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उसने दो समुद्रो को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते है। (19) उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते (20)[55]

सय्यद हसन नसरुल्लाह लेबनान में 2013 की सबसे लोकप्रिय हस्ती

हिज़बुल्लाह लेबनान के प्रमुख सय्यद हसन नसरुल्लाह को लेबनान में वर्ष 2013

का सबसे लोकप्रिय व्यक्ति माना गया है। अल आलम की रिपोर्ट के अनुसार

लेबनान के एल बी सी चैनल की तरफ़ से कराए जाने वाले सर्वे में यह बात सामने

आई है। इस सर्वे में भाग लेने वाले 61 प्रतिशत लोगों नें हिज़बुल्लाह के

प्रमुख सय्यद हसन नसरुल्लाह को वर्ष के सबसे लोकप्रिय व्यक्ति के रूप में

चुना है जबकि सय्यद हसन नसरुल्लाह के बाद लेबनान की राष्ट्रीय आज़ाद पार्टी

के प्रमुख को सिर्फ़ 13 प्रतिशत लोगों नें लोकप्रिय बताया है। इस तरह से

लोकप्रियता के मामले में हिज़बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरुल्लाह से वह बहुत

पीछे रह गए हैं

ईरान नें सीरिया मुद्दे के शांतिपूर्ण हल का समर्थन किया।इस्लामी रिपब्लिक ईरान के उप विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल लाहियान नें कहा है कि सीरिया की जनता को अपने देश के बारे में लोकतांत्रिक तरीक़े से फ़ैसला करने का पूरा अधिकार है, जो उन्हें हर हाल में मिलना चाहिये। उन्होंने जेनेवा-2 काँफ़्रेस में ईरान के बाग लेने के बारे में कहा कि क्षेत्रीय मद्दों के हल में ईरान का रोल को अनदेखा नहीं किया जा सकता है और जो चीज़ें ईरान की नज़र में महत्व रखती हैं वह उनमें से एक सीरिया के संकट का शांतिपूर्ण हल है जिसे सीरिया की जनता के सहयोग से दूर करने की कोशिश करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि चाहे जेनेवा-2 काँफ़्रेंस में भाग ले या न ले लेकिन वह सीरिया के संकट को दूर करने के लिये शांतिपूर्ण और कूटिनीतिक रास्तों का समर्थन करता रहेगा।

पाकिस्तान सरकार ने तेज़ किए तालेबान से बातचीत के प्रयासपाकिस्तान की केन्द्र सरकार ने प्रतिबंधित तालेबान संगठन से एक बार फिर बातचीत आरंभ करने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं।

तालेबान संगठन के मुखिया हकीमुल्लाह महसूद की अमरीकी ड्रोन हमले में हमत्या के बाद बातचीत की प्रक्रिया खटाई में पड़ गई थी और लगभग दो सप्ताह पहले ही सरकार की ओर से तालेबान के साथ बातचीत के मार्ग को प्राथमिकता देने की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद तालेबान ने सरकार की ओर से वार्ता का प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने जमीअते उलमाए इस्लाम के नेता मौलाना समीउल हक़ से इस्लामाबाद में बातचीत की जिसमें उनसे तालेबान के साथ बातचीत की प्रक्रिया आरंभ करने की अपील की। सूचना के अनुसार प्रधानमंत्री ने मौलाना समीउल हक़ से कहा कि हम तालेबान से वार्ता चाहते हैं और हम इसके हित में हैं। मुलाक़ात में मौलाना समीउल हक़ ने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में अमरीका के साथ सहयोग की नीति में बदलाव लाना होगा और क़बायली क्षेत्रों में अमरीकी ड्रोन हमले रुकवाने के लिए ठोस क़दम उठाना होंगे।

सीरिया ने युद्ध ग्रस्त शहर से हज़ारों नागरिकों को सुरक्षित निकालासीरियाई सरकार ने राजधानी दमिश्क़ के निकट एक औद्योगिक शहर में सेना और आतंकवादियों के बीच लड़ाई में फंसे 5 हज़ार नागरिकों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

समाचार एजेंसी सना ने सीरिया के सामाजिक मामलों के मंत्री किंदा अल-शम्मात के हवाले से ख़बर दी है कि रविवार को अदरा शहर से पांच हज़ार लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गाय है।

शम्मात ने बताया कि उनके मंत्रालय ने मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए इलाक़े में सहायता केन्द्रों की स्थापना की है।

