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विदेश मंत्रालय ने ईरान के टीवी चैनलों के प्रसारण को रोकने के इंटेलसेट के क़दम को पूर्ण रूप से ग़ैर क़ानूनी बताया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अब्बास इराक़ची ने पहली जुलाई से अमरीका द्वारा ईरान पर लगाए गए नए शत्रुतापूर्ण प्रतिबंधों के बारे में कहा कि प्रतिबंधों की नीति, अपने आपमें विफल नीति है और बड़े आश्चर्य की बात है कि जब अमरीकी यह देख रहे हैं कि व्यवहारिक रूप से प्रतिबंधों से ईरान के परमाणु मामले के समाधान में कोई सहायता नहीं मिल रही है तब भी वे इसी विफल नीति को जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ईरान में ग्यारहवें राष्ट्रपति चुनाव के सफल आयोजन के बाद, ईरान के विरुद्ध प्रतिबंध की नीति को पुनः प्रयोग किए जाने पर अधिक आश्चर्य होता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जब पूरा संसार ईरान के साथ सद्भावना दर्शाने का प्रयास कर रहा है, तब अमरीकी ईरान के संबंध में अपनी नकारात्मक मानसिकता के साथ उससे शत्रुता बढ़ा रहे हैं। उन्होंने इसी प्रकार कहा कि ईरान के टीवी चैनलों के प्रसारण को रोकने का उपग्रह सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी इंटेलसेट का क़दम पूर्ण रूप से ग़ैर क़ानूनी और अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के विरुद्ध है।

मिस्र में शिया मौलाना समेत चार लोग शहीद।मिस्र की राजधानी क़ाहेरा के पास स्थित जज़ीरा के इलाक़े में पिछले रोज़ इमाम महदी के जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक प्रोग्राम में वहाबी आतंकवादियों नें हमला कर के एक मौलाना समेत चार शिया लोगों को बहुत ही बेदर्दी से शहीद कर दिया। ख़बरों के अनुसार इस क्षेत्र के गाँव अबू मुस्लिम के निवासी कुछ शियों नें इमामे ज़माना के जन्म दिवस के अवसर पर एक प्रोग्राम का आयोजन करने के लिये शिया लीडर हसन शहाता के घर पर एक मीटिंग के लिये जमा हुए थे कि इलाक़े के कुछ वहाबी आतंकियों नें घर का घेराव कर लिया और धमकियां देकर घर में मौजूद लोगों को बाहर निकलने को कहा जिसके बाद घर में मौजूद लोगों नें बाहर निकलने से इन्कार किया जिसके बाद उन आतंकवादियों ने दरिंदों की तरह धावा बोल दिया और शिया मौलाना शेख़ हसन शहाता समेत चार लोगों को शहीद कर दिया।

 

 

चुनावों के शानदार आयोजन से शत्रुओं पर निराशा छा गई,तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने कहा कि ईरान में ग्यारवहें राष्ट्रपति चुनावों के शानदार आयोजन से इस्लामी क्रान्ति के शत्रुओं पर निराशा छा गई।

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में 14 जून के वैभवशाली चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि इस साल चुनावों में जनता की भारी उपस्थिति से शत्रुओं के इन दावों की वास्तविकता सामने आ गई कि ईरानी जनता चुनावो में भाग नहीं लेना चाहती। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 के चुनावों के बाद शत्रुओं को थोड़ी बहुत सफलता मिल गई थी जिसके आधार पर वह इस अवधारणा में थे कि विषैले प्रचारों द्वारा वे ईरानी जनता को चुनाव से दूर रखने में सफल हो जाएंगे किंतु पोलिंग स्टेशनों पर मतदाताओं की लंबी लंबी क़तारों से शत्रु के सारे षडयंत्र विफल हो गए और वह स्वयं भी ईरानी जनता के इस राजनैतिक कारनामे को स्वीकार करने पर विवश हो गया।

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने मिस्र में शीया धर्म गुरू हसन शहाता और उनके साथियों पर चरमपंथी वहाबियों के हमले की निंदा की और कहा कि यह निर्मम अपराध पैग़म्बरे इस्लाम के आगमन से पूर्व अज्ञानता के काल की घटनाओं की याद दिलाते हैं और यह इस्लामी जगत के लिए ख़तरे की घंटी है।

