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बगराम जेल पर करज़ई और हेगल की टेलीफ़ोनी वार्ता
अमरीकी रक्षा मंत्री चक हेगल ने अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई से टेलीफ़ोनी वारता में बगराम जेल के बारे में बातचीत की।
पेंटागोन से जारी होने वाली प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार चक हेगल और हामिद करज़ई ने इस टेलीफ़ोनी वार्ता में इस बात पर दिया है कि आने वाले सप्ताह में बगराम जेल की सुरक्षा का कार्यभर अफ़ग़ान सरकार के हवाले करने पर समग्र सहमति बनाने का प्रयस किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि इस वार्ता में इस बात पर भी बल दिया गया कि इस मामले में अफ़ग़ानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता और वाशिंग्टन के सुरक्षा हितों को दृष्टिगत रखकर ही कोई समझौता होगा।
पाकिस्तान में संसद भंग
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार निर्वाचित सरकार ने 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया जिसके बाद 16 मार्च को राष्ट्रीय एसेंबली भंग कर दी गई है।
संसद भंग करने का नोटीफ़िकेशन संसदीय मामलों के मंत्रालय ने राष्ट्रपति ज़रदारी की स्वीकृति के बाद जारी कर दिया था जिसके अनुसार रात 12 बजे राष्ट्रीय एसेंबली का कार्यकाल पूरा हो गया और इसके साथ ही एसेंबली भंग हो गई। संसद भंग होने के साथ ही सभी केन्द्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, और सलाहकार भी अपने पद से हट गए और राजा परवेज़ अशरफ़ कार्यवाहक प्रधानमंत्री के पद संभालने तक प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाले रहेंगे।
संसद भंग होने के अवसर पर प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ ने कहा कि सरकार का अपना कार्यकाल पूरा करना असाधारण और एतिहासिक घटना है, मैं जनता को लोकतंत्र की प्रक्रिया जारी रहने की बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ज़रदारी की नीति ने पाकिस्तान की राजनीति को नई ऊंचाइयों से परिचित कराया।
प्रतिबंधों की अमरीकी धमकी महत्वहीन है
पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने तेहारन-इस्लामाबाद गैस पाइप लाईन परियोजना को लेकर अमरीका द्वारा दी जा रही प्रतिबंध की धमकियों को नज़र अन्दाज़ कर दिया है।
गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने विश्वास जताते हुए कहा कि ईरान पाकिस्तान गैस परियोजना के लेकर वाशिंगटन कदापि इस्लामाबाद के विरुद्ध प्रतिबंध नहीं लगाएगा।
ईरान के साथ पाकिस्तान के संबंधों के महत्व की ओर संकेत करते हुए खर ने कहा कि गैस परियोजना के निर्माण कार्य का समापन, शांति एवं सहयोग के लिए एक अच्छा साचार होगा।
ग़ौरतलब है कि 11 मार्च को अमरीका के विदेश मंत्रालय ने धमकी दी थी कि अगर पाकिस्तान ईरान के साथ गैस परियोजना को आगे बढ़ाता है तो उस पर प्रतिबंध लगा दिए जायेंगे।
पाकिस्तान में शियों के जनसंहार में अमरीका का हाथ
तेहरान की केंद्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह जन्नती ने कहा है कि ईरान के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में जनता को भाग लेने से रोकने के शत्रु के समस्त प्रयास विफल हो जायेंगे।
आयतुल्लाह अहमद जन्नती ने तेहरान की केंद्रीय नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में उल्लेख किया कि जून में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को फीका करने हेतु विश्व शक्तियां स्थानीय तत्वों के सहयोग से दुष्प्रचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जनता के बीच तनाव उत्पन्न करने के लिए नकारात्मक प्रचार किया जा रहा है किन्तु सदैव की भांति इस बार भी ईरानी राष्ट्र चुनावों में बढ़ चढ़कर भाग लेगा और शत्रुओं की समस्त साज़िशों पर पानी फेर देगा।
आयतुल्लाह जन्नती ने ईरान में स्वतंत्र चुनाव आयोजित न होने के शत्रुओं के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि यदि ईरान में चुनाव स्वतंत्र रूप से आयोजित नहीं होते तो आज ईरान अन्य देशों के लिए धार्मिक लोकतांत्रिक आदर्श नहीं होता।
इसी प्रकार तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने अमरीका द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषकर प्रतिबंधों और दबाव की स्थिति में ईरान की प्रगति की वास्तविकता को स्वीकार करने की ओर संकेत करते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में ईरान की प्रगति ने शत्रुओं के समस्त अनुमानों पर पानी फेर दिया है कि जो सोजते थे कि प्रतिबंधों में वृद्धि से ईरानी राष्ट्र को झुकाने पर विवश कर सकते हैं।
इसी प्रकार आयतुल्लाह जन्नती ने पाकिस्तान में शिया मुसलमानों के नरसंहार की भर्त्सना करते हुए कहा कि पाकिस्तान में शियों पर हो रहे अत्याचारों में अमरीका की भूमिका स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि विश्व साम्राज्य शियों का नरसंहार करके पाकिस्तान में शिया और सुन्नियों में मदभेद उत्पन्न करना चाहता है ताकि क्षेत्र में अपनी वर्चस्ववादी नीतियों को आगे बढ़ा सके।
१६ मार्च
