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तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने ईरान के विरुद्ध पश्चिम के एकपक्षीय प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए कहा कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य ईरानी जनता के बीच फूट डालना है।

काज़िम सिद्दीक़ी ने जुमे की नमाज़ के ख़ुतबे में उल्लेख किया कि विदित रूप से अमरीका एवं यूरोपीय यूनियन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बहाना बनाकर यह प्रतिबंध लगाए हैं किन्तु वास्तव में शत्रुओं का उद्देश्य ईरानी जनता को इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था से टकराना है।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने ईरान के विरुद्ध पश्चिमी प्रतिबंधों में वृद्धि का कारण इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की लोकप्रियता एवं जनता द्वारा उसका व्यापक समर्थन बताते हुए कहा कि शत्रु आगामी राष्ट्रपति चुनावों के समक्ष चुनौती खड़ी करना चाहते हैं, हालांकि ईरानी जनता सदैव की भांति इस बार भी शत्रुओं की समस्त साज़िशों पर पानी फेर देगी।

इसी प्रकार हुज्जतुल इस्लाम सिद्दीक़ी ने प्रतिबंधों के बावजूद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकि के क्षेत्र में ईरान की प्रगति की ओर संकेत करते हुए कहा कि शत्रुओं की समस्त साज़िशों के विपरीत इस्लामी गणतंत्र ईरान ने प्रगति के मैदान में नए नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने नये हिजरी शम्सी वर्ष को राजनैतिक व आर्थिक संघर्ष का नाम दिया है। इस्लामी गणतंत्र ईरान में यह परम्परा है कि नया साल आरंभ होने पर इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता राष्ट्र को संबोधित करते हैं और बीते वर्ष के परिवर्तनों का संक्षिप्त जायज़ा लेने के बाद नए साल के लिए मूल लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं और इसी उद्देश्य से साल का नामांकन करते हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नये हिजरी शम्सी वर्ष 1392 के अवसर पर विश्व के समस्त मुसलमानों को बधाई दी और ईरानी जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि ईरान के शत्रुओं का कहना था कि वह आर्थिक बहिष्कार के माध्यम से ईरानी राष्ट्र को असहाय कर देंगे किन्तु इसमें उन्हें पराजय हुई और हमने ईश्वर की कृपा से विभिन्न क्षेत्रों में बहुत सी सफलताएं अर्जित कीं।

 

संदेश का हिंदी अनुवादः

 

بسم الله ‎الرّحمن الرّحیم

یا مقلّب القلوب و الأبصار، یا مدبّر اللّیل و النّهار، یا محوّل الحول و الأحوال، حوّل حالنا الی احسن الحال. اللّهمّ صلّ علی حبیبتك سیّدة نساء العالمین فاطمة بنت محمّد صلّی الله علیه و ءاله. اللّهمّ صلّ علیها و علی ابیها و بعلها و بنیها. اللّهمّ کن لولیّك الحجّة بن الحسن صلواتك علیه و علی ءابائه فی هذه السّاعة و فی کلّ ساعة ولیّا و حافظا و قائدا و ناصرا و دلیلا و عینا حتّی تسکنه ارضك طوعا و تمتّعه فیها طویلا. اللّهمّ اعطه فی نفسه و ذرّیّته و شیعته و رعیّته و خاصّته و عامّته و عدوّه و جمیع اهل الدّنیا ما تقر به عینه و تسرّ به نفسه.

बधाई पेश करता हूं, देश भर में बसने वाले अपने सभी देशवासियों, विश्व के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले ईरानियों और उन सभी राष्ट्रों को जो ईदे नौरोज़ मनाते हैं। विशेष रूप से अपने प्रिय "ईसारगरों" (अर्थया त्यागी, ईरान में उन लोगों के लिए यह शब्द प्रयोग किया जाता है जो देश की रक्षा के लिए मोर्चों पर गए सफल संघर्ष करके लौटे) शहीदों, उनके परिवारों, जांबाज़ों, (ईरान में जांबाज़ उन लोगों को कहा जाता है जो देश की रक्षा के लिए लड़ते समय घायल होकर शारीरिक रूप से अपंग हो गए) उनके परिवारजनों और उन सभी लोगों को जो इस्लामी व्यवस्था और देश की सेना में व्यस्त हैं। हम आशा करते हैं कि ईश्वर इस दिन तथा वर्ष के इस आरंभिक बिंदु को हमारी जनता के लिए तथा विश्व भर के मुसलमानों के लिए उत्साह व हर्ष तथा अच्छी स्थिति को स्रोत बनाएगा और हमें अपने दायित्वों के निर्वाह में सफल करेगा।

वर्ष परिवर्तन की घड़ी वास्तव में एक समापन और एक प्रारंभ के बीच का अंतराल है, पिछले वर्ष का समापन और नए वर्ष का प्रारंभ। अलबत्ता मूल रूप से तो हमारा ध्यान भविष्य की ओर केन्द्रित रहना चाहिए, नए साल को देखना, उसके लिए स्यवं को तैयार और आवश्यक योजनाबंदी करना चाहिए किंतु पीछे मुड़कर एक नज़र उस रास्ते पर डाल लेना भी हमारे लिए लाभकारी है जो हमने तय किया है ताकि हम मूल्यांकन कर सकें कि क्या किया और किस अंदाज़ से यह रास्ता तय किया और हमारे कामों के परिणाम क्या निकले? हम इससे पाठ लें और अनुभव प्राप्त करें।

91 का वर्ष ( सन 1391 हिजरी शम्सी बराबर मार्च 2012 से मार्च 2013 तक) बड़ी विविधताओं और विभिन्न रंगों और रूपों का साल रहा। मधुर परिवर्तन भी हुए, कटु घटनाएं भी घटीं, सफलताएं भी मिलीं और कहीं हम पिछड़ भी गए। मनुष्य का पूरा जीवन एसा ही होता है। उतार चढ़ाव आते रहते हैं। आवश्यकता इस बात की होती है कि हम गहराई से बाहर निकलें और स्वयं को ऊंचाई पर पहुंचाएं।

सन 91 (हिजरी शम्सी) के दौरान विश्व साम्राज्यवाद से हमारे टकराव की दृष्टि से जो चीज़ सबसे स्पष्ट रही वह ईरानी जनता और इस्लामी व्यवस्था के विरुद्ध शत्रु की कठोरता थी। अलबत्ता मामला का विदित आयाम शत्रु का कठोरता का था किंतु इसका भीतरी आयाम ईरानी जनता के भीतर पैदा होने वाली परिपक्वता और विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त होने वाली सफलताओं में चरितार्थ हुआ। हमारे शत्रुओं के निशाने पर विभिन्न क्षेत्र थे किंतु मूल रूप से उनके निशाने पर हमारे आर्थिक व राजनैतिक क्षेत्र थे। आर्थिक मैदान में उन्होंने कहा और खुले शब्दों में घोषणा की कि प्रतिबंधों के माध्यम से ईरानी जनता की कमर तोड़ देना चाहते हैं किंतु वह ईरानी जनता की कमर नहीं तोड़ पाए और ईश्वर की कृपा से हम विभिन्न मैदानों में उल्लेखनीय प्रगति करने में सफल हुए जिसका ब्योरा देशवासियों को दिया गया है और भविष्य में भी दिया जाएगा। मैं भी इंशाअल्लाह यदि जीवन रहा तो पहली फ़रवरदीन (२१ मार्च) के अपने भाषण में संक्षिप्त रूप से कुछ बातें बयान करूंगा।

आर्थिक क्षेत्र में जनता पर निश्चित रूप से दबाव पड़ा, कठिनाइयां उत्पन्न हुईं, विशेष र प से इस लिए भी कि कुछ भीतरी कमियां भी थीं, कुछ ग़लतियां हुईं और सुस्ती बरती गई जिससे शत्रु की योजनाओं को बल मिला किंतु मूल रूप से इस्लामी व्यवस्था और जनता की प्रगति आगे की दिशा में पड़ने वाला एक क़दम है और इंशाअल्लाह इस मेहनत का फल और इसके परिणाम भविष्य में हम देखेंगे।

राजनीति के क्षेत्र में एक ओर तो उनका यह प्रयास रहा कि ईरानी राष्ट्र को अलग थलग कर दें और दूसरी ओर ईरानी जनता के भीतर संदेह एवं संशय की स्थिति उत्पन्न कर दें, उसकी इच्छा शक्ति को क्षीण कर दें और उसके मनोबल को पस्त कर दें। किंतु इसके विपरीत हुआ और परिणाम इसके विरुद्ध निकला। ईरानी राष्ट्र को अलग थलग करने का जहां तक सवाह है तो न केवल यह कि हमारी क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का दायरा सीमित नहीं हुआ है बल्कि तेहरान में विश्व के देशों के राष्ट्राध्यक्षों एवं उच्चाधिकारियों बड़ी संख्या की उपस्थिति में गुट निरपेक्ष आंदोलीन की बैठक जैसे उदाहरण सामने आए और शत्रुओं की इच्छा के विपरीत परिवर्तन हुए और सिद्ध हो गया कि इस्लामी गणतंत्र ईरान न केवल यह कि अलग थलग नहीं पड़ा बल्कि इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था, इस्लामी देश ईरान और हमारी प्रिय जनता को विश्व में विशेष सम्मान व आदर की दृष्टि से देखा जाता है।

आंतरिक मामलों की दृष्टि से देखा जाए तो जनता ने जब भावनाओं के प्रकट करने का अवसर आया और इसकी संभावना हुई, विशेष रूप से 22 बहमन सन 91 ( दस फ़रवरी 2013, इस्लामी क्रान्ति की वर्षगांठ) के अवसर पर अपनी भावनाओं और उत्साह को भरपूर अंदाज़ से पेश किया। पिछले वर्षों से अधिक उत्साह और जोश के साथ लोग मैदान में आए। इसका एक उदाहरण प्रतिबंधों के चरम के काल में उत्तरी ख़ुरासान प्रांत की जनता का ( इस्लामी क्रान्ति के इस प्रांत के दौरे के अवसर पर स्वागत के लिए) मैदान में निकलना था जो इस्लामी व्यवस्था के प्रति तथा देशा सेवा में व्यस्त अधिकारियों के लिए जनता की भावनाओं का प्रतीक था। इस वर्ष में ईश्वर की कृपा से कई बड़े काम हुए, विज्ञान के क्षेत्र की उपलब्धियां, महत्वपूर्ण काम, जनता और अधिकारियों की ओर से व्यापक स्तर पर प्रयास देखने में आए। ईश्वर की कृपा से तीव्र गति से आगे बढ़ने बल्कि छलांग लगाने के लिए भूमि समतल हुई है। आर्थिक क्षेत्र में भी, राजनैतिक क्षेत्र में भी तथा अन्य मूल क्षेत्रों में भी।

