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परवेज़ मुशर्रफ़ 2 दिन की ट्रांज़िट रिमांड पर
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति रिटायर्ड जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ (फ़ाइल फ़ोटो)
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति रिटायर्ड जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को गिरफ़्तार करके पुलिस हेडक्वार्टर के रेस्ट हाउस भेज दिया गया।
परवेज़ मुशर्रफ़ को गिरफ़्तार करने के हाई कोर्ट के आदेशानुसार कल रात देर तक पुलिस और परवेज़ मुशर्रफ़ के वकीलों के बीच वार्ता हुयी जिसके बाद परवेज़ मुशर्रफ़ ने ख़ुद को पुलिस के हवाले कर दिया और तय पाया कि सुबह उन्हें ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश कर दिया जाएगा इसलिए परवेज़ मुशर्रफ़ को शुक्रवार की सुबह ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट राजा अब्बास शाह के न्यायालय में पेश किया गया जहां से उन्हें 2 दिन के ट्रांज़िट रिमांड पर भेज दिया गया। ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट से परवेज़ मुशर्रफ़ अपने घर गए और वहां से उन्होंने कपड़े सहित दूसरी ज़रूरत की चीज़ें ली। इस बीच पत्रकारों को बताया गया कि उन्हें आतंकवाद विरोधी कोर्ट ले जाया जा रहा है किन्तु उन्हें आतंकवाद विरोधी कोर्ट ले जाने के बजाए पुलिस हेडक्वार्टर के रेस्ट हाउस ले जाया गया जहां उनके रहने और खाने पीने की व्यवस्था की गयी।
परवेज़ मुशर्रफ़ के विरुद्ध पाकिस्तानी सेनेट में प्रस्ताव
पाकिस्तान की सेनेट में परवेज़ मुशर्रफ़ के विरुद्ध देशद्रोह का मुक़द्दमा दर्ज करने का प्रस्ताव पास किया गया। यह प्रस्ताव मुस्लिम लीग नवाज़ गुट के सेनेटर इस्हाक़ दार ने पेश किया।
दूसरी ओर पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए चुनाव आयोग शुक्रवार की रात प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी कर देगा।
भूकंप से बूशहर परमाणु बिजलीघर को कोई क्षति नहीं
रूस की सरकारी परमाणु कंपनी ने घोषणा की है कि ईरान के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में मंगलवार को आने वाले भूकंप से बूशहर परमाणु बिजलीघर को कोई क्षति नहीं पहुंची है। इस कंपनी के प्रवक्ता सरगेई नोवीकोफ़ ने कहा है कि ईरान के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में मंगलवार को सात दश्मलव पांच डिग्री की तीव्रता से आने वाले भूकंप से बूशहर परमाणु बिजलीघर पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया है कि बूशहर परमाणु बिजलीघर के भीतर इस भूकंप का आभास नहीं किया गया। ज्ञात रहे कि बूशहर परमाणु बिजलीघर उस स्थान से ९५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं जहां भूकंप आया। ज्ञात रहे कि मंगलवार को स्थानीय समय के अनुसार दोपहर ३ बजकर १४ मिनट पर ईरान के दक्षिणपूर्व में स्थित सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में भूकंप आया था जिसकी तीव्रता रिक्टेर स्केल पर सात दश्मल पांच बताई गई है।
भूकंप से दक्षिण-पूर्वी ईरान थर्राया,
प्रेस टीवी
दक्षिण-पूर्वी ईरान के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में स्थानीय समयानुसार 3 बजकर 14 मिनट पर शक्तिशाली भूकंप आया जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 मापी गयी।
