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तेहरान में भारत के सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन
ईरान की राजधानी तेहरान में भारत के सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन हुआ है।
तेहरान में भारत के दूतावास में सांस्कृतिक केंद्र के उद्घाटन समारोह में भारत के विदेशमंत्री सलमान ख़ुरशीद, भारत के राजदूत डी.पी. श्रीवास्तव, भारतीय विदेशमंत्रालय में सांस्कृतिक संबंधों के प्रभारी नरेश गोयल और भारत में ईरान के राजदूत ग़ुलाम रज़ा अन्सारी उपस्थित थे। इस अवसर पर सलमान ख़ुरशीद ने अपने भाषण में कहा कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग व्यापक स्तर पर जारी है और इस केंद्र के उद्घाटन से परस्पर सांस्कृतिक सहयोग में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि अतीत में भी ईरान व भारत के बीच आपसी सहयोग रहा है और वर्तमान समय में भी इस सहयोग को अधिक से अधिक विस्तृत करने की आवश्यकता है। उद्घाटन समारोह में भारतीय विदेशमंत्रालय में सांस्कृतिक संबंधों के प्रभारी नरेश गोयल ने ईरान व भारत की संयुक्त संस्कृति व सभ्यता की ओर संकेत करते हुए कहा कि चार शताब्दी पूर्व तक फ़ारसी, भारत की सरकारी भाषा थी। उन्होंने आशा जताई कि इस सांस्कृतिक केंद्र के उद्घाटन से दोनों देशों की संस्कृतियों को एक दूसरे से अधिक निकट आने का अवसर मिलेगा और साथ ही ईरान व भारत की जनता के बीच भी सहयोग में वृद्धि होगी।
चुनाव में जनता की भागीदारी धार्मिक दायित्वःइमामी काशानी
जुमे की नमाज़ तेहरान में आयतुल्लाह इमामी काशानी ने पढ़ाई। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव में जनता की भागीदारी को धार्मिक दायित्व बताया है। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने तेहरान में शुक्रवार की नमाज़ के ख़ुत्बे में आगामी राष्ट्रपति चुनावों में जनता की उपस्थिति को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि एसी स्थिति में चुनावों में जनता की भागीदारी बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जब शत्रु इस्लामी शासन व्यवस्था को कमज़ोर करने के लिए हर प्रकर का षडयंत्र अपना रहा है। उन्होंने कहा कि ग्यारहवें राष्ट्रपति चुनाव में जनता की भरपूर उपस्थिति से शत्रु को निराशा होगी और इस्लामी गणतंत्र ईरान के विरुद्ध उनकी चालों को पराजय का मुंह देखना पड़ेगा। आयतुल्लाह काशानी ने कुछ इस्लामी देशों में जारी अशांति का उल्लेख करते हुए कहा कि शत्रुओं की ओर से मुसलमानों के बीच मतभेद फैलाने वाले यह कार्य इस्लाम को क्षति पहुंचाने के लिए किये जा रहे हैं। उन्होंने शत्रुओं की चालों के प्रति मुसलमानों को सतर्क रहने का आह्वान किया। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि इस्लामी जागरूकता की लहर से शत्रुओं में भय व्याप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि जो मुफ़्ती इस्लाम के नाम पर मुसलमानों के बीच युद्ध के फ़त्वे देते हैं वे न केवल यह कि मुसलमान नहीं हैं बल्कि ज़ायोनिज़्म और साम्राज्यवाद के एजेन्ट हैं।
चुनाव 11 मई को ही होंगे, जनरल कियानी
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफ़ाक़ परवेज़ कियानी ने कहा है कि चुनाव 11 मई को ही होंगे, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।