इस बीच रविवार को पूर्वी प्रांत दैरुज्ज़ोर में सीरियाई सेना और अल-क़ायदा से संबंधित आतंकवादी समूहों के बीच लड़ाई में 19 आतंकवादी ढेर हो गए हैं।

बांग्लादेश में हिंसा के दौरान 1 छात्र की मौतबांग्लादेश में भड़की ताजा हिंसा में एक छात्र की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि पुलिस ने बीएनपी कार्यकर्ताओं के विरूद्ध उस समय वाटर कैनन का इस्तेमाल किया जब वे सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर रैली निकाल रहे थे। ढाका में कई स्थानों पर विपक्षी बीएनपी और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच झड़पें हुईं। पुलिस के अनुसार बीएनपी और जमाते इस्लामी के प्रदर्शन के दौरान झड़प में घायल हुए एक छात्र की मौत हो गई। ढाका के रामपुरा इलाके में भी हिंसा हुई जहां पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं। बांग्ला देश के सुरक्षा बलों ने पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया के घर का घेराव कर रखा है। बांग्ला देश के विपक्षी दल बीएनपी ने लोकतंत्र के लिए मार्च का आयोजन किया है। वह और उसके समर्थक दल आगामी पांच जनवरी को होने वाले संसदीय चुनाव का बहिष्कार करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं।

सोमवार, 30 दिसम्बर 2013 06:53

पूतिन ने प्रकट की गहरी संवेदना

पूतिन ने प्रकट की गहरी संवेदनारूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पूतिन ने वोल्गोग्रेद में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की हैं व्लादीमीर पुतीन ने सभी घायलों से सहानुभूति जताते हुए उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की है। रूस के गृह मंत्रालय की विज्ञप्ति में इस आतंकी हमले में मारे गए पुलिसकर्मी दमित्री माकोव्किन के परिवार और निकट सवंबन्धियों से संवेदना दर्शाते हुए कहा गया है कि दमित्री माकोव्किन ने अपना दायित्व निभाते हुए आम नागरिकों की रक्षा की और इस मार्ग में अपने प्राणों की आहुति दी। इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनके कौशलमय कदमों की बदौलत अधिक गंभीर परिणामों से बचा जा सका, अनेक लोगों की जान उनकी कार्रवाइयों की बदौलत बच गई। वोल्गोग्रेद पुलिस विभाग के सीनियर सार्जेंट दमित्री माकोव्किन ने संदिग्ध आतंकी महिला को तब देखा जब वह स्टेशन के प्रवेश द्वार से थोड़ी दूर थी। उनका ध्यान इस बात की ओर गया कि वह सहमी-सहमी सी इधर-उधर देख रही है। इस संदिग्ध महिला का रास्ता काटते हुए वे आगे बढ़े ताकि उसके पहचानपत्र की जाँच कर सकें। वे उससे कुछ ही कदम दूर थे कि जब विस्फोट हुआ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। ज्ञात रहे कि रविवार को रूस के वेल्दोग्रेद नगर में एक महिला आत्मघाती आक्रमणकारी ने स्टेशन पर स्वयं को विस्फोटक पदार्थ से उड़ा दिया जिसके परिणाम स्वरूप कम से कम 18 लोग मारे गए और 40 अन्य घायल हो गए।

इस्राईल द्वारा जॉर्डन घाटी को भी हड़पने के लिए प्रस्ताव पारितज़ायोनी शासन के मंत्रीमंडल के एक पैनल ने जॉर्डन घाटी को अवैध अधिकृत पश्चिमी तट में शामिल करने और उसे हड़पने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है।

फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण और तेल अवीव के बीच सांठ गांठ वार्ता शुरू कराने के लिए अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी की मध्यपूर्व की यात्रा से कुछ ही दिन पहले सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी के सांसदों ने इस विधेयक का समर्थन किया है।

अगर यह विधेयक क़ानून बन जाता है तो ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू जॉर्डन घाटी को फ़िलिस्तीनियों के निंयत्रण वाले क्षेत्र में शामिल करने के अमरीका के प्रस्ताव को ठुकरा देंगे।

इस्राईल की न्याय मंत्री एवं प्रमुख सांठ गांठ वार्ताकार त्ज़िपि लिवनि ने कहा है कि संसद में इस विधेयक पर मतदान न होने देने के लिए वे अपनी शक्ति का प्रयोग करेंगी।