26 इस्फ़ंद वर्ष 1373 हिजरी शमसी को इस्लामी क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के पुत्र सैयद अहमद ख़ुमैनी का निधन हुआ। उनका जन्म वर्ष 1324 हिजरी शम्सी में पवित्र नगर क़ुम में हुआ था। उन्होंने इस्लामी क्रांति के आंदोलन के दौरान हर प्रकार की समस्याएं सहन कीं और शाह के एजेंटों के हाथों उन्हें अत्यधिक यातनाएं दी गईं तथा जेल में डाला गया। सैयद अहमद ख़ुमैनी अपने पिता इमाम ख़ुमैनी के निर्वासन के काल में उनके साथ एक देश से दूसरे देश की यात्रा करते रहे। उन्होंने हर हर क़दम पर अपने पिता का भरपूर साथ दिया।१६ मार्च सन १८५५ ईसवी को रुस के आविष्कारक और वैज्ञानिक एलेग्ज़न्डर पापोव का जन्म हुआ। उन्होंने भौतिक शास्त्र की शिक्षा पूरी करने के बाद पढ़ाना आरंभ कर दिया। साथ ही वे अध्ययन और शोधकार्य में भी लगे रहे। वे ऐसी मशीन बनाना चाहते थे जिसमें आवाज़ को रिकार्ड करके बाद में सुना जा सके। सन १८९५ में वे ऐसी मशीन अर्थात टेप रिकॉर्डर बनाने में सफल हो गये। सन १९०६ में उनका निधन हो गया।
***
१६ मार्च सन १९३९ ईसवी को द्वितीय विश्व युद्ध की आग भड़कने से पहले चेकोस्लोवाकिया पर जर्मनी का अधिकार हो गया। इससे पहले जर्मनी ने १९३८ में ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर लिया था। जर्मन सेना ने ३० सितम्बर सन १९३८ ईसवी को चेकोसेलवाकिया के सूदत क्षेत्र पर क़ब्ज़ा किया और आज के दिन उसने पूरे चेकोस्लोवाकिया को अपने अधिकार में ले लिया।
***१६ मार्च सन १९३७ ईसवी को ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्ष सर जोज़फ़ ऑस्टन चेम्बरलेन का निधन हुआ। उन्होंने ब्रिटेन के विदेश मंत्री के रुप में १९२५ ईसवी में लोकार्नो संधि की भूमिका प्रशस्त करने के लिए वार्ताएं कीं। और इसी वर्ष अमरीका के राष्ट्रपति चार्ल्स गेटस डेवज़ के साथ शांति का नोबल पुरस्कार जीता।
***१६ मार्च सन १९४० ईसवी को स्वीडन की लेखिका सलमाला गोरलोफ़ का निधन हुआ। व सन १८५८ में जन्मी थीं और शिक्षा पूरी करने के बाद लेखन में व्यस्त हो गयीं गोरलोफ़ पहली महिला थीं जिन्होंने सन १९०९ में साहित्य का नोबल पुरस्कार जीता। उनकी पुस्तकों में गोस्टाबरलिंग की कथा ईसा की कथा और अदृष्य संबध के नाम लिए जा सकते हैं।
१६ मार्च
26 इस्फ़ंद वर्ष 1373 हिजरी शमसी को इस्लामी क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के पुत्र सैयद अहमद ख़ुमैनी का निधन हुआ। उनका जन्म वर्ष 1324 हिजरी शम्सी में पवित्र नगर क़ुम में हुआ था। उन्होंने इस्लामी क्रांति के आंदोलन के दौरान हर प्रकार की समस्याएं सहन कीं और शाह के एजेंटों के हाथों उन्हें अत्यधिक यातनाएं दी गईं तथा जेल में डाला गया। सैयद अहमद ख़ुमैनी अपने पिता इमाम ख़ुमैनी के निर्वासन के काल में उनके साथ एक देश से दूसरे देश की यात्रा करते रहे। उन्होंने हर हर क़दम पर अपने पिता का भरपूर साथ दिया।१६ मार्च सन १८५५ ईसवी को रुस के आविष्कारक और वैज्ञानिक एलेग्ज़न्डर पापोव का जन्म हुआ। उन्होंने भौतिक शास्त्र की शिक्षा पूरी करने के बाद पढ़ाना आरंभ कर दिया। साथ ही वे अध्ययन और शोधकार्य में भी लगे रहे। वे ऐसी मशीन बनाना चाहते थे जिसमें आवाज़ को रिकार्ड करके बाद में सुना जा सके। सन १८९५ में वे ऐसी मशीन अर्थात टेप रिकॉर्डर बनाने में सफल हो गये। सन १९०६ में उनका निधन हो गया।
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१६ मार्च सन १९३९ ईसवी को द्वितीय विश्व युद्ध की आग भड़कने से पहले चेकोस्लोवाकिया पर जर्मनी का अधिकार हो गया। इससे पहले जर्मनी ने १९३८ में ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर लिया था। जर्मन सेना ने ३० सितम्बर सन १९३८ ईसवी को चेकोसेलवाकिया के सूदत क्षेत्र पर क़ब्ज़ा किया और आज के दिन उसने पूरे चेकोस्लोवाकिया को अपने अधिकार में ले लिया।
***१६ मार्च सन १९३७ ईसवी को ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्ष सर जोज़फ़ ऑस्टन चेम्बरलेन का निधन हुआ। उन्होंने ब्रिटेन के विदेश मंत्री के रुप में १९२५ ईसवी में लोकार्नो संधि की भूमिका प्रशस्त करने के लिए वार्ताएं कीं। और इसी वर्ष अमरीका के राष्ट्रपति चार्ल्स गेटस डेवज़ के साथ शांति का नोबल पुरस्कार जीता।
***१६ मार्च सन १९४० ईसवी को स्वीडन की लेखिका सलमाला गोरलोफ़ का निधन हुआ। व सन १८५८ में जन्मी थीं और शिक्षा पूरी करने के बाद लेखन में व्यस्त हो गयीं गोरलोफ़ पहली महिला थीं जिन्होंने सन १९०९ में साहित्य का नोबल पुरस्कार जीता। उनकी पुस्तकों में गोस्टाबरलिंग की कथा ईसा की कथा और अदृष्य संबध के नाम लिए जा सकते हैं।
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम की अहादीस (प्रवचन)
हम यहाँ पर अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम के चालीस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत कर रहे हैं।
1- मोमिन के तीन लक्षण
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि कोई भी उस समय तक वास्तविक मोमिन नही बन सकता जब तक वह अल्लाह रसूल व इमामों की सुन्नत को न अपना ले। और अल्लाह की सुन्नत अपने मर्म को छुपाना, रसूल की सुन्नत लोगों का सत्कार व उनके साथ विनम्रता पूर्वक व्यवहार करना, तथा इमामों की सुन्नत विपत्तियो व कठिनाईयों पर सब्र ( संतोष) करना है।
2- छुपकर पुण्य करना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि छुपकर पुण्य करने वाले को एक पुण्य के बदले सत्तर पुण्यों का फल मिलेगा।तथा बुराईयों को छुपाने वाला मुक्ति पाता है और बुराईयों को प्रकट करने वाला अपमानित होता है
3- सफ़ाई
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि सफ़ाई व पवित्रता पैगम्बरों के सदाचार का भाग है।
