है तो पूछे। अभी इमाम रज़ा की बात समाप्त ही नहीं हुई थी कि इमरान साएबी खड़ा हुआ और उसने कहा कि हे विद्वान, यदि आपने स्वयं न कहा होता तो मैं आपसे न पूछता। मैंने कूफ़ा, बसरा, सीरिया और अरब के विभिन्न क्षेत्रों की यात्राएं की हैं और वहां के दक्ष व निपुण वादशास्त्रियों से चर्चाएं भी कीं किन्तु उनमें से कोई भी यह सिद्ध न कर सका कि ईश्वर एक है और अपनी अनन्यता पर बाक़ी है। क्या मुझे प्रश्न करने की अनुमति है? इमाम ने कहा कि तुम्हारे मन में जो भी प्रश्न हो पूछो। भरी सभा में इमारान साएबी ने शंकाओं और प्रश्नो की झड़ी लगा दी किन्तु इमाम ने भी समस्त प्रश्नों का एक एक करके ठोस तर्कों से ऐसा उत्तर दिया कि इमरान साएबी को भागने का रास्ता न मिल सका और उसी सभा में उसने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।
हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने शास्त्रार्थ में विभिन्न पंथों और धर्मों के बुद्धिजीवियों की शंकाओं के उत्तर उन्हीं के धर्मों और पंथों के तर्कों के आधार पर दिए। यही कारण था कि जब अब्बासी शासक मामून ने ईसाई धर्म के प्रसिद्ध विद्वान जासलीक़ को शास्त्रार्थ का निमंत्रण दिया तो उसने मामून से दो टूक शब्दों में कहा कि मैं उस व्यक्ति से कैसे शास्त्रार्थ करूं जो उस पुस्तक अर्थात क़ुरआने मजीद से तर्क पेश करता है जिसे मैं स्वीकार ही नहीं करता और ऐसे पैग़म्बर के कथनों को तर्क के रूप में पेश करता है जिस पर मैं आस्था ही नहीं रखता। इमाम रज़ा ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा कि हे विद्वान यदि मैं इन्जील से तुम्हारे लिए तर्क पेश करूं तो तुम स्वीकार करोगो। जासलीक़ ने तुरंत उत्तर दिया हां क्यों नहीं। वास्तव में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने ईसाई धर्म के इस विद्वान से दोनों ओर की स्वीकार्य समानताओं के आधार पर शास्त्रार्थ किया और उसे परास्त कर दिया। शास्त्रार्थ के अंत में जासलीक़ इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम को संबोधित करते हुए कहता है कि मैंने सोचा भी नहीं था कि मुसलमानों के मध्य आप जैसा भी कोई होगा।
हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने यहूदी धर्म के प्रमुख रास जालूत से शास्त्रार्थ के दौरान हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की पैग़म्बरी के बारे में साक्ष्य पेश करने को कहा। उसने उत्तर में कहा कि वे ऐसे चमत्कार लेकर आए थे कि जो उनसे पहले के ईश्वरीय दूतों के पास नहीं थे। इमाम ने कहाः उदहारण स्वरूप कौन से चमत्कार? उसने कहा उदाहरण स्वरूप समुद्र को फाड़ देना, लाठी को सांप में परिवर्तित करना, पत्थर पर लाठी मारकर सोता जारी करना, यदे बैज़ा और बहुत सी निशानियां जो अन्य लोगों के बस की बात नहीं है। इमाम ने कहा तुम्हारी दृष्टि में हज़रत मूसा ने अपनी सत्यता सिद्ध करने के लिए ऐसे कार्य व चमत्कार पेश किए जो अन्य लोगों की बस की बात नहीं थे, तुम यही कहना चाहते हो ना। इस आधार पर जो कोई भी पैग़म्बरी का दावा करे और उसके बाद ऐसे कार्य करे जो दूसरों के बस में न हो तो क्या उसकी पुष्टि करना तुम्हारे ऊपर अनिवार्य नहीं है? यहूदी विद्वान ने तुरंत कहा कि नहीं, क्योंकि हज़रत मूसा ईश्वरीय सामिप्य के कारण अद्वितीय थे और जो भी ईश्वरीय पैग़म्बर होने का दावा करे हम पर अनिवार्य नहीं है कि उस पर ईमान लाएं किन्तु यह कि जैसे हज़रत मूसा ने चमत्कार पेश किए वैसा ही चमत्कार पेश करे। इमाम रज़ा ने कहा कि यदि ऐसी बात है तो तुम उन ईश्वरीय दूतों पर कैसे ईमान रखते हो जो हज़रत मूसा से पहले थे जबकि उनके पास हज़रत मूसा के जैसा चमत्कार भी नहीं था। यहूदी ने कहा कि मैंने कहा था कि जो भी अपनी पैग़म्बरी की पुष्टि के लिए चमत्कार पेश करे, यद्यपि उसके चमत्कार हज़रत मूसा से भिन्न ही क्यों न हो उसकी पुष्टि करना अनिवार्य है। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि तो फिर तुम हज़रत ईसा पर ईमान क्यों नहीं लाते। जबकि उनके पास अनेक चमत्कार थे, वह मुर्दों को जीवित करते थे, जन्मजात अंधों को आंखें प्रदान करते थे और मिट्टी से पक्षी बनाते और उसके बाद उसमें ईश्वर की अनुमति से आत्मा फूंक देते थे और वह जीवित होकर उड़ जाता था। रास जालूत ने ठंडे स्वर में कहा कि कहते हैं कि उन्होंने यह काम किया किन्तु हमने तो देखा नहीं। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि क्या तुमने मूसा का चमत्कार देखा है। क्या इन चमत्कारों की सूचना तुम तक किसी विश्वस्त के हवाले से नहीं पहुंची है? उसने कहाः हां, ऐसा ही है। इमाम रज़ा ने कहा कि जिस तरह से हज़रत मूसा के चमत्कारों के बारे में विश्वस्त सूत्रों के हवाले से तुम तक सूचनाएं पहुंची हैं ठीक उसी तरह हज़रत ईसा मसीह के चमत्कारों के बारे में भी तुम्हारे पास सूचनाएं पहुंची हैं, तो तुम क्यों हज़रत मूसा पर ईमान रखते हो और हज़रत ईसा पर ईमान नहीं रखते? इमाम अलैहिस्सलाम ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसी तरह अंतिम ईश्वरीय दूत हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैह व आलेही वसल्लम और दूसरे पैग़म्बरों के बारे में जो ईश्वर की ओर से भेजे गये हैं। हमारे पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम के चमत्कारों में यह है कि निर्धन अनाथ थे, दूसरों की भेड़ बकरियों को चराते थे और इसका मेहनताना लेते थे, किसी से ज्ञान प्राप्त नहीं किया, इन सबके बावजूद वह ऐसा पवित्र क़ुरआन लेकर आए जिसमें समस्त ईश्वरीय दूतों की कहानियां बयान की गयी हैं और उनके जीवन के समस्त आयामों को एक एक शब्द करके बयान किया गया है। पवित्र क़ुरआन में प्रलय तक के पूर्वजों व वंशजों की सूचनाएं समाई हुई हैं और उन्होंने बहुत सी निशानियां और चमत्कार पेश किए हैं। हज़रत इमाम रज़ा का शास्त्रार्थ रास जालूत से जारी रहा कि उसने इमाम रज़ा को संबोधित करते हुए कहा कि ईश्वर की सौगंध, हे मुहम्मद के पुत्र, मेरे क़दम इस चीज़ ने रोक दिए कि मैं यहूदी धर्म का मुखिया हूं , नहीं तो मैं आपका अनुसरण करता। उस ईश्वर की सौगंध जिसने मूसा को तौरैत दी और दाऊद को ज़बूर दी, मैंने दुनिया में आपसे बेहतर किसी को नहीं देखा जो तौरैत और इन्जील की आपसे बेहतर तिलावत करे और आपसे बेहतर व अच्छी व्याख्या करे।
इस प्रकार की चर्चाएं और शास्त्रार्थ इस बात के सूचक हैं कि हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने इस्लाम धर्म और पैग़म्बरे इस्लाम व उनके परिजनों की शुद्ध आस्थाओं को बहुत ही तार्किक व सुदृढ़ ढंग से लोगों के सामने पेश किया और यही कारण था कि मित्र तो मित्र शत्रुओं ने भी उनके ज्ञान का लोहा मान लिया और यह स्वीकार किया कि आप अपने समय के सबसे अधिक बुद्धिमान व ज्ञानी व्यक्ति हैं। इसीलिए इतिहासों में मिलता है कि पैग़म्बर व इमाम अपने समय के लोगों में सबसे अधिक बुद्धिमान व ज्ञानी होते हैं।