ग़ौरतलब है कि ज़ायोनी शासन ने 1967 के 6 दिवसीय युद्ध में अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में विस्तार करते हुए पश्चिमी तट और पूर्वी बैतुल मुक़द्दस को भी हड़प लिया था।

आयतुल्लाह सैयद मुहम्मद हुसैनी बहिश्ती

ईरान की इस्लामी क्रांति की एक महत्वपूर्ण हस्ती, आयतुल्लाह डाक्टर, सैयद मुहम्मद हुसैनी बहिश्ती हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन कुशल प्रशासन, गहन चिंतन और रचनात्मकता में व्यतीत किया। आयतुल्लाह बहिश्ती सदैव स्वंय को युवाओं के सामने ज़िम्मेदार समझते थे और युवाओं के सांस्कृतिक व वैचारिक विकास के लिए यथासंभव प्रयास करते थे। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह सैयद अली खामेनई शहीद बहिश्ती के बारे में कहते हैं कि शहीद बहिश्ती का पूरा अस्तित्व युवाओं के मार्गदर्शन के प्रति रूचि से भरा हुआ था।

वर्ष १९२८ में पतझड़ के एक ठंडे दिन में बहिश्ती परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ जिससे इस घर में खुशी की लहर दौड़ गयी। बच्चे के माता पिता ने उसका नाम सैयद मोहम्मद रखा। सैयद मोहम्मद के पिता इस्फहान धार्मिक शिक्षा केन्द्र के प्रसिद्ध धर्मगुरु थे और सदैव लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहते थे। उनकी माता भी अच्छे घर से संबंध रखती थी तथा धार्मिक शिक्षाओं का कड़ाई से पालन करती थीं। चार वर्ष की आयु में सैयद मोहम्मद को मदरसे भेजा गया ताकि वे कुरआन की शिक्षा प्राप्त कर सकें। उन्होंने बहुत जल्द कुरआन के साथ साथ लिखना और पढ़ना भी सीख लिया जिसके कारण उनके परिवार वालों और जान पहचान वालों को अत्याधिक आश्चर्य भी हुआ। सात वर्ष की आयु में उन्होंने स्कूल में दाखिले की परीक्षा भी बड़े अच्छे नंबरों से पास की और उनके नंबर इतने अच्छे थे कि वे पहली कक्षा के बजाए छठीं कक्षा में नाम लिखवा सकते थे किंतु कम आयु होने के कारण उनका नाम चौथी क्लास में लिखा गया।

शहीद बहिश्ती स्कूल में पढ़ने लगे तथा हाईस्कूल व इन्टर मीडिएट में उन्होंने फेंच भाषा पढ़ी। उन्हें स्कूल अत्याधिक मेधावी छात्रों में गिना जाता था किंतु वर्ष १९४१ की घटनाओं और रज़ा शाही पहलवी के देश निकाले के बाद धार्मिक शिक्षाओं के लिए ईरान का वातावरण अधिक बेहतर हुआ और चूंकि सैयद मोहम्मद एक धार्मिक घराने से संबंध रखते थे इस लिए उन्हें धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने की अत्याधिक इच्छा थी। इसी लिए उन्होंने कालेज छोड़ा और १४ वर्ष की आयु में सद्र नामक धार्मिक पाठशाला दाखिला लिया। सैयद मोहम्मद ने उन पाठों को जिसे अन्य छात्र दस वर्षों में पढ़ते थे मात्र चार वर्ष में समाप्त कर लिया। वे अपनी तीव्र बुद्धि, व्यवहार और विनम्रता के कारण अन्य छात्रों और शिक्षकों में अत्याधिक लोकप्रिय थे। शहीद बहिश्ती में ज्ञान की जो प्यास थी उसे उन्होंने धार्मिक शिक्षाओं तक ही सीमित नहीं रखा। उन्होंने पश्चिम ज्ञान प्राप्त करने के लिए अग्रेज़ी भाषा पढ़ना आरंभ किया हालांकि उस काल में धार्मिक छात्र अग्रेज़ी भाषा में रूचि नहीं रखते थे किंतु सैयद मोहम्मद ने अग्रेज़ी पढ़ी और धार्मिक शिक्षा के एक बड़े केन्द्र कुम चले गये।