इराक़ में जारी हिंसा गृहयुद्ध में परिवर्तित नहीं होगीइराक़ के विदेशमंत्री ने कहा है कि वर्ष २००८ से जारी हिंसा इस देश के गृहयुद्ध में परिवर्तित नहीं होगी। समाचार एजेन्सी एसोशिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार होशियार ज़िबारी ने कहा कि जो हिंसा वर्ष २००८ से जारी है और उससे देश को काफी आघात पहुंचा है वह गृहयुद्ध में परिवर्तित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इराक क्षेत्र के दूसरे देशों की अपेक्षा बेहतर ढंग से संकटों का सामना कर सका है और इराक़ न केवल विघटित नहीं हो रहा है बल्कि इस देश का संकट नियंत्रण योग्य है।

अफगानिस्तान के संकट का सैनिक समाधान नहींविदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने क़तर में तालिबान के कार्यालय के उद्घाटन के बारे में कहा है कि तेहरान का सदैव यह मानना रहा है कि अफगानिस्तान के संकट का सैनिक समाधान नहीं है और इस संकट को केवल वार्ता द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अब्बास इराक़ची ने कहा है कि ईरान अफगान राष्ट्र के हितों के दायरे में सरकार विरोधी गुटों से वार्ता का समर्थन करता है और उसका मानना है कि अफगान राष्ट्र को अपने देश में शांति वार्ता के लिए किसी अभिभावक की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे विचार में जिस प्रकार से अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप से समस्या का समाधान नहीं हुआ है उसी प्रकार से अफगान जनता के प्रतिनिधियों की उपस्थिति के बिना और इस देश के राष्ट्रीय हितों की अनदेखी के साथ थोपी गयी वार्ता भी प्रभावी सिद्ध नहीं होगी। याद रहे अमरीका के समर्थन से पिछले मंगलवार को कत़र में तालिबान का कार्यालय खुल गया।

शनिवार, 22 जून 2013 06:47

अक़्ल और अख़लाक

अक़्ल और अख़लाक

पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमायाः

احسنكم عقلا احسنكم خلقا

तुम में सबसे ज़्यादा अक़्लमंद वह है जो तुम में सबसे ज़्यादा खुश अख़लाक़ है।

अक़्ल व खुश अखलाक़ी और इन दोनों की फ़ज़ीलत के बारे में बहुत सी हदीसें व रिवायतें मुख़्तलिफ़ ताबीरों के साथ मौजूद हैं। इनमें से हर हदीस या रिवायत पर तवज्जो देने से यह बात सामने आती है कि अक़्ल या खुश अख़लाक़ी आलीतरीन कमालात हैं और इनकी बहुत ज़्यादा अहमयत है। यहाँ पर यह सवाल पैदा होता है कि अक़्लमंदी और ख़ुश अख़लाक़ी के दरमियान क्या राब्ता है? क्या यह दावा किया जा सकता है कि इनमें से एक इल्लतऔरदूसरा मालूल है ? अगर ऐसा है तो क्या इनमें से एक के बढ़ने के बाद दूसरे को बढ़ाया जा सकता है ? इससे भी अहम यह कि अक़्ल इंसान को बद अख़लाक़ी से किस तरह रोकती है ?

जो रिवायतें अक़्ल की अहमियत के बारे पाई जाती हैं वह हस्वे ज़ैल हैं।

रावी ने हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में अर्ज़ किया :

फ़लाँ इंसान इबादत व दीनदारी के एतेबार से बहुत बलंद मर्तबा है। इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने सवाल किया कि वह अक़ल के एतेबार से कैसा है ? रावी ने जवाब दिया कि मैं नही जानता कि वह अक़्ली लिहाज़ किस मर्तबे पर है। यह सुनकर इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया :

ان الثواب على قدر العقل

बेशक हर इंसान का सवाब उसकी अक़्ल से मरबूत है। यानी अगर कोई अक़्ली के एतेबार से क़वी होगा तो उसका सवाब ज़्यादा होगा और अगर कोई अक़्ली एतेबार से कमज़ोर होगा तो उसका सवाब कम होगा। इसके बाद इमाम अलैहिस्सलाम ने बनी इस्राईल के उस इंसान की दास्तान बयान फ़रमाई जो एक जज़ीरे में अल्लाह की इबादत में मशग़ूल था। उसने फ़ुरसत के लमहात में एक आह भर कर कहा कि काश मेरे रब के पास जानवर होते तो वह इस जज़ीरे की घास से फ़ायदा उठाता।