मित्रो हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर आपकी सेवा में बधाई प्रस्तुत करते हैं और अपने इस कार्यक्रम को इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शिक्षाप्रद कथन से समाप्त करते हैं। आप कहते हैं कि ज्ञान उस ख़ज़ाने की भांति है जिसकी चाभी प्रश्न है, ईश्वर तुम पर कृपा करे क्योंकि प्रश्न करने से चार लोगों को पारितोषिक मिलता है, प्रश्न करने वाले को, सीखने वाले, सुनने वाले को और उत्तर देने वाले को।
ईरान परमाणु शस्त्रों के प्रयास में नहीं हैः वरिष्ठ नेता
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी क्रांति के साथ वर्चस्ववादी व्यवस्था की शत्रुता का मुख्य कारण इस क्रांति का मुख्य संदेश है जिसमें अत्याचारियों के विरुद्ध संघर्ष और अन्य लोगों पर अत्याचार करने से रोका गया है। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को तेहरान में इस्लामी क्रांति के सुरक्षाबल, सिपाहे पासदारान के कमाण्डरों, कर्मचारियों और वरिष्ठ लोगों के साथ भेंट में क्रांति की सुरक्षा के विषय को समझाते हुए कहा कि वर्चस्ववादी व्यवस्था ने विश्व को अत्याचारियों और अत्याचार सहन करने वालों जैसे दो भागों में बांट रखा है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति, अत्याचार से दूरी का संदेश अपने साथ लाई और उसका यह संदेश, देश की सीमाओं के बाहर गया जिसका राष्ट्रों से स्वागत किया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि तानाशाही और वर्चस्ववाद पर निर्भर सरकारों तथा अन्तर्राष्ट्रीय लुटेरों ने युद्ध भड़काने, ग़रीबी बढ़ाने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसी नीतियां अपना रखी हैं और इस्लाम की ओर से इन नीतियों का विरोध ही उनकी शत्रुता का मुख्य कारण है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने स्पष्ट किया कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, न केवल अमरीका और ग़ैर अमरीका के लिए बल्कि अपनी इस्लामी आस्था के आधार पर परमाणु शस्त्रों के प्रयोग का विरोधी है किंतु ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतविधियों के विरोधियों का मुख्य लक्ष्य कुछ और ही है। वरिष्ठ नेता ने इसी प्रकार सिपाहे पासदारान की उपलब्धियों को एक सफल राष्ट्र के अनुभवों, उसके व्यक्तित्व, गहरी पहचान और सफलता का परिचायक बताते हुए कहा कि दृढ़ता के साथ क्रांतिकारी बाक़ी रहना ही सिपाहे पासदारान की सुन्दर उपलब्धि है। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने आगे कहा कि इस्लामी क्रांति के सुरक्षाबल, संसार के भीतर परिवर्तन या देश के भीतर परिवर्तन की आवश्यकता के बहाने मुख्य मार्ग से कभी नहीं हटे। वरिष्ठ नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि क्रांति की सुरक्षा के लिए इस्लामी क्रांति के सुरक्षाबलों को, परिवर्तनों और विभिन्न प्रक्रियाओं की उचित एवं पर्याप्त जानकारी रखनी चाहिए कहा कि इस बात की आवश्यकता नहीं है कि यह संगठन, राजनीति के क्षेत्र में भी गतिविधियां करे किंतु क्रांति की सुरक्षा के लिए उसे हर आयाम और हर ओर से चौकन्ना रहना चाहिए। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र, तार्किक और वैज्ञानिक आधारों पर आगे बढ़ रहा है किंतु शत्रु, अपने आंतरिक विरोधाभासों या अन्तर्विरोधों के कारण पीछे की ओर जा रहा है जिससे वह कमज़ोर होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि एसी स्थिति में स्वभाविक है कि भविष्य केवल उसी का है जो तार्किक, सुनियोजित और वैज्ञानिक ढंग से आगे बढ़ रहा है।