रावलपिंडी में एक समारोह को संबोधित करते हुए जनरल कियानी ने कहा कि लोकतंत्र और डिक्टेटरशिप के बीच थका देने वाला खेल जनता की भरपूर भागीदारी से ही समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध हमारा अपना युद्ध है और इसे केवल सेना की सड़ाई समझना हमारे बीच फूट का कारण बनेगा। सेना प्रमुख ने कहा कि चुनाव समस्याओं का समाधान नहीं बल्कि समाधान की दिशा में एक क़दम है और हम सबको अपने चुनावी दायित्वों में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना की सहायता लोकतंत्र की मज़बूती के लिए है।
उधर मुत्तहेदा क़ौमी मूवमेन्ट के नेता अलताफ़ हुसैन ने सेना प्रमुख जनरल कियानी के बयान की सराहना की और कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर सेना प्रमुख ने समझदारी भरा भाषण देकर पूरे देश का सिर ऊंचा किया है।
क्षेत्र की स्थिति पर सैयद हसन नसरुल्लाह का महत्वपूर्ण भाषण
हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने ज़ायोनी शासन के प्रोपगंडे और सीरिया, लेबनान तथा इराक़ की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा है कि इस्राईल जिस ड्रोन विमान को मार गिराने का दावा कर रहा है वह हिज़्बुल्लाह ने नहीं भेजा था। उन्होंने सवाल किया कि कि इस्राईल ने अब तक इस ड्रोन विमान और उसे मार गिराए जाने की कोई विडियो क्लिप क्यों जारी नहीं की।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने सीरिया के विरुद्ध जारी पश्चिमी देशों और कुछ अरब सरकारों के षडयंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सरकारें सीरिया को एसा देश बना देना चाहती हैं जहां कमज़ोर सरकार हो और क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उसकी कोई भूमिका न रह जाए। उन्होंने कहा कि षडयंत्र रचने वाली सरकारें पहले भी कहती रही हैं कि सीरिया क्षेत्रीय मामलों में अपने स्वाभाविक अस्तित्व से बड़ी भूमिका निभा रहा है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने सीरिया में सैनिकों, सरकारी कर्मचारियों तथा सरकार का समर्थन करने वाले आम नागरिकों की हत्या को जायज़ ठहराने वाले कुछ चरमपंथी धर्मगुरुओं की फ़तवों की आलोचना करते हुए कहा कि इस प्रकार के फ़तवों से केवल हिंसा बढ़ेगी। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि सीरियाई के विपक्षी गुट सरकार से वार्ता का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं क्योंकि वे उन क्षेत्रीय सरकारों से भयभीत रहते हैं जो अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए सीरिया में अशांति को हवा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि दो साल के युद्ध से सिद्ध हो गया कि दमिश्क़ सरकार को सैनिक माध्यमों से गिराया नहीं जा सकता। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि सीरियाई सीमा के निकट स्थित क्षेत्रों में रह रहे लेबनानी नागरिकों की रक्षा करने में लेबनानी सरकार असमर्थ रही है अतः हम अलक़ुसैर जैसे क्षेत्रों के नागरिकों को उनके हाल पर नहीं छोड़ सकते यदि हमसे कोई सहायता मांगता है तो हम उसकी सहायता करते हैं।
धर्मगुरू और इस्लामी जागरूकता का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आरंभ
ईरान की राजधानी तेहरान में धर्मगुरू और इस्लामी जागरूकता शीर्षक के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आरंभ हो गया है।