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने एक दिगर रिवायत में फ़रमाया कि :

من كان عاقلا ختم له بالجنة

जो अक़्लमंद होगा वह आख़िरकार जन्नत में जायेगा।

पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमाया:

ما قسم الله للعباد شيئا افضل من العقل فنوم العاقل افضل من سهر الجاهل و افطار العاقل افضل من صوم الجاهل

अल्लाह ने अक़ल से ज़्यादा अहम कोई भी चीज़ बंदों में तक़्सीम नही की है, अक़्लमंद का सोना जाहिल के जागने (जाग कर इबादत करने) से बेहतर है और इसी तरह अक़लमंद का खाना पीना जाहिल के रोज़े रखने से बेहतर है।

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से सवाल किया गया कि अक़्ल क्या है ?

قال قلت له ما العقل قال ما عبد به الرحمان واكتب به الجنان

इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि अक़्ल वह है जिसके ज़रिये इंसान अल्लाह की इबादत करके ख़ुद को जन्नत में पहुँचायेगा।

इमाम अलैहिस्सलाम ने हुस्ने अख़लाक़ व नर्मी के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम (स.) से नक़्ल करते हुए फ़रमाया कि :

ما اصطحب اثنان الا كان اعظمهما اجرا و احبهما الى الله تعالى ارفقهما بصاحبه

जब दो इंसान एक दूसरे के मुसाहिब बनते हैं तो उन दोनों में से अल्लाह का ज़्यादा महबूब और सवाब का ज़्यादा हक़दार वह क़रार पाता है जिसके अन्दर नर्मी ज़्यादा पाई जाती है।

एक दूसरे मक़ाम पर पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमाया :

لو كان الرفق خلقا يرى ما كان فيما خلق الله شئ اخسن منه

अगर रिफ़्क़ व मदारा एक जिस्म की सूरत में ज़ाहिर होता तो मख़लूक़ात के दरमियान कोई भी हुस्ने अख़लाक़ से ज़्यादा ख़ूबसूरत न होता।

जो रिवायतें अक़्ल की फ़ज़ीलत के बारे में पाई जाती हैं उनका मुतालेआ करने के बाद और हुस्ने अख़लाक़ की अहमियत पर तवज्जो देने के बाद यह सवाल पैदा होता है कि इन दोनों में से किस की अहमियत ज़्यादा है, अक़ल की या हुस्ने अख़लाक़ की ?

इस सवाल का जवाब तलाश करने के लिए हमें इस नुक्ते पर तवज्जो देनी चाहिए कि मुशकिलों और परेशानियों में घिरे हर इंसान का रुझान यह होता है कि नर्मी और बुर्दुबारी के साथ मसाइल को हल किया जाये। इसमें कोई शक नही है कि इस काम में एक गिरोह कामयाब है और वह दूसरों के साथ हुस्ने अख़लाक़ से मिलते हैं। लेकिन दूसरा गिरोह उन लोगों का भी है जो इस तरह का बरताव नही कर पाते हैं।

दक़ीक़ मुताले और तहक़ीक़ से यह बात सामने आती हैं कि नर्मी, अक़्ली रुश्द का नतीजा है। जिन लोगों में अक़्ल ज़्यादा पाई जाती है या जिन्होंने अपनी अक़्ल को मुकम्मल तौर पर परवान चढाया है, उनमें खुद को कन्ट्रोल करने की सलाहियत दूसरों से ज़्यादा होती है। इसके बरअक्स जिन लोगों के पास यह ख़ुदा दाद नेमत कम होती है, उनमी नर्मी भी कम पाई जाती है। इस क़ूवत का राज़ यह है कि आक़्लमंद इंसान मसाइल व मुशकिल को तजज़िये व तहलील के ज़रिये हल करने और टकराव से बचते हुए बारूद के ढेर से गुज़रने की कोशिश करते हैं। हक़ीक़त में इंसान की अक़्ल किसी गाड़ी के फ़नर की तरह होती है। जब गाड़ी ऊँची नीची ज़मीन में दाख़िल होती है तो वह फ़नर नर्मी और लचक के साथ अपनी जगह पर हरकत करते हैं और गाड़ी को टूट फ़ूट से महफ़ूज़ रखते हैं। वह तन्हा आमिल जो इंसान को टकराव व हिजान से बचाते हुए उसके तआदुल को बाक़ी रखता है, उसकी अक़्ल है।

पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमाया :

احسنكم عقلا احسنكم خلقا

यानी जिसमें अक़्ल ज़्यादा होती है, वह अख़लाक़ी एतेबार से दूसरों से ज़्यादा ख़ुश अख़लाक़ होता है।

इस मज़कूरा हदीस पर तवज्जो देने से मालूम होता है कि तबियत की नर्मी बहुत अहम होती है और इसके ज़ेरे साया इंसान दुनिया और आख़ेरत के तमाम कमाल हासिल करता है।

इससे ज़्यादा वज़ाहत यह कि नर्म तबियत के इंसान के सामने जब कोई मुशकिल आती है तो वह अक़्ल के ज़रिये उस पर ग़ौर व फ़िक्र करता है और आपे से बाहर हुए बग़ैर, मसाइल का तजज़िया व हलील करते हुए, ज़ोर ज़बर्दस्ती व तुन्दी के बिना एक के बाद एक मुश्किल को हल करता है, चाहे यह मुशकिलात उसकी घरेलू ज़िन्दगी से मरबूत हों या समाजी व इजतेमाई ज़िन्दगी से।

इस बिना पर अक़्ल हुस्ने अख़लाक़ की बुनियाद है, लिहाज़ा जिसके पास अक़्ल ज़्यादा होगी उसके अन्दर ख़ुश अख़लाक़ी भी कामिल तौर पर पाई जायेगी। इस दावे का सच्चा गवाह पैग़म्बरे इस्लाम (स.) का वजूद मुबारक है, वह अक़्ले कुल थे और अखलाक़ी एतेबार से भी से सबसे आला थे।

वह अखलाक़ी एतेबार से बहुत नर्म तबियत और तमाम अफ़राद के दरमियान सबसे ज़्यादा ख़लीक़ थे। लिहाज़ा खुश अख़लाक़ बनने के लिए सबसे पहले अक़्ल की परवरिश करनी चाहिए ताकि उसके साये में ख़ुश अख़लाक़ बन सके।

महिला और समाज में उसकी भूमिका

इमाम ख़ुमैनी का मानना था कि महिला समाज में किनारे पर नहीं होती बल्कि वह समाज का केन्द्र है। इस बात में संदेह नहीं है कि महिला भी पुरूष के ही समान अपने भाग्य एवं भविष्य की स्वयं ही मालिक और अपने कर्म की उत्तरदायी होती है। कर्तव्य एवं ज़िम्मेदारी के ध्रुव होने का अर्थ एक ओर संकल्प, अधिकार तथा कर्म की स्वतंत्रता है तो दूसरी ओर बुद्धि व ज्ञान होता है, और हर इन्सान ,महिला हो या पुरूष, अपने अच्छे या बुरे कर्मों के परिणाम के प्रति उत्तरदायी होता है। हमें इस बात पर गर्व है कि महिलाएं, बूढ़ी और जवान, छोटी,बड़ी सब संस्कृति, अर्थ व्यवस्था और सैन्य क्षेत्रों में उपस्थित रही हैं और पुरूषों के साथ या उनसे उत्तम रूप में इस्लाम की परिपूर्णता तथा क़ुरआन के लक्ष्यों की राह में सक्रिय हैं।

महिला की अपने भाग्य एवं भविष्य में भूमिका होनी चाहिये। इस्लामी गणतंत्र ईरान में महिलाओं को मत देना चाहिये वैसे ही जैसे पुरूषों को मताधिकार है महिलाओं को भी मताधिकार है। जिस प्रकार पुरूषों की राजनैतिक विषयों में भूमिका होती है और वे अपने समाज की रक्षा करते हैं ,महिलाओं को भी भूमिका निभानी चाहिये तथा समाज की रक्षा करनी चाहिये। महिलाएं भी सामाजिक एवं राजनैतिक गतिविधयां पुरूषों के साथ-2 अंजाम दें।