ईरान के भूकंप विज्ञान केन्द्र के अनुसार इस भूकंप का केन्द्र सरावान नगर के 95 किलोमीटर उत्तर में 18 किलोमीटर गहराई में है।
गत 40 वर्षों में यह अब तक का सबसे भीषण भूंकप है।
ईरान की रेड क्रेसेंट सोसायटी ने भूकंप की समीक्षा करने और राहत कार्य के लिए टीमें भेज दी हैं। भूंकप ग्रस्त क्षेत्र सरावान और ख़ाश नगरों के बीच छिटकी हुयी आबादी का इलाक़ा है।
प्रेस टीवी के अनुसार ईरान की सीमा से मिले पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में अनेक लोगों के मरने और लगभग 100 के घायल होने की आशंका है।
यूनाइटेड स्टेट्स भूगर्भीय सर्वे के अनुसार इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 थी जिसके झटके फ़ार्स खाड़ी के तटवर्ती देशों सहित नई दिल्ली तक महसूस किए गए।
आरंभिक रिपोर्ट में 40 लोगों के मरने की ख़बर दी गयी थी किन्तु दूर संचार व्यवस्था बहाल होने के पश्चात प्राप्त रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 12 लोग घायल हुए हैं जिनमें से 7 को हल्की चोटें आयीं थी और 5 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
ज़ायोनी विमानों द्वारा लेबनान की संप्रभुता का उल्लंघन
इर्ना
ज़ायोनी शासन के युद्धक एंव ड्रोन विमानों ने एक बार फिर लेबनान की वायु सीमा का उल्लंघन किया।
सोमवार की रात ज़ायोनी शासन के एक टोही विमान ने दक्षिणी लेबनान के अश्शाब सहित विभिन्न क्षेत्रों के ऊपर उड़ान भरी और चक्कर लगाने तथा टोह लेने के पश्चात ईतरून नामक क्षेत्र के ऊपर से लेबनान की वायु सीमा से बाहर निकले।
इसी प्रकार ज़ायोनी सेना के दो युद्धक विमान, लेबनान और अतिग्रहित फ़िलिस्तीन के सीमावर्ती इलाक़े नाक़ूरा पर कम ऊंचाई पर 2 घंटे तक उड़ान भरने के पश्चात अतिग्रहित फ़िलिस्तीन लौट गए।
लेबनान के राष्ट्रपति मीशल सुलैमान ने देश की वायु सीमा के उल्लंघन को रुकवाने के लिए ज़ायोनी शासन पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाए जाने की मांग की।
ज़ायोनी शासन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव क्रमांक 1701 का उल्लंघन करते हुए लेबनान की वायु सीमा पर आए दिन अतिक्रमण करता है।
नबुव्वत
ख़ुदा की तरफ़ से भेजे गयह नबियों की नबुव्वत और रिसालत पर अक़ीदा और ईमान रखना भी उसूले दीन में से एक है, अल्लाह के नबी लोगों की हिदायत और रहनुमाई के लियह भेजे गये हैं। उनकी तादाद एक लाख चौबीस हज़ार है, उनमें से आख़िरी नबी पैग़म्बरे इस्लाम (स) है जिन के बाद नबुव्वत का सिलसिला ख़त्म हो गया है।
नबी की ज़रुरत
हम सब जानते हैं कि ख़ुदा ने इस फैली हुई दुनिया को बे मक़सद पैदा नही किया है और यह भी वाज़ेह है कि इंसान को पैदा करने से ख़ुदा को कोई फ़ायदा नही पहुचता है। इस लिये कि हम पिछले सबक़ों में पढ़ चुके हैं कि ख़ुदा किसी चीज़ को मोहताज नही है लिहाज़ा इंसान को पैदा करने का मक़सद और उस का फ़ायदा इंसान को ही मिलता है और वह फ़ायदा व मक़सद यह है कि तमाम मौजूदात अपने कमाल की मंज़िलों को तय करे। ख़ास तौर पर इंसान हर लिहाज़ से कमाल तक पहुच सके।
लेकिन यहाँ यह सवाल पैदा होता है कि इंसान किस तरह और किस के सहारे से हर लिहाज़ से अपने कमाल की मंज़िलें तय कर सकता है?