सन 92 (हिजरी शम्सी, 21 मार्च 2013 से 21 मार्च 2014 तक) ईश्वर की कृपा से तथा जनता की ऊंचे मनोबल से जो आशाजनक क्षितिज उभरे हैं उन्हीं के अनुरूप ईरानी राष्ट्र की और भी परिपक्वता, प्रगति और विकास का वर्ष सिद्ध होगा। इस अर्थ में नहीं कि शत्रुओं की शत्रुता में कोई कमी आएगी बल्कि इस अर्थ में कि ईरानी जनता की तैयारी और भी मज़बूत, उसकी साझेदारी और भी प्रभावी तथा अपने हाथों से और अपनी भरपूर इच्छा शक्ति के मध्यम भविष्य के निर्माण की प्रक्रिया इंशाअल्लाह और बेहतर तथा आशाजनक होगी। अलबत्ता वर्ष 92 में जो चुनौतियां हमारे सामने हैं मूल रूप से इन्हीं दोनों महत्वपूर्ण मैदानों अर्थात आर्थिक व राजनैतिक क्षेत्रों से संबंधित हैं। आर्थिक क्षेत्र में हमें सकल उत्पादन पर ध्यान बढ़ाना है, जैसा कि पिछले साल के नारे में इसे रेखांकित किया गया था। निश्चित रूप से बहुत से काम पूरे हुए किंतु घरेलू उत्पादन का प्रचलन और ईरानी पूंजी तथा काम का समर्थन एक दीर्घकालीन विषय है जो एक साल में पूरा नहीं हो सकता। सौभाग्यवश वर्ष 91 (हिजरी शम्सी) की दूसरी छमाही के दौरान घरेलू उत्पाद की नीतियों की स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी हुई। अर्थात पटरी बिछाने का काम पूरा हो गया और अब संसद तथा कार्यपालिका इसी के आधार पर योजनाबंदी और प्रगति शुरू कर सकती हैं और ईश्वर की कृपा से तथा उच्च मनोबल और लगन के साथ आगे बढ़ सकती हैं।

राजनैतिक मामलों में वर्ष 92 (हिजरी शम्सी) का एक महत्वपूर्ण मामला राष्ट्रपति चुनावों का है, जो वास्तव में अगले चार साल के लिए राजनैतिक व प्रशासनिक मामलों और एक दृष्टिकोण से राष्ट्रीय मामलों की दिशा का निर्धारण करेंगे। इंशाअल्लाह जनता इस मैदान में भी अपनी भरपूर भागीदारी के माध्यम से देश तथा अपने लिए उत्तम क्षितिज का चयन करेगी। अलबत्ता आवश्यक है कि आर्थिक क्षेत्र में भी और राजनैतिक क्षेत्र भी जनता की साझेदारी संघर्षकर्ताओं के अंदाज़ की होनी चाहिए। जोश व उत्साह के साथ मैदान में क़दम रखा जाए, उच्च मनोबल और भरपूर आशा के साथ मैदान में उतरा जाए, उत्साह व आशा से भरे हृदय के साथ मैदानों में क़दम रखे जाएं और साहसिक रूप से अपने लक्ष्यों तक पहुंचा जाए

इस दृष्टिकोण के साथ मैं वर्ष 92 (हिजरी शम्सी) को राजनैतिक व आर्थिक संघर्ष के वर्ष का नाम देता हूं और आशा करता हूं कि इस साल ईश्वर की कृपा से हमारी प्यारी जनता और देश के हमदर्द अधिकारियों के हाथों आर्थिक व राजनैतिक संघर्ष अंजाम पाएगा।

ईश्वर की कृपा और ज़माने के इमाम की दुआ की आशा करता हूं और महान इमाम (ख़ुमैनी) और शहीदों की पवित्र आत्माओं पर सलाम भेजता हूं।

वस्सलाम अलैकुल व रहमुल्लाहे व बरकातोह

ईरान की इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने ईरानी कैलेंडर के हिजरी शम्सी साल के 1392 के आंरभ पर अपने भाषण में बीते वर्ष की समीक्षा की और नए साल से संबंधित देश की चुनौतियों और लक्ष्यों को रेखांकित किया। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के भाषण का हिंदी अनुवाद पेश किया जा रहा है।

 

بسم‌الله‌الرّحمن‌الرّحیم الحمد ‌لله ربّ العالمین و الصّلاة و السّلام علی سیّدنا و نبیّنا و حبیب قلوبنا ابی‌القاسم المصطفی محمّد و علی ءاله الطّیبین الطّاهرین المنتجبین المعصومین سیّما بقیّة‌الله فی الأرضین. السّلام علی الصّدّیقة الطّاهرة فاطمة بنت رسول الله صلّی الله علیها و علی ابیها و بعلها و بنیها.

इस सदभावनापूर्ण बैठक में उपस्थित सभी भाईयों और बहनों की सेवा में सलाम और बधाई पेश करता हूं और ईश्वर का ह्रदय की गहराइयों से इस बात पर आभार प्रकट करता हूं कि उसने मुझे इस बात का एक बार पुनः अवसर दिया कि मैं एक अन्य वर्ष और एक अन्य नौरोज़ में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े में विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले तीर्थयात्रियों से भेंट करूं और आप लोगों के साथ देश के महत्वपूर्ण व वर्तमान विषयों पर चर्चा करूं। ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि हमारे ह्रदय और हमारी ज़बान का मार्गदशन करे और जो कुछ उसकी इच्छा के अनुसार हो उसे हमारे ह्रदय व हमारी ज़बान पर ले आए। यह भी एक बहुत बड़ी ईश्वरीय कृपा है कि ईदे नौरोज़ के अवसर पर, प्रकृति की सुन्दरता व वसन्त ऋतु की ताज़गी के साथ हर वर्ष हमें यह अवसर मिलता है कि एसे दिन में हम आप लोगों के मध्य देश के महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और अपनी वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हैं तथा अपने अतीत व भविष्य पर नज़र डालते हैं सामूहिक रूप से हम राष्ट्रीय स्तर पर अपने लाभ व हानि की समीक्षा और हिसाब किताब करते हैं जैसा कि हर मनुष्य को अपना हिसाब करना चाहिए और जैसा कि कहा गया है कि स्वयं अपना हिसाब लो इस से पूर्व कि तुम्हारा हिसाब लिया जाए। हमें अपने कामों, अपने कर्मों और अपनी व्यक्तिगत गतिविधियों का हिसाब अपने पास रखना चाहिए ठीक इसी प्रकार राष्ट्रीय हिसाब भी एक महत्वपूर्ण व मूल्यवान काम है। हमें अपना हिसाब करना चाहिए, अपने आप को देखना चाहिए, जो कुछ हम पर बीती है उस पर पुनः नज़र डालनी चाहिए, उस से पाठ व शिक्षा लेनी चाहिए और उसे भविष्य निर्माण के लिए प्रयोग करना चाहिए। हमारी राष्ट्रीय स्थिति का मूल्यांकन करने वाले विश्व में दूसरे लोग भी हैं जिनमं से कुछ एसे लोग हैं जो हमारी प्रगति से प्रसन्न होते हैं और हमारी प्रगति को अपनी प्रगति समझते हैं और यदि हमे कोई समस्या होती है तो उसे अपनी समस्या समझते हैं। विश्व में कुछ एसे लोग भी हैं जो हमारी गतिविधियों पर गहरी नज़र रखे हैं और हमारी गलतियों पर प्रसन्न होते हैं और हमारी प्रगति पर दुखी होते हैं। यह प्रायः वही लोग हैं जो वर्षों तक ईरान के हर क्षेत्र में वर्चस्व रखते थे किंतु क्रांति सफल हुई और उन्हें खदेड़ दिया गया इस लिए वे क्रांति के शत्रु हैं, क्रांतिकारी जनता के शत्रु हैं, क्रांतिकारी सरकार के शत्रु हैं।

हमारी कुछ कमज़ोरियां हैं हमारे देश में कुछ समस्याएं हैं किंतु इस भौतिक विश्व में कुछ एसे लोग भी हैं जिन्होंने ईरानी राष्ट्र को निष्क्रिय बनाने का भरसक प्रयास किया और इस बारे में खुल कर बात भी की। अमरीका की विदेशमंत्री बनने वाली एक अयोग्य महिला ने सीना तान कर कहा था कि हम इस्लामी गणतंत्र ईरान पर एसे प्रतिबंध लगाना चाहते हं जो ईरान को अपाहिज बना दे। हमारे देश में समस्याओं के साथ उपलब्धियां भी हैं जो हमारी आंखों के सामने है इस लिए केवल समस्याओं पर ध्यान देना और उन्ही को देखना गलत है। बल्कि सामूहिक रूप से देखना चाहिए कि देश में क्या हो रहा है।

हमने कहा कि कुछ लोग ईरानी राष्ट्र की प्रगति से दुखी होते हैं? यह लोग कौन हैं? इस बारे में बाद में बात करें। जो शत्रु ईरान की सर्वव्यापी प्रगति नहीं देखना चाहते उनके कार्यक्रमों में दो चीज़ें मुख्य रूप से नज़र आती हैं। एक यह कि वह इस बात का भरसक प्रयास करते हैं कि ईरानी राष्ट्र प्रगति तक न पहुंच सके। वे धमकी व प्रतिबंधों द्वारा और देश के अधिकारियों को दूसरे और तीसरे श्रेणी के कामों में व्यस्त करके प्रगति की राह में रोड़े अटकाने का प्रयास करते हैं। दूसरा काम वह करते हैं कि संचार माध्यमों में ईरान की इन प्रगतियों का इन्कार करते हैं। आज पूरे विश्व में हज़ारों संचार माध्यम यह सिद्ध करने में व्यस्त हैं कि ईरान में किसी प्रकार की प्रगति नहीं हुई है और यदि उन्हें देश में कोई कमज़ोरी नज़र आ जाती है तो उसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं।