महिला रचनात्मकता के मैदान मेः

समस्त ईरानी राष्टृ चाहे वह महिलाएं हों या पुरूष हमारे लिए (देश की) यह दुर्दशा जो छोङी गयी है उसे ठीक करें। यह केवल पुरूषों के हाथों ठीक नहीं होसकता। पुरूष एवं महिलाएं साथ मिल कर इन ख़राबियों को ठीक करें। साहसी एवं निष्ठावान महिलायें हमारे प्रिये पुरूषों के साथ महान ईरान को बनाने में उसी तरह लग जाएं जिस तरह उन्होंने स्वयं को ज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में बनाने के लिये प्रयास किये थे और आपको कोई भी नगर और गांव

संस्कृति एवं ज्ञान के क्षेत्र में महिला की उपस्थितिः

आप जानते हैं कि इस्लामी संस्कृति इस अवधि में अत्याचार ग्रस्त रही है, इन कई सौ वर्षों की अवधि में ,बल्कि आरम्भ से ही पैगम्बरे इस्लाम के बाद से अब तक,इस्लामी संस्कृति अत्याचार ग्रस्त रही है, इस्लामी नियम अत्याचार ग्रस्त रहे हैं, इस संस्कृति को जीवित करना होगा और आप महिलाएं जिस प्रकार परूष संलग्न हैं ,जिस प्रकार ज्ञान व संस्कृति के क्षेत्र में पुरूष लगे हुए हैं आप भी संलग्न हो जाएं।

महिलाओं की निरीक्षक भूमिकाः

इमाम खुमैनी का मानना था कि महिलाओं को कामों का निरीक्षण की ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए। सभी महिलाओं एवं सभी पुरूषों को चाहिये कि सामाजिक विषयों एवं राजनैतिक विषयों में सम्मिलित रहें तथा उनका निरीक्षण करते रहें। संसद पर दृष्टि रखें, सरकार पर दृष्टि रखें और अपना दृष्टिकोण व्यक्त करें।

देश की सुरक्षा में महिलाओं की भूमिकाः

इस्लामी गणतंत्र ईरान पर थोपा गया युद्ध इस बात का कारण बना कि संघर्ष करने वाली बलिदानी महिलाओं को यह अवसर प्राप्त हुआ कि अपने महान अस्तित्व एवं मानवीय मूल्यों को बड़े सुन्दर ढ़ंग से और अत्यंत स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करें। यही कारण है कि स्वर्गीय इमाम खुमैनी की बातों और भाषणों का एक मुख्य आधार महिलाओं की उपस्थिति की आवश्यकता एवं शैली तथा उनके संघर्ष के प्रयास रहे हैं। इमाम खुमैनी का कहना थाः इस्लाम के आरम्भिक काल में महिलायें युद्धों में पुरूषों के साथ सम्मिलित होती थीं हम देख रहे हैं और देख चुके हैं कि महिलायें पुरूषों के साथ-2 बल्कि उनसे आगे युद्ध की पंक्तियों में खड़ी हुईं ,अपने बच्चों और जवानों को हाथ से खोया और फिर भी प्रतिरोध किया । ईश्वर न करे यदि किसी समय में इस इस्लामी देश पर कोई आक्रमण हो तो महिला व पुरूष सभी लोगों को गतिशील होना होगा। सुरक्षा का विषय ऐसा नहीं है कि केवल पुरूषों से संबंधित हो या किसी एक गुट से विशेष हो, सब को जाकर अपने देश की रक्षा करना होगी। मैं ने अब तक महान एवं योद्धा पुरूषों और महिलाओं द्वारा जो कुछ होते देखा है(उसके आधार पर) आशा करता हूं कि स्वयं सेवी संगठन में सैन्य, आस्था, नैतिकता एवं संस्कृति सभी के प्रशिक्षण में ईश्वर की सहायता से सफल हों तथा सैनिक व छापामार सभी प्रकार के व्यवहारिक शिक्षण- प्रशिक्षण को ऐसे उचित रूप में संपन्न करें जो एक क्रांतिकारी राष्टृ के लिये शोभनीय है। यदि सुरक्षा सब के लिए अनिवार्य हो, तो सुरक्षा की तय्यारी के लिये भी काम होना चाहिए ----यह नहीं है कि रक्षा करना हमारे लिए अनिवार्य हो और हम यह न जानते हों कि रक्षा कैसे करें। हमें जानना होगा कि रक्षा कैसे करें। अलबत्ता वह वातावरण जहां आप प्रशिक्षण ले रहे हैं उसे सही होना चाहिए , वातावरण इस्लामी हो, हर दृष्टि से चारित्रिक पवित्रता सुरक्षित होनी चाहिए, सभी इस्लामी आयाम सुरक्षित हों। यह दुष्प्रचार कि यदि इस्लाम आया तो महिलाएं जायें घर में बैठें और दरवाज़े पर ताला भी लगा दें कि बाहर न निकल सकें, यह कितनी ग़लत बात है जिसे इस्लाम से संबंधित करते हैं। इस्लाम के आरम्भ में महिलायें सेनाओं में होती थीं, रणक्षेत्र में भी जाती थीं।