वाज़ेह है कि इंसान उसी वक़्त अपने कमाल तक पहुच सकता है जब उसे आसमानी क़वानीन और सही तरबीयत करने वाले के ज़रिये सहारा मिले, उस के बग़ैर इंसान के लियह मुम्किन न होगा कि वह कमाल तक पहुचे। इस लिये कि ग़ैर आसमानी रहबर अपनी अक़्ल और समझ के महदूद होने की वजह से सही तौर पर इंसान की रहनुमाई नही कर सकता और चुँ कि वह भूल चूक और ग़लतियों से महफ़ूज़ नही होता लिहाज़ा रहबरी के लायक़ भी नही है। (मगर यह कि वह आसमानी रहबरों की पैरवी करे।)
लेकिन अल्लाह के नुमाइंदे (दूत) ग़ैब की दुनिया से राब्ता और हर तरह की ख़ता व ग़लती से महफ़ूज़ होने की वजह से इंसान को हक़ीक़ी कमाल और ख़ुशियों तक पहुचा सकते हैं।
इन सब बातों का नतीजा यह हुआ कि इंसान की हिदायत व तरबीयत उस पैदा करने वाले की तरफ़ से होना चाहिये जो उस की तमाम ख़्वाहिशों से वाक़िफ़ है और यह भी जानता है कि कौन सी चीज़ इंसान के लिये नुक़सान का सबब है और कौन सी चीज़ उस के फ़ायदे का सबब है और यह इलाही क़वानीन भी ख़ुदा के उन नबियों के ज़रिये ही लागू होने चाहिये। जो हर तरह की ख़ता और ग़लतियों से महफ़ूज़ होते हैं।
इंसान एक समाजी मख़लूक़ है
सभी का इस बात पर इत्तेफ़ाक़ है कि इंसान एक समाजी मख़लूक़ है यानी किसी कोने में अकेला बैठ कर ज़िन्दगी नही गुज़ार सकता बल्कि वह मजबूर है कि दूसरे इंसानों के साथ ज़िन्दगी गुज़ारे, इसी को समाजी ज़िन्दगी कहते हैं। अकसर इंसान नफ़सानी ख़्वाहिशों की वजह से इख़्तिलाफ़ात और ग़ैर आदिलाना कामों में फँस जाता है। अब अगर सही और आदिलाना क़ानून न हो तो यह समाज और मुआशरा हरगिज़ कमाल और सआदत की राह पर नही जा सकता।
लिहाज़ा वाज़ेह हो जाता है कि एक ऐसा सही और आदिलाना क़ानून लाज़िम व ज़रूरी है जो शख़्सी और समाजी हुक़ूक़ की हिफ़ाज़त करे लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि यह क़ानून कौन बनाये? बेहतर क़ानून बनाने वाला कौन है? उस की शर्त़े क्या हैं?
क़ानून बनाने वाले की पहली शर्त यह है कि वह जिनके लियह क़ानून बनाना चाहता है उन की रूहानी और जिस्मानी ख़ुसूसियात और ख़्वाहिशात वग़ैरह से आगाह हो, हम जानते हैं कि ज़ाते ख़ुदा के अलावा कोई और नही जो इंसान के मुस्तक़बिल में होने वाले उन हादसों से आगाह हो, जो समाज को एक मुश्किल में तब्दील कर देते हैं लिहाज़ा सिर्फ़ उसी को हक़ है कि इंसान के लिये ऐसा क़ानून बना यह जो उसकी पूरी ज़िन्दगी में फ़ायदे मंद साबित हो और उसे नाबूदी से निजात दे। ख़ुदा उन क़वानीन को इंसान तक अपने बुलंद मर्तबे, मुम्ताज़ और ख़ता व लग़ज़िश से मासूम मुन्तख़ब बंदों के ज़रिये पहुँचाता है ताकि इंसान उन क़वानीन की मदद से कमाल तक पहुँचे।
इंसानों की रहबरी में पैग़म्बरों का दूसरा अहम किरदार यह है कि वह ख़ुद सबसे पहले क़ानून पर अमल करते हैं यानी वह उन क़वानीन के बारे में इंसान के लिये ख़ुद नमून ए अमल होते हैं ताकि दूसरे अफ़राद भी उनकी पैरवी करते हुए ख़ुदा के नाज़िल किये गये क़वानीन को अपनी ज़िन्दगी में लागू करें, यही वजह है कि हर मुसलमान का अक़ीदा है कि ख़ुदा ने हर ज़माने में एक या चंद पैग़म्बरों को भेजा है ताकि आसमानी तालीम व तरबियत के ज़रिये इंसानों को कमाल व सआदत की मंज़िलों तक पहुँचाये।