अमरीकी राष्ट्रपति अपने सरकारी भाषण में ईरान की आर्थिक समस्याओं का इस प्रकार से उल्लेख करते हैं मानो वह अपनी सफलताओं का वर्णन कर रहे हैं किंतु इस राष्ट्र की प्रगति व उपलब्धियों का उल्लेख नहीं करते और न ही कभी करेंगे। हम तीस वर्षों से इस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं किंतु ईरानी राष्ट्र को प्रगति से रोकने का जो प्रयास हो रहा है वह इस समय कई गुना बढ़ चुका है।

मैने कहा कि हमारे कुछ शत्रु हैं यह लोग कौन हैं ? ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध षडयंत्रों का मुख्य केन्द्र कहां है? इस प्रश्न का उत्तर कठिन नहीं है। ३४ वर्षों से जब भी शत्रु की बात की जाती है ईरानी राष्ट्र के मन मस्तिष्क में अमरीकी सरकार का नाम गूंजने लगता है। उचित होगा कि अमरीकी अधिकारी इस विषय पर ध्यान दें और यह समझें कि ईरानी राष्ट्र ने इन ३४ वर्षों में कुछ चीज़े देखी हैं और वह कुछ एसे चरणों से गुज़रा है जिसके कारण जब भी शत्रु की बात की जाती है अमरीका का नाम आता है। यही ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध षडयंत्रों का केन्द्र है। निश्चित रूप से हमारे अन्य शत्रु भी हैं किंतु हम उन्हें पहली या दूसरी श्रेणी में नहीं रखते, ज़ायोनी भी हमारे शत्रु हैं किंतु ज़ायोनी शासन की इतनी औक़ात ही नहीं है कि वह ईरानी राष्ट्र के शत्रुओं की पंक्ति में नज़र आए। कभी कभी ज़ायोनी शासन के अधिकारी, हमें धमकियां देते हैं, सैन्य आक्रमण की धमकी देते हैं किंतु मेरे विचार में स्वंय उन्हें भी ज्ञात है और यदि नहीं मालूम तो जान लें कि यदि उन्होंने मूर्खता की तो इस्लामी गणतंत्र ईरान तेलअबीब और हैफा को मिट्टी में मिला देगा। ब्रिटेन की दुष्ट सरकार भी ईरानी राष्ट्र से शत्रुता रखती है, यह भी ईरानी राष्ट्र की प्राचीन व पारंपारिक शत्रु है किंतु ब्रिटिश सरकार इस क्षेत्र में अमरीका के पूरक की भूमिका निभाती है। ब्रिटिश सरकार स्वाधीनता ही नहीं रखती कि जो उसे एक अलग शत्रु समझा जाए वह तो अमरीका की पिछलग्गू है।

कुछ अन्य सरकारें भी शत्रुता करती हैं। मैं यहां पर यह कहना उचित समझता हूं कि फ्रांस के अधिकारियों ने भी हालिया कुछ वर्षों के दौरान ईरानी राष्ट्र के विरूद्ध खुली शत्रुता की है जो फ्रांसीसी अधिकारियों की नादानी है। बुद्धिमान मनुष्य विशेषकर राजनेता में एसी भावना नहीं होनी चाहिए कि एसे किसी को अपना शत्रु बनाए जो उसका शत्रु न हो। हमारी फ्रांस की सरकार और इस देश से कोई समस्या नहीं रही, न अतीत में कभी समस्या रही और न वर्तमान में किंतु सार्कोज़ी के सत्ताकाल की गलत नीतियां ईरानी राष्ट्र के प्रति शत्रुता पर आधारित थीं और खेद की बात है कि वर्तमान सरकार भी उसी मार्ग पर चल रही है।

अमरीकी जब भी बात करते हैं विश्व समुदाय का नाम लेते हैं। उन्होंने कुछ देशों का नाम विश्व समुदाय रखा है जिनका अगुवा स्वंय अमरीका है। और उन के पीछे ज़ायोनी, ब्रिटिश सरकार और कुछ छोटी मोटी सरकारे हैं। विश्व समुदाय किसी भी दशा में ईरान या ईरानी राष्ट्र का शत्रु नहीं है।

अब यदि हम पिछले वर्ष पर नज़र डालें तो हम यह कहेंगे कि पिछले वर्ष के आरंभ से अमरीकियों ने अपनी नयी योजना पर काम आरंभ कर दिया था, ज़बान से मित्रता का संदेश दिया, पत्र आदि भेज कर, कभी संचार माध्यमों के माध्यम से ईरानी राष्ट्र के प्रति प्रेम का प्रदर्शन किया किंतु इन झूठे बयानों के विपरीत व्यवहारिक रूप में उन्होंने ईरान और ईरानी राष्ट्र पर दबाव डालने का प्रयास किया, पिछले वर्ष के आरंभ से ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए, तेल पर प्रतिबंध, बैंकों पर प्रतिबंध। इस संदर्भ में उन्होंने बहुत से काम किए।

यह भी एक रोचक तथ्य है कि अमरीकी हम से शत्रुता करते हैं किंतु कहते हैं आप यह समझें कि हम आप के शत्रु हैं उन्हें आशा है कि ईरानी जनता यह न समझे कि वह उनके शत्रु हैं और उनके प्रति द्वेष रखते है! ईरान के प्रति अमरीका की यह नीति, बुश के काल के अंतिम दिनों से आरंभ हुई और खेद की बात है कि अमरीकी अधिकारी आज भी वही नीति जारी रखे हुए हैं।

अमरीकियों ने ईरान के तेल की बिक्री और ईरान से पैसे के लेन-देन को रोकने के लिए विशेष दूत भेजे। अमरीका से विशेष और प्रभावी लोगों को यह दायित्व दिया गया कि वह अन्य देशों से संपर्क करें, अन्य देशों की यात्रा करें यहां तक कि कंपनियों के स्वामियों से बात करें ताकि वह तेल के क्षेत्र में ईरान से संपर्क ख़त्म कर दें, उन कंपनियों को दंडित किया जाए क्योंकि वह ईरान के साथ आर्थिक संबंध रखती हैं। अमरीकियों ने यह काम पिछले वर्ष के आरंभ से किया और उन्हें आशा थी कि ईरान उनके इन प्रयासों के कारण अपने वैज्ञानिक विकास के मार्ग से हट जाएगा और अमरीका की ज़ोर ज़बरदस्ती के सामने झुक जाएगा।

यहां पर मैं यह भी कह दूं, कुछ महीने पूर्व भी मैंने यह बात कही थी तो अमरीकियों ने प्रसन्नता प्रकट की और कहा कि मैंने स्वीकार किया कि प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ा है। जी हां प्रतिबंध, प्रभावहीन नहीं रहे हैं, वह प्रसन्नता प्रकट करते हैं तो करते रहें। प्रतिबंधों का बहरहाल प्रभाव पड़ा है, किंतु यह स्वंय हमारी कमी के कारण है। हमारी अर्थ व्यवस्था में एक कमी है कि वह तेल पर निर्भर है। हमें अपनी अर्थ- व्यवस्था को तेल से अलग करना चाहिए, हमारी सरकारों को अपने मूल कार्यक्रमों में इस चीज़ पर ध्यान रखना चाहिए। मैंने १७-१८ वर्ष पूर्व तत्कालीन सरकार से कहा था कि कुछ ऐसा करें कि हम जब चाहें तेल के कुएं बंद कर दें। बहरहाल प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ा है किंतु यह वह प्रभाव नहीं है जो शत्रु चाहते थे।

***

राजनीति के क्षेत्र में भी पिछले वर्ष यही प्रयास किया गया कि ईरान को उनके शब्दों में विश्व में अलग-थलग किया जाए किंतु उन्हें पूर्ण रूप से इस काम में विफलता मिली। अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी चूंकि हम ने तेहरान में गुट निरपेक्ष आंदोलन का सम्मेलन आयोजित किया था, उनका प्रयास यह था कि इस सम्मेलन को प्रभावहीन बना दिया जाए, सब भाग न लें या फिर सक्रिय रूप से भाग न लें किंतु वे जो चाहते थे उसके विपरीत हुआ। विश्व के दो तिहाई राष्ट्र गुट निपरेक्ष आंदोलन के सदस्य हैं। विभिन्न देशों के राष्ट्रध्यक्षों ने तेहरान सम्मेलन में भाग लिया, वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन भाग लिया और सब ने ईरान की सराहना की सब ने ईज्ञान की वैज्ञानिक, तकनीकी व आर्थिक प्रगति पर आश्चर्य प्रकट किया, हम से भी कहा, साक्षात्कारों में कहा और अपने अपने देश लौट कर भी यही सब दोहराया इस प्रकार जो कुछ हुआ वह शत्रुओं की इच्छा के विपरीत था और वह इस सम्मेलन के आयोजन पर प्रभाव नहीं डाल सके।

इन शत्रुओं की ओर से लगाए गये सभी प्रतिबंधों का यह उद्देश्य था कि वह ईरानी जनता को अपनी राह पर आगे बढ़ने के मामले में असंमजस में ग्रस्त कर दें। ईरान की जनता और व्यवस्था में दरार डाल दें, लोगों में निराशा फैलाएं किंतु ईरानी जनता ने क्रांति की वर्षगांठ के अवसर पर इस्लाम और क्रांति के प्रति जिस प्रकार से अपनी भावनाओं का प्रदर्शन किया वह उनके मुंह पर एक करारा तमांचा था।

सुरक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने बहुत प्रयास किये जिसे विस्तार पूर्वक देश के अधिकारियों ने बताया है किंतु इस क्षेत्र में भी उन्हें सफलता नहीं मिली। राजनीतिक क्षेत्र में भी उन्होंने ईरान की शक्ति का पुनः अनुभव किया यहां तक कि उन्हें विवश होकर यह स्वीकार करना पड़ा कि ईरान की उपस्थिति के बिना क्षेत्र की किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं है।

ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के आक्रमण के मामले में भी रणक्षेत्र के पीछे इस्लामी गणतंत्र ईरान की शक्तिशाली उपस्थिति इस बात का कारण बनी कि स्वंय उन्होंने ने स्वीकार किया कि वे फिलिस्तीनी जियालों के सामने पराजित हो गये हैं, यह उन्होंने कहा और इस बात पर बल दिया कि यदि ईरान की शक्ति न होती तो फिलिस्तीनी संघर्षकर्ता ८ दिवसीय युद्ध में इस्राईल को घुटने टेकने पर विवश नहीं कर पाते।

उनके प्रयास प्रभावहीन नहीं रहे प्रतिबंध प्रभावहीन नहीं रहे किंतु इसके साथ ही एक बहुत बड़ी सकारात्मक घटना घटी और वह यह कि इन प्रतिबंधों से ईरानी राष्ट्र की असीम क्षमताओं व योग्यताओं का प्रदर्शन हो गया और देश की संभावनाएं उजागर हो गयीं।

पिछले वर्ष की घटनाओं से हमें बहुत से पाठ मिलते हैं एक पाठ तो यह है कि एक जीवित राष्ट्र शत्रुओं की धमकियों और दबावों से कदापि घुटने नहीं टेकता। हमारे लिए और ईरान के मामलों पर नज़र रखने वाले सभी के लिए यह स्पष्ट हो गया कि जो चीज़ एक राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण होती है वह अपनी योग्यताओं पर भरोसा , ईश्वर पर विश्वास, आत्मविश्वास और शत्रु पर भरोसा न करना है। यह वह चीज़ें हैं जो किसी भी राष्ट्र को आगे बढ़ा सकती हैं। पिछला वर्ष हमारे लिए एक युद्धाभ्यास था। युद्धाभ्यासों में सेना, अपनी शक्ति और कमज़ोरियों दोनों को समझती और कमज़ोरियों को दूर करती है।

हमारे लिए एक अन्य पाठ यह था कि हमारे देश की नींव बहुत मज़बूत है जब आधार मज़बूत हों तो शत्रुतओं के षडयंत्रों का प्रभाव बहुत कम हो जाता है और यदि दूरदर्शिता से काम लिया जाए तो खतरे अवसरों में बदल जाते हैं। निश्चित रूप से अर्थ व्यवस्था एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और मैंने निरंतर कई वर्षों तक उस पर बल दिया है किंतु महत्वपूर्ण विषय केवल अर्थ व्यवस्था ही नहीं है, देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, जनता का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, देश की प्रगति महत्वपूर्ण है और यह हर चीज़ का आधार है यदि किसी देश में प्रगति हो रही हो तो फिर उसके बाद के सारे काम सरल हो जाते हैं। देश के लिए स्वाधीनता व राष्ट्रीय प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है। किसी का पिट्ठू न होना महत्वपूर्ण है।

हमारी जनता ने अपनी प्रगति से यह सिद्ध कर दिया कि अमरीका की छत्रछाया में न रहने का अर्थ पिछड़ापन नहीं होता। यह बहुत महत्वपूर्ण बिन्दु है। विश्व शक्तियां, विश्ववासियों के सामने यह सिद्ध करना चाहती हैं कि यदि वे अच्छा जीवन चाहते हैं यदि वे प्रगति करना चाहते हैं तो उन्हें हमारी छत्रछाया में आना चाहिए। ईरानी राष्ट्र ने सिद्ध कर दिया है कि यह दावा झूठ है। हमारे राष्ट्र ने यह सिद्ध कर दिया कि अमरीका और विश्व शक्तियों पर निर्भर न होना न केवल यह कि पिछड़ेपन का कारण नहीं है बल्कि प्रगति का कारण है और इसका स्पष्ट प्रमाण यह है कि आप इस्लामी गणतंत्र ईरान के गत तीस वर्षों की अमरीकी छत्रछाया में रहने वाले देशों के गत तीस वर्षों से तुलना करें, इन देशों ने हर वर्ष २ -३ अरब डालर की अमरीकी सहायता पर ही संतोष कर रखा है और पूरी तरह से अमरीका के सामने झुके हुए हैं, देखें वह लोग कहां हैं? हम कहां हैं? एसे बहुत से देश हैं जिन्हों ने स्वंय को अमरीका की दुम में बांध रखा है और उसके पीछे चलते हैं।

हमने सदैव शत्रुओं से पहले सोचा है जिसका एक उदाहरण तेहरान अनुसंधान केन्द्र के लिए आवश्यक बीस प्रतिशत संवर्धित ईंधन है। दवाएं बनाने वाले इस छोटे से केन्द्र को बीस प्रतिशत संवर्धित ईंधन की आवश्यकता थी और हम बीस प्रतिशत संवर्धित ईंधन नहीं बनाते थे और सदैव आयात करते थे। हमारे शत्रुओं ने इस अवसर से लाभ उठाने की योजना बनायी और इस राष्ट्रीय आवश्यकता की पूर्ति को बाधित करना चाहा ताकि इस प्रकार से वे अपनी इच्छाएं हम पर थोप सकें। हमारे युवाओं ने हमारे वैज्ञानिकों ने संवेदनशील चरण आने से पूर्व ही बीस प्रतिशत संवर्धित ईंधन तैयार करने में सफलता प्राप्त कर ली। हमारे विरोधी सोच भी नहीं सकते थे कि हम यह काम कर लेंगे किंतु देश के अधिकारियों ने सही समय पर इस आवश्यकता पर ध्यान दिया, काम किया और ईरानी योग्यताएं विकसित हो गयीं और यह काम सफलता से सपंन्न हो गया जबकि हमारे शत्रु इस प्रतीक्षा में थे कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, गिड़गिड़ा कर उनसे बीस प्रतिशत संवर्धित ईंधन मांगेगा किंतु ईरान ने कहा कि हम ने बीस प्रतिशत संवर्धित ईंधन देश के भीतर ही तैयार कर लिया है और हमें तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है। यदि हमारे वैज्ञानिक यह काम न करते तो आज हमें गिड़गिड़ाकर, याचना करके, बढ़ी रक़म के साथ उन लोगों के सामने खड़े होना पड़ता जो हमारे मित्र नहीं हैं।

देश की एक आवश्यकता प्रतिरोधक अर्थ व्यवस्था है जिसे हम ने प्रस्तुत किया था। इस प्रकार की अर्थ व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण तत्व अर्थ व्यवस्था का मज़बूत होना है। अर्थ व्यवस्था को मज़बूत होना चाहिए और शत्रुओं के षडयंत्रों का सामना करने की क्षमता उसमें होनी चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण विषय यह है कि अमरीकी निरंतरता के साथ और विभिन्न मार्गों से हमें यह संदेश देते हैं कि आएं परमाणु मामले पर वार्ता करते हैं। हमें भी संदेश भेजते हैं और अंतरराष्ट्रीय संचार माध्यमों में भी यही बात करते हैं। अमरीका के उच्च व मध्यम श्रेणी के नेताओं ने बारम्बार कहा है कि आएं गुट पांच धन एक और ईरान की परमाणु वार्ता के साथ ही अमरीका व ईरान एक दूसरे से वार्ता करें। मुझे इस प्रकार की वार्ता से कोई आशा नहीं है, क्यों? क्योंकि अतीत के अनुभवों से पता चलता है कि वार्ता अमरीकी महानुभावों की दृष्टि में यह नहीं है कि हम किसी तार्किक परिणाम तक पहुंचने के लिए एक साथ बैठें वार्ता से उनका आशय यह नहीं है, वार्ता से उनका आशय यह है कि आएं बैठें बातें करें यहां तक कि आप हमारी बात स्वीकार कर लें! इसी लिए हम ने सदैव कहा है कि इसे वार्ता नहीं कहते, यह थोपना है और ईरान किसी को अपने ऊपर कुछ भी थोपने की अनुमति नहीं देगा। मैं इस प्रकार के बयानों से आशा नहीं रखता किंतु विरोध भी नहीं करता इस संदर्भ में कुछ बातें स्पष्ट करना चाहिए।

पहली बात तो यह है कि अमरीकी निरंतरता के साथ संदेश भेजते हैं कि हम इस्लामी व्यवस्था को बदलना नहीं चाहते , हम से वह यही कहते हैं। इसका उत्तर यह है कि हमें इस बात की चिंता नहीं है कि आप इस्लामी व्यवस्था को बदलने का प्रयास करें या न करें कि जो अब आग्रह कर रहे हैं कि हम व्यवस्था नहीं बदलना चाहते। जब आप ईरान की इस्लामी व्यवस्था बदलना चाहते थे और खुल कर इसकी घोषणा भी की थी तब भी कुछ नहीं कर पाए थे और भविष्य में भी कुछ नहीं कर पाएंगे।

दूसरी बात यह है कि अमरीकी निरंतर यह भी संदेश देते हैं कि हम वार्ता के अपने सुझाव में सच्चे हैं अर्थात सच्चाई के साथ आप से वार्ता करना चाहते हैं अर्थात वे हम से तार्किक वार्ता करना चाहते हैं , इसके उत्तर में हम कहेंगे कि हम ने आप से बारम्बार कहा है कि हम परमाणु शस्त्र बनाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, आप कहते हैं कि हमें विश्वास नहीं है, तो फिर हम क्यों आप की बात स्वीकार करें? जब आप लोग हमारी तार्किक और सच्ची बात को सही मानने पर तैयार नहीं हैं तो हम क्यों आप की बात सही स्वीकार करें जबकि कई बार आप की बातों का गलत होना भी सिद्ध हो चुका है? हम यह समझते हें कि अमरीकियों की ओर से वार्ता का प्रस्ताव विश्व जनमत को धोखा देने के लिए अमरीकी रणनीति है यदि एसा नहीं है तो आप सिद्ध करें , सिद्ध कर सकते हैं? तो सिद्ध करें। यहीं पर मैं यह भी कहना चाहता हूं कि उनके प्रचारिक हथकंडों में से यह भी है कि कभी यह अफवाह उड़ाई जाती है कि वरिष्ठ नेतृत्व की ओर से कुछ लोगों ने अमरीका से वार्ता की है यह भी एक प्रचारिक हथकंडा और पूर्ण रूप से झूठ है। अभी तक वरिष्ठ नेतृत्व की ओर से किसी ने अमरीकियों से वार्ता नहीं की है।