इस्लामी जागरूकता के अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय के महासचिव डाक्टर अली अकबर विलायती ने बताया कि इस सम्मेलन में इस्लामी जगत के पांच सौ धर्मगुरू भाग ले रहे हैं जबकि ईरान के दो सौ धर्मगुरू भी इसमें भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि सोमवार से आरंभ होने वाले इस दो दिवसीय सम्मेलन में इस्लामी जगत की विभिन्न समस्याओं के समाधान के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा। इसी प्रकार सीरिया संकट के समाधान के लिए धर्मगुरुओं के एक गुट का गठन भी किया जाएगा। इस सम्मेलन के दौरान लगभग सत्तर विषयों पर विचार विमर्श होगा और सम्मेलन की समाप्ति पर एक बयान जारी किया जाएगा।
आज इस्लामी जागरूकता को पूरे संसार में देखा जा सकता है
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी जागरूकता से निकट भविष्य में इस्लामी समुदाय और मानवता के लिए इस्लामी सभ्यता का उदय होगा।
आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम ख़ामेनेई ने तेहरान में धर्मगुरू और इस्लामी जागरूकता शीर्षक के अंतर्गत आरंभ होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इस्लामी चेतना को इस्लामी जगत के सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक बताया और कहा कि आज जो कुछ हमारे सामने है और जिसे कोई भी व्यक्ति नहीं रोक सकता, यह है कि संसार की घटनाओं के निर्णायक केंद्र में इस्लाम को उल्लेखनीय स्थान प्राप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि साम्यवाद और सामंतवाद के बाद शून्य का शिकार होने वाले आज के संसार में इस्लामी जागरूकता एक नई बात है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी जागरूकता, जिसका नाम तक लेने से साम्राज्यवादी मोर्चे के प्रवक्ता घबराते हैं, एक ऐसा तथ्य है जिसे पूरे संसार में देखा जा सकता है। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि इस्लामी चेतना के आयाम अत्यंत व्यापक हैं, कहा कि कुछ अफ़्रीक़ी देशों में इस्लामी जागरूकता की व्याख्या के संबंध में जो बात देखी जा सकती है वह भविष्य का एक स्पष्ट चित्रण है जो अधिक बड़े वादों के पूरे होने की शुभ सूचना दे रहा है। उन्होंने इसी प्रकार इस्लामी गणतंत्र ईरान के तथ्यों को, जिन्हें स्वीकार करने के लिए शत्रु भी विवश हो गए हैं, ईश्वरीय वचन की पूर्ति तथा संयम और ईश्वर से ही सहायता चाहने का परिणाम बताया। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की उपलब्धियां, साम्राज्यवादी शक्तियों के समक्ष खड़े होने के मूल्यवान अनुभव हैं जिन्होंने इन शक्तियों को हिला कर रख दिया है।
नायाब गौहर
(औरत के बारे में हज़रते ज़हरा (स) से संबन्धित हदीसें)
पहली हदीस- पैग़म्बरे खुदा (स) ने हज़रते ज़हरा (स) से सवाल किया कि औरत के लिए बेहतरीन चीज़ कौन सी है?
आपने फरमायाः औरत के लिए बेहतरीन चीज़ यह है कि वह किसी नामहरम को न देखे और कोई नामहरम उसे न देखे। इसके बाद पैग़म्बरे खुदा (स) ने अपनी बेटी को आग़ोश में लेकर इस आयत की तिलावत फरमाई – ज़ुर्रियतन बअज़ोहा मिन बअज़, अनुवाद – यह एक ऐसी नस्ल है जिसमें एक का सिलसिला एक से है (आले इमरान-34)।
दूसरी हदीस- एक दिन हज़रत अली (अ) बहुत ही ग़मगीन हालत में घर तशरीफ लाए। हज़रते ज़हरा (स) ने आपसे ग़मगीन होने की वजह पूछी तो हज़रत अली (अ) ने जवाब दियाः पैग़म्बरे खुदा (स) ने मुझसे सवाल किया जिसका जवाब मुझसे नही दिया जा सका। जनाबे फातेमा (स) ने आपसे पूछा वह कौन सा सवाल था ? आपने फरमायाः रसूले खुदा (स) ने औरत के बारे में सवाल किया। हमने कहा औरत एक ऐसी चीज़ है जिसको हमेशा परदे में रहना चाहिए। इसके बाद फिर सवाल किया कि औरत किस समय खुदा के सबसे ज़्यादा नज़दीक होती है ? मुझसे इस सवाल का जवाब नही दिया जा सका।