उत्तराखंड में सबसे बड़ा बचाव अभियान जारीकेदारनाथ में एक बच्चे को सुरक्षित उसके परिजनों को सौंपता भारतीय सेना का एक जवान

संवाददाता

भारत के उत्तराखंड राज्य में बाढ़ प्रभावितों को बचाने के लिए भारतीय वायु सेना, थल सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सड़क संगठन और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल ने शुक्रवार से अपना अभियान और तेज़ कर दिया है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने के लिए 55 हेलीकाप्टर पहले से लगाए गए हैं और 35 हेलीकाप्टर शनिवार से लगाए जाएंगे। इसे अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान बताया जा रहा है।

56000 यात्रियों व पर्यटकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है किन्तु अभी भी लगभग 30000 लोग फंसे हुए हैं।

मौसम विभाग की ओर से उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अगले 24-48 घंटे के बीच वर्षा की चेतावनी जारी किए जाने से राहत कर्मियों की चिंता बढ़ गयी हैं।

556 शव मिले, सैकड़ों की मौत की आशंका : बहुगुणा

इससे पूर्व कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि राज्य में आपदा की चपेट में आकर मारे गए लोगों के अभी तक 556 शव मिले हैं। विजय बहुगुणा ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है।

समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ''अभी तक कुल 556 शव निकाले गए हैं और इस बात की आशंका ज़ाहिर की जा रही है कि मलबों के अंदर और भी शव दबे हो सकते है।''

उन्होंने कहा, ''हिमालय के इतिहास में इस तरह की त्रासदी नहीं हुई थी।'' 'उत्तराखंड के पुनिर्माण में समय लगेगा और अगले दो वर्षों तक केदारनाथ की तीर्थयात्रा संभव नहीं हो सकेगी।'' आपदा से सबसे ज़्यादा केदारनाथ ही प्रभावित हुआ है। अभी तक आपदा में मरने वालों की अधिकृत संख्या 200 घोषित है, लेकिन अधिकारियों और राहतकर्मियों ने चेतावनी दी है कि यह संख्या हज़ारों में नहीं तो सैकड़ों में पहुंच सकती है।

बहुगुणा ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड राष्ट्रीय आपदा राहत प्रबंधन के नियमों को पूरा नहीं किया, लेकिन कहा कि उनके प्रशासन को बादल फटने की चेतावनी नहीं दी गई थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी तक क़रीब 3०,००० लोगों को निकाला जा चुका है और जो अभी भी फंसे हुए हैं उनकी जान को कोई खतरा नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि इस प्राकृतिक आपदा में असंख्य लोगों की जान गई। लोगों को पूरी तरह से निकालने के काम में और 15 दिन लगेंगे।

११वां राष्ट्रपति चुनाव, ईरानी राष्ट्र की महाविजयतेहरान में जुमा की नमाज में आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हदी किरमानी ने ईरान के ग्यारहवें राष्ट्रपति चुनाव को ईरानी राष्ट्र की महान सफलता कहा है।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हदी किरमानी की इमामत में अदा की गई जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया। उन्होंने राजनीतिक कारनामा करने के संबंध में वरिष्ठ नेतृत्व पर विश्वास रखने वाले ईरानी राष्ट्र को सराहते हुए कहा कि यह कारनामा राष्ट्रपति चुनाव में सार्वजनिक भागीदारी द्वारा वास्तव में वरिष्ठ नेतृत्व की पुकार के उत्तर में किया गया है।

आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने जोर देकर कहा कि चौदह जून दो हजार तेरह की राजनीतिक उपलब्धि के कारण एक बार फिर ईरानी राष्ट्र को जीत और इस्लामी क्रांति के दुश्मनों को हार हुई।