4- बड़ा भाई
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि बड़ा भई पिता के समान होता है।
5- मित्र व शत्रु
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि हर व्यक्ति की बुद्धि उसकी मित्र व अज्ञानता उसकी शत्रु है।
6- आदर के साथ नाम लेना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर व्यक्ति आपके सम्मुख हो तो आदर के लिए उसकी कुन्नियत के साथ बोलो व अगर वह अनुपस्थित हो तो उसका नाम लो।
7- शोर मचाना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह शोर मचाने, सम्पत्ति को नष्ट करने व अधिक प्रश्न करने को पसंद नही करता है।
8- बुद्धि के दस लक्षण
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि एक मुसलमान मे जब तक दस गुण न पायें जायें उसकी बुद्धि पूर्ण नही होती। यह दस गुण इस प्रकार हैं।
1-लोग उससे भलाई की उम्मीद रखते हों।
2-उसके दुष्कृत्यों से सुरक्षित हों।
3-वह दूसरों की थोड़ी भलाई को भी अधिक समझता हो।
4-अपनी अधिक भलाई को भी कम समझता हो।
5-दरिद्रों के अधिक प्रश्न करने से क्रोधित न होता हो।
6-अपनी पूरी आयु मे ज्ञान प्राप्ती से न थके।
7-अल्लाह के मार्ग मे दरिद्रता को समृद्धता से अधिक प्रियः रखता हो।
8-उसको अल्लाह के मार्ग मे तिरस्कार, अल्लाह के शत्रु के मार्ग मे आदर से अधिक प्रियः हो।
9- उसको गुमनामी प्रसिद्धि से अधिक प्रियः हो।
10- इसके बाद इमाम ने कहा कि दसवा गुण भी क्या गुण है। एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि वह दसवा गुण क्या है आपने उत्तर दिया कि दसवा गुण यह है कि जिसको भी देखे कहे कि यह मुझ से अधिक अच्छा व मुझ से अधिक अल्लाह से डरने वाला है।
9- इमान तक़वा व यक़ीन
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि इमान इस्लाम से एक श्रेणी ऊपर है। तथा तक़वा इमान से एक श्रेणी ऊपर है। व मनुष्य को कोई भी वस्तु विश्वास से अधिक उच्च प्रदान नही की गयी है।
10- विवाह भोज
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि विवाह के अवसर पर भोज देना सुन्नत कार्यों मे से एक है।
11- सिलहे रहम (रक्त सम्बन्धियों से सम्बन्ध रखना)
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि सिलहे रहम को स्थापित रखो चाहे वह एक घूँट पानी पिलाने के द्वारा ही हो। और सर्व श्रेष्ठ सिलहे रहम यह है कि अपने नातीयों से कष्टों को दूर करो।
12- पैगम्बरो का असलाह( हथियार)
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि आप को चाहिए कि पैगम्बरों का असलहा अपने पास रखो किसी ने प्रश्न किया कि पैगम्बरों का असलहा क्या है? तो आपने उत्तर दिया कि अल्लाह से दुआ।
13- सुरक्षा
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि मानव पर एक ऐसा समय आयेगा कि उसमे सुरक्षा दस भागो पर आधारित होगी। जिनमे से नौ भाग लोगों से बच कर रहने मे व एक भाग चुप रहने मे है।
14- तवक्कुल
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम से प्रश्न पूछा गया कि अल्लाह पर तवक्कुल की वास्तविकता क्या है? इमाम ने उत्तर दिया कि अल्लाह के अतिरिक्त किसी से न डरना।
15- सबसे बुरा व्यक्ति
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि सबसे बुरा व्यक्ति वह है जो दूसरों की सहायता करने से रोके , अकेला खाये व अपने आश्रितो की पिटाई करे।
16- कँजूस
इमाम रिज़ा ने कहा कि कँजूस को आराम व ईर्शालु को मज़ा नही मिलता। तथा शासक वफ़ादार और झूटा संकोच शील नही होता।
17- हाथ चूमना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी व्यक्ति को किसी व्यक्ति के हाथ नही चूमने चाहिए । क्योकि उसके हाथ चूमना उसके लिए नमाज़ पढ़ने के समान है।
18- इमान के भाग
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि इमान के चार भाग हैँ 1- अल्लाह पर भरोसा 2- अल्लाह के फ़ैसलों पर प्रसन्न रहना। 3- अल्लाह के आदेशों के सम्मुख समर्पित हो जाना। 4- अपने समस्त कार्यों को अल्लाह के हवाले करना।
19- श्रेष्ठ व्यक्ति
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम से प्रश्न पूछा गया कि श्रेष्ठ व्यक्ति कौन हैँ ? आपने उत्तर दिया कि वह व्यक्ति जो अच्छे कार्य करने से प्रसन्न होते हों।और जब पाप करते हों उसके लिए अल्लाह से क्षमा माँगते हों। अल्ला से सम्पत्ति मिलने पर उसका धन्यवाद करते हों। विपत्ति पड़ने पर सब्र (संतोष) करते हों तथा जब क्रोधित होते हों तो क्षमा कर देते हो।
20- भिखारी का तिरस्कार
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई मुसलमान भिखारी से मिले और उसको इस प्रकार सलाम न करे जिस प्रकार धनी लोगों को करता है तो अल्लाह क़ियामत के दिन ऐसे व्यक्ति पर क्रोधित होगा।
21- संसारिक प्रसन्नता
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम से प्रश्वन किया गया कि संसारिक प्रसन्नता क्या है ? आपने उत्तर दिया कि बड़े भवन व मित्रों की अधिकता।
22- अत्याचारी शासक
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब शासक झूट बोलने लगते हैं तो वर्षा नही होती। और जब शासक अत्याचार करने लगते हैं तो शासन अपमानित हो जाता है। और जब ज़कात नही दी जाती तो पालतु पशु मरने लगते हैं।
23- मोमिन के दुख को दूर करना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो कोई मोमिन के दुखों को दूर करेगा अल्लाह क़ियामत के दिन उसके हृदय से समस्त दुखों को दूर करेगा।