कैनेडा में पर्दे पर प्रतिबंध के विरोध में प्रदर्शन।
मेह्र न्यूज़ एजेंसी नें एसोसिएटेड प्रेस के हवाले से ख़बर दी है कि कैनेडा में सरकारी कर्मचारियों के पर्दा करने और पगड़ी पहनने पर प्रस्तावित प्रतिबंध कि ख़िलाफ़ हज़ारों लोगों नें प्रदर्शन किया। इन विरोध प्रदर्शनों में मुसलमान, यहूदी, ईसाई, सोल सोसाईटी और राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों सहित सभी नें हिस्सा लिया। विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों का कहना था कि प्रस्तावित प्रतिबंध शहरी आज़ादी का मामला है जिसे वह किसी भी हालात में क़ुबूल नहीं कर सकते। कैनेडा के क्योबैक प्रदेश का एक संसदीय दल, सरकारी कर्मचारियों पर पर्दा, सर पर पगड़ी और विभिन्न धर्मों के संकेत समझी जाने वाली चीज़ें पहनने पर पाबंदी का बिल तैयार कर रही है।
अमरीकी राष्ट्रपति के बयान पर ईरान की प्रतिक्रिया
विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने एबीसी टीवी चैनल के साथ अमरीकी राष्ट्रपति के साक्षात्कार में उनके बयान को, युद्ध के आतार्किक व गैर कानूनी विकल्प पर वाइट हाउस के आग्रह की संज्ञा दी है।
विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता मरज़िया, अफ़ख़म ने कहा कि प्रभावशाली लाबियों द्वारा अमरीकी विदेश नीतियों को बंधक बनाया जाना, एक ठोस वास्तविकता है किंतु केवल इसी लाबी के हितों की पूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों और संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र का उल्लंघन करते हुए युद्ध के विकल्प को अपनाने का कोई औचित्य नहीं है।
विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने आशा प्रकट की कि ओबामा सरकार, ईरानी राष्ट्र से टकराव की पहले की अमरीकी सरकारों से पाठ लेते हुए, यह स्वीकार कर लेगी कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के विरुद्ध धमकीपूर्ण स्वर का, परमाणु तकनीक के अधिकार की प्राप्ति के ईरानी राष्ट्र के संकल्प को कोई प्रभाव नहीं होगा और केवल सम्मानजनक भाषा से ईरान के साथ वार्ता की जा सकती है।
विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने बल दिया कि परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में उल्लंघन न होने पर बारम्बार बल दिया है और जैसा कि ईरान के राष्ट्रपति ने हालिया दिनों में कहा है ईरान वार्ता प्रक्रिया के लंबे होने का विरोधी है और उसका मानना है कि दूसरे पक्ष में संकल्प होने की दशा में बड़ी तेज़ी के साथ परमाणु मामले का समाधान मिल सकता है।
याद रहे अमरीकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा ने अपने साक्षात्कार में कहा था कि अमरीका ईरान पर सैन्य आक्रमण के लिए तैयार है।
मनमोहन सिंह दंगाग्रस्त मुजफ्फरनगर की यात्रा पर