उन्होंने ईरानी राष्ट्र का अध्यक्ष चुने जाने पर डॉ. हसन रूहानी को बधाई देते हुए उन्हें इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले और बाद में ईरान का एक सफल व दूरदर्शी नेता कहा है। आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने युवाओं और खिलाड़ियों सहित ईरानी राष्ट्र को वर्ष २०१४ में ब्राजील में होने वाले फुटबाल विश्व कप के क्वालीफाइंग मैच में दक्षिण कोरिया में होने वाले मुकाबले में दक्षिण कोरिया पर ईरान की जीत की बधाई भी दी। आयतुल्लाह मोवह्हदी किरमानी ने इस बात का वर्णन करते हुए कि १२वें इमाम के प्रकट होने के समय अत्याचार अपनी चरम पर पहुंच जाएगा कहा कि आज बहरैन और सीरिया सहित विश्व के विभिन्न भागों में जो अत्याचार किया जा रहा है उसके कारण निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि पीड़ितों पर अत्याचार, एक महान विजय के निकट होने का चिन्ह है।

उत्तर भारत में भारी वर्षा का क़हर, 70 की मौतबारिश उत्तर भारत के कई इलाक़ो में मॉनसून की भारी वर्षा से बड़े पैमाने पर जानी व माली नुक़सान हुआ है।

पूरे उत्तर भारत में मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 70 लोगों के मारे जाने के समाचार हैं, आशंका है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि अभी भी कई लोग लापता हैं और कई इलाक़ों में हज़ारों लोग फंसे हुए हैं।

सेना, बीएसएफ़ और आइटीबीपी के अधिकारी राहत कार्यों में लगे हैं लेकिन मौसम की ख़राबी और लगातार हो रही बारिश की वजह से बचाव के काम में मुश्किलें पैदा हो रही हैं।

भारी बारिश और बाढ़ का सबसे ज़्यादा असर उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में देखा जा रहा है।

उत्तराखंड के आपदा विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि रामबाड़ा में पुलिस स्टेशन भी खाली करा लिया गया था और वहां से अब भी संचार संपर्क कटा हुआ है। वहां दो पुलिसकर्मियों की भी मौत की ख़बर है।

उत्तरकाशी में भारी तबाही के बाद भागीरथी का जलस्तर कुछ कम हुआ है लेकिन ऋषीकेश और हरिद्वार के मैदानी इलाक़ों में गंगा ख़तरे के निशान से काफ़ी ऊपर उफ़न रही है।

उत्तराखंड के मौसम विभाग के निदेशक आनन्द शर्मा के अनुसार अब आनेवाले दिनों में बारिश का ज़ोर कुछ कम हो जाएगा। हांलाकि मॉनसून का असर बाक़ी रहेगा।

पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने हिमाचल प्रदेश को भी अपना निशाना बनाया जहां अब तक 10 लोग मारे गए हैं।

सबसे ज़्यादा तबाही का मंज़र आदिवासी किन्नौर ज़िले में देखा गया जहां भूस्खलन के कारण कई अहम सड़कें जाम हो गईं हैं. लगभग 1700 पर्यटक और स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं।

उधर सांगला घाटी में 60 घंटों तक फंसे रहने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को मंगलवार की सुबह सुरक्षित निकाल लिया गया।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 23 जून को होने वाले मंडी लोकसभा उपचुनाव के लिए वहां प्रचार करने के लिए गए थे।

उत्तर प्रदेश में भी बाढ़ का क़हर जारी है जहां विभिन्न घटनाओं में 15 लोगों के मारे जाने की ख़बर है। उत्तराखंड में हुई भारी बारिश के कारण निकटवर्ती उत्तर प्रदेश के सहारनपूर ज़िले में बाढ़ आ गई।

राज्य के क़ानून व्यवस्था के पुलिस महानिरीक्षक आरके विश्वकर्मा के अनुसार 45 लोग बाढ़ में फंसे हुए थे जिन्हें वायुसेना की मदद से निकालकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया है।

हरियाणा में यमुना का जलस्तर काफ़ी बढ़ गया है जिसके कारण यमुनानगर समेत कई इलाक़ों में बाढ़ आ गई है। यमुना का जलस्तर बढ़ने से करनाल, पानीपत और सोनीपत में चेतावनी जारी कर दी गई है।

राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव कृष्ण मोहन के अनुसार यमुनानगर में रविवार सुबह से फंसे 52 लोगों को सेना और राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल की मदद से बचा लिया गया है।