एक शख़्स ने इमाम सादिक़ (अ) से सवाल किया: पैग़म्बरों के आने का सबब क्या है? इमाम ने उसके जवाब में फ़रमाया: जब मोहकम और क़तई दलीलों से साबित हो गया कि एक हकीम ख़ुदा है जिसने हमें वुजूद बख़्शा है जो जिस्म व जिस्मानियात से पाक है, जिसको कोई भी देख नही सकता तो उस सूरत में ज़रूरी है कि उसकी तरफ़ से कुछ रसूल और पैग़म्बर हों जो लोगों को ख़ैर और सआदत की तरफ़ हिदायत करें और जो चीज़ उनके ज़रर व नुक़सान का सबब है उससे आगाह करें। ऐसे आसमानी हादी व रहबर से ज़मीन कभी ख़ाली नही रह सकती।
ख़ुलासा
- तमाम नबियों की नबुव्वत और रिसालत पर ऐतेक़ाद रखना उसूले दीन में से है ।
- ख़ुदा वंदे आलम ने जिन असबाब की ख़ातिर पैग़म्बरों को भेजा है वह यह हैं:
1. इंसान कमाल की मंज़िलों तक पहुँचे।
2. इंसानों के लिये पैग़म्बर नमून ए अमल बनें।
3. इंसानों की सही हिदायत व रहनुमाई हो सके।
- सिर्फ़ ख़ुदा ही को हक़ है कि वह इंसानों के लियह क़ानून बनाये। इस लियह कि उसी ने उन्हे पैदा किया है और वही उन की रुहानी व जिस्मानी हालात, ख़्वाहिशों, उन की पिछली, हाल की और आईन्दा की ज़िन्दगी और सारे हालात के बारे में पूरी तरह से जानता है।
- ख़ुदा अपने बनाये हुए क़ानून को अपने ख़ास बंदों के ज़रिये इंसानों तक पहुचाता है जो बुलंद मर्तबा, मुम्ताज़ और ख़ता व ग़लतियों से महफ़ूज़ और मासूम होते हैं।
सवालात
1. क्या नबियों की नबुव्वत व रिसालत पर ऐतेक़ाद रखना उसूले दीन में से है?
2. हमें नबियों की ज़रुरत क्यो है और ख़ुदा ने उन्हे क्यो भेजा है?
3. सिर्फ़ ख़ुदा ही को इंसानों के लिये क़ानून बनाने का हक़ है?
4. ख़ुदा अपने बनाये क़ानून को किन लोगों के ज़रिये इंसानों तक पहुचाता है?
बाबरी मस्जिद विध्वंस, मुलायम और आडवाणी ने रची थी साज़िश
भारतीय केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ बाबरी मस्जिद विध्वंस के पहले सांठ-गांठ करने के आरोप लगाए हैं।
बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा है कि आडवाणी ने यह कहते हुए रथ यात्रा की शुरुआत की थी कि अयोध्या में 30 अक्टूबर, 1990 को शिलान्यास होने वाला है। वास्तव में उद्देश्य शिलान्यास नहीं बल्कि मुलायम सिंह यादव से मिलीभगत के बाद बाबरी मस्जिद को गिराने था।
सोमवार को उत्तर प्रदेश के शहर बाराबंकी में पत्रकारों से बात करते हुए बेनी प्रसाद वर्मा ने भाजपा नेता लाल कृष्णा आडवाणी और नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा, यह दोनों ही नेता 'सांप्रदायिक' हैं और देश के प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
कुवैत में सरकार विरोधी विशाल प्रदर्शन
कुवैती अमीर शेख़ सबाह अल-अहमद अल-सबाह का अपमान करने के आरोप में वरिष्ठ विपक्षी नेता मुसल्लम अल-बर्राक को पांच सालों की क़ैद की सज़ा सुनाए जाने से नाराज़, हज़ारों कुवैती नागरिकों ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किए हैं।
सोमवार की रात राजधानी कुवैत सिटी के निकट विपक्षी नेता के निवास पर लगभग 10,000 लोग एकत्रित हो गए और उन्होंने केन्द्रीय जेल तक मार्च किया जहां बर्राक को बंदी बनाकर रखा जा सकता है।
सरकार का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर ट्रैफ़िक भी जाम कर दिया।
पिछले साल अक्तूबर में एक रैली के दौरान कुवैती अमीर शेख़ सबाह के विरुद्ध टिप्पणी करने के आरोप में बर्राक यह सज़ा सुनाई गई है।
मिर्ज़ा ग़ालिब को भारत रत्न मिलना चाहिए: मार्कंडेय काटजू
भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि उर्दू और फ़ारसी के चर्चित शायर मिर्ज़ा ग़ालिब को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिये।