24- मोमिन को प्रसन्न करना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि वाजिब (अनिवार्य) कार्यों के बाद अल्लाह की दृष्टि मे इससे महान कोई कार्य नही कि मोमिन को प्रसन्न किया जाये।
25- सदक़ा (दान )
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि सदक़ा अवश्य दो चाहे थोड़ा ही क्यों न हो। इस लिए कि अगर सच्ची नियत से थोड़ी भी वस्तु दी जाये तो वह अल्लाह की दृष्टि मे महान है।
26- भेंट करना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि आपस मे एक दूसरे से भेंट किया करो व हाथ मिलाया करो तथा एक दूसरे से प्रेम करो व आपस मे एक दूसरे पर क्रोधित न हुआ करो।
27- कार्यों का छिपाना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने संसारिक व परलोकीय कार्यों को गुप्त रखो। क्योंकि उल्लेख हुआ है कि ऱहस्योदघाटन कुफ्र है। व उल्लेख मिलता है कि आप जिस बात को अपने शत्रु से छिपाना चाहते हो वह आपका मित्र भी न जानने पाये।
28- वचन से फिरना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि मानव वचन तोड़ कर विपत्तियों से मुक्ति नही पासकता।
29- प्रसन्न चित्त
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि जनता के साथ हंसी खुशी, मित्रों के साथ आदर पूर्वक, शत्रु के साथ सावधानी पूर्वक तथा शासक के साथ भय व सावधानी पूर्वक भेंट करो।
30- कम जीविका पर प्रसन्न होना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति कम सम्पत्ति पर अल्लाह से प्रसन्न हो जाता है अल्लाह भी उसके कम पुण्यों से प्रसन्न हो जाता है।
31- बुद्धि व सदाचार
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धि अल्लाह की ओर से एक विशेष उपहार है। और सदाचारिता बनाऐ रखना कठिनाईयों को झेलना है वह हर व्यक्ति जो कटिनाईयों के साथ सदाचार की रक्षा करता है वह सदाचारी बन जाता है। परन्तु अगर कोई परिश्रम करके बुद्धिमान बनना चाहे तो मूर्खता के अतिरिक्त किसी वस्तु मे वृद्धि न होगी।
32- जीविका के लिए प्रयास
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपने परिवार के निर्वाह हेतू जीविका मे वृद्धि करने के लिए परिश्रम करता है, उसका फल अल्लाह के मार्ग मे युद्ध करने वाले से अधिक है।
33- क्षमा दान
इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब दो समुदाय आपस मे उलझते है तो सफलता उस समुदाय को मिलती है जो अधिक क्षमा शील होता है।
34- मुहब्बते आले मुहम्मद
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि आलि मुहम्मद(स.) की मुहब्बत पर विशवास करके अच्छे कार्यों व इबादत को न छोड़ो। और अच्छे कार्यों व इबादत पर विश्वास करके आले मुहम्मद की मुहब्बत को न छोड़ो। क्योंकि इन दोनों मे से कोई भी एक दूसरे के बिना स्वीकार नही होंगे।
35- चुप रहना
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि चुप रहना बुद्धिमत्ता के द्वारों मे से एक द्वार है। चुप रहना प्रेम को आकृषित करता है। तथा यह समस्त अच्छाईयों के लिए तर्क है।
36- कँजूसी
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि कँजूसी व्यक्ति को अपमानित करा देती है। और संसारिक वस्तुओं का प्रेम दुख दरदों का कारण बनता है। सबसे अच्छी आदत अच्छे कार्य करना, विपत्ति मे घिरे लोगों की सहायता करना, व उम्मीदवारों की उम्मीद को पूरा करना है।
37- सर्व श्रेष्ठ बुद्धि मत्ता
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि सर्व श्रेष्ठ बुद्धिमत्ता व्यक्ति का अपनी आत्मा से परिचित होना है।
38- ज्ञान
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह उस व्यक्ति पर दया करे जो हमारे अमूर को जीवित करे। प्रश्न पूछा गया कि आपके अमूर को किस प्रकार जीवित किया जाये ? आपने उत्तर दिया कि हमारे ज्ञान को सीख कर दूसरों को सिखाया जाये।
39- इमान
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि इमान वाजिब कार्यों (अवश्यक)के पालन व हराम(निष्द्ध) कार्यों से बचने को कहते हैं। दूसरे शब्दों मे इमान मुख से स्वीकार करने, हृदय मे विश्वास रखने और शारीरिक अंगों से कार्य करने का नाम है।
40- अज्ञा पालन
हज़रत इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर अल्लाह मानव जाति को नरक व स्वर्ग से न डराता तब भी उसने जो मानव पर अनुकम्पा व उपकार किये हैं और बिना किसी अधिकार के उनको जो सम्पत्तियाँ प्रदान की हैं इन का तक़ाज़ा यही था कि मानव उसकी अज्ञा का पालन करे व अवज्ञा न करे।
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम की अहादीस (प्रवचन)
यहां पर अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के अध्ययन हेतू हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के चालीस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे है।
1-मोमिन की तीन अवश्यक्ताऐं
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मोमिन को अवश्क्ता है कि अल्लाह से तौफ़ीक़ (सामर्थ्य) प्राप्त करे,अपनी आत्मा से स्वंय उपदेश ले व नसीहत करने वाले की नसीहत को स्वीकार करे।
2-रहस्य
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी कार्य के दृढ़ होने से पहले उसका रहस्योदघटन उस कार्य के छिन्न भिन्न होने का कारण बनता है।
3-सम्पत्ति की वृद्धि
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब तक व्यक्ति अल्लाह का धन्यवाद करता रहता है अल्लाह उसके धन मे वृद्धि करता रहता है।
4-तौबा