तीसरी बात यह है कि अनुभव व परिस्थितियों से हम यह समझते हैं कि अमरीका परमाणु वार्ता के अंत का इच्छुक नहीं है। अमरीकी यह नहीं चाहते कि परमाणु वार्ताएं समाप्त हो जाएं और परमाणु समस्या का समाधान हो जाए अन्यथा यदि वे इस समस्या के समाधान के इच्छुक होते तो समाधान अत्याधिक निकट व सरल होता। ईरान परमाणु मामले में केवल यह चाहता है कि यूरेनियम के संवर्धन के उसके कानूनी अधिकार को स्वीकार किया जाए और विभिन्न प्रकार के दावे करने वाले देश यह स्वीकार करें कि ईरानी राष्ट्र को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अपने देश में अपने हाथों यूरेनियम संवर्धन का अधिकार है क्या यह बहुत बड़ी मांग है? यह वही बात है जो हमने सदैव कही किंतु वे यही नहीं चाहते।

उनका कहना है कि हमें इस बात की चिंता है कि आप परमाणु शस्त्रों के उत्पादन की ओर न बढ़ जाएं यह कहने वाले कुछ ही देश हैं जिनका नाम मैं ले चुका हूं यह लोग स्वंय को विश्व समुदाय कहते हैं ! कहते हैं विश्व समुदाय को चिंता है। जी नहीं! विश्व समुदाय को कोई चिंता नहीं है । विश्व के अधिकांश देश, ईरान के साथ हैं और हमारी मांग का समर्थन करते हैं क्योंकि हमारी मांग कानूनी है। अमरीकी यदि समस्या का निवारण चाहते तो यह बहुत सरल मार्ग था वे यूरेनियम संवर्धन के ईरानी राष्ट्र के अधिकार को स्वीकार कर सकते थे और अपनी चिंता दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी के नियमों का कड़ाई से पालन करते हमने कभी भी उसके नियमों और निरीक्षण का विरोध नहीं किया। हम जब भी समाधान के निकट पहुंचते हैं अमरीकी कोई न कोई बाधा खड़ी कर देते हैं जिसके समाधान की प्रक्रिया रूक जाती है। मेरे विचार में उनका उद्देश्य यह है कि यह मामला बाकी रहे ताकि उसे दबाव के लिए प्रयोग किया जाए और उनके शब्दों में इसका उद्देश्य ईरानी राष्ट्र को अपाहिज बनाना है किंतु शत्रु सपने देखते रहें ईरानी राष्ट्र कभी अपाहिज नहीं होगा।

चौथी और इस संदर्भ में अंतिम बात यह है कि यदि अमरीकी सच्चाई के साथ मामला ख़त्म करना चाहते हैं तो मैं समाधान पेश करता हूं। समाधान यह है कि अमरीकी, इस्लामी गणतंत्र ईरान से शत्रुता ख़त्म करें, वार्ता का प्रस्ताव, तार्किक व ठोस बात नहीं है , सही बात यह है यदि वे यह चाहते हैं कि हमारे मध्य समस्याएं न हों जैसा कि वह कहते हैं कि हम चाहते हैं कि अमरीका व ईरान के मध्य कोई समस्या न रहे, तो ईरान के प्रति शत्रुता का अंत कर दें। ३४ वर्षों से अमरीका की विभिन्न सरकारों ने हमारे विरुद्ध विभिन्न प्रकार की शत्रुताएं की। हमारे हर छोटे बड़े शत्रु का समर्थन किया , ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध हर हथकंडा प्रयोग किया और ईश्वर की कृपा से हर बार और हर क्षेत्र में उन्हें विफलता मिली इस लिए मैं अमरीकी अधिकारियों को समझाता हूं कि यदि वह तार्किक समाधान चाहते हैं तो तार्किक समाधान यह है कि वे अपनी नीति में सुधार करें, अपने काम सही करें और ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध शत्रुता समाप्त करें।

एक अन्य विषय है जिसका मैं संक्षेप में उल्लेख करना चाहता हूं और यह चुनाव का अत्यधिक महत्वपूर्ण विषय है। हमारे देश में चुनाव राजनीतिक शौर्य गाथा है। यह हमारी व्यवस्था की प्रतिष्ठा है। यह इस्लामी प्रजातंत्र का प्रदर्शन है यह जो हम ने पश्चिम के उदारवादी प्रजातंत्र के मुकाबले में इस्लामी प्रजातंत्र की विचारधारा पेश की है उसका प्रदर्शन चुनावों में जनता की भागीदारी है। शत्रुओं ने योजना बनायी है कि जनता मतदान केन्द्रों तक न पहुंचे और लोगों में निराशा फैलायी जाए। सदैव ही चुनाव के समय चाहे संसदीय चुनाव हो या कोई और विशेष कर राष्ट्रपति चुनाव के अवसर पर शत्रुओं का यही प्रयास रहा है कि चुनाव में उत्साह न हो यही कारण है कि चुनाव हमारे देश के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण है। मैं चुनाव के संदर्भ में कुछ विषयों का वर्णन करता हूं।

पहली बात यह है कि चुनाव में जनता की व्यापक भागीदारी अत्याधिक महत्वपूर्ण है और देश में चुनावी उत्साह और मतदान केन्द्रों पर जनता की भारी उपस्थिति शत्रुओं की धमकियों को प्रभावहीन बना सकती है, उन्हें निराश कर सकती है और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित बना सकती है।

दूसरी बात यह है कि चुनाव में इस्लामी व्यवस्था में विश्वास रखने वाले विभिन्न प्रकार की विचारधारा के गुटों और लोगों को भाग लेना चाहिए यह सब का अधिकार भी है और राष्ट्रीय कर्तव्य भी।

तीसरी बात यह है कि अन्ततः जनता के मत निर्णायक हैं। जो चीज़ महत्वपूर्ण है वह आप की सूझ बूझ व मत है। आप लोग स्वंय जांच करें, जानकार व विश्वस्त लोगों से पूछे ताकि सबसे अधिक योग्य प्रत्याशी का पता चल सके। मेरा एक मत है मैं भी आम जनता की भांति एक मत रखता हूं और जब तक मैं वोट डालूंगा नहीं किसी को भी उसके बारे में पता नहीं चलेगा। यह सही नहीं होगा यदि कोई कहे कि वरिष्ठ नेता अमुक व्यक्ति को चाहते हैं, यदि ऐसा कोई कहता है तो यह सही नहीं है।

चौथी बात यह है कि चुनाव का विषय हो या कोई अन्य विषय सब को कानून का पालन करना चाहिए, कानून के आगे नतमस्तक रहना चाहिए।

अंतिम बात यह कि यह सब जान लें कि हमें आगामी राष्ट्रपति में जो विशेषताएं चाहिए वह आज के राष्ट्रपति की सभी विशेषताएं हैं और बिना वर्तमान कमज़ोरियों के। इस बात पर सभी ध्यान दें। हर राष्ट्रपति को अपने पहले वाले राष्ट्रपति के गुणों से संपन्न तथा उसकी कमज़ोरियों से दूर रहना चाहिए। हरेक में कुछ गुण होते हैं और कुछ कमज़ोरियां हम सब एसे हैं। हे ईश्वर इस देश के लिए जो भी हितकर हो उसे प्रदान कर!

अमरीकी सेना ने विवादास्पद बगराम जेल को औपचारिक रूप से अफ़गानिस्तान के हवाले कर दिया।

अफ़गानिस्तान में लगभग एक दशक से अमरीका के नेतृत्व में तथाकथित आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई के नाम इस जेल में हज़ारों क़ैदियों को बंद करके रखा गया था। बगराम जेल को लेकर अमरीका और अफ़ग़ानिस्तान के संबंधों में काफ़ी तल्खी आ गई थी।

बगराम जेल को अफ़गान सरकार के हवाले करने के लिए सितंबर में एक समझौता हुआ था लेकिन इस जेल में बंद कैदियों के भविष्य को लेकर समहति नहीं बन पायी थी।

सोमवार को अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के अघोषित दौरे पर अफ़गानिस्तान पहुंचने के बाद अमरीकी सेना ने बगराम जेल को औपचारिक रूप से स्थानीय प्रशासन के हवाले कर दिया।

ग़ौरतलब है कि गुआंतानामो एवं अबूग़रेब जेल की तरह बगराम जेल भी बदनाम रही है और यहां कैदियों के साथ कथित यातनाओं के कई मामले सुर्खियों में रहे हैं। बगराम जेल में अमरीकी सैनिकों द्वारा क़ैदियों के अधिकारों का उल्लंघन एवं उनका अपमान सामान्य बात थी।

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वह प्रवचन जो उनकी ग़ैबते सुग़रा के समय उनसे प्राप्त हुए अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं की सेवा मे प्रस्तुत कर रहे हैँ।

नोट-- हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ग़ैबते सुग़रा की अवधि मे अपने विशवसनीय मित्रों व अपने मुख्य प्रतिनिधियों से भेंट करते थे। तथा उनको अपने अनुयाईयों के उत्थान व विकास के लिए विभिन्न सुझाव देते व उनकी कठिनाईयों का निवारण करते थे।

1-संदेश

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने अपने अनुयाईयों को संदेश दिया कि मैं तुम्हारे दैनिक जीवन के कार्यों से अचेत नही हूँ।और न ही तुम्हारी याद को भूल पाता हूँ। अगर ऐसा न होता तो विपत्तियाँ तुमको घेर लेती व शत्रु तुम्हारा सर्वनाश कर देते।

2- अप्रसन्नता

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम्हे चाहिए कि प्रत्येक उस कार्य को करो जो तुमको हम से अधिक समीप करे। व प्रत्येक उस कार्य से दूर रहो जिससे हम अप्रसन्न हों या जिससे हम क्रोधित होंते हों।