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को दंगाग्रस्त नगर मुजफ्फरनगर का दौरा कर रहे हैं। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह स्थिति की समीक्षा करेंगे। वे उन अस्पतालों का दौरा करेंगे जहां घायलों का इलाज चल रहा है। प्रधानमंत्री हिंसाग्रस्त इलाकों में जाकर प्रभावित लोगों से दुख दर्द सुनने के साथ राहत कार्यों की भी समीक्षा करेंगे। बताया गया है कि इस यात्रा में उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद होंगे। इससे पहले उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को मुज़फ़्फ़रनगर का दौरा किया था जहां पर कुछ क्षेत्रों में उन्हें काले झंडे दिखाए गए। अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश को कई स्थानों पर मृतकों के परिजनों के गुस्से का सामना करना पड़ा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को मुजफ्फरनगर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे के दौरान किया और कहा कि वे दुख में सबसे साथ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़ितों को इंसाफ दिलाएगी और जो लोग हिंसा में शामिल थे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। इसी बीच राष्ट्रीय लोकदल ने हिंसा की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार हिंसा रोकने में विफल रही। उधर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने झड़पों में शामिल सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। नई दिल्ली में पार्टी की केन्द्रीय समिति की सदस्य सुभाषिनी अली ने कहा कि राज्य सरकार को बिना किसी भेदभाव के जल्द से जल्द प्रभावित लोगों को राहत उपलब्ध करानी चाहिए।
फातेह पनडुब्बी और ड्रोन इसी वर्ष सेना के हवाले
ईरान की नौसेना के प्रमुख ने कहा है कि देश में बनायी गयी फातेह पनडुब्बी इसी वर्ष सेना के हवाले की जाएगी।
एडमिरल हबीब सैयारी ने शनिवार को इस बात की जानकारी देते हुए कि अगले महीने की ईरान में बनी इस नयी पनडुब्बी को जनता के सामने पेश किया जाएगा बताया कि नौसेना , ड्रोन विमानों सहित नये हथियारों से लैस हो गयी है।
उन्हेंने बताया कि फातेह नामक पनडुब्बी के साथ ही इसी वर्ष युद्धपोतों को कमान नामक मिसाइलों से लैस करने का काम भी पूरा हो जाएगा।
मुज़फ्फ़रनगर ज़िले के गांवों में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर ज़िले में साम्प्रदायिक हिंसा के बाद अब स्थिति शांतिपूर्ण है लेकिन ग्रामीण क्षोत्रों में अभी भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। शहरी इलाक़ों में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी जा रही है।
शुक्रवार को कर्फ्यू में 12 घंटों की ढील के दौरान कोई अप्रिय घटना के न घटने के दृष्टिगत, शनिवार को भी यह ढील जारी रहेगी।
ग़ौरतलब है कि दंगों के कारण विस्थापित हुए लोगों के लिए मुज़फ्फ़रनगर और शामली में 30 से अधिक राहत शिविर स्थापित किए गए हैं जिमनें लगभग 40 हजार लोगों ने शरण ले रखी है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण इलाकों से आए इन लोगों को पुन: घर वापस भेजना है। लोग अभी भी दहशत के साए में जी रहे हैं और घर लौटने को तैयार नहीं हैं।
विशेष कार्य बल के महानिरीक्षक आशीष गुप्ता के मुताबिक़ मुज़फ्फ़रनगर में हालात तेज़ी से सामान्य हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि ज़िले में गत शनिवार को भड़की हिंसा में अब तक 47 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और दसियों अन्य घायल हुए हैं।