हज़रते ज़हरा (स) ने फरमायाः ऐ अली (अ) जाकर कह दिजिए कि जिस समय औरत घर के एक गोशे में हुआ करती है उस समय खुदा से बहुत ज़्यादा नज़दीक होती है।
हज़रत अली (अ) वापस गए और जवाब को बयान फरमाया। लेकिन रसूले खुदा (स) ने फरमाया यह आपका जवाब नही है। हज़रत अमीरिल मोमिनीन (अ) ने कहाः हाँ इसका जवाब मैने हज़रते ज़हरा से दरयाफ्त किया है। इसके बाद पैग़म्बरे खुदा (स) ने फरमाया फातेमा ने सही कहा है। बेशक वह मेरे बदन का टुकड़ा है।
तीसरी हदीस- हज़रत इमाम सादिक़ (अ) ने अपने पिता हज़रत इमाम बाक़िर (अ) से नक़्ल करते हैं कि हज़रत अली (अ) और हज़रते ज़हरा (स) ने रसूले खुदा (स) से घरेलू काम की तक़सीम की दरखास्त की। रसूले खुदा (स) ने घरेलू काम काज को हज़रते ज़हरा (स) के ज़िम्मे किया और घर के बाहर वाले कामों को हज़रत अली (अ) के हवाले किया।
हज़रत इमाम बाक़िर (अ) फरमाते हैं कि इस समय हज़रते ज़हरा (स) ने फरमायाः सिर्फ खुदा जानता है कि इस बटवारे से मैं किस क़द्र खुश हुँ कि पैग़म्बरे खुदा (स) ने मर्दों से रिलेटेड काम और वह काम जिसमें मर्दों से मिलना जुलना पड़ता है मेरे ज़िम्मे नही किए।
चौथी हदीस- एक दिन हज़रत अली (अ) भूके थे आपने हज़रते ज़हरा (स) से पूछा, क़्या कोई खाने की चीज़ मौजूद है ? हज़रते ज़हरा (स) ने जवाब में कहा क़सम है उस खुदा कि जिसने मेरे पिता को नबी बनाया और आपको उनका जानशीन, मेरे पास इस समय खाने की कोई चीज़ नही है बीते दो दिनों के दौरान जो कुछ मेरे हाथ आया था आप पर और अपने बेटों हसन और हुसैन पर निसार कर दिया और मैने खुद कुछ नही खाया है। इसके बाद हज़रत अली (अ) ने फरमायाः ऐ फातेमा आपने मुझे क्यों नही बताया ताकि आपके लिए किसी चीज़ का इंतेज़ाम करता। हज़रते ज़हरा (स) ने फरमायाः मै खुदा से हया करती हुँ कि आपसे कोई चीज़ मांगूँ और आप उसका इंतेज़ाम न कर सकें।
वरिष्ठ नेता ने राष्ट्रपति की विशेषताएं बयान कीं
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने आज हज़ारों श्रमिकों से भेंट में कहा कि आत्मनिर्माण और अनावकश्यक बातों से दूरी, ईरान के नये राष्ट्रपति की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। उन्होंने आज तेहरान में पूरे ईरान से आने वाले हज़ारों श्रमिकों को संबोधित करते हुए ईरान के राष्ट्रपति की विशेषताओं को बयान करते हुए कहा कि उच्च साहस और युक्ति का स्वामी होना, आर्थिक मामलों में प्रतिदिन के आधार पर न सोचना, आर्थिक संघर्ष की नीति पर ध्यान देना, विशेषज्ञों के मतों और दृष्टिकोणों पर भरोसा करना, आत्मनिर्माण और अनावश्यक बातों से बचना, ईरान के राष्ट्रपति की विशेषताएं हैं। उन्होंने यह बात बयान करते हुए कि राजनैतिक संघर्ष का महत्त्वपूर्ण और स्पष्ट उदाहरण चुनाव हैं जो अपने निर्धारित समय पर आयोजित होंगे, कहा कि जो प्रत्याशी बनेंगे वह अपने अनुमानों में ग़लती न करें और देश के प्रबंधन क्षेत्र को जानें। वरिष्ठ नेता ने यह बात बयान करते हुए कि ईरान में चुनाव व्यवस्था बहुत सुदृढ़ है, कहा कि एक कोने से उठने वाली आपत्तियां वास्तव में अर्थहीन हैं और योग्यता के संबंध में शूराए निगेहबान निरिक्षक परिषद की पुष्टि, न्याय और दूरदर्शिता पर आधारित है। उन्होंने आर्थिक संघर्ष के विषय की ओर संकेत करते हुए इस बात पर बल दिया कि ईरानी राष्ट्र और अधिकारियों को पहले कमज़ोरियों को जानना चाहिए और फिर उन्हें दूर करना चाहिए और समस्त योजनाओं में भी कमज़ोर वर्ग के जीवन और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखना चाहिए। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने चुनाव को महत्त्वपूर्ण और राष्ट्रीय शक्ति व संप्रभुता का प्रतीक बताया और कहा कि जो राष्ट्र ईश्वरीय इरादों पर भरोसा करता है और उसकी सहायता पर विश्वास रखता है, वह चुनाव सहित समस्त क्षेत्रों में सफल होगा।
अमरीकी नेतृत्व में कार्यरत सैनिकों के विरुद्ध आक्रमणों को तेज़ किया जाएगाःतालेबान
तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी नेतृत्व में मौजूद विदेशी सैनिकों के विरुद्ध आक्रमणों को तेज़ करने की घोषणा की है। तालेबान के एक प्रवक्ता ने कहा है कि विदेशी सैनिकों पर आधुनिक तकनीक की सहायता से आक्रमण किये जाएंगे। तालेबान ने सार्वजनिक स्थलों, हवाई अडडों, और सरकारी कार्यालयों को लक्ष्य बनाने की बात भी कही है। इसी के साथ तालेबान ने युवाओं से पुलिस या सेना मे भर्ती न होने का भी आह्वान किया है। तालेबान की इस नई धमकी से काबुल सहित अफ़ग़ानिस्तान के कई नगरों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। इसी बीच दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान से ४ विदेशी सैनिकों के मारे जाने की सूचना मिली है। फ़्रांस प्रेस ने बताया है कि नैटो के एक हैलिकाप्टर के गिरने से कम से कम ४ विदेशी सैनिक मारे गए हैं। आरंभिक जांच से पता चला है कि इस हैलिकाप्टर पर तालेबान ने आक्रमण किया जिसके परिणाम स्वरूप यह गिरकर ध्वस्त हो गया। नैटो ने अपने बयान में मारे जाने वाले सैनिकों की नागरिकता और हैलिकाप्टर गिरने का सही स्थान नहीं बताया है।
म्यांमार में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय सक्रिय होः मिस्री मानवाधिकार आयोग
म्यांमार में जनसंहार के कारण विस्थापित होने वालों के दुख को दर्शाती यह तस्वीर (फ़ाइल फ़ोटो)
मिस्री संसद के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने ह्यूमन राइट्स वॉच से, मांग की है कि वह म्यांमार में मुसलमानों के जनसंहार से संबंधित पुष्ट जानकारी अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय को पेश करे।
इख़्वान आनलाइन वेबसाइट के अनुसार इज़्ज़ुद्दीन अलकूमी ने शुक्रवार को कहाः ह्यूमन राइट्स वॉच म्यांमार में मुसलमानों के जनसंहार को रोकने के लिए उन जानकारियों को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के हवाले करे जो उसने जनसंहार तथा सामूहिक क़ब्रों से संबंधित इकट्ठा की हैं।
मिस्री संसद के मानवाधिकार आयोग के प्रमुख इज़्ज़ुद्दीन अलकूमी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह तथा म्यांमार के अल्पसंख्यक मुसलमानों का समर्थन करना चाहिए। अलकूमी ने कहा कि सुरक्षा परिषद, चरमपंथी बौद्धधर्मियों तथा उन अधिकारियों को गिरफ़्तार करने में लापरवाही कर रही है जो म्यांमार में मुसलमानों के जनसंहार में लिप्त हैं।
उन्होंने कहा कि यदि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय मानवाधिकार के उल्लंघन को रोकने के लिए प्रयास न करे तो फिर उसे किस उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया है।