3-अनुसरन

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह से डरो और हमारा अनुसरण करो।अपने कार्यों को हमारे ऊपर छोड़ दो य़ह हमारा उत्तरदायित्व है कि तुम को जिस प्रकार इस मार्ग पर लाये थे हम उसी प्रकार तुमको संतुषट करके ले चलेगें। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हमारी मुहब्बत के साथ हमारी ओर बढ़ो।

4- अल्लाह का संकल्प

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने यह संकल्प कर लिया है कि हक़ अपने अन्तिम चरण तक सफलता प्राप्त करे व बातिल का विनाश हो। और मैंने जो कहा है वह इस बात पर साक्षी है।

5-संसार की रचना

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने संसार को व्यर्थ मे नही रचा है और प्रजा को स्वतन्त्र नही छोड़ा है। अपितु अल्लाह ने संसार को अपनी शक्ति से रचा है और उसने मनुष्य को आँख कान दिल व बुद्धि प्रदान की है।और इसके बाद डराने वाले व खुश खबरी देने वाले पैगम्बरो को उनकी ओर भेजा। ताकि वह अल्लाह की अज्ञा पालन का निर्देश दें व उसकी अवज्ञा से रोकें। तथा उनमे जो व्यक्ति अल्लाह के आदेशों के बारे मे नही जानते उनको अल्लाह के आदेशों के सम्बन्ध मे बताऐं।

6-बातिल की समाप्ति

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह जिस समय हमको बोलने की अज्ञा देगा उस समय हक़ प्रकट होगा व बातिल समाप्त हो जायेगा।

7-ज़हूर

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह की अज्ञा के बिना ज़हूर (प्रकट होना) नही होगा और वह भी एक लम्बे समय के बाद जब हृदय अपवित्र हो जायेंगे व पृथ्वी पर चारो ओर अत्याचार फैल जायेगा।

8-झूटा व्यक्ति

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जान लो कि कुछ व्यक्ति शीघ्र ही मुझे देखने व मेरे प्रतिनिधि होने का दावा करेगें। परन्तु याद रखो कि सुफयानी के प्रकट होने व आसमानी अवाज़ के सुनने से पहले जो मुझे देखने का दावा करे वह झूटा है।

9-संसार का पतन

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि संसार का विनाश व पतन शीघ्र होने वाला है। मैं तुमको अल्लाह रसूल व अल्लाह की किताब पर क्रियान्वित होने व बातिल को समाप्त करने का संदेश देता हूँ।

10-मुहम्मद का सार रूप

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने स्वंय अपने बारे मे कहा कि मैं आदरनीय आदम अलैहिस्सलाम का शेष, आदरनीय नूह अलैहिस्सलाम का खज़ाना ,आदरनीय इब्राहीम का चुना हुआ व आदरनीय मुहम्मद का सार रूप हूँ। इन सब महान आत्माओं पर अल्लाह की रहमत हो।

11-शंकाओं का समापन

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अत्याचारी यह समझते हैं कि अल्लाह की हुज्जत संसार से समाप्त हो गई है। अगर हम को बोलने की अज्ञा दी जाये तो हम उनकी समस्त शंकाओं को दूर कर देंगें।

12-छीँकना

आदरनीय इमाम महदी का नसीम नामी सेवक कहता है कि इमाम महदी ने मुझसे कहा कि क्या मैं तुझे छीँकने के बारे मे खुश खबरी दूँ ? मैंनें कहा कि जी। इमाम ने कहा कि अगर स्वंय छीँक आजाये तो व्यक्ति तीन दिन तक मृत्यु से सुरक्षित हो जाता है।

13-शैतान की नाक

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि नमाज़ के अतिरिक्त कोई चीज़ शैतान की नाक पृथवी पर नही रगड़वा सकती। अतः नमाज़ पढ़कर शैतान की नाक पृथ्वी पर रगड़ो।

14- अज्ञा के बिना

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी की सम्पत्ति को उसकी अज्ञा के बिना प्रयोग करना हराम (निषिद्ध) है।

15-अल्लाह की शरण

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं देखने के बाद अँधा होने से, मार्ग प्राप्ति के बाद मार्ग से भटकने से, अनुचित कार्य करने व उपद्रव मे घिरने से अल्लाह की शरण चाहता हूँ ।

16-हक़ हमारे साथ है

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि हक़ हमारे साथ है व हमारे बीच मे है। झूट बोलने वाले के अतिरिक्त कोई भी हमारी तरह यह नही कहेगा।

17-अल्लाह की इच्छा

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मेरे ज़हूर (प्रकट होने) का समय अल्लाह की इच्छा पर है। व हर व्यक्ति कि मेरे प्रकट होने के समय को निश्चित करेगा व झूटा है।

18-अल्लाह

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह वह है जिसने शरीरों को उत्पन्न किया व जो जीविका प्रदान करता है। न वह शरीर रखता और न ही उसने किसी शरीर मे प्रवेश किया है। उसके समान कोई वस्तु नही है वह सुनने वाला व जानने वाला है।

19-अल्लाह हमारे साथ है

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह हमारे साथ है और हमे अल्लाह के अतिरिक्त किसी वस्तु की अवश्यक्ता नही है। हक़ हमारे साथ है अगर कोई हमारा साथ न दे तो इससे हमे कोई घबराहट न होगी।

20-वास्तविक ज्ञान

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि वास्तविक ज्ञान हमारा जानना है। काफ़िर का कुफ्र तुमको नुकसान नही पहुँचा सकता।

21- दर्शन का सौभाग्य

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर हमारे शिया( अल्लाह उनको अपनी बन्दगी व अज्ञा पालन मे सफलता दे) अल्लाह को दिये हुए वचनों को पूरा करने पर एक जुट होते तो हमारे दर्शन का सौभाग्य शीघ्र प्राप्त कर लेते।

22-बुद्धि हीन अज्ञानी

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने मुहम्मद पुत्र अली पुत्र हिलाले करख़ी से कहा कि बुद्धि हीन अज्ञानी व ऐसे शियों ने जिनके इमान से मच्छर का पर अधिक शक्ति शाली है हमको दुखित किया है।

23-शुक्र का सजदा

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि शुक्र का सजदा अनिवार्य मुसतहब्बात मे से है।

24-दुआ का माँगना

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि वाजिब नमाज़ के बाद दुआ माँगने को मुस्तहब नमाज़ के बाद दुआ माँगने पर इसी प्रकार श्रेष्ठता है जैसे वाजिब को मुस्तहब पर श्रेष्ठता है।

25-कब्रो को सजदा करना

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि कब्रों को सजदा करना जायिज़ नही है।(अर्थात निषिद्ध है)

26- मानव सेवा

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने आपको मानव सेवा के लिए समर्पित कर दो, अपने बैठने के लिए गृह द्वार को चुनो व मनुषयों की अवशक्ताओं की पूर्ति करो।

27- पृथ्वी की सुरक्षा

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मेरे अस्तित्व से पृथ्वी वासीयों की इसी प्रकार सुरक्षा होती है जिस प्रकार सितारों से आकाश की सुरक्षा होती है।

28-कठिनाईयो का निवारण

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि समाजिक कठिनाईयों के निवारण हेतू हमारे कथनो का उल्लेख करने वालों से संम्पर्क स्थापित करो। क्योंकि वह मेरी ओर से तुम पर हुज्जत हैं व मैं अल्लाह की ओर से उन पर हुज्जत हूँ।

29-मानव लाभ

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ग़ैबत के समय मे मुझ से इसी प्रकार मानव को लाभ पहुँचेगा जिस प्रकार सूर्य बादलों के पीछे छिपकर मानव को लाभान्वित करता है।

30-सूचनाऐं

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि आपकी समस्त सूचनाए हमारे ज्ञान मे हैं व आप लोगों की कोई भी सूचना हम से छिपी हुई नही है।

31- तुम्हारी भलाई

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मेरे प्रकट होने की दुआऐं अधिकता के साथ किया करो क्योंकि इसी मे तुम्हारे लिए भलाई है।

32-अन्तिम वली

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं अन्तिम वली हूँ। अल्लाह मेरे द्वारा मेरे परिवार व मेरे शियों से विपत्तियों को दूर करायेगा।

33-अल्लाह की हुज्जत

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि पृथ्वी अल्लाह की हुज्जत से रिक्त नही है। अल्लाह की हुज्जत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप मे पृथ्वी पर है।

34-माल का खाना

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो हमारे माल(माले खुम्स इत्यादि) मे से कुछ खायेगा वह अपने पेट को आग से भरेगा, व अन्त मे नरकीय आग मे जलेगा।

35- पवित्र

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि हम तुम लोगों के माल को केवल इस लिए स्वीकार करते है कि तुम पवित्र हो जाओ।

36-लानत

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो हमारे माल से एक दिरहम (सोने का सिक्का)भी हराम कर के खायेगा, उस पर अल्लाह व समस्त फ़रिश्तों की लानत हो।

37-बैअत

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं जब खरूज (किसी के विरूध उठ खड़ा होना) करूँगा तो किसी ताग़ूत( दुष्ट) की बैअत मेरी गर्दन मे न होगी।

38- ग़ैबत का कारण

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ग़ैबत का कारण वही है जिसके लिए अल्लाह ने कहा है कि ऐ इमानदारों बहुत सी चीज़ों के बारे मे न पूछा करो क्योकि अगर उन्हे प्रकट कर दिया जाये तो वह तुम को बुरा लगेगा।

39- रिश्तेदारी

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि यह जान लो कि अल्लाह से किसी की कोई रिशतेदारी नही है।

40-ईश्वरेच्छा का केन्द्र

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कहा कि हमारे हृदय ईश्वरेच्छा के केन्द्र हैं जब वह किसी बात को चाहता है तो हम भी चाहते हैं।

जान लो, अल्लाह धरती को उसकी मृत्यु के पश्चात जीवन प्रदान करता है। हमने तुम्हारे लिए आयतें खोल-खोलकर बयान कर दी है, ताकि तुम बुद्धि से काम लो [57:17]

कांसुली सेवाओं की पुनः बहाली हेतु तेहरान की लंदन के साथ वार्ताईरान के उप विदेश मंत्री हसन क़शक़ावी ने कहा है कि लंदन के साथ कांसुली संबंधों को पुनः स्थापित करने के लिए तेहरान की बातचीत चल रही है।