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तौबा मे देर करना धोका है। और तौबा की देरी को अधिक बढ़ाना हैरानी (उद्विग्नता) है। और अल्लाह से टाल मटोल करने मे हलाकत (विनाश)है।
5- प्रसन्नता व अप्रसन्नता
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी कार्य मे उपस्थित हो परन्तु उस कार्य से प्रसन्न न हो तो वह अनुपस्थित समान है। और अगर कोई किसी कार्य मे अनुपस्थित हो परन्तु उस कार्य से प्रसन्न हो तो वह उस कार्य मे उपस्थित व्यक्ति के समान है।
6-मित्रता व शत्रुता
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने कुछ पैगम्बरों पर वही (संदेश) भेजी कि तुम्हारे दिल का संसार से उचाट हो जाना तुमको शीघ्र ही आराम पहुँचाने वाला है। और (दूसरों की ओर से मुँह मोड़ कर ) मेरी ओर आकृषित हो जाना तुम्हारे लिए मेरी ओर से तुमको दिया गया सम्मान है।(किन्तु यह सब तो स्वंय तुम्हारे लिए है)अब प्रश्न यह है कि क्या तुमने मेरे किसी मित्र से मेरे कारण मित्रता व मेरे किसी शत्रु से मेरे कारण शत्रुता की?
7-दुष्ट का साथ
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई किसी दुष्ट को उम्मीदवार बना दे या उसकी इच्छा को पूरा कर दे तो उसका सबसे कम दण्ड यह है कि उसको समस्त वस्तुओं से वांछित कर दिया जायेगा।
8-मूर्ख का चुप रहना
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर अज्ञानी व मूर्ख व्यक्ति चुप रहें तो मनुष्यों के मध्य मत भेद न हो।
9-विश्वासघात
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी विश्वासघाती का धरोहर होना भी विश्वासघाती होने के समान है।
10-कथन का सुननना
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई किसी की बात को सुन रहा है तो ऐसा है जैसे वह उसकी पूजा कर रहा है। अगर बोलने वाला अल्लाह की बात कह रहा है तो उसने अल्लाह की इबादत की और अगर बोलने वाला शैतान की ज़बान मे बोल रहा है तो उसने शैतान की इबादत की।
11-कार्यों के कारक
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि चार वस्तुऐं व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। (1)स्वास्थय (2) धनाढ़यता (3) ज्ञान (4) तौफ़ीक अर्थात अल्लाह की ओर से मिलने वाली समर्थ्य।
12-अल्लाह की दृष्टि
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि यह जान लो कि तुम अल्लाह की दृष्टि से छिपे हुए नही हो। अतः यह देखो कि तुम किस हाल मे हो।
13-अत्याचार
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अत्याचारी, अत्याचारी के सहयोगी व अत्याचार पर प्रसन्न रहने वाले सभी अत्याचार मे सम्मिलित हैँ
14-धनी
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अल्लाह की सहायता से धनी होगा लोग उससे अपनी अवश्यक्ता पूरी करेंगें। तथा जो व्यक्ति अल्लाह से डरेंगें लोग उनसे प्रेम करेंगें।
15-अल्लाह
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसका पालन पोषण अल्लाह करे वह बर्बाद नही हो सकता। तथा जिसकी खोज मे अल्लाह हो वह उससे बच नही सकता।
16-अल्लाह की महुब्बत
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि बहुत से लोगों से शत्रुता किये बिना अल्लाह की महुब्ब को प्राप्त नही किया जा सकता।
17-गंभीरता
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि गंभीरता ज्ञानी का परिधान है अतः इसका त्याग न करो।
18-ज्ञानी का कर्तव्य
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर ज्ञानी व्यक्ति सदुपदेश न करें, व भटके हुए व्यक्ति का मार्ग दर्शन न करें, मुरदे को देख कर उसे जीवित न करें, तो उन्होने अपने साथ विश्वासघात किया।
19-उपद्रवी
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जानलो कि उपद्रवी की संगत मे न बैठना क्योंकि वह देखने मे बहुत अच्छा प्रतीत होता है परन्तु उसका प्रभाव बहुत बुरा होता है।
20-शत्रुता
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिस व्यक्ति ने तुम्हारी इच्छाओं का अनुकरण करते हुए सफलता के मार्ग को तुम से छिपाया उसने तुम से शत्रुता की।
21-आदर
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मोमिन का आदर इस बात मे है कि वह अपनी अवश्यक्ता की पूर्ति हेतू किसी से प्रश्न न करे।
22-ज्ञानानुरूप कार्य
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति ज्ञान के बिना कार्य करेगा वह सुधार से अधिक दुर्दशा बना देगा।
23-इन्द्रीय इच्छा
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो इन्द्रीय इच्छांओं का अनुकरण करेगा वह शत्रु की अच्छाओं की पूर्ति करेगा।
24-दृढ प्रतिज्ञा
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि दृढ प्रतिज्ञ रहो ताकि अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सको या उससे समीप हो सको।
25-मित्र
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि निस्वार्थ व विश्वसनीय मित्र एक दूसरे के लिए सम्पत्ति हैं।
26- अल्लाह की प्रसन्नता
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मनुष्य अधिक क्षमा याचना, सद् व्यवहार, और अधिक दान के द्वारा अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त कर सकता है।
27-लज्जित न होना
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि शीघ्रता न करने वाला,परामर्श करने वाला व संकल्प करते समय अल्लाह पर भरोसा करने वाला कभी लज्जित नही हो सकता।
28-सद्व्यवहारिता का त्याग