राजधानी में शुक्रवार की रात आयोजित उर्दू मुशायरा सम्मेलन जश्न-ए-बहार के 15वें संस्करण में काटजू ने कहा कि मेरा मानना है कि मिर्ज़ा ग़ालिब को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिये। अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल और बी आर अंबेडकर को निधन के बाद सम्मानित किया जा सकता है, तो मिर्ज़ा ग़ालिब को क्यों नहीं।
इस कार्यक्रम में भारत, पाकिस्तान, अमेरिका समेत कई अन्य देशों के शायर एवं कवि भी शामिल हुए। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इस कार्यक्रम में अपनी दो कवितायें पढ़ीं।
सिब्बल ने कहा कि उर्दू को अगर प्रसारित किया जाये, तो यह प्रेम और अमन बिखेरेगी। भारत अधूरा रह जायेगा अगर वह उर्दू को अपनी तरक़्क़ी में शामिल नहीं करेगा। उर्दू बुद्धिजीवियों की भाषा नहीं है, यह आम आदमी की भाषा है। मेरा मानना है कि अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू सभी स्कूलों में पढ़ायी जानी चाहिये। गुगल का उर्दू संस्करण होना चाहिये और मोबाइल फ़ोन में भी उर्दू के अक्षर होने चाहिये।
उत्तरी कोरिया को वार्ता अस्वीकार
उत्तरी कोरिया ने वार्ता हेतु दक्षिणी कोरिया के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
प्रेस टीवी के अनुसार उत्तरी कोरिया ने घोषणा की है कि वह विवाद के निवारण हेतु दक्षिणी कोरिया के वार्ता के सुझाव को अस्वीकार करता है।
यह घोषणा एसी स्थिति में की गयी कि दक्षिणी कोरिया के एक अधिकारी ने दावा किया था कि सिओल तनाव कम करने के लिए उत्तरी कोरिया के साथ वार्ता पर तैयार है। दक्षिणी कोरिया के एकता मंत्रालय के प्रवक्ता कीम ह्यूंग सूई ने पत्रकारों को बताया था कि सियोल ने उत्तरी कोरिया के साथ वार्ता का प्रस्ताव पेश किया है। इस से पूर्व भी दक्षिणी कोरिया के एकता मंत्री और राष्ट्रपति ने भी उत्तरी कोरिया से वार्ता का प्रस्ताव दिया था।
ईरान, सीरिया की जनता की तार्किक मांगों का समर्थन करता हैः मेहमान परस्त
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि सरकारों का बाक़ी रहना उसके जन समर्थन पर निर्भर है। रामीन मेहमान परस्त ने सीरिया संकट के संदर्भ में कहा कि वह सरकार जिसे अपने देश की जनता का समर्थन प्राप्त हो वह बाक़ी रहती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, सीरिया की जनता की तार्किक मांगों का समर्थन करता है। उन्होंने कहा किसी भी देश को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह सीरिया सहित किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे। रामीन मेहमान परस्त ने कहा कि सीरिया के भविष्य निर्धारण के निर्णय का अधिकार इस देश की जनता के पास है। उन्होंने कहा कि यदि यह तै हो जाए कि किसी भी सरकार के विरोधियों को शस्त्र उपलब्ध करवाए जाएं तो यह बहुत ही ख़तरनाक है और एसी स्थिति में क्षेत्र के सभी देशों की स्थिति सीरिया जैसी हो जाएगी। मेहमान परस्त ने कहा कि सत्ता का संचालन किसके हाथ में दिया जाए इसका निर्णय देश की जनता करती है और सीरिया के मामले में विदेशी शक्तियों द्वारा शरारती तत्वों को सशस्त्र करके उन्हें सीरिया की सरकार के विरुद्ध युद्ध के लिए उकसाना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। मेहमान परस्त ने कहा कि ईरान इसे किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं करता।