हसन क़शक़ावी ने रविवारो को कहा कि राजनयिक सेवाओं के पुनः शुरू किए जाने के विषय पर हम ब्रिटेन से वार्ता कर रहे हैं।

केनेडा के बारे में क़शक़ावी ने कहा कि इस उत्तर अमरीकी देश के साथ राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाने हेतु अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल तेहरान और ओटावा के संबंध अभूतपूर्व रूप से प्रभावित हुए थे, जब केनेडा ने शत्रुतापूर्ण चाल चलते हुए तेहरान में अपना दूतावास बंद करने का आदेश दिया था इसी के साथ ईरानी राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए 5 दिन का समय दिया था।

30 नवम्बर 2011 को ब्रितानी विदेश मंत्री विलियम हेग ने घोषणा की थी कि लंदन ईरान से अपने राजनयिकों को वापस बुला रहा है तथा लंदन स्थित ईरानी दूतावास भी बंद कर दिया जाएगा।

इराक युद्ध में १ लाख ९० हज़ार मरेइराक युद्ध में कुल मिलाकर एक लाख नब्बे हज़ार लोग मारे गए और युद्ध पर अमरीका के बाईस सौ अरब डॉलर खर्च हुए।

ये आंकड़े अमरीका के ब्राउन विश्व विद्यालय के एक अध्ययन में सामने आए हैं।

इस अनुसंधान में अर्थ शास्त्रियों १५ युनिवर्सिटियों के प्रोफेसरों , वकीलों और अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया।

रिपोर्ट के अनुसार आरंभ में जॉर्ज बुश सरकार ने इराक युद्ध पर खर्च का अनुमान 50 से 60 अरब डॉलर लगाया था लेकिन अंतिम आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं। रिपोर्ट के अनुसार युद्ध में मारे गए लोगों में से 70 प्रतिशत यानी एक लाख चौन्तीस हज़ार लोग आम नागरिक थे। मरने वाले एक लाख नब्बे हजार लोगों में 4 हजार 488 अमेरिकी सैनिक और तीन हजार चार सौ अमेरिकी कन्ट्रेक्टर भी शामिल हैं। याद रहे अमरीका ने इराक़ पर इस देश में सामूहिक विनाश के शस्त्र होने के दावे के साथ आक्रमण किया था जो पूर्ण रूप से झूठ सिद्ध हो चुका है और वहां किसी भी प्रकार का आम तबाही फैलाने वाला हथियार नहीं मिला। स्वतंत्र सूत्रों के अनुसार इराक़ में मारे जाने वालों की संख्या लाखों में है किंतु अमरीकी स्रोत उसे कम करके बताते हैं।

यहाँ पर अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के चालीस मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे हैं।

1- अल्लाह

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह वह है कि जब प्राणी विपत्तियों व कठिनाईयों मे फस कर चारो ओर से निराश हो जाता है और प्रजा से उसकी आशा समाप्त होजाती है तो वह फिर उसकी (अल्लाह) शरण लेता है।

2- हक़ को छोड़ना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिस आदरनीय व्यक्ति ने हक़ को छोड़ा वह अपमानित हुआ और जिस नीच ने हक़ पर अमल किया वह आदरनीय होगया।

3- तक़लीद

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जनता को चाहिए कि अपनी आत्मा की रक्षा करने वाले, धर्म की रक्षा करने वाले, इन्द्रीयो का विरोध करने वाले, तथा अल्लाह की अज्ञा पालन करने वाले फ़कीह (धर्म विद्वान) की तक़लीद(अनुसरन) करें।

4- भविषय

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि शीघ्र ही मानवता पर एक ऐसा समय आने वाला है जिसमे मनुषय चेहरे से प्रसन्न दिखाई देगें परन्तु उनके हृदय अँधकार मय होंगे। ऐसे समय मे अल्लाह ने जिन कार्यो का आदेश दिया है वह क्रियात्मक रूप प्राप्त नही कर पायेंगे और अल्लाह ने जिन कार्यो से दूर रहने का आदेश दिया है लोग उन कार्यों को करेंगे। ऐसे समय मे इमानदार व्यक्ति को नीच समझा जायेगा तथा अल्लाह के आदेशो का खुले आम उलंघन करने वाले को आदर की दृष्टि से देखा जायेगा।

5- नसीहत (सदुपदेश)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसने अपने मोमिन भाई को छुप कर सदुपदेश दिया उसने उसके साथ भलाई की। तथा जिसने खुले आम उसको सदुपदेश दिया उसने उसके साथ बुराई की।

6- सर्वोत्तम भाई

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम्हारा सर्वोत्तम भाई वह है जो तुम्हारी बुराईयों को भूल जाये व तुमने जो इस पर ऐहसान किया है उसको याद रखे।

7- मूर्ख व बुद्धिमान

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मूर्ख का दिल उसकी ज़बान पर होता है। और बुद्धि मान की ज़बान उसके दिल मे होती है।

8- लज्जा का घर

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अनुचित कार्य रूपी (घोड़े) पर सवार होगा वह उससे लज्जा के घर मे उतरेगा। अर्थात जो व्यक्ति अनुचित कार्य करेगा वह अपमानित व लज्जित होगा।

9- क्रोध

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि क्रोध समस्त बुराईयों की कुँजी है।

10- व्यर्थ का वाद विवाद

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ का वाद विवाद न करो वरना तुम्हारा आदर समाप्त हो जायेगा और मज़ाक़ न करो वरना लोगों का (तुम्हारे ऊपर) साहस बढ़ जायेगा।

11- अपमान का कारण

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि मोमिन के लिए यह बात बहुत बुरी है कि वह ऐसी वस्तु या बात की ओर उन्मुख हो जो उसके अपमान का कारण बने।

12- दो सर्व श्रेष्ठ बातें

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि दो विशेषताऐं ऐसी हैं जिनसे श्रेष्ठ कोई विशेषता नही है। (1) अल्लाह पर ईमान रखना व (2) अपने मोमिन भाई को लाभ पहुचाना।

13- बुरा पड़ोसी

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अच्छी बात को छिपाने व बुरी बात का प्रचार करने वाला पड़ोसी कमर तोड़ देने वाली विपत्ति के समान है।

14- इनकेसारी (नम्रता)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि नम्रता एक ऐसा गुण है जिससे ईर्श्या नही की जासकती।

15- ग़मगीन (शोकाकुल)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि शोकाकुल व्यक्तियों के सम्मुख प्रसन्नता प्रकट करना शिष्ठाचार के विऱुद्ध है।

16- द्वेष

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि द्वेष रखने वाले व्यक्ति सबसे अधिक दुखित रहते है।

17- झूट बुराईयों की चाबी (कुँजी)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि समस्त बुराईयों को एक कमरे मे बन्द कर दिया गया है, व इस कमरे की चाबी झूट को बनाया गया है। अर्थात झूट समस्त बुराईयों की जड़ है।

18- नेअमत (अल्लाह से प्राप्त हर प्रकार की सम्पत्ति)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि नेअमत को धन्यवाद करने वाले के अतिरिक्त कोई नही समझ सकता और आरिफ़ ( ज्ञानी) के अतिरिक्त अन्य नेअमत का धन्यवाद नही कर सकते।

19- अयोग्य की प्रशंसा

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अयोग्य व्यक्ति की प्रशंसा करना तोहमत(मिथ्यारोप) लगाने के समान है।

20- आदरनीय

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि धूर्तता के आधार पर सबसे निर्बल शत्रु वह है जो अपनी शत्रुता को प्रकट कर दे।

21- आदत का छुड़ाना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि मूर्ख को प्रशिक्षित करना और किसी वस्तु के आदी से उसकी आदत छुड़ाना मौजज़े के समान है। अर्थात यह दोनो कार्य कठिन हैँ।

22- माँगने मे गिड़गिड़ाना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि (किसी व्यक्ति) से कुछ माँगने के लिए गिड़गिड़ाना अपमान व दुख का कारण बनता है।

23- शिष्ठा चारी

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि तुम्हारे शिष्टा चीरी होने के लिए यही पर्याप्त है, कि तुम दूसरों की जिस बात को पसंद नही करते उसे स्वंय भी न करो।

24- दानशीलता व कायरता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि दानशीलता की एक सीमा होती है उससे आगे अपव्यय है। इसी प्रकार दूर दर्शिता व सावधानी की भी एक सीमा है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो यह कायरता है।

25- कंजूसी व वीरता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि कम व्यय की भी एक सीमा होती है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो यह कँजूसी है। इसी प्रकार वीरता की भी एक सीमा होती है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो वह तहव्वुर है। अर्थात अत्यधिक वीरता।

26- मित्रों की अधिकता

हज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसको अल्लाह से डरने की आदत हो, दानशीलता जिसकी प्रकृति मे हो तथा जो गंभीरता को अपनाये हुए हो ऐसे व्यक्ति के मित्रों की संख्या अधिक होती है।

27- हार्दिक प्रसन्नता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जब हृदय प्रसन्न हो उस समय ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रयास करो। व जिस समय हृदय प्रसन्नता की मुद्रा मे न हो उस समय स्वतन्त्र रहो।

28- रोज़े को अनिवार्य करने का कारण

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अल्लाह ने रोज़े को इस लिए अनिवार्य किया ताकि धनी लोग भूख प्यास की कठिनाईयों समझ कर निर्धनो पर दया करें।

29- जीविका

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जिस जीविका का उत्तरदायित्व अल्लाह ने अपने ऊपर लिया है उसकी प्राप्ती को वाजिब कार्यों के मार्ग मे बाधक न बनाओ।

30- इबादत

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि रोज़े नमाज़ की अधिकता इबादत नही है। अपितु अल्लाह के आदेशों के बारे मे (उनको समझने के लिए) चिंतन करना इबादत है।

31- हमारे लिए शोभा बनो

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपने अनुयाईयों से कहा कि अल्हा से डरो व हमारे लिए शोभा का कारण बनो हमारे लिए बुराई का कारण न बनो।