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति सद् व्यवहारिता को त्याग देगा वह दुखों मे ग्रस्त हो जायेगा।
29-पहचान
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति किसी काम मे प्रवेश होने के मार्ग को नही पहचानेगा वह उससे निकलने के मार्ग को भी नही पहचान पयेगा।
30-इच्छाऐं
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि इच्छाओ (के घोड़े) पर सवार व्यक्ति की ठोकरें इलाज योग्य नही होतीं।
31-धन्वाद न करना
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि नेअमत (सम्पत्ति)का धन्यवाद न करना क्षमा न किया जाने वाले पाप के समान है।
32-कुशलता
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि कुशलता अल्लाह का सर्व श्रेष्ठ उपहार है।
33-दया
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने से निर्बल व्यक्तियों पर दया करो। और निर्बलों पर दया करके अल्लाह से अपने लिए दया माँगो।
34-उपहार व मार्ग दर्शन
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जान लो कि जो अल्लाह के उपहार को स्वीकार नही करता उसको अल्लाह के उपहार प्राप्त नही होते। और जो अल्लाह के मार्ग दर्शन को स्वीकार नही करता वह भटक जाता है।
35-अल्लाह व बन्दों का बदला
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मनुष्यों का बदला अल्लाह के बदले के बाद तथा मनुष्यो की प्रसन्नता अल्लाह की प्रसन्नता के बाद है। (अर्थात पहले अल्लाह को प्रसन्न करो व बाद मे मनुष्यों को प्रसन्न करो)
36-अल्लाह पर विश्वास
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह पर विश्वास समस्त मूल्यवानों का मूल्य व समस्त उच्चताओं को प्राप्त करने की सीढी है।
37-अल्लाह पर भरोसा
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो अल्लाह पर भरोसा करता है अल्लाह उसे प्रसन्न कर देता है।
38- (ज़ोह्द) इन्द्री निग्रह
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ज़ोह्द की अन्तिम सीमा पापो से दूरी है।
39-लालच
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यक्ति को ख़राब करने वाली कोई वस्तु लालच से बढ़कर नही है।
40-परख
हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति किसी को परखे बिना उसका अनुयायी बन जायेगा तो वह अपने को थका देने और मार डालने वाली विपत्ति मे ग्रस्त कर लेगा।
भारत का पहला क़्रूज़ मिसाइल परीक्षण विफल
भारत ने मंगलवार को अपने पहले निर्भय क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया लेकिन निशाना साधने में चूक हो जाने के बाद उसे बीच रास्ते में ही नष्ट कर दिया गया। पहली बार स्वदेश में विकसित सबसोनिक क्रूज मिसाइल, निर्भय का ओडिशा में चांदीपुर के परीक्षण केंद्र में परीक्षण किया गया। डीआरडीओ ने परीक्षण की विफलता पर कहा है कि तकनीकी खराबी के कारण मिसाइल को रास्ते में नष्ट करना पड़ा. हम पूरी क्षमता हासिल करने में विलफ रहे, लेकिन जिस उद्देश्य से इसका परीक्षण किया गया था उसे प्राप्त कर लिया गया। डीआरडीओ ने घोषणा की है कि इस मिसाइल की विफलता की जांच की जाएगी। उल्लेखनीय है कि भारत के पास ब्रहमोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों की तकनीक है लेकिन 'निर्भय' डीआरडीओ की बेंगलूर स्थित प्रयोगशाला वैमानिक विकास प्रतिष्ठान ने विकसित की थी. यह मिसाइल मध्य दूरी की मारक क्षमता वाली अलग तरह की मिसाइल है। रक्षा से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस मिसाइल की मारक क्षमता 700 किलोमीटर तक थी और इसके पास परमाणु बम ले जाने की भी क्षमता है। ज्ञात रहे कि इससे पूर्व डीआरडीओ ने परीक्षण रेंज से मंगलवार की सुबह प्रक्षेपित किये गए मिसाइल के परीक्षण को सफल बताया था।
ईरान पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना की उपलब्धियां
पाकिस्तान के पेट्रोलियम सलाहकार आसिम हुसैन ने कहा है कि पाकिस्तान ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना से 4 हज़ार मेगावाट बिजली पैदा हो सकेगी।
इस्लामाबाद में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए आसिम हुसैन ने कहा कि इस परियोजना से देश को 4 हज़ार मेगावाट बिजली पैदा होगी, बलोचिस्तान में 10 हज़ार नौकरियां मिलेंगी और गैस के उद्योग चलेंगे। आसिम हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान का ईरान से प्रतिदिन 75 हज़ार घन फ़ुट गैस प्राप्त करने का समझौता है। उन्होंने बताया कि आरंभिक चरण में 15 हज़ार घन फ़ुट गैस आएगी। आसिम हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना देश के इतिहास में मील का पत्थर है।
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम की अहादीस (प्रवचन)
अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए यहाँ पर हज़रत हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम के चालीस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे हैं।
1- मार्ग दर्शक
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने मनुष्यो के लिए ज़ाहिर व बातिन(प्रत्यक्ष व परोक्ष) दो मार्ग दर्शकों का प्रबन्ध किया है।प्रत्यक्ष मार्ग दर्शक आदरनीय पैगम्बरो व इमामों को बनाया तथा परोक्ष मार्ग दर्शक बुद्धि को बनाया।
2- बुद्धिमान