कुम में इमाम खुमैनी, आयतुल्लाह बुरुजर्दी और अल्लामा तबातबाई जैसे महान धर्मगुरु शिक्षा दीक्षा में व्यस्त थे। सैयद मोहम्मद इन महान गुरुओं की सेवा में उपस्थित हुए और उच्च इस्लामी शिक्षा प्राप्त की। वे अपने समस्त गुरुओं में, इमाम खुमैनी स विशेष श्रद्धा रखते थे और इसी लिए बाद में वे इमाम खुमैनी के संघर्षों में उनके एक महत्वपूर्ण सहयोगी बने। शहीद बहिश्ती जब कुम में थे तो धर्मगुरू होने के बावजूद अग्रेज़ी पढ़ाते थे और इस प्रकार से अपना खर्च निकालते थे। वे अपनी अन्य गतिविधियों के बारे में कहते हैं कि वर्ष १९४७ में अर्थात कुम पहुचंने के एक वर्ष बाद आयतुल्लाह मुतह्हरी तथा कुछ अन्य साथी जिनकी संख्या १८ हो गयी थी जमा हुए और हम सूदूर गांवों में जाकर लोगों को शिक्षा देते थे। हम ने यह काम दो वर्षों तक किया।

शहीद बहिश्ती ने स्वंय को धार्मिक शिक्षाओं तक ही सीमित नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपना इन्टर मीडिएट भी पूरा किया तथा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया तथा तेहरान युनिवर्सिटी में वे धर्म के विषय पर अध्ययन में व्यस्त हो गये। वे हर सप्ताह कुम से तेहरान यात्रा करते किंतु उनकी थकन ज्ञान प्राप्ति के मार्ग में बाधा नहीं बनी। अन्ततः वर्ष १९५१ में उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में दर्शनशास्त्र में तेहरान विश्वविद्यालय से पीएचडी के लिए अध्ययन भी आंरभ किया किंतु राजनीतिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में अत्याधिक व्यवस्तता के कारण वे अपना थेसस पेश नहीं कर सके किंतु वर्ष १९७४ में उन्होंने यह काम किया और इस प्रकार से पीएचडी की डिग्री लेने में सफल हुए। उन्होंने वर्ष १९५२ में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने रिश्तेदारों में ही एक पवित्र व धर्म परायण लड़की से विवाह कर लिया था। उनके दो बेटियां और दो बेटे थे।

शहीद बहिश्ती शिक्षा के अतिरिक्ति राजनतिक व संस्कृति के क्षेत्र में भी असाधारण रूप से सक्रिय थे। डाक्टर मुसद्दिक और आयतुल्लाह काशानी के नेतृत्व में ईरान में तेल के राष्ट्रीय करण आंदोलन में शहीद बहिश्ती ने इस आंदोलन में भूमिका निभाई वे इस साम्राज्यविरोधी आंदोलन के समर्थन में विभिन्न स्थानों पर भाषद देते किंतु तेल के राष्ट्रीय करण के आंदोलन की विफलता के बाद डाक्टर बहिश्ती की समझ में यह बात आ गयी कि धर्मगुरू एक संगठित संस्था के बिना तानशाहों के विरुद्ध संघर्ष को प्रभावी रूप से जारी नहीं रख सकते। इसी लिए उन्होंने निर्णय लिया कि सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ा कर युवाओं को क्रांति के लिए तैयार करें। पश्चिम पर निर्भर ईरान की शाही सरकार ईरान को एक पश्चिमी समाज में बदल देना चाहती थी ताकि धीरे धीरे ईरान में धर्म को भुला दिया जाए। इसी लिए शहीद बहिश्ती ने धर्म व विज्ञान नामक एक पाठशाला कुम में स्थापित की। इस पाठशाला की स्थापना का उद्देश्य युवाओं में धर्म की ओर रूझान में वृद्धि थी ताकि युवा, धर्म और राजनीति को अलग अलग न समझें बल्कि इन दोनों को एक साथ समझें। शहीद बहिश्ती ने इस प्रकार युवाओं में मन में धर्म प्रेम का बीज बोया ताकि उन्हें ईरान में इस्लामी आंदोलन के लिए तैयार किया जाए। शहीद बहिश्ती की एक अन्य सेवा, कुम के छात्रों और शिक्षकों के लिए एक केन्द्र ही स्थापना है। इस केन्द्र में अग्रेजी तथा अन्य आधुनिक विषयों की धार्मिक छात्रों को शिक्षा दी जाती। उन्होंने इसी प्रकार एक धार्मिक पाठशाला की भी स्थापना की जिसका उद्देश्य धर्म पर की जाने वाली आपत्तियों का उत्तर दिया जाए।