32- लालची

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि लालची व्यक्ति अपने मुक़द्दर से अधिक प्राप्त नही कर सकता।

33- व्यर्थ हंसना

आदरनीय इमाम हसन अस्करी ने कहा कि आश्चर्य के बिना हंसना मूर्खता का लक्षण है।

34- पाप से न डरना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो लोगों के सामने पाप करने से नही डरता वह अल्लाह से भी नही डरता।

35- प्रसन्नता व लज्जा

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुमको अल्प आयु प्रदान की गयी है और जीवित रहने के लिए गिनती के कुछ दिन दिये गये हैं मृत्यु किसी भी समय आकस्मिक आसकती है। जो (इस संसार) मे पुण्यों की खेती करेगा वह प्रसन्न व लाभान्वित होगा। व जो पापों की खेती करेगा वह लज्जित होगा। प्रत्येक व्यक्ति को वही फल मिलेगा जिसकी वह खेती करेगा। अर्थात जैसे कार्य इस संसार मे करेगा उसको उन्ही कार्यो के अनुसार बदला दिया जायेगा।

36- बैठने मे शिष्ठा चार

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जो व्यक्ति किसी सभा मे निम्ण स्थान पर प्रसन्नता पूर्वक बैठ जाये तो उसके वहाँ से उठने के समय तक अल्लाह व फ़रिश्ते उस पर दयावान रहते है।

37- मित्रता व शत्रुता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि

क-अच्छे व्यक्तियों की अच्छे व्यक्तियों से मित्रता अच्छे व्यक्तियों के लिए पुण्य है।

ख-बुरे लोगों की अच्छे लोगों से मित्रता यह अच्छे लोगों के लिए श्रेष्ठता है।

ग-बुरे लोगों की अच्छे लोगों से शत्रुता यह अच्छे लोगों के लिए शोभनीय है

घ-अच्छे लोगों की बुरे लोगों से शत्रुता यह बुरे लोगों के लिए लज्जाहै।

38- सलाम करना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा किअपने पास से गुज़रने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सलाम करना शिष्टाचार है।

यहाँ पर अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम के कुछ मार्ग दर्शक कथन प्रस्सतुत किये जारहे हैं।

1- सुरक्षित रहो

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मान मर्यादा का ध्यान न रखता तो उसके उपद्रव से सुरक्षित रहो।

2- लाभ व हानी

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि संसार एक बाज़ार के समान है। जिसमे कुछ लोगों को लाभ होता है तथा कुछ को हानी।

3- व्यक्तित्व

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो अपने व्यक्तित्व से प्रसन्न होगा उससे बहुत से व्यक्ति अप्रसन्न रहेंगे।

4- अच्छाई व बुराई

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अच्छाई से अच्छा अच्छाई करने वाला है। सुन्दर से सुन्दरतम सुन्दरता का वर्णन करने वाला है। ज्ञान से ज्ञानी उच्च है तथा बुऱाई से बुराई करने वाला बुरा है।

5- अल्लाह का परिचय

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह का परिचय उन्ही विशेषताओं के द्वारा कराया जा सकता है जिनके द्वारा उसने अपना परिचय कराया है। और उस अल्लाह का परिचय किस प्रकार कराया जा सकता है जिसके बोध मे इंद्रियां असफल हो,विचार उस तक पहुच न पाते हों,जो कल्पना की सीमा मे न आसकता हो तथा आँखें जिसको न देख सकती हों।

6- दुआ की स्वीकृति

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि पृथ्वी पर कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ पर दुआऐं स्वीकृत होती हैं और अल्लाह इस बात को पसंद करता है कि वहाँ पर दुआऐं की जायें। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कब्र उन्ही स्थानों मे से एक है।

7- विश्वास व अविश्वास

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब ऐसा समय आजाये कि चारो ओर न्याय का राज हो और अत्याचार कम हों तो ऐसे समय मे किसी व्यक्ति के बारे मे उस समय तक मिथ्या संदेह रखना हराम है जब तक उसके सम्बन्ध मे ज्ञान न हो जाये कि वह बुरा है। और जब ऐसा समय आजाये कि चारो ओर अत्याचार व अराजकता वयाप्त हो और न्याय व शाँति का दूर दूर भी कहीँ पता न हो तो ऐसे समय मे किसी को किसी के बारे मे उस समय तक अच्छा भ्रम नही रखना चाहिए जब तक उसके अच्छे होने का ज्ञान न हो जाये।

8- सत्यता की प्राप्ति

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति सत्यता व वास्तविक्ता की प्राप्ति के लिए आगे बढ़े परन्तु उसको प्राप्त करने से पहले उसकी मृत्यु हो जाये तो इसकी मृत्यु सत्यता पर हुई है। जैसा कि कुऑन मे वर्णन हुआ है कि जो व्यक्ति अपने घर से अल्लाह व रसूल की ओर यात्रा करे और (मार्ग मे)मर जाये तो उसका बदला अल्लाह पर है (अर्थात अल्लाह उसको इस कार्य का बदला देगा)

9- अल्लाह से डरना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अल्लाह से डरेगा लोग उससे डरेंगें। और जो अल्लाह की अज्ञा पालन करेगा लोग उसकी अज्ञा पालन करेंगें।

10- दृढ निश्चय

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि कार्यो के करने मे की गयी कमयों को दृढ निश्चय के साथ पूरा करो

11- ईर्श्या

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ईर्श्या पुण्यो को समाप्त और अल्लाह को नाराज़ कर देती है।

12- भर्त्सना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी पर सख्ति करना या भर्त्सना करना अधिक कठिनाईयों का कारण बनता है। परन्तु यह द्वेष से अच्छा है।

13- माता पिता की अवज्ञा

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि माता पिता की अवज्ञा करने वाला व्यक्ति अपमानित होता हैऔर उसकी जीविका मे कमी करदी जाती है।

14- अल्लाह की अज्ञा पालन

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अल्लाह की अज्ञा पालन करता है उसको प्रजा की अप्रसन्नता से नही डरना चाहिए। परन्तु जो अल्लाह को अप्रसन्न कर दे उसको विश्वास रखना चाहिए कि प्रजा उससे अनिवार्य रूप से अप्रसन्न होगी।

15- शिक्षा

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि छात्र व गुरू दोनो विकास मे सम्मिलित हैं।

16- जागना व भूखा रहना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि रात का जागना नीँद को तथा भूक भोजन को स्वादिष्ट बना देती हैं।

17- अल्लाह का धन्यवाद

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपनी सम्पत्ति को सही कार्यों मे व्यय करके उसको सुरक्षित रखो व अल्लाह का धन्यवाद करके अपनी सम्पत्ति मे वृद्धि करो।

18- संसार व परलोक

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह ने संसार को विपत्तियों का और परलोक को बदले का स्थान बनाया है।तथा संसार की विपत्तियों को परलोक के पुण्य का साधन बनाया है और परलोक के पुण्य को संसार की विपत्तियो का बदला बनाया है।

19- सदुपदेश

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह जब अपने किसी बन्दे की भलाई चाहता है तो(उसके मन मे यह बात डाल देता है कि) जब उसको कोई सदुपदेश देता है तो वह उसे स्वीकार कर लेता है।

20- मालदारी

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि इच्छाओं का कम रखना और प्रयाप्त वस्तुओं पर प्रसन्न रहना ही मालदारी है।

21- आश्रितो पर क्रोधित होना

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि धिक्कार है उस व्यक्ति पर जो अपने आश्रितो पर क्रोधित होता है।

22- आदर

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यक्ति का आदर संसार मे उसके माल से है व परलोक मे उसके कार्यो से।

23-- ईर्श्या

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि ईर्श्य़ा से बचो क्योकि यह तुम्हारे शत्रु को नही तुमको हानी पहुँचायेगी।

24- दूषित व्यक्ति

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि दूषित प्रकृति वाले व्यक्तियों पर सदुपदेश का प्रभाव नही होता।

25- व्यर्थ की बहस

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ की बहस पुरानी दोस्ती को भी समाप्त कर देती है।

26- क्रोध व विश्वासघात

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम जिस व्यक्ति पर क्रोधित हुए हो उससे विन्रमता की और जिसके साथ विशवास घात किया है उससे वफ़ा की उम्मीद न रखो।

27- प्रेम व अज्ञापालन

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपने प्रेम व अपने मत दोनो को तुम्हारे लिए आरक्षित करदे तुम उसकी अज्ञापालन करो।

28- व्यर्थ की बातें

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ की बातें मूर्खों का काम है और इनसे मूर्खो को ही प्रसन्नता होती है।

29- एक व दो विपत्तियाँ

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि विपत्ति पर सब्र करने वाले (धैर्य से काम करने वाले) व्यक्ति के लिए एक विपत्ति होती है। और उस पर चीख पुकार करने वाले के लिए दो विपत्तियाँ होती है।

30- स्वेच्छा चारीता

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि सवेच्छचारिता ज्ञान के मार्ग मे बाधक है और व्यक्ति की अज्ञानता व पिछड़े पन का कारण भी बनती है।

31- गुनाह करने पर मजबूर

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसका विचार यह है कि वह गुनाह (पाप) करने पर बाध्य है। उसने अपने गुनाहों को अल्लाह के ऊपर डाल दिया और अल्लाह को बन्दो को बदला देने के बारे मे अत्याचारी घोषित किया।

32- उपद्रव से सुऱक्षा

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अपने आप को स्वंय नीच समझता हो उसके उपद्रव से स्वंय को सुरक्षित रखो।

33- निस् वार्थता

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति किसी कार्य को अप्रसन्नता पूर्वक करे तो अल्लाह उस कार्य को स्वीकार नही करता । क्योकि वह तो केवल उन कार्यो को ही स्वीकार करता है जो साफ़ हृदय के साथ निस्वार्थ रूप से किया जाये।

34- विनम्रता

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि विनम्रमता यह है कि दूसरे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करो जैसा तुम दूसरो से अपने लिए चाहते हो।

35- मुक़द्दर(भाग्य)

हज़रत इमाम नक़ी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मुक़द्दर उन चीज़ो को तुम पर प्रकट करता है जो कभी तुम्हारे विचार मे भी नही आती।