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति संसारिक मोहमाया से दूर व परलोकीय माया के अभिलाषी होते हैं। क्योकि वह जानते हैं कि संसार व परलोक दोनो माँगने वाले व मिलने वाले हैं। जो परलोक को माँगता है संसार उसको माँगता है ताकि अपनी जीविका उससे प्राप्त करे। और जो संसार को माँगता है परलोक उसके पीछे आता है ताकि उसकी मृत्यु हो और उसका संसार व परलोक दोनो समाप्त हो।
3-संसारिक मोह माया
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि एकाँत पर संतोष करना बुद्धिमत्ता का लक्षण है। जो अल्लाह से परिचित होगा वह संसारिक मोहमाया व संसारिक मोहमाया के जाल मे फसे व्यक्तियों से दूर रहेगा। और अगर जो कुछ अल्लाह के पास है उसमे रूची रखेगा तो अल्लाह भयंकर स्थिति मे उसका सहायक, एकाँत मे उसका मित्र, दरिद्रता मे उसका धन व परिवार से दूर होने की स्थिति मे उसका गर्व होगा।
4-धनवान
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो बिना धन के धनवान होना चाहे, अपने हृदय को ईर्श्या से दूर रखना चाहे और अपने धर्म को सुरक्षित रखना चाहे तो उसे चाहिए कि अल्लाह के समक्ष रोये व अल्लाह से प्रार्थना करे कि उसकी बुद्धि को पूर्ण करे। क्योंकि बुद्धिमान अवश्क्ता अनुसार मिलने पर ही संतोष करता है। और जो अवश्क्ता योग्य मिलने पर संतोष करता है वह धनी हो जाता है। और जो अवश्क्ता योग्य मिलने पर संतोष नही करता वह कभी भी धनी नही हो सकता।
5-निस्वार्थता
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई निस्वार्थ रूप से अपने मोमिन भाई से भेंट करने के लिए इस लिए जाये ताकि अल्ला की ओर से मिलने वाला परितोषिक उसे प्राप्त हो और अल्लाह का वचन पूर्ण हो तो इस स्थिति मे अल्लाह उसके घर से निकलने के समय से लेकर उस के घर मे प्रविष्ट होने के समय तक सत्तर हज़ार फ़रिश्तों को उसके ऊपर छोड़ता है। ताकि वह उसको यह संदेश दें कि पाको पाकीज़ा( पवित्र) जन्नत तुझे मुबारक( मंगलमय) हो कि तूने उसमे एक स्थान प्राप्त कर लिया।
6- सर्व श्रेष्ठ
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम मे सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति वह है जो संसार को अपने लिए प्रतिष्ठा का केन्द्र न समझे। जानलो कि तुम्हारे शरीर का मूल्य केवल स्वर्ग है अतः इस से कम पर इसे मत बेंचो।
7- अपमानित न करो
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो दूसरे व्यक्तियो को अपमानित करने से बचेगा अल्लाह क़ियामत (परलय) के दिन उसकी ग़लतियों(त्रुटियों) को अनदेखा करेगा। तथा जो (संसार मे) दूसरे व्यक्तियो पर क्रोधित नही होगा अल्लाह क़ियामत के दिन उस पर क्रोधित नही होगा।
8-नमाज़ पढ़ना
इमाम काज़िम अलैहिस्लाम ने कहा कि अल्लाह को पहचानने के बाद सर्व श्रेष्ठ कार्य जिनके द्वारा बन्दा अल्लाह से अधिक समीप हो सकता है, वह नमाज़ पढ़ना, अपने माता पिता के साथ सद् व्यवहार करना तथा ईर्श्या, घमँड व स्वेच्छाचारिता का त्यागना है।
9-झूट न बोलना
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति कभी झूट नही बोलते चाहे झूट से उनका स्वार्थ ही क्यों न सिद्घ होता हो।
10-कम बोलना
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि कम बोलना बुद्धिमत्ता है। आप लोगों को चाहिए कि कम बोलो क्योंकि यह श्रेष्ठ व्यक्तियो का चलन है। इससे गुनाहों(पापों) मे कमी होती है।
11-जन्नत का हराम होना
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने अपशब्द बोलने वाले,गाली देने वाले,निर्लज्ज व ऐसे व्यक्तियों के लिए जिन को इस बात का ऐहसास न हो कि वह क्या कह रहे हैं और उन को क्या कहा जा रहा है जन्नत (स्वर्ग) को हराम(निषेद्ध)किया है।
12- अहँकार
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अहँकार से दूर रहो। क्योंकि जिसके हृदय मे एक छोटे से दाने के बराबर भी अहँकार होगा वह जन्नत मे नही जासकता।
13- समय का विभाजन
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि प्रयत्न करो कि अपने समय को चार भागो मे विभाजित करो। एक भाग को अल्लाह से विनती करने के लिए, एक भाग को जीविका जुटाने के लिए, एक भाग को अपने ऐसे विश्वसनीय मित्रो की संगत मे बैठने के लिए जो तुमको तुम्हारी बुराईयों से अवगत करायें तथा निस्वार्थ रूप से तुम्हारे मित्र हों। तथा एक भाग अल्लाह द्वारा हलाल की गयी वस्तुओं से आनंदित होने के लिए आरक्षित करो तथा इस अन्तिम भाग से अन्य तीनो भागों के लिए शक्ति प्राप्त करो।
14-गौरव मय
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि धार्मिक लोगों की संगत मे बैठना संसार व परलोक दोनो के लिए गौरवमय है।भला चाहने वाले बुद्धिमान से परामर्श करने मे सफलता तथा वृद्धि है और यह अल्लाह का एक उपहार है। जब भलाई चाहने वाला बुद्धिमान कोई परामर्श दे तो उसका विरोध न करो। क्योंकि अगर उसका विरोध करोगे तो संकट मे फस जाओगे।
15-संगत
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धिमान व अमानतदार व्यक्तियों के अतिरिक्त अन्य लोगों की संगत मे बैठने व उनसे मित्रता करने से इस प्रकार बचो जैसे नरभक्षी वन्य प्राणीयों से बचते हो।
16-जाल मे फसना
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति संसारिक मोह माया के जाल मे फस जाता है उसके हृदय से परलोक का भय निकल जाता है। अल्लाह से दूर तथा उसके क्रोध से प्रकोपित व्यक्ति के अतिरिक्त कोई भी किसी को संसारिक मोह माया मे लिप्त होने की शिक्षा नही देता।
17-लोलुपता
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि लालच से दूर रहो, क्योंकि लालचा अपमान की कुँजी है। लालच बुद्धि, वीरता, सम्मान व ज्ञान को समाप्त कर देता है।