शहीद बहिश्ती ने इसी प्रकार कुछ बुद्धिजीवियों के सहयोग से एक अध्ययनसमिति बनायी जिसने इस्लामी में सत्ता के विषय पर मूल्यवान अध्ययन किये। इसी दौरान शाही खुफिया एजेन्सी सावाक ने उन्हें तेहरान रहने पर विवश कर दिया किंतु तेहरान में भी वे चुप नहीं बैठे बल्कि उनकी गतिविधियां ईरान की राजधानी में भी जारी रहीं। वर्ष १९६४ में उन्होंने डाक्टर बाहुनर के सहयोग से धार्मिक स्कूलों के लिए किताबों का संकलन किया वे इस प्रकार से यह चाहते थे कि पढ़ाई जाने वाली किताबों से विदेशियों की छाप खत्म हो।

आयतुल्लाह बहिश्ती ने इसी प्रकार तेहरान में कुछ अन्य छात्रों की सहायता से बैठकों का आयोजन किया जिसमें तेहरान के विभिन्न क्षेत्रों से छात्र भाग लेते और विभिन्न विषयों पर चर्चा करते। इस प्रकार की बैठकों में भाषण देने की ज़िम्मेदारी अधिकांश शहीद बहिश्ती की होती थी। पूरी चर्चा को रिकार्ड किया जाता और फिर उसे पर्चे के रूप में युवाओं में बांटा जाता। इस प्रकार की बैठकों प्रायः शहीद बहिश्ती के घर में आयोजित होती थीं। शहीद बहिश्ती इस प्रकार से युवाओं को कुरआन के संदेश से परिचित कराना चाहते थे।

शहीद बहिश्ती सदैव धर्म के मार्ग में काम करते थे और उनका मानना था कि राजनीति और धर्म एक दूसरे से भिन्न नहीं हैं और वे मुसलमानों को यह समझाते थे कि उन्हें हर प्रकार के राजनीतिक व सामाजिक मामलों में भूमिका निभानी चाहिए। डाक्टर बहिश्ती अपने एक भाषण में कहते हैं कि मुसलमानों को समाज और उस से बढ़ कर विश्व के मामलों में भूमिका निभानी चाहिए, मुसलमान को एसा नहीं होना चाहिए कि अपने खाने पीने की व्यवस्था हो जाए तो चुप बैठ जाए।

हिज़बुल्लाह प्रतिरोध की क़ीमत चुका रहा हैहिज़बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि ज़ायोनी शासन के षड्यंत्र, हिज़बुल्लाह संगठन का मुख्य मुद्दा है।

उन्होंने शुक्रवार को हिज़बुल्लाह के वरिष्ठ कमान्डर हस्सान अलक़ीस के संबंध में आयोजित एक कार्यक्रम कहा कि हस्सान अलक़ीस की हत्या, प्रतिरोध की पूर्व की सफलताओं से प्रतिशोध लेने और प्रतिरोध के मुख्य आधारों को हानि पहुंचाने के लिए की गयी है।

उन्होंने कहा कि हस्सान अलक़ीस की शहादत से हिज़बुल्लाह ने एक बार फिर प्रतिरोध पर प्रतिबद्धता की क़ीमत चुकाई है और हमारे जवान इस बात का प्रयास कर रहे हैं ताकि प्रतिरोध, ज़ायोनी शासन से टकराव के लिए बेहतरीन स्थिति में रहे क्योंकि हिज़बुल्लाह का मुख्य मुद्दा ज़ायोनी शासन है।

हिज़बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के आंतरिक मतभेदों के बारे में कहा कि हिज़बुल्लाह के विरुद्ध युद्ध का सरकार से कोई लेना देना नहीं है और न ही चुनाव क़ानून पर पाये जाने वाले मतभेद इसके मुख्य कारण है बल्कि इन सबसे बढ़कर मुख्य मामला प्रतिरोध को समाप्त करना है।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने इसी प्रकार देश के सुरक्षा बलों पर हुए हालिया आक्रमणों के बारे में कहा कि हालिया दिनों में सुरक्षा बलों पर आक्रमण में तेज़ी आई है जबकि सेना पर आक्रमण ख़तरनाक है और यह सेना के कमज़ोर होने का कारण बनेगा, सभी को सेना का समर्थन करना चाहिए क्योंकि यही वह संस्था है जिस पर सब सहमत हैं।