18-सत्यवादिता
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि सत्यवादिता व अमानतदारी से जीविका मे वृद्धि होती हैं। तथा असत्य बोलने व विश्वासघात करने से दरिद्रता मे वृद्धि होती है।
19-मज़ाक़
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि मज़ाक़ न किया करो क्योंकि इससे तुम्हारे मुखः का तेज लुप्त हो जाता है।
20- अल्लाह से डरना
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि सदैव अल्लाह से डरो व सत्य को अपनाओ चाहे इस के कारण तुम्हारे प्राण भी चले जायें। क्योंकि तुम्हारा कल्याण वास्तव मे सत्य मे ही है। अल्लाह से डरो व असत्य से दूर रहो चाहे उससे तुम्हे लाभ ही क्यों न हो रहा हो क्योकि वास्तविक्ता यह है कि असत्य मे हानी ही हानी है।
21-नवाफ़िल नमाज़
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि नावाफ़िल नमाज़ अल्लाह से क़रीब होने का रास्ता है।
22-प्रतिकार
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि क़ियामत (परलय) के दिन यह घोषणा की जायेगी कि जिसका प्रतिकार अल्लाह पर हो वह खड़ा हो जाये। परन्तु क्षमा करने वालों और व्यक्तियो के मध्य संधि कराने वालो के अतिरिक्त कोई खड़ा न होगा और वही अल्लाह से अपना प्रतिकार लेगें।
23-निस्सहाय की सहायता
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम्हारा निस्सहाय की सहायता करना महान् सदक़ा (दान) है।
24-नये पाप
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब भी मनुष्य नये नये प्रकार के पाप करते है तो अल्लाह उनको नये नये प्रकार के अन गिनत कष्टो मे लिप्त कर देता है।
25-इमाम की प्रतिक्षा
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह को पहचान ने के बाद सर्व श्रेष्ठ कार्य इमाम के आने की प्रतिक्षा करना है।
26-शक्तिशाली
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनना चाहे तो उसे चाहिए कि वह केवल अल्लाह पर तवक्कुल (निस्पृहता) करे।
27-दो दिन बराबर
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिस व्यक्ति के दो दिन अध्यात्मिकता के आधार पर बराबर हों वह व्यक्ति हानी मे है। और जिसका दूसरा दिन पहले दिन से बुरा हो वह मलऊन (अल्लाह की दया व कृपा से दूर) है। और जो अपने अन्दर आध्यात्मिक वृद्धि न देखे वह भी हानी मे है। औऱ जो हानी मे हो उस के लिए मृत्यु जीवन से श्रेष्ठ है।
28-कर्तव्य
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने भाई के प्रति तुम्हारा सबसे बड़ा कर्तव्य यह है कि जो बात उसको संसार या परलोक मे लाभ पहुँचा सकती है तुम उस बात को उससे न छिपाओ।
29-उपदेश
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिन वस्तुओं को तुम्हारी आँखें देखती हैं उन सभी वस्तुओं मे तुम्हारे लिए उपदेश है।
30-संकट का स्वाद
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिस व्यक्ति ने संकट व विपत्तियों का स्वाद न चखा हो उसके सम्मुख उपकार का कोई महत्व नही है।
31- मोमिन
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि कोई भी व्यक्ति उस समय तक मोमिन नही बन सकता जब तक वह अल्लाह से न डरे और उसकी दया व कृपा का उम्मीदवार न हो। तथा भयभीत व उम्मीदवार उस समय तक नही हो सकता जब तक वह भय खाने वाली व उम्मीद रखने वाली वस्तुओं पर क्रियान्वित न हो।
32- बुद्धिमान
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति उस व्यक्ति से बात नही करता जिसके सम्बन्ध मे उसे डर हो कि वह मुझे झुटला देगा। और न उस व्यक्ति से प्रश्न करता जिसके बारे मे भय हो कि मना कर देगा। और न उस वस्तु के सम्बन्ध मे वचन देता जिसकी वह सामर्थ्य नही रखता।
33-द्वि वादी
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि कितना नीच है वह व्यक्ति जो द्विवादी व द्विमुख वाला हो। ऐसा व्यक्ति अपने धर्म भाई के मुख पर उस की प्रशंसा करता है व उसके पीछे उसकी बुराई करता है।
34- तर्क
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि प्रत्येक वस्तु के लिए एक तर्क है। और बुद्धि का तर्क चिंतन है, और चिंतन का तर्क चुप रहना है।
35-युद्ध
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपनी इच्छाओं से जिहाद (युद्ध) करो ताकि अपनी आत्मा को इन इच्छाओं से दूर रख सको। अपनी इन्द्रियों को वश मे रखने के लिए इच्छाओं से युद्ध करना इसी प्रकार अनिवार्य है जैसे शत्रु से युद्ध अनिवार्य है।
36-ज्ञान
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जान लो कि ज्ञान मोमिन की खोई हुई वस्तु है अतः इसका प्राप्त करना अनिवार्य है।
37-नीच व्यक्ति
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह की प्रजा मे सबसे नीच वह व्यक्ति है जिसकी अभद्रता के कारण लोग उसके पास उठने बैठने से बचें।
38-पवित्र कार्य
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति सत्य बोलता है उसके कार्य पवित्र होते हैं।
39-अप व्यय
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अप व्यय करेगा उसके पास से नेअमते (सम्पत्ति) छिन्न भिन्न हो जायेंगी।
40- ज्ञान व अध्यात्म
हज़रत इमाम काज़िम अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान व अध्यात्म के साथ थोड़ी माया पर भी प्रसन्न हो सकता है,परन्तु ज्ञान व अध्यात्म के बिना पूर्ण संसार मिलने पर भी प्रसन्न नही होगा।
।।अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मद।।